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Arhar Ki Kheti: अरहर की खेती के लिए जानिये बेहतरीन टिप्स होगा मुनाफा

Arhar Ki Kheti: अरहर की खेती के लिए जानिये बेहतरीन टिप्स होगा मुनाफा

Arhar Ki Kheti: अरहर (तूर दाल) भारतीय किसानों के बीच एक लोकप्रिय फसल है, जो न केवल उनके पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करती है, बल्कि अच्छी आमदनी का स्रोत भी बनती है। अगर आप अरहर की खेती से अधिक पैदावार और दोगुनी कमाई करना चाहते हैं, तो आपको कुछ महत्वपूर्ण टिप्स अपनाने होंगे। आइए जानते हैं कैसे आप अरहर की बेहतरीन पैदावार कर सकते हैं।

1. उपयुक्त जलवायु और मिट्टी का चयन

अरहर की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त है। इसे अच्छी धूप और गर्म तापमान की आवश्यकता होती है। 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान अरहर की फसल के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

मिट्टी की बात करें तो अरहर को दोमट और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में उगाना बेहतर होता है। मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। अगर मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ अधिक हो तो फसल की पैदावार और भी अच्छी होती है।

2. बीज की गुणवत्ता और तैयारी

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बेहतरीन पैदावार के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। बीज खरीदते समय यह सुनिश्चित करें कि वे प्रमाणित और रोग-मुक्त हों। बीज की अंकुरण क्षमता 85% से अधिक होनी चाहिए।

बुवाई से पहले बीज का उपचार जरूरी है। आप बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखें, इससे उनका अंकुरण तेजी से होगा। बीजों को राइजोबियम कल्चर से भी उपचारित करें, यह नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद करता है और फसल की वृद्धि को बढ़ावा देता है।

3. सही समय पर बुवाई

अरहर की फसल की बुवाई का सही समय बहुत महत्वपूर्ण है। खरीफ मौसम में बुवाई का सबसे अच्छा समय जून के अंत से जुलाई के मध्य तक होता है। समय पर बुवाई से फसल को पर्याप्त समय मिल जाता है और यह विभिन्न मौसमीय समस्याओं से बची रहती है।

4. उन्नत खेती की तकनीकें

अरहर की फसल में उच्च पैदावार के लिए उन्नत खेती की तकनीकों का उपयोग करें। उचित दूरी पर पौधों की रोपाई करें, ताकि उन्हें पर्याप्त पोषक तत्व और धूप मिल सके। पौधों के बीच 30-40 सेंटीमीटर की दूरी और कतारों के बीच 60-75 सेंटीमीटर की दूरी रखें।

सिंचाई का प्रबंधन भी बहुत महत्वपूर्ण है। अरहर की फसल को शुरुआती चरण में अधिक पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन फसल बढ़ने पर पानी की जरूरत कम हो जाती है। फसल में फूल आने के समय और फली बनने के समय सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक है।

5. उर्वरक और खाद प्रबंधन

अरहर की फसल को बेहतर पैदावार के लिए उचित मात्रा में उर्वरकों की आवश्यकता होती है। बुवाई के समय 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50-60 किलोग्राम फास्फोरस और 20-25 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए। इसके अलावा, जैविक खाद का उपयोग भी लाभदायक होता है।

फसल के बढ़ने के दौरान समय-समय पर उर्वरकों का प्रयोग करते रहें। यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी न हो।

6. कीट और रोग प्रबंधन

अरहर की फसल को विभिन्न कीटों और रोगों से बचाने के लिए सही प्रबंधन जरूरी है। अरहर के प्रमुख कीटों में फलीछेदक, चूर्णी फफूंद और सफेद मक्खी शामिल हैं। इनसे बचाव के लिए समय-समय पर जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।

रोगों की बात करें तो अरहर की फसल में उकठा रोग, पत्तियों का पीला होना और फली झुलसने जैसी समस्याएं आ सकती हैं। इनसे बचाव के लिए फसल चक्र का पालन करें और प्रमाणित बीजों का उपयोग करें। अगर आवश्यक हो, तो रासायनिक फफूंदनाशकों का भी उपयोग किया जा सकता है।

7. फसल कटाई और भंडारण

अरहर की फसल की कटाई सही समय पर करना बहुत जरूरी है। फली के पूरी तरह पक जाने पर ही कटाई करें। कटाई के बाद फसल को अच्छी तरह सुखाएं और उचित भंडारण करें ताकि फसल में कीट और रोग न लगें।

फसल को छायादार स्थान पर सुखाएं और अच्छी तरह से सूखने के बाद ही भंडारण करें। भंडारण के लिए सूखी और हवादार जगह का चयन करें। भंडारण के समय नमी का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि नमी से फसल खराब हो सकती है।

अरहर की खेती से बेहतरीन पैदावार और दोगुनी कमाई करने के लिए उपरोक्त टिप्स का पालन करना आवश्यक है। उपयुक्त जलवायु और मिट्टी का चयन, उच्च गुणवत्ता वाले बीज, सही समय पर बुवाई, उन्नत खेती की तकनीकें, उचित उर्वरक और खाद प्रबंधन, कीट और रोग नियंत्रण और सही समय पर कटाई और भंडारण से आप अपनी अरहर की फसल से अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

इस प्रकार, इन सुझावों को अपनाकर आप न केवल अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति को भी सुधार सकते हैं। सफल खेती के लिए मेहनत और समर्पण के साथ सही जानकारी और तकनीकों का होना अत्यंत आवश्यक है।

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