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गेहूँ की नवीन उन्नत प्रजातियां उनसे जूडी सम्पूर्ण जानकारी

गेहूँ की नवीन उन्नत प्रजातियां

गेहूँ की नवीन उन्नत प्रजातियां उनसे जूडी सम्पूर्ण जानकारी

गेहूँ की नवीन उन्नत प्रजातियां :-गेहूँ-एच.डी.-4728 (पूसा मालवी) गेहूँ की यह नवीनतम कठिया किस्म अपने बोल्ड दाने व आकर्षक चमकदार गेहुँआ (अंबर) रंग के कारण अत्यन्त स्वादिष्ट होने से तथा अपनी उच्च उत्पादन क्षमता के लिये किसानों में काफी लोकप्रिय हो गई है। गेहूँ की यह किस्म सेन्ट्रल झेन याने म.प्र., राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ में बोनी हेतु अनुशासित किस्म है। मध्यम ऊँचाई वाला, अधिक कचे करने वाला व कड़क काड़ी का पौधा होने से लॉजिंग या आड़ा पड़ने की समस्या नहीं। इसकी अवधि लगभग 120 दिवस इसके 1000 दानों का वजन लगभग 55 ग्राम। इस किस्म के अधिकांश गुण/केरेक्टर / विशेषताएं एवं कृषि कार्यमाला पूसा तेजस एचआई 8759 से काफी मिलती है। अतः इनका अलग से उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है। इस हेतु पूसा तेजस की सम्पूर्ण जानकारी नीचे दी गई है। उसका अध्ययन कर लेवें। उत्पादन क्षमता एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की क्वालिटी एवं पोषक तत्वों की प्रचुरता के कारण इस किस्म ने अपना एक शीर्ष स्थानकिसानों में बना लिया है। इस किस्म में हाई ग्लुटेन की मात्रा होने से पास्ता, मेकरोनी एवं अन्य उत्पादों के अनुकूल होने से अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में मांग होने के कारण एक्सपोर्ट हेतु एक आदर्श किस्मा इस किस्म में थर्मोंटालरेन्स याने अधिक ठंड एवं गर्मी दोनों को सहन करने की इस किस्म में सहनशीलता होने के कारण इसकी बोनी जल्दी अक्टूबर अन्त में भी की जा सकेगी व ठंड की सहनशीलता होने से पाले के विरुद्ध भी यह किस्म किसानों को होने वाली हानि से बचाएगी व किसान को अपने उत्पादन का अधिक मूल्य प्राप्त होगा। इस किस्म में रस्ट, कर्नाल बंट एवं अन्य कई बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता व सर्वगुण सम्पन्न यह किस्म अपने नाम पूसा मालवी के अनुसार मालवा व अन्य क्षेत्रों के लिए उत्पादन व प्रगति के नए आयाम बनाते हुए एक मील का पत्थर साबित होगी। गेहूँ-एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या) :- गेहूँ की यह किस्म गेहूँ अनुसंधान केन्द्र, इंदौर (IARI) से वर्ष 2021 में जारी की गई है। इसका गजट नोटिफिकेशन क्र.एस.ओ. 500 (E) दिनांक 29.1.2021 है। गेहूँ की पूसा अहिल्या किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु एक सर्वश्रेष्ठ आदर्श किस्म के रूप में म.प्र., राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, झाँसी क्षेत्र देश के मध्यक्षेत्र में बोनी हेतु अनुशासित की गई है। इस किस्म ने अपनी चेक किस्मों के विरूद्ध 17 से 30 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन दिया है। इस किस्म में अधिक तापमान की स्थितियों में भी अपनी उच्च उत्पादन क्षमता के गुण के कारण लगभग 30 क्विंटल एकड़ या 70.60 क्विंटल हेक्टेयर तथा व्यवहारिक परिस्थितियों में किसानों द्वारा इससे भी अधिक उत्पादन का रिकार्ड बनाकर किसानों की आय बढ़ाने हेतु एक नया मार्ग व आत्मविश्वास प्रदान किया है। इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उच्च तापमान होने पर भी यह किस्म जल्दी नहीं पकती है, जिससे इसका उत्पादन कम नहीं होता है। फरवरी / मार्च में तापमान बढ़ने पर अन्य पुरानी किस्मों में जो 20 प्रतिशत तक की क्षति उत्पादन में होती है वह इस किस्म की बढ़े तापमान को सहन करने की क्षमता के कारण इसमें नहीं होती है। यह आकड़े गहन रिसर्च एवं अनुसंधान के पश्चात् जो कि रिसर्च स्टेशन इंदौर, जबलपुर, नर्मदापुरम, पवारखेडा, सागर व देश के अन्य रिसर्च स्टेशन से प्राप्त आकड़ों व तथ्यों के आधार पर दिये गये है। इन आकड़ों के परिपेक्ष्य में एडवांस जनरेशन की किस्म होने के कारण बढ़े तापमान पर भी अपनी उत्पादन क्षमता बनाये रखते हुए ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से भी किसानों को सुरक्षा प्रदान करेगी।

इसके अतिरिक्त पूसा अहिल्या एक अर्ली किस्म अवधि 105 से 110 दिवस होने से इस किस्म को देरी बोनी हेतु दिसम्बर के अंत तक बोने के लिये भी एक सर्वश्रेष्ठ किस्म के रूप में अनुशंसित किया गया है। जिसके कारण आलू मटर व अन्य अगाती फसल लेने वाले किसानों के लिये यह किस्म वरदान सिद्ध होगी तथा तृतीय फसल चक्र के रूप में किसानों को अतिरिक्त आय भी प्रदान करेगी। पूसा अहिल्या किस्म एक अर्ली किस्म होने से अवधि 105 से 110 दिवस व तापमान की सहनशीलता के गुण के कारण दो सिचाई में भी अच्छा उत्पादन देने की क्षमता जिससे बिजली पानी की बचत तीन से चार सिचाई

