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Palak Ki Kheti : सेहत और समृद्धि बढ़ाएं

Palak Ki Kheti : सेहत और समृद्धि बढ़ाएं

Palak Ki Kheti भारत में एक आसान और लाभदायक खेती मानी जाती है। इसकी फसल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है और विटामिन और खनिज से भरपूर होती है। पालक का इस्तमाल भोजन में अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है, जैसे कि सब्जी, सलाद और जूस। पालक की खेती कम वक्त में तैयार हो जाती है और इसे छोटे किसान भी आराम से कर सकते हैं। यह फ़सल कम खर्च में अच्छा मुनाफ़ा देती है। आइए जानते हैं पालक की खेती के बारे में, जिसमें प्रमुख कदमों पर चर्चा की गई है।

पालक की खेती कैसे करें

Palak Ki Kheti एक आसान प्रक्रिया है और इसे हर तरह की जलवायु में किया जा सकता है। पालक की खेती बीज से शुरू होती है और कुछ हफ्तों में ही पालक का पौधा तैयार हो जाता है। बीज को लगभग 2-3 सेमी गहरा डालते हैं और उन्हें हल्के से मिट्टी से ढक देते हैं। पालक की खेती खुले खेत के साथ-साथ ग्रीनहाउस में भी की जा सकती है।

जलवायु और मिट्टी

पालक की अच्छी फसल के लिए ठंडी और समशीतोषना जलवायु सबसे उपयुक्त है। यदि तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहे तो पालक की फसल अच्छी होती है। मिट्टी भूर-भूरी और उपजौ होनी चाहिए जिससे पानी की सही निकासी हो। पालक के लिए रेतीली दोमट या मिट्टी दोमट मिट्टी सबसे बेहतर है।

पालक की उन्नत किस्में

पालक की कुछ उन्नत किस्में हैं जो अच्छी उपज और अच्छी गुणवत्ता वाली होती हैं। कुछ प्रसिद्ध उन्नत किस्मे हैं: पूसा ज्योति पूसा भारती ऑल ग्रीन जोबनेर ग्रीन ये किस्मे जल्दी तैयार होती हैं और बीमारियों से प्रतिरोध में भी मजबूत हैं।

पालक की खेती के लिए ज़मीन की तयारी

पालक की खेती के लिए ज़मीन की अच्छी तैयारी ज़रूरी है। पहले खेत को गहराई में जोतना होता है ताकि मिट्टी भूर-भूरी हो जाए। ज़मीन को सांचा और खाद डाल कर तैयार किया जाता है। मिट्टी में सूक्षम पोर का होना जरूरी है जो बिजोन के अंकुरित होने में मददगार होता है।

बिजाई

बिजाई का सही वक्त सितंबर से मार्च तक होता है, लेकिन ठंडी के मौसम में बिजाई और भी अच्छी होती है। पालक के बीजों को सीधी मिट्टी में 2-3 सेमी की गहराई में बोया जाता है और पालकों के बीच में 20-25 सेमी का फासला रखा जाता है।

सिंचाई

पालकों के पौधों को विकास के अलग-अलग चरणों पर पानी की आवश्यकता होती है। बिजाई के तुरत बाद सिंचाई करना जरूरी है। हर एक-दो दिन पर हल्का पानी देना चाहिए, लेकिन खेत में पानी का जमाव ना हो। फसल के अनुसार सिंचाई की अवधियों का ध्यान रखना चाहिए।

खरपतवार नियन्त्रण

पालक की खेती में खरपतवार का नियन्त्रण भी जरूरी होता है, क्योंकि ये फसल के विकास में बाधा डालते हैं। खरपतवार को हाथ से निकलने या खुरपी का इस्तमाल करने से सफाई बनाने में मदद मिलती है। इसके अलावा मल्चिंग भी एक उपाय है जो खरपतवार को बढ़ने से रोकता है।

फसल की कटाई

पालक की फसल लगभग 25-30 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। पत्तों को हाथ से तोड़ा जाता है या हल्के हाथ से काटा जाता है। पत्तो को तोड़ते वक्त ध्यान रहे कि नया विकास रुकना नहीं चाहिए और पौधे को नुक्सान भी न हो।

पालक की खेती के लाभ

Palak Ki Kheti

कम समय में तैयार फसल : पालक की फसल बहुत कम समय में तैयार हो जाती है, जो किसानो को तुरंत मुनाफा देने में मददगार है।
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक: पालक का इस्तेमल पोषण से भरपूर होता है जो स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।
कम खर्च में अधिक लाभ: पालक की खेती में सीधा और कम खर्च लगता है और इसके पौधे आसानी से पल जाते हैं।
मांग वाली फसल: बाजार में पालक की मांग हमेशा बनी रहती है, जिससे किसान को बेचने में मुश्किल नहीं होती।

पढ़िए यह ब्लॉग Dhaniya ki Kheti 

FAQs

पालक की खेती का सबसे उपयुक्त समय कौन सा है?

पालक की बुवाई का सही समय सितंबर से मार्च तक होता है, खासकर ठंडी के मौसम में यह बेहतर उगती है।

पालक के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी कौन सी है?

रेतीली दोमट और मिट्टी दोमट मिट्टी पालक की खेती के लिए सर्वोत्तम होती है, जिससे पानी की सही निकासी हो सके।

पालक की उन्नत किस्में कौन-कौन सी हैं?

कुछ प्रमुख किस्में हैं पूसा ज्योति, पूसा भारती, ऑल ग्रीन, और जोबनेर ग्रीन, जो अच्छी गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती हैं।

पालक की फसल कितने समय में तैयार होती है?

पालक की फसल लगभग 25-30 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

पालक की खेती में सिंचाई कैसे की जाती है?

बिजाई के तुरंत बाद सिंचाई जरूरी होती है। हर एक-दो दिन पर हल्का पानी देना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि खेत में पानी का जमाव न हो।

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