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Mango Farming: जाने आम के पेड़ में होने वाले उखठा रोग , प्रकार ,उसके उपाय

Mango Farming: आम के पेड़ में लगने वाले उखठा रोग के लक्षण और उसके उपाय

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Mango Farming या आम को खाने में तो काफी अच्छा लगता है पर इसमें होने वाली समस्याएं भी बहुत जिसे हमे ध्यान रखते हुए फिर हमें उसके उपाय करने पड़ते हैं तो आइए देखें रोग के बारे में और उसे बचने के उपाय आम के प्रकार क्या हैं

जाने Mango farming के रोग प्रकार और इसके बचने के उपाय

1. उखठा रोग क्या है?

उखठा रोग, जिसे अंग्रेजी में Root Rot कहा जाता है, आम के पेड़ में एक गंभीर समस्या होती है। यह रोग मुख्य रूप से फफूंद (Fungi) के कारण होता है, जो जड़ प्रणाली को संक्रमित करता है और पेड़ की सामान्य क्रियाओं को बाधित करता है। इस रोग के चलते पेड़ की जड़ें सड़ने लगती हैं, जिससे पेड़ की वृद्धि रुक जाती है और अंततः पेड़ सूख सकता है। यह रोग आमतौर पर उन क्षेत्रों में फैलता है जहां जल निकासी की समस्या होती है। अधिक नमी और खराब जल निकासी की स्थिति में यह फफूंद तेजी से फैलती है। इसके अलावा, संक्रमित मिट्टी, उपकरण और पानी भी इस रोग के फैलाव के मुख्य स्रोत होते हैं।

2.उखठा रोग के लक्षण

पत्तियों का पीला पड़ना: विल्ट रोग से प्रभावित आम के पेड़ों की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं। यह इस बात का संकेत है कि पेड़ की जड़ें पोषक तत्वों और पानी को ठीक से नहीं खींच पा रही हैं।

जड़ सड़न: इस रोग से प्रभावित पेड़ की जड़ें सड़ने लगती हैं और दुर्गंध आने लगती है। यह सड़न जड़ प्रणाली को कमजोर कर देती है।

पेड़ का सूखना: विल्ट रोग बढ़ने पर पेड़ की शाखाएँ सूखने लगती हैं। पेड़ की ऊपरी शाखाएँ भी पत्तियाँ गिराने लगती हैं और टहनियाँ मुरझाने लगती हैं।

फल गिरना: विल्ट रोग से प्रभावित पेड़ों पर लगे फल ठीक से विकसित नहीं होते और गिरने लगते हैं। इससे फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर असर पड़ता है।

3. उखठा रोग के कारण

अधिक नमी : उचित जल निकासी व्यवस्था न होने के कारण फफूंद मिट्टी में ही रह जाती है, जो फफूंद के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है।

संक्रमित मिट्टी और कृषि उपकरण: संक्रमित मिट्टी और कृषि उपकरणों का उपयोग करने से यह रोग फैल सकता है। इसलिए, उपकरणों को कीटाणुरहित करना आवश्यक है।

खराब देखभाल: पेड़ की उचित देखभाल न करने के कारण भी विल्ट रोग फैल सकता है। समय पर सिंचाई, उर्वरक और रोग प्रबंधन की कमी पेड़ों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करती है।

4. उखठा रोग के उपाय

सही जल निकासी: आम के पेड़ के लिए सही जल निकासी की व्यवस्था करना बहुत महत्वपूर्ण है। पेड़ के आसपास जल भराव न होने दें और मिट्टी की नमी को नियंत्रित रखें।

संक्रमित पेड़ को अलग करना: यदि किसी पेड़ में उखठा रोग के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत स्वस्थ पेड़ों से अलग कर देना चाहिए। इससे रोग के फैलाव को रोका जा सकता है।

फफूंदनाशक का प्रयोग: उखठा रोग के नियंत्रण के लिए फफूंदनाशक का उपयोग किया जा सकता है। प्रभावित जड़ों पर फफूंदनाशक का छिड़काव करने से रोग की वृद्धि को रोका जा सकता है।

स्वस्थ बीज और पौध: उखठा रोग से बचने के लिए स्वस्थ बीज और पौध का चयन करना चाहिए। संक्रमित पौधों का उपयोग न करें और कृषि उपकरणों को नियमित रूप से कीटाणुरहित करें।

