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Dev Uthani Ekadashi 2025 Date: 1 या 2 नवंबर कब है देवउठनी एकादशी? 

Dev Uthani Ekadashi 2025 Date: 1 या 2 नवंबर कब है देवउठनी एकादशी? 

भारत के हर त्योहार की तरह देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) का भी धार्मिक महत्व बेहद खास है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार माह की योगनिद्रा से जागते हैं और इसी के साथ मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है। इस पर्व को प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं इस वर्ष देवउठनी एकादशी 2025 की तिथि, पूजा विधि और महत्व। पढ़े Dev Uthani Ekadashi 2025 Date ब्लॉग को 

Dev Uthani Ekadashi 2025 Date जानने के लिए पढ़े पूरा ब्लॉग 

कब है देवउठनी एकादशी 2025?

पंचांग के अनुसार, देवउठनी एकादशी तिथि 1 नवंबर 2025 को सुबह 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर 2 नवंबर 2025 की रात 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगी।
चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 2 नवंबर को होगा, इसलिए देवउठनी एकादशी का व्रत 2 नवंबर 2025, रविवार को रखा जाएगा।

👉 मुख्य व्रत तिथि: 2 नवंबर 2025
👉 तिथि प्रारंभ: 1 नवंबर 2025, सुबह 9:12 बजे
👉 तिथि समाप्त: 2 नवंबर 2025, रात 7:32 बजे

देवउठनी एकादशी का महत्व 

देवउठनी एकादशी को अत्यंत शुभ और पवित्र दिन माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु, जो चार महीने तक क्षीर सागर में योगनिद्रा में रहते हैं, जाग्रत होते हैं।
इसी दिन से सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, और नए व्यवसाय की शुरुआत दोबारा शुरू की जाती है।

इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है
जो व्यक्ति सच्चे मन से इस व्रत का पालन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

कब से शुरू होते हैं मांगलिक कार्य?

देवउठनी एकादशी के बाद देवता जाग्रत हो जाते हैं, और तब से ही सभी मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
यह दिन चातुर्मास की समाप्ति का प्रतीक है, यानी वे चार महीने जिनमें कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता।
अब से विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार और अन्य धार्मिक कार्य शुरू किए जा सकते हैं।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि 

Dev Uthani Ekadashi 2025 Date-Aapkikheti.com

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है —

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर को साफ-सुथरा रखें।

  2. पीले रंग के वस्त्र धारण करें, क्योंकि यह रंग भगवान विष्णु को प्रिय है।

  3. पूजा स्थल पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

  4. अब गंगाजल से स्नान कराएं और भगवान को पीला चंदन, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें।

  5. घी का दीपक जलाएं, व्रत कथा सुनें और अंत में आरती करें।

  6. पूजा के बाद दिनभर भगवान विष्णु का नाम स्मरण करते रहें।

देवउठनी एकादशी पर विशेष परंपरा – तुलसी विवाह

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शालिग्राम भगवान विष्णु का तुलसी देवी के साथ विवाह होता है। यह विवाह आयोजन घरों और मंदिरों में बड़े उत्साह से किया जाता है। तुलसी विवाह से घर में सौभाग्य, शांति और समृद्धि आती है।

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देवउठनी एकादशी पर पूजा कैसे करें

सबसे पहले बाजार से चार गन्ने लेकर आये , और फिर उन्हें तुलसी माता के गमले के चारों ओर बांधे या फिर अगर तुलसी का पौधा नीचे जमीन में लगा हुआ हैं तो गन्ने को जमीन के अंदर बांधे और फिर उसके ऊपर लाल चुनरी और चूड़ी भी चढ़ाये | इसके बाद शुभ समय के अनुसार आरती करे

देवउठनी एकादशी का आध्यात्मिक संदेश

देवउठनी एकादशी हमें यह संदेश देती है कि जीवन में विश्राम और जागरण दोनों का महत्व है।
जैसे भगवान विष्णु चार माह विश्राम करते हैं और फिर सृष्टि के कार्य में प्रवृत्त होते हैं, वैसे ही हमें भी जीवन में संतुलन बनाना चाहिए
यह दिन आध्यात्मिक जागरण, सद्कर्मों और नई शुरुआतों का प्रतीक है।

निष्कर्ष

देवउठनी एकादशी 2025 इस वर्ष 2 नवंबर (रविवार) को मनाई जाएगी।
इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
अगर आप भी अपने जीवन में शुभता और सकारात्मकता चाहते हैं, तो इस एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना अवश्य करें।

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