Aalu ki kheti : जाने हर जाने हर छोटी से बढ़ी जानकारी इस सब्जी के राजा की
धान की कटाई के साथ ही ज्यादातर क्षेत्रों में आलू की बुवाई शुरू हो जाती है, लेकिन कई बार किसान मंहगा खाद बीज तो डालता है, खेती में मेहनत भी करता है, लेकिन अच्छी उपज नहीं मिल पाती। ऐसे में किसान आलू की खेती कैसे करे तो किसान हमारे ब्लॉग ब्लॉग Aalu ki kheti : जाने हर जाने हर छोटी से बढ़ी जानकारी इस सब्जी के राजा की से अधिक से अधिक जानकारी ले सकते हैं अधिक जानकारी लेकर आलू की खेती से बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।
जाने Aalu ki kheti के बारे में
Aalu ki kheti kaise karen
आलू की खेती करने के लिए सबसे पहले आप इसके बीज जो चुने जो 20 से 25 सेंटीमीटर से 45 मिलीमीटर तक होनी चाहिए | इसके बाद खेत को अच्छी तरह से तैयार करले उसे सही तरह से जोते और जमीन को पाटा करले फिर जमीन के ऊपर 15 सेंटीमीटर की मेड बना लो फिर उसमे बीज को बोदे | खेत में बनी हर मेड की दूरी हैं 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए जो इसकी खेती के लिए अच्छा होता हैं |
Aalu ki kheti ke liye mitti
आलू की खेती की लिए सबसे पहले आपको अच्छी मिटटी चयन करना पड़ेगा | इसके लिए बालुई मिटटी अच्छी होती हैं जो इसके पानी को रुकने नहीं देती हैं जिस से जड़ में सड़न नहीं होती हैं और आलू की पैदावार बढ़ती हैं
भारत में सबसे ज्यादा आलू कहाँ पैदा होता है
भारत में सबसे ज्यादा आलू का उत्पादन उत्तर प्रदेश राज्य में होता है। उत्तर प्रदेश भारत के कुल आलू उत्पादन में लगभग 30-35% का योगदान देता है। इसके अलावा, आलू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी होने के कारण यहाँ आलू का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है पश्चिम बंगाल, बिहार ,मध्य प्रदेश, पंजाब ,गुजरात जो की आलू की खेती के लिए अच्छी जलवायु प्रदान करते हैं
आलू की खेती का समय
इसकी खेती में अगेती बुवाई 15 से 25 सितंबर और इसकी पछेती बुवाई 15-25 अक्टूबर तक का समय सबसे उपयुक्त रहता है. कुछ किसान 15 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच तक आलू की पछेती बुवाई भी करते हैं
इन बातों का भी रखें ध्यान: समय से बुवाई और रोग मुक्त बीजों का ही चयन करें। आलू का सबसे भयंकर रोग होता है पछेती झुलसा रोग। अगर किसान आलू के बीज की खेती करते हैं तो जनवरी फरवरी में सफेद मक्खी का खतरा रहता है, इसलिए आलू की फसल के सारे पत्ते काट देने चाहिए। कोशिश करिए कि कम से कम पेस्टीसाइड या इंसेक्टिसाइड डालना पड़े,
आलू की खेती के लिए खाद
अब बारी आती है, जिस खेत में आलू की बुवाई करनी है उसके शोधन की, क्योंकि उसमें पहले से ही कई तरह के जीवाणु या फिर फंफूदी रहती है। तो इसके लिए एक कुंतल गोबर की खाद लेकर उसमें एक-दो लीटर ट्राइकोडर्मा और एक दो किलो गुड लेकर उसका घोलकर बनाकर दस बारह दिनों के लिए छोड़ दें। 10-12 दिनों में वो पूरी खाद में फैल जाएगा। इसी के साथ ही विवेरिया बेसियाना लेकर एक कुतल गोबर की खाद लेकर एक दो किलो गुड़ का घोल डालकर उसे छाया में रख दें। 10-12 दिन के = लिए इसे भी रख दें, साथ ही मेटाराइजियम को भी एक कुंतल गोबर की बाद इन तीनों को एक • खाद में मिलाकर रख दें। अब दस-बारह दिनों के साथ मिलाकर खेत की तैयारी के समय पूरे खेत में मिला दें। इससे आपके खेत की आधी समस्या खत्म हो जाएगी।
एक बीघा में आलू का बीज कितना पड़ता है
एक बीघे जमीन में आलू की खेती के लिए लगभग 5-6 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है. बीज आलू के आकार और किस्म के अनुसार मात्रा थोड़ी भिन्न हो सकती है, लेकिन आम तौर पर एक बीघा (लगभग 0.625 एकड़) के लिए 5-6 क्विंटल बीज पर्याप्त होते हैं। बीज का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि बीज स्वस्थ हों और उनमें 2-3 अच्छे अंकुरण वाले बीज हों।
Aalu ki kheti kaise kare
- आलू की खेती के लिए सबसे पहले आप आपको इसकी मिटटी का चुनाव करना जरूरी हैं जो बलुई दोमट मिटटी होती हैं वो इसके लिए सबसे अच्छी रहती हैं
- इसके बाद आपको इसके लिए बीज का चुनाव बहुत जरूर हैं ध्यान रहे की 2 आँखों वाले बीज ही ले जिनमे कली निकल रही हो
- फिर आपको मिट्टी को तैयार करना हैं जिसके लिए आपको खेत को अच्छे से जोतना हैं जिस से मिटटी में नरमताई बनी रहे
- इसके बीज को 5-10 cm गहरे बोदे जिस से इनकी जड़ अच्छी हो सके फिर इनके बीज को 20 -25 cm की दूरी पर लगाए
Barsaat me aalu ki kheti
बरसात में आलू की खेती करना एक कठिन काम हो सकता हैं क्योंकि आलू को पानी कम पसंद हैं जिस वजह से जब बरसात में आलू की खेती करे तो क्यारियों को ऊँचा बनाए ताकि जल निकासी अच्छी रहे। आलू की बुवाई 6-8 इंच की गहराई में करें, और पौधों के बीच 8-10 इंच का अंतर रखें। क्यारियों के बीच में 18-24 इंच का फासला रखें, जिससे जलभराव से फसल खराब न हो | आलू की फसल बरसात में 90-100 दिन में तैयार हो जाती है। कटाई का सही समय तब होता है जब पौधों के पत्ते पीले पड़ने लगें।
