अनार की खेती: फ़ायदे और खेती से जुड़ी हर जानकारी
चलो बात करते हैं एक ऐसी खेती के बारे में जो अपने पोषक तत्व और इसके अंदर भरे हुए लाल दाने इस फाल की मांग को और बढ़ाते हैं तो चलो जानते हैं अनार की खेती से जुडी हर बातें
अनार की खेती के बारे में पढ़े
अनार के बारे में जानकरी
अनार एक स्वादिष्ट फल है जो अपने पोषक तत्वों और रस से भरपूर लाल मोती जैसे बीजों के लिए जाना जाता है। भारत में इसकी खेती काफी प्रचलित है। अनार विटामिन सी, फास्फोरस और फाइबर का अच्छा स्रोत माना जाता है जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। अनार 3 से 4 साल में फल देना शुरू हो जाता है इसका पौधा एक पेड़ से 25 साल पहले फल देता है।
खेती सबसे ज्यादा कहां होती है
भारत Anaar ki kheti मैं सातवे स्थान पर है और भारत में इसकी खेतीti महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान में सबसे ज्यादा होती है | ये राज्य की मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है जिस वजह से ये राज्य इसकी खेती में सर्वप्रथम आते हैं
खेती के लिए मिट्टी
इसकी खेती के लिए गहरी बलुई दोमट भूमि सबसे उपयुक्त होती है क्योंकि अगर मिट्टी अच्छी नहीं होगी तो खेती पर प्रभाव पड़ेगा | मिट्टी में पी,एच व्यू 5.5 7.5 तक होना चाहिए जो इसकी खेती के लिए अच्छा माना जाता है, जिसमें से इसकी फसल पर कोई प्रभाव नहीं आता और मिट्टी का ड्रेनेज सिस्टम अच्छा हो, जिस से पानी रुके ना और फसल खराब ना हो |
किस महीने में लगते हैं
खेती के लिए मुख्य महीना फरवरी से मार्च और जून से जुलाई के बीच होते हैं क्योकि इस माहिने में लगाए गए पेड़ इसकी खेती के लिए बहुत ज्यादा फ़ायदेमंद होते हैं क्योकि जब खेती मौसम के अनुरूप होगी तो उसकी खेत में जयादा उपज देखने को मिलेगी
अनार के फायदे
अनार से स्वास्थ्य को कई फायदे मिलते हैं। ये दिल को स्वस्थ रखता है, खून की कमी दूर करता है, और कैंसर के खतरे को कम करता है। अनार में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीकैंसर गन होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
खेती में किसानों का फ़ायदा
अनार की खेती किसानो के लिए काफी लाभदायक हो सकती है। अगर सही तारीख से खेती की जाए तो इस किसान को अच्छा मुनाफ़ा मिल सकता है। अनार एक उच्च मूल्य वाली फसल है, इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, चाहे वो घरेलू बाजार हो या निर्यात बाजार। अनार के पेड़ 2-3 साल के अंदर फल देने लगते हैं, और एक बार पेड़ अच्छे से लग जाए तो ये लगता है 25-30 साल तक फल देते रहते हैं, जो किसानों के लिए लगता है आमदानी का ज़रिया बन जाता है।
FAQ’s related to अनार की खेती
आनार की खेती के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त है?
आनार की खेती के लिए दोमट मिट्टी, हल्की रेतीली या लाल दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि पानी रुके नहीं। इसकी खेती हल्की क्षारीय मिट्टी में भी की जा सकती है, लेकिन मिट्टी का पीएच मान 6.5-7.5 होना चाहिए।
2. आनार की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु क्या है?
आनार की खेती के लिए शुष्क या अर्ध-शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है। इसे गर्म क्षेत्रों में उगाया जा सकता है जहां सालाना तापमान 10°C से 40°C के बीच हो। ज्यादा ठंड या पाला (फ्रॉस्ट) इसके पौधों को नुकसान पहुंचा सकता है।
3. आनार के पौधे लगाने का सही समय क्या है?
आनार के पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय मानसून के बाद या गर्मी के मौसम में होता है। अगर सिंचाई की व्यवस्था हो तो गर्मी के मौसम में भी इसे लगाया जा सकता है।
4. आनार के पौधे कितनी दूरी पर लगाएं?
आनार के पौधों को 3 मीटर x 3 मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए। यह दूरी पौधों को फैलने के लिए पर्याप्त जगह देती है और पौधे स्वस्थ रहते हैं।
5. आनार की सिंचाई कैसे करनी चाहिए?
आनार को सिंचाई की जरूरत होती है, खासकर शुरुआती चरण में। गर्मियों में हर 7-10 दिन में और सर्दियों में हर 15-20 दिन में सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई ड्रिप पद्धति से करना अधिक लाभदायक होता है।
6. आनार की कौन-कौन सी प्रमुख किस्में हैं?
आनार की प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं:
- भगवा (Bhagwa): यह व्यावसायिक खेती के लिए सबसे लोकप्रिय किस्म है।
- कंधारी (Kandhari): यह बड़े फलों वाली एक अन्य प्रमुख किस्म है।
- मृदुला (Mridula): इसका उपयोग ज्यादातर प्रसंस्करण के लिए किया जाता है।
7. आनार के पौधों में कौन-कौन से प्रमुख रोग और कीट लगते हैं?
- रोग: जीवाणु धब्बा रोग, फल सड़न, लीफ स्पॉट और जड़ सड़न प्रमुख रोग हैं।
- कीट: फल कीट, तना छेदक कीट, और सफेद मक्खी मुख्य कीट हैं। इनसे बचाव के लिए उचित दवा का उपयोग और जैविक विधियां अपनाई जाती हैं।
8. आनार की तुड़ाई कब की जाती है?
आनार के फलों की तुड़ाई फूल आने के 5-6 महीने बाद की जाती है। फलों के रंग और आकार से पता चलता है कि वे पूरी तरह पक चुके हैं। पकने पर फल का रंग गहरा लाल या हल्का पीला हो जाता है।
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