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Jamun ki kheti : सम्पूर्ण जानकारी के लिए पूरा ब्लॉग पढ़े

Jamun ki kheti : सम्पूर्ण जानकारी के लिए पूरा ब्लॉग पढ़े

जामुन एक लाभदायक फल है जो की खाने में काफी स्वादिष्ट है और साथ ही साथ हमारी सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है भारत में Jamun ki kheti का चलन बढ़ता जा रहा है | क्यूंकि इसकी मांग हर समय बनी रहती है | जामुन की खेती करने के लिए कुछ जरुरी जानकारी की जरुरत होती है | जो की आपको इस लेख में प्राप्त होगी

1. जामुन की खेती कैसे करें

Jamun ki kheti के लिए सही तरीका ,सही योजना और तकनीक की जरुरत होती है | इसके लिए आपको सबसे पहले जामुन की तैयारी करनी होगी | इसमें आपको अच्छी गुणवत्ता के बीज या पौधों का चयन करना होगा। जामुन के पेड़ काफी मजबूत होते हैं और उनका कम देखभाल में भी अच्छा उत्पादन मिलता है।

2. जामुन का उत्पादन

जामुन के पेड़ लगभाग 8 से 10 साल के बाद फल देना शुरू करते हैं, लेकिन एक बार जब जामुन के पेड़ फल देना शुरू करते हैं तो लगातार कई सालों तक अच्छा उत्पादन मिलता है। एक परिपक्व पेड़ से लगभग 80-100 किलो तक जामुन का उत्पादन होता है। जामुन का उत्पादन, मिट्टी और सिंचाई पर भी निर्भर करता है।

3. जामुन के पेड़ लगाने का तरीका

जामुन के पेड़ लगाने के लिए 10×10 मीटर की दूरी रखनी चाहिए। जामुन के बीजों को सीधा रोपने के बजाय ग्राफ्टिंग या लेयरिंग के माध्यम से पेड़ लगाने पर ज्यादा अच्छा परिणाम मिलता है। पेड़ लगाने के लिए खड्डे में गोबर की खाद और मिट्टी का मिश्रण करना चाहिए।

4. जामुन की खेती का समय

जामुन के पेड़ लगाने का सही समय मानसून या बरसात के महीने होते हैं। जुलाई से सितंबर तक का समय जामुन के पौधे लगाने के लिए उत्तम होता है, क्योंकि इस समय मिट्टी में प्राप्त मात्रा में नमी होती है जो दूसरों को तेजी से उगने में मदद करती है।

5. जामुन के पेड़ की देखभाल

Jamun ki kheti

जामुन के पेड़ को बीज से लगभग 8-10 साल लगते हैं फल देने में , लेकिन ग्राफ्टेड पौधे को 4-5 साल लगते हैं फल देने में । पेड़ के आस पास खरपतवार न उगने देना चाहिए और समय-समय पर पेड़ का काट-छट भी करते रहना चाहिए।

6. जामुन के पौधे

जामुन के पौधे नर्सरी से मिलते हैं। इन्हें ग्राफ्टिंग या लेयरिंग के माध्यम से उगाया जाता है, जो बीज के तुलना में जल्दी फल देते हैं। पौधों का चयन अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए ताकि बीमार या कामज़ोर पौधे न उगें।

7. प्रसिद्ध किस्में

जामुन की प्रमुख किस्में हैं – रा जामुन और कथा जामुन। रा जामुन ज्यादा बड़े साइज़ का होता है और स्वाद में मीठा होता है, जबकी कथा जामुन छोटा और हल्का खट्टा होता है।

8. मिट्टी

Jamun ki kheti के लिए बालू मिट्टी (रेतीली दोमट मिट्टी) सबसे अच्छी मानी जाती है। ये मिट्टी जामुन के पेड़ों की जड़ों को अच्छी मात्रा में पोषक तत्व देती है और पानी का अच्छा प्रबंधन करने में मदद करती है।

9.जलवायु

Jamun ki kheti के लिए गरम और आर्द्र जलवायु अनुकूल होती है। 25°C से 35°C तक का तापमान जामुन की वृद्धि के लिए अच्छा माना जाता है। अत्यधिक गरमी या ठंड जामुन के पेड़ो के लिए हानिकारक हो सकती है।

10. खाद

जामुन की खेती में जैविक खाद जैसे गोबर की खाद का उपयोग करना अच्छा होता है। प्रति पेड़ को हर साल लगभग 20 से 30 किलो जैविक खाद देना चाहिए। साथ ही, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे रसायनिक खाद भी देकर जामुन की वृद्धि बढ़ायी जा सकती है। प्रति पेड़ को हर साल लगभग 20 से 30 किलो जैविक खाद देना चाहिए। साथ ही, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे रसायनिक खाद भी देकर जामुन की वृद्धि बढ़ायी जा सकती है।

11. खरपतवार नियन्त्रण

जामुन के पेड़ों के आस-पास खरपतवार उगने से पेड़ की वृद्धि रुक ​​जाती है। हर 2-3 महीने में खरपतवार हटाना चाहिए पेड़ के आस-पास मल्च का उपयोग करके भी खर्च पर नियंत्रण किया जा सकता है।

12. सिंचाई

जामुन के पेड़ को बहुत ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। लगाने के तुरंत बाद और फल आने के समय पर सिंचाई जरूरी होती है। गर्मी के समय पर हफ्ते में एक बार पानी देना चाहिए और बरसात के समय सिंचाई की जरूरत नहीं होती।

13. तोड़ाई

जामुन के पेड़ लगभग 8-10 साल में फल देना शुरू करते हैं। जामुन के फलों को उनके पकने के बाद तोड़ना चाहिए। फल तोड़ने के बाद उन्हें तुरंट ठंडा करके बाजार में बेचना फ़ायदेमंद होता है।

14. भारत में जामुन की खेती

भारत के कई राज्यों में जामुन की खेती की जाती है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, और तमिलनाडु जामुन उत्पादन में आगे हैं। ये राज्य जामुन के मुख्य उत्पादक हैं।

15. जामुन की खेती के फायदे

जामुन की खेती से अच्छी आमदनी होती है।

इसमें शुरुआती निवेश कम होता है लेकिन लंबे समय तक लाभ मिलता है।

जामुन का उपयोग दवाओं में भी होता है, इसलिए इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।

जामुन के बीज और फल दोनों ही लाभदायक होते हैं, जो इसकी खेती को और फ़ायदेमंद बनाते हैं।

 

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