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Beej upchaar से होगी गेहूं की अच्छी पैदावार

Beej upchaar

Beej upchaar से होगी गेहूं की अच्छी पैदावार

Beej upchaar से होगी गेहूं की अच्छी पैदावार बीज उपचार केसे करें सम्पूर्ण जानकारी संवाद सूत्र, कृषि विभाग ने किसानों को बीज को उपचारित करने के बाद उसकी 15 बीजोपचार बिजाई करने की सलाह दी है। कृषि विभाग का कहना है कि बीज उपचारित करने से पैदावार तो अच्छी होगी ही साथ ही बीमारियों पर भी अंकुश लगेगा। पीला रतुआ जैसी बीमारियां नहीं पनपेंगी। अभी तक देखने में यही आया है कि 50 प्रतिशत किसान बीज को बिना उपचारित किए ही उसकी बिजाई कर रहे हैं। जिससे पैदावार में कमी आ सकती है। बीजोपचार के अभाव में फसल में आने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए किसानों को अतिरिक्त खर्च कर नियंत्रित करना पड़ेगा। इसके बावजूद भी फसल की पैदावार प्रभावित होगी।

Beej upchaar कैसे किया जाए

 डॉ. अजय पंवार ने बताया कि गेहूं की बिजाई में किसान प्रमाणित बीजों का इस्तेमाल करें। बिजाई से पूर्व किसान 80 ग्राम थिराम नामक दवाई 40 किलोग्राम बीज में अच्छी तरह मिला लें या 40 ग्राम रेक्सिल नामक दवा को एक बैग में अच्छी तरह मिलाकर बीजोपचार करें। उन्होंने बताया कि बीजोपचार से बिजाई की गई फसल में काफी हद तक दीमक भी नियंत्रित होती है।

उन्होंने कहा कि किसान बीजोपचार कर समय से पूर्व फसल में आने वाली बीमारियों की रोकथाम कर बंपर पैदावार प्राप्त कर सकते है। गेहूं की फसल में आने वाले बीज जनित रोगों के बारें में बताते हुए कहा कि फसल में मुख्यतः तीन प्रकार के बीज जनित रोग आते हैं। जिनसे फसल की पैदावार व गुणवत्ता प्रभावित होती है है। फसल में करनाल बंट नामक रोग आने से बालियों में कुछ दाने काले पड़ जाते हैं। रोग ग्रस्त फसल से सड़ी हुई मच्छली जैसी दुर्गंध आने लगती है। जबकि टुन्डू नामक रोग में फसल के पौधे का तना फूल जाता है। पौधे पर बालियां छोटी व मोटे आकार की हो जाती है।

बालियों में दाना छोटा व पतला रह जाता है। फ्लैगलीफ नामक रोग पत्तों के ऊपरी सिरे से शुरू होता है। जिससे पौधे की पूरी बाली ही काली पड़ जाती है। बाली काले रंग के पाउडर में तबदील हो जाती है। जिसपर एक भी दाना नही आता। जिससे फसल की पैदावार कम होती है। उन्होंने किसानों को जीरो टीलेज, हैप्पी सीडर व सीड कम फर्टिलाईजर मशीन से बिजाई करने की सिफारिस की है, ताकि बिजाई के समय फसल में डाले जाने वाले उर्वरकों को किसानों को पूरा फायदा मिल सके। उन्होंने बताया कि यूरिया खाद एक मूवऐबल उर्वरक है। जबकि डीएपी नान मूवऐबल उर्वरक है। छटा विधि से गेंहू की बिजाई करने पर किसानों को गेहूं की बिजाई के समय डाले जाने वाले डीएपी खाद का पूरा लाभ नही मिल पाता।

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