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Nariyal Ki Kheti : एक सम्पूर्ण जानकारी

Nariyal Ki Kheti : एक सम्पूर्ण जानकारी

Nariyal Ki Kheti भारत में बहुत ही पुरानी और लाभदायक खेती है। ये खेती ज़्यादा समुद्र किनारे वाले राज्यों में होती है, लेकिन अब दूसरे इलाक़ों में भी इसकी खेती की जा रही है। नारियल के पेड़ से सिर्फ फल ही नहीं मिलता, बल्की पत्तो और तनय का भी व्यावसायिक उपयोग होता है। नारियल की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफ़ा मिल सकता है अगर सही तरीके और तकनीक का उपयोग किया जाए।

नारियल की खेती कैसे करे

Nariyal Ki Kheti के लिए सबसे पहले सही जगह का चुनाव जरुरी है ये पहले से तय कर लें कि किस मिट्टी और जलवायु में खेती होगी। नारियल के पेड़ को बहुत कम देखभाल की ज़रूरत होती है और अगर सही विधि का पालन किया जाए तो पेड़ अच्छे से फल देने लगता है।

नारियल की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

Nariyal Ki Kheti

नारियल की खेती के लिए रेतीली, चिकनी और गीली मिट्टी अच्छी होती है। मिट्टी का पीएच स्तर 5.2 से 8.0 के बीच हो तो पेड़ अच्छा विकास करता है। गरम और समुंद्री जलवायु इसके लिए अनुकूल मानी जाती है। लगातर नरमी और धूप नारियल के पेड़ को स्वस्थ बनाये रखते हैं।

नारियाल की  उन्नत किस्में

नारियाल की कुछ उन्नत किस्में है जो भारत में प्रचलित हैं, वो हैं – लंबी, बौनी और संकर किस्म। लंबी किस्म ज्यादातर दक्षिण भारत में प्रचलित है, जबकी बौनी किस्म लगभग हर जगह उगायी जा सकती है। हाइब्रिड वैरायटी दोनों के बेहतर गुण लेकर आई है, जिसमें बेहतर उत्पादन और मजबूती होती है।

नारियल की खेती के लिए ज़मीन की तैयारी

 

ज़मीन की अच्छी तैयारी के लिए सबसे पहले ज़मीन को गहराई से जोतो, ताकि उसमे से घास और पौधे हटाये जा सके। जोतने के बाद गाढ़ा बनाएं और उसमें गोबर या जैविक खाद मिलाएं, ताकी पेड़ को पोषक तत्त्वों की कमी न हो।

बिजाई

बिजाई के लिए चुने हुए अच्छे और स्वस्थ बीज का इस्तमाल करें। नारियल के बीज को गहराई में गड्डा बनाकर, उन्हें मिट्टी के अंदर अच्छे से डालना चाहिए। एक पौधा और दूसरे पौधे के बीच 8-10 मीटर का फासला होना चाहिए ताकि पेड़ बड़े हो कर फल देने लायक हो सके।

खाद

नारियल की खेती में खाद का इस्तमाल बहुत जरूरी है। प्रथमिक तौर पर पोटाश, नाइट्रोजन और फास्फोरस वाले खाद का उपयोग करना चाहिए। पोशक तत्त्वों से फल और पेड़ दोनों ही मजबूत होते हैं और पौधे की अच्छे से वृद्धि होती है।

खरपतवार नियंतरण

खरपतवार को नियन्त्रित करना नारियल की खेती में आवश्यक है। इसके लिए या तो हाथ से खरपतवार निकालें या फिर जैविक खरपतवारनाशक का प्रयोग करें। खरपतवार नियन्त्रित करने से पेड़ के विकास में सुधार आता है और फसल का उत्पादन भी बढ़ता है।

सिंचाई

सिंचाई के लिए शुरू करें कुछ महीनों में पौधों को लगातार पानी देना चाहिए। समय के साथ जब पौधे बड़े हो जाएं, तो पानी देने की आवश्यकता कम हो जाती है। मौसम के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए, जैसे गर्मियों में अधिक पानी और सर्दियों में कम।

फसल की कटाई

नारियल के पेड़ लगभग 5-6 साल में फल देने लगते हैं। फसल की कटाई के लिए सही समय का इंतजार करना चाहिए जब नारियल पूरी तरह से पक जाए। एक पेड़ से 10 -15 नारियल मिल सकते है ।

नारियल की खेती के लाभ

Nariyal Ki Kheti बहुत ही लाभदायक है। इससे किसानो को अच्छे मुनाफ़े के साथ-साथ कई व्यवसायिक उपाय भी मिलते हैं। नारियल का तेल, रस और छिल्के तक का व्यावसायिक उपयोग होता है। इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, इसलिए किसानों के लिए ये एक अच्छी कमाई का ज़रिया बन सकता है।

पढ़िए यह ब्लॉग Sarpagandha Ki Kheti 

FAQs

प्रश्न: नारियल की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी कौन सी होती है?
उत्तर: रेतीली, चिकनी और गीली मिट्टी नारियल की खेती के लिए उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच स्तर 5.2 से 8.0 के बीच होना चाहिए।

प्रश्न: नारियल के पेड़ को फल देने में कितना समय लगता है?
उत्तर: नारियल का पेड़ लगभग 5-6 साल में फल देने लगता है।

प्रश्न: नारियल की खेती में किस प्रकार के खाद का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर: पोटाश, नाइट्रोजन, और फास्फोरस युक्त खाद का प्रयोग करना चाहिए, जिससे पौधों की वृद्धि और फल उत्पादन में सुधार होता है।

प्रश्न: नारियल के पेड़ के लिए कौन सी जलवायु सबसे उपयुक्त है?
उत्तर: गरम और समुंद्री जलवायु नारियल के पेड़ के लिए सबसे अनुकूल होती है। धूप और नरम मौसम पेड़ के अच्छे विकास में सहायक होते हैं।

प्रश्न: नारियल की खेती के क्या-क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: नारियल की खेती से फल के साथ-साथ तेल, रस, और छिल्कों का भी व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है।

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