देने पर उत्पादन में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होगी। इस किस्म की ऊँचाई कम स्म 80 से 85 से.मी. होने व कुचे (टिलरिंग) काफी होने से आड़ा पड़ने की (लॉजिंग) न्त की समस्या नहीं। तकनीकी एनेलेसिस एवं लेब से प्राप्त आकड़ों के अनुसार पूसा अहिल्या किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु देश की सर्वश्रेष्ठ किस्म किस्म बन सकती है। क्योंकि इसमें चपाती हेतु तय क्वालिटी मानक में (7.86) बिस्कीट न हेतु (6.73) स्कोर व गलु स्कोर (8/10) सेडिमेटेशन वेल्यू (44.8 एम.एल.) टेस्ट वेट (81.8 कि.ग्रा./HL) हाईग्रीन हार्डनेस (81.4 कि.ग्रा./HL) उच्चस्तर या पर है इसके साथ इस किस्म में प्रोटीन उच्चस्तर पर (12.1%) आयरन (39.6 20 पी.पी.एम.) जिंक (36.6 पी.पी.एम.) अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उच्च स्तर पर होने से इस किस्म में स्वाद के साथ पोषक तत्वों का अनुठा एवं दुर्लभ संयोजन एक साथ होने से चपाती एवं बिस्कीट हेतु यह एकमात्र आदर्श किस्म है। जो कि भविष्य में कृषकों एवं चपाती / बिस्कीट उपभोक्ताओं की पहली पंसद बन जावेगी। इस किस्म के दाने आकर्षक, चमकदार होने से किसानों को र आकर्षक बाजार भाव इसके 1000 दानों का वजन लगभग 40 ग्राम। इस किस्म की में कर्नाल बंट, लुज स्मट, स्टेम रस्ट, लीफ ब्लाईट, फ्यूजेरियम हेड ब्लाईट, रूट राट, फ्लेग स्मट आदि बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता होने से सुरक्षित उत्पादन की गारंटी। इस किस्म की बीज दर प्रति एकड 40/45 किलो प्रति च हेक्टेयर लगभग 100 किलो व लाईन से लाईन की दूरी 9 से 10 इंच रखने आदर्श कार्यमाला अनुसार अनुशंसित फर्टीलाईजर एवं सिंचाई प्रबंधन करने ड पर आदर्शपरिणाम। गेहूँ की पूसा अहिल्या किस्म अपनी उच्च उत्पादकता एवं अपनी सर्वगुण सम्पन्नता वाले उपरोक्त वर्णित गुणों के कारण अतिशीघ्र परम्परागत पुरानी किस्मों को पीछे छोड़कर एक अग्रणी किस्म के रूप में कृषि ■क्षेत्र एवं किसानों में लोकप्रियता के नए आयाम बनाकर अपनाएक नाम व उच्च स्थान बनाने में सफल होगी। कीई गेहूँ-एच.आई. 1636 (पूसा बकुला) :- क्षेत्रीय गेहूँ अनुसंधान केन्द्र (IARI) इंदौर से हाल ही में जारी गेहूँ की यह किस्म पूसा बकुला को समय पर बोनी के लिये देश के मध्य क्षेत्र म.प्र., गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं बुंदेलखण्ड क्षेत्र के लिये अनुशंसित किया गया है। यह किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु एक सर्वश्रेष्ठ किस्म के रूप में अपने मोटे एवं बोल्ड, आकर्षक दाने तथा अपनी उच्च उत्पादन क्षमता के गुण के कारण अतिशीघ्र किसानों में लोकप्रिय किस्म के रूप में अपना स्थान बना लेगी। इस किस्म का गजट नोटिफिकेशन क्र. एस.ओ. 8 (E) दिनांक 24-12-2021 है। इस किस्म की ऊँचाई लगभग 100 से.मी. एवं 1000 दानों का वजन 55 ग्राम व अधिकतम उत्पादन क्षमता 78.80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व व्यवहारिक परिस्थितियों में इस किस्म का बम्पर उत्पादन किसानों

गेहूँ की नवीन उन्नत प्रजातियां द्वारा 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से भी अधिक लिया गया है। इस किस्म की अवधि लगभग 122 दिवस है। गेहूँ की बकुला किरण तपाती एवं बिस्कीट के लिये श्रेष्ठ मानी गई है। इसमें चपाती हेतवस्फोट हेतु (6.50) स्कोर

इसका ग्लू स्कोर (6/10) टेस्ट वेट (80.6) हाई (42.6 42.6 एम.एल.) है जो कि उच्च स्तर पर मानी जाती है। इसके साथ इस किस्म में भरपूर न्यूट्रेशन वेल्यू भी पाई गई है जिसके कारण इस किस्म में प्रोटीन

लगभग (12%), जिंक उच्च मात्रा में (44.4 पी.पी.एम.) तथा लोह की मात्रा तथा अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होने के कारण इसकी चपाती, बिस्कीट एवं इससे बनाए जाने वाले पदार्थों में स्वाद के साथ पोषक तत्वों का आदर्श संगम देखा गया है जो कि देश में कुपोषण की समस्या से लड़ने के लिये एक बेहतर किस्म के रूप में अपना योगदान देगी।

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