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Makhane Ki Kheti : मखाने की खेती से कमाएं अच्छी आई

Makhane Ki Kheti : मखाने की खेती से कमाएं अच्छी आई

मखाने, यानी फॉक्स नट्स, एक महत्वपूर्ण फसल है जो ज्यादा तर बिहार, असम और उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है। इसका उपयोग स्नैक्स के रूप में होता है, और इसका मार्केट डिमांड बहुत ज्यादा है। Makhane Ki Kheti को सफल बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम और तकनीकों का पालन करना पड़ता है। आइये जानते हैं मखाने की खेती कैसे करते है

मखाने की खेती कैसे करें

Makhane Ki Kheti के लिए सबसे पहले एक अच्छी गुणवत्ता का तालाब या जलाशाय होना जरूरी है जिसमें 3-6 फीट तक पानी हो। पानी में बेहतर परिणाम के लिए रसायन मुक्त और जैविक प्रथाओं का उपयोग करना चाहिए। मखाने की खेती सीधी तालाब में होती है, पानी का स्तर और सफाई रखना बहुत जरूरी है। इसमे बीज को पानी में बोया जाता है और वक्त के साथ ये बड़े होते हैं।

मखाने की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

Makhane Ki Kheti के लिए नदी या तालाब का पानी सबसे अच्छा होता है जिसमें मिट्टी गीली और जैविक होनी चाहिए। मिट्टी में 2-4 फीट तक की गहराई में पानी होना चाहिए, जिससे पौधे के विकास के लिए उपयुक्त वातावरण मिल सके। जलवायु की बात करें तो ये खेती गर्म और आद्रा जलवायु में अच्छी होती है। 20-35 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान फसल के लिए अच्छा होता है।

बीज

मखाने की खेती के लिए गुणवत्ता वाले बीज का चुनाव करना बहुत महत्वपूर्ण है। बीज अच्छे होने चाहिए, जो रोग मुक्त और स्वस्थ विकास को बढ़ावा दें। मखाना के बीज को “गिरी” कहा जाता है, जो तालाब के पानी में बोया जाता है। बीज उपचार और उनका अंकुरण प्रक्रिया सफल खेती के लिए महत्तवपूर्ण होता है।

बिजाई का समय

मखाने की खेती का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून के बीच होता है। इस समय में पानी और जलवायु का कॉम्बिनेशन अच्छा होता है। बिजाई से पहले तालाब में पानी भर देना चाहिए, ताकि बीज अच्छे से जम सकें। उचित तापमान और पानी का स्तर बनाए रखने से ही अच्छी बिजाई की जा सकती है ।

पौधे की देखभाल

तालाब को साफ रखना और पानी के स्तर को नियंत्रित करना सबसे महत्वपूर्ण है। तालाब के पानी में किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं होना चाहिए, और कभी-कभी तालाब को साफ भी करना पड़ता है। जैविक खाद देकर उनकी वृद्धि की जा सकती है और सुधार किया जा सकता है। इसमे खरपतवार को नियमित रूप से साफ करना होता है।

सिंचाई

मखाने की खेती तालाब में निरंतर पानी का स्तर बनाए रखना जरूरी है। सिंचाई का पूरा प्रोसेस पानी के स्तर पर नियंत्रण करके होता है। इसमें बारिश का पानी भी अहम रोल प्ले करता है। तालाब में जितना पानी बराबर रहेगा, तालाब की वृद्धि उतनी अच्छी होगी।

फसल की कटाई

मखाने की फसल अक्टूबर-नवंबर के महीने में तैयार होती है। जब पौधे का फल परिपक्व हो जाता है तो उसे पानी से निकालकर धूप में सुखाया जाता है। सुखाने के बाद उनका बाहरी आवरण टूट कर बीज निकाल लिया जाता है, जिससे आगे की प्रक्रिया की जाती है। कटाई के समय पर बीजों कोअच्छे से प्रक्रिया करने के लिए विशेषज्ञता चाहिए होती है।

मखाने की खेती से लाभ

Makhane Ki Kheti

Makhane Ki Kheti से काफी अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। एक बार वृक्षारोपण के बाद, इसकी देखभाल ज्यादा मुश्किल नहीं होती और बाजार की मांग भी हमेशा ऊंची रहती है। इसमें लागत भी कम होती है और प्रोडक्शन भी काफी होता है। मखाने की खेती से स्थानीय और राष्ट्रीय बाजार दोनों में अच्छी आय उत्पन्न हो सकती है।

पढ़िए यह ब्लॉग Papaya seeds benefit 

FAQs

प्रश्न: मखाने की खेती के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?
उत्तर: मखाने की खेती का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून के बीच होता है।

प्रश्न: मखाने की खेती के लिए किस प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है?
उत्तर: मखाने की खेती के लिए गीली और जैविक मिट्टी उपयुक्त होती है, जो नदी या तालाब के पानी में हो।

प्रश्न: मखाने के बीजों को क्या कहा जाता है?
उत्तर: मखाने के बीजों को “गिरी” कहा जाता है।

प्रश्न: मखाने की फसल की कटाई कब की जाती है?
उत्तर: मखाने की फसल की कटाई अक्टूबर-नवंबर में की जाती है जब फल परिपक्व हो जाते हैं।

प्रश्न: मखाने की खेती से क्या लाभ होता है?
उत्तर: मखाने की खेती से अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है, इसमें लागत कम और उत्पादन ज्यादा होता है। बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।

 

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