आलू में कितने पानी लगते हैं
आलू में पानी आप जब सबसे पहले इनके बीज को बोये तब लगाय फिर 25-35 दिनों के अंतराल में पानी को लगाय जिस से उन्हें उगने में मदत मिल सके आलू में कंद का बनना बहुत अहम होता हैं इसी वजह से इस समय पानी लगाना बहुत अहम् हो जाता हैं
Aalu ki kism
विशेषता: यह किस्म आलू में खासकर कंद के बड़े आकार के लिए जानी जाती है। इसमें मिडियम ड्यूरेशन की फसल होती है और यह आलू चिप्स बनाने के लिए उपयुक्त है।
उपज: एक हेक्टेयर में 35-40 टन की उपज देता है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता: यह किस्म आलू की कई प्रमुख बीमारियों जैसे लेट ब्लाइट से सुरक्षित रहती है।
2. कुफरी सिंदुरी
विशेषता: इस किस्म का बाहरी रंग सिंदूरी होता है, इसलिए इसे “कुफरी सिंदुरी” कहा जाता है। यह मध्यम आकार के कंदों के लिए जानी जाती है।
उपज: एक हेक्टेयर में 30-35 टन की उपज देता है।
जलवायु: यह खासकर मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और उत्तर भारत में अधिकतर उगाई जाती है।
3. कुफरी चंद्रमुखी
विशेषता: इसका रंग सफेद होता है और यह कम समय में पकने वाली फसल है। इसे आमतौर पर खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इसका आकार गोल होता है।
उपज: एक हेक्टेयर में 25-30 टन की उपज देता है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता: यह किस्म वायरस और फफूंद से बचाव में सक्षम होती है।
4. कुफरी ज्योति
विशेषता: यह किस्म लेट ब्लाइट रोग के प्रति बहुत ही प्रतिरोधी है और ठंडी जगहों के लिए उपयुक्त होती है।
उपज: एक हेक्टेयर में 35-40 टन की उपज देती है।
जलवायु: यह खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है, जैसे हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड।
5. कुफरी सवरना
विशेषता: यह किस्म बड़े और चिकने आलू कंदों के लिए जानी जाती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे चिप्स और फ्रेंच फ्राइज बनाने के लिए खासतौर पर उगाया जाता है।
उपज: 30-35 टन प्रति हेक्टेयर।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता: लेट ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी।
6. कुफरी कर्ण
विशेषता: यह एक नई विकसित किस्म है जो ऊँचाई वाले और ठंडे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इसके कंद आकार में बड़े होते हैं।
उपज: 35-40 टन प्रति हेक्टेयर।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता: यह किस्म भी लेट ब्लाइट और अन्य वायरस रोगों के प्रति प्रतिरोधी होती है।
7. कुफरी पुखराज
विशेषता: यह आलू की शुरुआती किस्म है, जो जल्दी पक जाती है। कंद पीले रंग के होते हैं और खाने में बहुत स्वादिष्ट होते हैं।
उपज: एक हेक्टेयर में 35-40 टन की उपज देती है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता: यह किस्म भी लेट ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधक होती है।
8. कुफरी हिमालयन चिप्स
विशेषता: यह किस्म विशेष रूप से चिप्स बनाने के लिए विकसित की गई है। कंद सफेद और गोल होते हैं, और इनमें नमी की मात्रा कम होती है, जिससे चिप्स बनाने में आसानी होती है।
उपज: एक हेक्टेयर में 40-45 टन की उपज।
जलवायु: विशेष रूप से पहाड़ी और ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से विकसित होती है
FAQ’S
1. आलू की खेती कब करें?
आलू की खेती के लिए अगेती बुवाई 15-25 सितंबर के बीच और पछेती बुवाई 15-25 अक्टूबर तक की जाती है। कुछ क्षेत्रों में किसान 15 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच भी बुवाई करते हैं।
2. आलू की खेती के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?
आलू की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। यह मिट्टी जल निकासी में मदद करती है, जिससे आलू की जड़ों में सड़न की समस्या नहीं होती है और फसल की उपज अच्छी होती है।
3. एक बीघा में आलू की खेती के लिए कितना बीज चाहिए?
एक बीघा (लगभग 0.625 एकड़) जमीन में आलू की खेती के लिए लगभग 5-6 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है। बीज का आकार और किस्म के आधार पर यह मात्रा थोड़ी भिन्न हो सकती है।
4. भारत में आलू का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?
भारत में सबसे ज्यादा आलू का उत्पादन उत्तर प्रदेश राज्य में होता है, जो देश के कुल आलू उत्पादन में लगभग 30-35% का योगदान देता है।
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