जैविक उपाय: कुछ जैविक उपायों से भी उखठा रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे कि ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) फफूंद का उपयोग, जो मिट्टी में लाभकारी फफूंद की संख्या को बढ़ाता है और रोगजनक फफूंद को नियंत्रित करता है।

उखठा रोग आम के पेड़ के लिए एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन सही देखभाल और प्रबंधन से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जल निकासी की उचित व्यवस्था, स्वस्थ बीज और पौध का चयन, और समय-समय पर फफूंदनाशक का उपयोग करके इस रोग से बचा जा सकता है। यदि किसी पेड़ में इस रोग के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत उपाय करने चाहिए ताकि रोग का फैलाव न हो और पेड़ स्वस्थ रहे।

Mango farming ke faayde

आर्थिक लाभ: आम एक मूल्यवान फल है, जिसकी मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में रहती है। इसके निर्यात से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। विशेष रूप से हापुस (अल्फांसो) और केसर जैसे प्रीमियम किस्मों की कीमत बाजार में अधिक होती है।

लंबी उम्र और कम रखरखाव: आम के पेड़ की लंबी उम्र होती है और एक बार लगाने के बाद यह कई सालों तक फल देता रहता है। इसके रखरखाव की लागत भी तुलनात्मक रूप से कम होती है।

उपयुक्त जलवायु और भूमि: भारत का अधिकांश क्षेत्र आम की खेती के लिए उपयुक्त है। इसके लिए ज्यादा विशेष भूमि या मौसम की आवश्यकता नहीं होती, जिससे इसे बड़े पैमाने पर उगाना संभव है।

प्रसंस्करण उद्योग के अवसर: आम से कई प्रकार के उत्पाद जैसे अचार, जूस, जैम, पल्प आदि बनाए जाते हैं। इससे किसानों को फल बेचने के अलावा इन उत्पादों के निर्माण और बिक्री से अतिरिक्त आय का स्रोत मिलता है।

पोषण से भरपूर: आम विटामिन ए, सी, और ई जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो इसे स्वास्थ्यवर्धक और लोकप्रिय बनाता है। इसकी बढ़ती मांग के कारण किसान लगातार लाभ कमा सकते हैं।

निर्यात के अवसर: आम की कई किस्में अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रसिद्ध हैं, जिससे किसानों को अच्छा निर्यात मूल्य मिलता है। अल्फांसो और केसर जैसे आम विदेशी बाजारों में बेहद लोकप्रिय हैं।

स्थानीय रोजगार का सृजन: आम की खेती से जुड़े कई कार्य जैसे फल तोड़ना, छंटाई, पैकिंग आदि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करते हैं।

आम के प्रकार

  • अल्फांसो (हापुस): यह महाराष्ट्र का प्रसिद्ध आम है, जिसे इसकी मिठास और सुगंध के लिए जाना जाता है। यह आम महंगा होता है और मुख्य रूप से निर्यात किया जाता है।
  • दशहरी: उत्तर प्रदेश के मालिहाबाद से उत्पन्न यह आम बहुत लोकप्रिय है। इसका स्वाद मीठा और गूदा नरम होता है।
  • लंगड़ा: वाराणसी का प्रसिद्ध आम, जिसका आकार लंबा होता है और इसका स्वाद बेहद मीठा होता है।
  • केसर: गुजरात और महाराष्ट्र में पैदा होने वाला यह आम अपनी गहरी पीली रंगत और मीठे स्वाद के लिए जाना जाता है।
  • बंगनपल्ली: यह आंध्र प्रदेश का प्रसिद्ध आम है, जो सुनहरे पीले रंग का होता है और आकार में बड़ा होता है।
  • चौसा: यह आम उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय है। इसका गूदा बेहद रसदार और मिठास से भरा होता है।
  • नीलम: यह आम दक्षिण भारत में पाया जाता है और इसकी सुगंध विशेष होती है। यह आम देर से पकता है और जून के बाद उपलब्ध होता है।
  • तोतापुरी: यह आम हरे और पीले रंग का होता है और इसका आकार तोते की चोंच जैसा होता है। इसका स्वाद हल्का खट्टा और मीठा होता है।

Mango farming मैं होने वाली ये समस्याएँ काफी हानिकारक होती हैं जो आपकी खेती को नष्ट कर देती हैं और आपको यहां से मिली जानकारी उपयोगी रहाी होगाी और ऐसी कृषि से जुड़ी जानकारी के लिए  Aapkikheti.com पर आएं

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