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Kapaas ki kheti: बुवाई का समय शुरू, अतिरक्त लाभ के लिए करें सहफ़सली खेती

Kapaas ki kheti: बुवाई का समय शुरू, अतिरक्त लाभ के लिए करें सहफ़सली खेती

Kapaas ki kheti: आज हम बात करते हैं कपास की उन्नत खेती की। कपास भारत में महत्वपूर्ण कृषि उपज में से एक है। प्राकृतिक रेशा प्रदान करने वाली कपास भारत की सबसे महत्वपूर्ण रेशेवाली नकदी फसल है। जिसका देश की औद्योगिक व कृषि अर्थव्यवस्था में प्रमुख स्थान है। विश्व में निरंतर बढ़ती खपत और विविध उपयोग के कारण कपास की फसल को सफेद सोने के नाम से जाना जाता है। किसान भाइयों मई माह में बुवाई का उचित समय शुरू हो चुका है। कपास की खेती सिंचित और असिंचित क्षेत्र दोनों में की जा सकती है। किसान भाई कपास के साथ कपास की उन्नत खेती में बीज सहफसली खेती करके अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं।

 जाने कैसे करे Kapaas ki kheti/ कपास की खेती

कपास की खेती के लिए मौसम/जलवायु

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कपास की खेती के लिए मौसम / जलवायु यदि पर्याप्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध हैं तो कपास की फसल को मई माह में ही लगाया जा   सकता है। सिंचाई की पर्याप्त उपलब्धता न होने पर मानसून की उपयुक्त वर्षा होते ही कपास की फसल लगा सकते हैं। कपास की   उत्तम फसल के लिए आदर्श जलवायु का होना आवश्यक है। फसल के उगने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेंटीग्रेट और अंकुरण के   लिए आदर्श तापमान 32 से 34 डिग्री सेंटीग्रेट होना उचित है। इसकी बढ़वार के लिए 21 से 27 डिग्री तापमान चाहिए। फलन लगते   समय दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तथा रातें ठंडी होनी चाहिए। कपास के लिए कम से कम 50 सेंटीमीटर वर्षा का होना आवश्यक है।

कपास की खेती सर्वाधिक कहा होती है

अब भारत 6.1 मिलियन टन के आंकड़े के साथ कपास उत्पादन में चीन से आगे निकल गया है। और चीन अब 5.5 मिलियन टन के साथ दूसरे स्थान पर है। जबकी अगर भारत में देखेंगे तो कपास उत्पादन में महाराष्ट्र जहां सबसे आगे हैं तो वहीं दूसरे स्थान पर गुजरात है. जो 20.55 प्रतिशत कपास का उत्पादन करता है. फिर राजस्थान है, जो 16.94 प्रतिशत   कपास का उत्पादन करता है.  फिर चौथे स्थान पर राजस्थान है. जो 9.06 प्रतिशत कपास का उत्पादन करता है और फिर कर्नाटक है, जो 6.56 प्रतिशत कपास का उत्पादन करता है. इनके अलावा अन्य और राज्य भी हैं. जो बचे हुए 20 प्रतिशत कपास का उत्पादन करते हैं.

कपास की खेती के लिए भूमि का चुनाव

कपास के लिए अच्छी जलधारण और जल निकास क्षमता वाली भूमि होनी चाहिए। जिन क्षेत्रों में वर्षा कम होती है, वहां इसकी खेती अधिक जल-धारण क्षमता वाली मटियार भूमि में की जाती है। जहां सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हों वहां बलुई एवं बलुई दोमट मिटटी में इसकी खेती की जा सकती है। यह हल्की अम्लीय एवं क्षारीय भूमि में उगाई जा सकती है। इसके लिए उपयुक्त पी एच मान 5.5 से 6.0 है। हालांकि इसकी खेती 8.5 पी एच मान तक वाली भूमि में भी की जा सकती है

कपास की उन्नत खेती के लिए खेत की तैयारी

उत्तरी भार कपास की खेती मुख्यतः सिचाई आधारित होती है। इन क्षेत्रों में च की तैयारी के लिए एक सिंचाई कर 1 से 2 गहरी जुताई करनी चाहि एवं इसके बाद 3 से 4 हल्की जुताई कर, पाटा लगाकर बुवाई करना चाहिए। कपास का खेत तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खेत पूर्णतया समतल हो ताकि मिट्टी की जलधारण एवं जलनिकास क्षमता दोनों अच्छे हों। यदि खेतों में खरपतवारों की ज्यादा समस्या न हो तो बिना जुताई या न्यूनतम जुताई से भी कपास की खेती की जा सकती है। दक्षिण व मध्य भारत में कपास वर्षा-आधारित काली भूमि में उगाई जाती है। इन क्षेत्रों में खेत तैयार करने के लिए एक गहरी जुताई मिटटी पलटने वाले हल से रबी फसल की कटाई के बाद करनी चाहिए, जिसमें खरपतवार नष्ट हो जाते हैं और वर्षा जल का संचय अधिक होता है। इसके बाद 3 से 4 बार हैरो चलाना काफी होता है। बुवाई से पहले खेत में पाटा लगाते हैं, ताकि खेत समतल हो जाए|

कपास का किस किस चीज़ में प्रयोग होता है

कपास का उपयोग डेनिम, जर्सी, वेलोर और कई अन्य कपड़ों को बुनने या बुनने के लिए किया जा सकता है। कपड़ा क्षेत्र को कपास और उससे संबंधित कपड़ों के उपयोग से बहुत लाभ होता है। कपास का उपयोग कई तरह की चीजों के लिए किया जाता है, जिसमें बेडशीट, पर्दे, कोट, नियमित टी-शर्ट और कई अन्य चीजें बनाना शामिल है।

कपास का उपयोग

FAQ’s of Kapaas ki kheti

https://aapkikheti.com/june-month-vegetables-2024/ 

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