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बहूफसली खेती: किसानों के लिए बेहद लाभकारी

बहूफसली खेती: किसानों के लिए बेहद लाभकारी

भारत के अधिकांश किसानों के लिए, कृषि न केवल एक व्यवसाय है बल्कि जीवनयापन का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। मक्का (कॉर्न) भारत की प्रमुख फसलों में से एक है, जिसका उपयोग खाद्य और पशु आहार के रूप में बड़े पैमाने पर किया जाता है। मक्का की खेती के साथ बहूफसली (मल्टी-क्रॉपिंग) तकनीक अपनाना किसानों के लिए आर्थिक लाभ और खेती की स्थिरता दोनों ही दृष्टिकोण से अत्यधिक फायदेमंद हो सकता है। इस ब्लॉग में हम मक्का के साथ बहूफसली खेती के लाभ, विधियाँ, और महत्वपूर्ण सुझावों पर विस्तृत जानकारी देंगे।

बहूफसली खेती के लाभ

आर्थिक लाभ:

बहूफसली खेती में एक ही खेत में कई फसलें उगाने से किसानों की आमदनी में वृद्धि होती है। इससे एक ही सीजन में अलग-अलग फसलों का उत्पादन और बिक्री होने के कारण लाभ भी कई गुना बढ़ जाता है।

मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना:

विभिन्न फसलों की जड़ें और उनकी कृषि पद्धतियाँ मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में सहायक होती हैं। मक्का के साथ दलहनी फसलें उगाने से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है, जिससे अगली फसल के लिए पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है।

कीट एवं रोग नियंत्रण:

एक ही खेत में विभिन्न फसलों के उगाने से कीट और रोगों का प्रकोप कम होता है। विभिन्न फसलों के कारण कीटों और बीमारियों के फैलने की संभावना कम होती है, जिससे रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता भी कम हो जाती है।

जल उपयोग में सुधार:

बहूफसली खेती में अलग-अलग फसलों की जल आवश्यकताएँ भिन्न होती हैं। इससे जल का अधिकतम और कुशल उपयोग होता है, और जलस्रोतों पर दबाव कम पड़ता है।

जोखिम में कमी:

एक ही प्रकार की फसल पर निर्भर रहने से किसान को मौसम, बाजार की कीमतों, और अन्य जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। बहूफसली खेती में विभिन्न फसलों की विविधता होने से जोखिम का वितरण होता है और किसी एक फसल के खराब होने पर भी अन्य फसलों से आमदनी बनी रहती है।

मक्का के साथ उपयुक्त फसलें

बहूफसली खेती: किसानों के लिए बेहद लाभकारी

मक्का के साथ बहूफसली खेती में सही फसलों का चयन महत्वपूर्ण होता है। यहाँ कुछ प्रमुख फसलें दी गई हैं जिन्हें मक्का के साथ उगाया जा सकता है:

दलहन (पल्सेस): मक्का के साथ मूंग, उड़द, अरहर आदि को उगाना लाभकारी होता है। ये फसलें मिट्टी में नाइट्रोजन जोड़ती हैं और मक्का के लिए बेहतर पोषक वातावरण तैयार करती हैं।

सब्जियाँ: मक्का के साथ टमाटर, मिर्च, लौकी, कद्दू, और अन्य सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं। ये फसलें मक्का के बीच की खाली जगह का उपयोग करती हैं और अतिरिक्त आय का स्रोत बनती हैं।

तेलहन (ऑयलसीड्स): सूरजमुखी, मूंगफली, और तिल जैसी फसलें भी मक्का के साथ उगाई जा सकती हैं। ये फसलें मक्का के साथ सामंजस्य बनाकर उगती हैं और अतिरिक्त आय का स्रोत होती हैं।

बहूफसली खेती की तकनीक

 

फसल चक्र (क्रॉप रोटेशन):
फसल चक्र में विभिन्न फसलों को एक के बाद एक उगाना शामिल है। यह मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और कीटों और रोगों के नियंत्रण में सहायक होता है। उदाहरण के लिए, मक्का के बाद दलहन की फसल उगाना लाभकारी हो सकता है।

फसल मिलाना (इंटरक्रॉपिंग):

फसल मिलाना तकनीक में एक ही खेत में एक साथ दो या दो से अधिक फसलें उगाई जाती हैं। उदाहरण के लिए, मक्का के साथ मूंग या उड़द को मिलाकर उगाना।

फसल क्रम (सीक्वेंशियल क्रॉपिंग):

इस तकनीक में एक फसल की कटाई के बाद दूसरी फसल तुरंत बोई जाती है। यह तकनीक अधिक उत्पादन और लाभ सुनिश्चित करने में सहायक होती है।

महत्वपूर्ण सुझाव

मिट्टी परीक्षण:

बहूफसली खेती शुरू करने से पहले मिट्टी का परीक्षण करवाना जरूरी है। इससे मिट्टी की उर्वरता और आवश्यक पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है, जो फसल चयन और उर्वरक प्रबंधन में सहायक होती है।

सिंचाई प्रबंधन:

विभिन्न फसलों की जल आवश्यकताएँ भिन्न होती हैं, इसलिए सिंचाई प्रबंधन पर ध्यान देना आवश्यक है। ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग जल की बचत और समान वितरण में सहायक होता है।

जैविक खेती:

जैविक खाद और कीटनाशकों का उपयोग करके मक्का और अन्य फसलों की जैविक खेती करना पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। जैविक उत्पादों की बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है।

संगठन और प्रशिक्षण:

किसानों को बहूफसली खेती की तकनीकों पर प्रशिक्षण और जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। स्थानीय कृषि विस्तार सेवाओं या कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर नई तकनीकों और विधियों को अपनाना चाहिए।

बाजार की जानकारी:

फसलों की कटाई के बाद उनकी सही कीमत पर बि

क्री के लिए बाजार की जानकारी और समझ होना जरूरी है। समय-समय पर बाजार के रुझान और मांग की जानकारी लेकर फसल उत्पादन और बिक्री की योजना बनाना चाहिए।

मक्का के साथ बहूफसली खेती किसानों के लिए एक उन्नत और लाभकारी कृषि पद्धति है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता, जल उपयोग, और पर्यावरण संतुलन में भी सुधार होता है। सही फसल चयन, तकनीक, और प्रबंधन के साथ बहूफसली खेती को सफलतापूर्वक अपनाकर किसान अपनी आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार ला सकते हैं। कृषि में इस प्रकार की विविधता न केवल फसलों की पैदावार बढ़ाती है, बल्कि कृषि को स्थायी और अधिक लाभदायक बनाती है।

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