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Jasmin Ki Kheti : कीजिये इसकी खेती और कमाइए अच्छी आई

Jasmin Ki Kheti : कीजिये इसकी खेती और कमाइए अच्छी आई

जैस्मिन या चमेली एक प्रसिद्ध फूल है जो अपनी मीठी सुगंध के लिए जाना जाता है। इसका उपाय न सिर्फ सुगंध तेल और इत्र बनाने में होता है, बल्कि इसके फूलों का व्यवसायिक महत्व भी है। Jasmin Ki Kheti भारत के कई क्षेत्रों में होती है और ये किसानों के लिए अच्छा आर्थिक लाभ देने वाला व्यवसाय बन चूका है।

Jasmin Ki Kheti कैसे करे

जैस्मिन की खेती के लिए सबसे पहले अच्छी वैरायटी के बारे में जानें। चमेली के पौधे गर्मियों में अच्छे से उगते हैं और इन्हें छोटी या मीडियम ज़मीन पर उगया जा सकता है। इन्हें लगाने के लिए स्वस्थ और रोगमुक्त पौधे चुनें। पौधों को लाइन में लगाएं और हर पौध के बीच में 1-1.5 मीटर की दुरी रखें। पौधों की जड़ो को जल देने के बाद, इन्हें धूल और गर्मी से बचाना जरूरी है।

Jasmin Ki Kheti के लिए भूमि और जलवायु

चमेली की खेती के लिए हल्के तेले वाले स्थान और अच्छी निकल वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। इन्हें खेती के लिए बालुई दोमट मिट्टी या लाल मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। चमेली को उगने के लिए गर्मी और उकति – हर जलवायू की जरुरत होती है, लेकिन ये पौधे अधिक से अधिक सूर्य की रोशनी को पसंद करते हैं। इसलिए इन्हें ऐसे क्षेत्रों में उगया जाता है जहां अधिक गर्मी हो।

चमेली की खेती का समय

चमेली की खेती का समय जून-जुलाई या फिर फरवरी-मार्च का होता है। इस समय पौधे की जल्दी वृद्धि होती है और ये ठंड और गर्मी दोनों को अच्छे से झेलते हैं। बीज लगाने के एक साल के अंदर, चमेली के पोधे फूल देने लगते हैं।

चमेली की प्रसिद्ध किस्में

Jasmin Ki Kheti

चमेली की कई प्रसिद्ध किस्में होती हैं जो व्यावसायिक खेती के लिए उपयुक्त हैं। कुछ प्रसिद्ध किस्में हैं: जैस्मीनम साम्बक (मोगरा) जैस्मीनम ग्रैंडिफ्लोरम (स्पेनिश जैस्मीन) जैस्मीनम ऑफिसिनेल (कॉमन जैस्मीन) ये सभी किस्में व्यावसायिक फूल उत्पादन में मुख्य हैं और इत्र और परफ्यूम इंडस्ट्री में इनकी मांग होती है।

खरपतवार नियंत्रण

चमेली की खेती में खरपतवार का नियंत्रण बहुत जरूरी है। खरपतवार पोधों की वृद्धि को रोकती है और फूल उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, खेती के मध्य काल में, मिट्टी का हल चलाना और हाथ से खरपतवार को हटाना जरूरी होता है। रासायनिक जड़ी-बूटियों का भी उपयोग किया जा सकता है, लेकिन सावधानी के साथ।

खाद

चमेली की खेती में जैविक और रासायनिक खाद दोनों का उपयोग होता है। जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट लगाने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। फूलों की अच्छी पैदावार के लिए एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम) का योगदान भी जरूरी है। हर साल 2-3 बार खाद देने से पोधों की वृद्धि अच्छी होती है।

पोधे की देखभाल

चमेली के पौधो की देखभाल करना बहुत जरूरी होता है। हर महीने मिट्टी को थोड़ा ढीला करना, पानी का सही हिसाब रखना और पोधो को धूल और पत्तियों से दूर रखना जरूरी है। समय-समय पर देखभाल और सफाई करना भी आवश्यक है।

फासल काटने का समय

चमेली के फूलों की तोड़ाई उउस समय करनी चाहिए जब फूल आधा खिला हो। सुबह के समय या शाम को तोड़ाई सबसे बेहतर होती है, क्योंकि तब फूलों में सुगंध अधिक होती है। फूल तोड़ने के बाद तुरंत मार्केट में बेचने के लिए भेजने से अच्छी गुणवत्ता बनी रहती है।
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