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पत्तागोभी की नई किस्म से किसानों की होगी मोटी कमाई

पत्तागोभी की नई किस्म से किसानों की होगी मोटी कमाई

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने पत्तागोभी की एक नई किस्म विकसित की है, जो किसानों के लिए मोटी कमाई का साधन बन सकती है। इस नई किस्म का नाम है ‘प्रीतम’ और इसे बेहतर उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जाना जाता है। पत्तागोभी की यह किस्म उच्च गुणवत्ता की है और बाजार में इसकी मांग भी अधिक है। इस ब्लॉग में, हम पत्तागोभी की ‘प्रीतम’ किस्म की खेती की विधि, लाभ, और महत्वपूर्ण सुझावों के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

प्रीतम किस्म की विशेषताएँ

उच्च उत्पादन क्षमता:

‘प्रीतम’ किस्म की पत्तागोभी में उच्च उत्पादन क्षमता होती है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर अधिक उपज देती है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।

रोग प्रतिरोधकता:

इस किस्म को विभिन्न बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक बनाया गया है, जिससे खेती के दौरान कम रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करना पड़ता है। इससे उत्पादन की लागत कम होती है और फसल की गुणवत्ता बनी रहती है।

बेहतर स्वाद और गुणवत्ता:

‘प्रीतम’ किस्म की पत्तागोभी का स्वाद और गुणवत्ता बेहतर होती है। इसका उपयोग सलाद, सब्जी, और अन्य व्यंजनों में आसानी से किया जा सकता है, जिससे बाजार में इसकी मांग बनी रहती है।

कम समय में तैयार:

यह किस्म सामान्य पत्तागोभी की तुलना में कम समय में तैयार होती है, जिससे किसानों को जल्दी फसल बेचने का मौका मिलता है और फसल चक्र में तेजी आती है।

पत्तागोभी ‘प्रीतम’ की खेती की विधि

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1. मिट्टी और जलवायु

मिट्टी: पत्तागोभी की इस किस्म को हल्की दोमट मिट्टी, जिसमें जैविक पदार्थ की भरपूर मात्रा हो, सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
जलवायु: पत्तागोभी ठंडी जलवायु की फसल है। 15-20 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके लिए उपयुक्त होता है। अधिक गर्मी और अधिक ठंड दोनों ही इसके विकास के लिए हानिकारक होते हैं।

2. बुवाई का समय

प्रीतम किस्म की पत्तागोभी की बुवाई का सही समय अक्टूबर से नवंबर तक होता है। ठंड के मौसम में यह फसल बेहतर परिणाम देती है।

3. बीज की तैयारी

बीज दर: प्रति हेक्टेयर 500-600 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

बीज उपचार: बुवाई से पहले बीज को फफूंदनाशक (fungicide) से उपचारित करें, जिससे बीज जनित रोगों से बचाव हो सके।

4. नर्सरी प्रबंधन

नर्सरी बेड: नर्सरी बेड की चौड़ाई 1 मीटर और ऊंचाई 15 सेमी होनी चाहिए। लंबाई की कोई विशेष सीमा नहीं होती।

बीज बोना: बीज को 1-2 सेमी गहराई में बोएं और हल्की मिट्टी से ढक दें। नियमित सिंचाई करते रहें।

5. पौधारोपण

स्थानांतरण: जब पौधे 4-5 पत्ते निकाल लें और 4-6 सप्ताह पुराने हो जाएं, तब उन्हें खेत में रोपण करें।

पंक्ति और पौधों के बीच दूरी: पौधों के बीच 45 सेमी और पंक्तियों के बीच 60 सेमी की दूरी रखें।

6. खाद और उर्वरक

जैविक खाद: 20-25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद या कंपोस्ट का उपयोग करें।

रासायनिक उर्वरक: 120 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फॉस्फोरस, और 60 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से दें। नाइट्रोजन को दो बराबर हिस्सों में बांटकर, एक भाग बुवाई के समय और दूसरा भाग रोपाई के 30 दिन बाद दें।

7. सिंचाई प्रबंधन

प्रारंभिक अवस्था में हर 7-10 दिन पर सिंचाई करें। फूल बनने और सिर बनने के दौरान पानी की आवश्यकता अधिक होती है, इसलिए इस अवधि में नियमित सिंचाई करें।

8. निराई-गुड़ाई

खेत को खरपतवार मुक्त रखने के लिए 20-25 दिन के अंतराल पर निराई-गुड़ाई करें। इससे पौधों को सही पोषक तत्व मिलते हैं और फसल अच्छी होती है।

9. कीट और रोग प्रबंधन

कीट: पत्तागोभी पर सबसे अधिक प्रकोप तम्बाकू की इल्ली और गोभी की तितली का होता है। इनसे बचाव के लिए जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करें।

रोग: पत्तागोभी में ब्लैक रॉट और डाउनी मिल्ड्यू जैसी बीमारियाँ आम हैं। बीज उपचार और फसल चक्र का पालन करके इन रोगों से बचा जा सकता है।

10. कटाई और भंडारण

कटाई: पत्तागोभी की कटाई तब करें जब सिर पूरी तरह से बन जाए और कठोर हो जाए। कटाई के समय ध्यान दें कि पत्ते ताजे और हरे हों।

भंडारण: कटाई के बाद पत्तागोभी को ठंडे स्थान पर रखें। अच्छी गुणवत्ता की पत्तागोभी 1-2 सप्ताह तक ताजी रह सकती है।

पत्तागोभी ‘प्रीतम’ की खेती के लाभ

उच्च उत्पादन: प्रीतम किस्म से प्रति हेक्टेयर 25-30 टन उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, जो अन्य किस्मों की तुलना में अधिक है।

अच्छी बाजार कीमत: उच्च गुणवत्ता और बेहतर स्वाद के कारण बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है।

रोग प्रतिरोधकता: कम बीमारियों के कारण फसल की उत्पादन लागत कम होती है और गुणवत्ता बनी रहती है।

जल और पोषक तत्वों की बेहतर उपयोगिता: सिंचाई और उर्वरकों का सही प्रबंधन करके उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त की जा सकती है।

पत्तागोभी की ‘प्रीतम’ किस्म किसानों के लिए एक अत्यधिक लाभदायक विकल्प हो सकती है। ICAR द्वारा सुझाई गई खेती की विधि को अपनाकर किसान उच्च उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं। सही समय पर बुवाई, उचित सिंचाई, और कीट-रोग प्रबंधन से फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही, बाजार की मांग और उचित मूल्य पर बेचने से किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। पत्तागोभी की इस नई किस्म के साथ, किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं।

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