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Ratalu Ki Kheti : कैसे करे इस सर्दी में प्रयोग होने वाली सब्जी की खेती

Ratalu Ki Kheti : कैसे करे इस सर्दी में प्रयोग होने वाली सब्जी की खेती

रतालू को आम तौर पर सर्दियों में सबसे ज्यादा देखा जाता हैं , और इस वक़्त के बाजारों में इसको काफी बेका और खरीदा भी जा रहा हैं | तो जानिये हमारे इस ब्लॉग से की Ratalu ki kheti जिस से आपको कई जानकारी मिल पायँगी तो अभी पढ़े हमारे इस ब्लॉग को

Ratalu ki kheti -Aapkikheti.com

रतालू क्या होता है?

रतालू एक प्रकार की जड़ वाली सब्जी है जिसे अंग्रेजी में यैम कहा जाता है। रतालू एक पौष्टिक कंद है जो दिखने में शकरकंद जैसा लगता है, लेकिन इसका आकार बड़ा और रंग गहरा होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन सी और कई खनिज पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। रतालू का उपयोग मुख्य रूप से सब्जी, चिप्स और आटे के रूप में किया जाता है। भारत में रतालू की खेती खासकर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है।

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Ratalu ki kheti ka samay

रतालू की खेती के लिए सही समय का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह एक गर्म जलवायु में उगने वाली फसल है, इसलिए इसकी बुवाई आमतौर पर मार्च-अप्रैल में की जाती है। मानसून के मौसम में यानी जून-जुलाई में भी इसे उगाया जा सकता है। फसल तैयार होने में लगभग 6-8 महीने लगते हैं, और इसे अक्टूबर से दिसंबर के बीच में काटा जा सकता है।

Ratalu ki kheiti ke liye mitti

रतालू की खेती के लिए उपजाऊ, भुरभुरी और जल निकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती दोमट या बलुई दोमट मिट्टी में बेहतर होती है, जहां पानी रुकता न हो। मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में जैविक खाद डालकर इसकी उपज को बढ़ाया जा सकता है। खेत की मिट्टी को बुवाई से पहले अच्छी तरह से जोतकर भुरभुरा कर लेना चाहिए ताकि पौधों की जड़ें आसानी से फैल सकें।

Ratalu ki kheti kaise karen

जुताई:
खेत की पहली जुताई गहरी करनी चाहिए, ताकि मिट्टी में मौजूद सभी खरपतवार नष्ट हो जाएं।
खेत की तैयारी
खेत को 2-3 बार जुताई करके और पाटा लगाकर भुरभुरा बना लें।
खाद व उर्वरक:
जैविक खाद या सड़ी हुई गोबर की खाद का उपयोग करना फसल की अच्छी उपज के लिए लाभकारी होता है। प्रति हेक्टेयर लगभग 10-15 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाएं।
जल निकासी व्यवस्था:
खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि रतालू के पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। पानी रुकने से फसल खराब हो सकती है।

Ratalu Khane Ke Fayde

रतालू का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व कई रोगों से बचाव में सहायक होते हैं।

पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है:
रतालू में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और कब्ज जैसी समस्याओं से बचाव करता है।
इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है:
रतालू में विटामिन सी होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है।
ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है:
रतालू में मौजूद जटिल कार्बोहाइड्रेट और फाइबर रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर बनाए रखते हैं।
एनर्जी बढ़ाता है:
रतालू में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है।
हड्डियों को मजबूत करता है:
इसमें मौजूद कैल्शियम और पोटैशियम हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं।

Ratalu ki kheti ke fayde

लागत कम, मुनाफा अधिक:
रतालू की खेती में लागत कम आती है, लेकिन इसकी मांग अधिक होने के कारण किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
लंबे समय तक भंडारण की सुविधा:
रतालू को लंबे समय तक बिना खराब हुए भंडारित किया जा सकता है। इससे किसान उचित समय पर इसे बेचकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखता है:
रतालू की खेती से मिट्टी की गुणवत्ता पर अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि यह भूमि से बहुत अधिक पोषक तत्व नहीं लेता।
पोषण से भरपूर फसल:
यह एक उच्च पोषण वाली फसल है, जिसे मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। इसके अलावा, इससे विभिन्न प्रकार के खाद्य उत्पाद भी बनाए जा सकते हैं।
बाजार में अच्छी मांग:
रतालू की बाजार में अच्छी मांग रहती है, विशेषकर त्योहारों के समय। इसे न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी निर्यात किया जाता है।

FAQ’s Ratalu Ki Kheti

प्रश्न 1: रतालू क्या है और इसे किस नाम से जाना जाता है?

उत्तर: रतालू एक प्रकार की जड़ वाली सब्जी है, जिसे अंग्रेजी में “यैम” कहा जाता है। यह पौष्टिक कंद होता है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन सी और कई खनिज पाए जाते हैं।

प्रश्न 2: रतालू की खेती के लिए सही समय कौन सा होता है?

उत्तर: रतालू की खेती के लिए सही समय मार्च-अप्रैल या जून-जुलाई होता है। इसकी फसल 6-8 महीने में तैयार हो जाती है और अक्टूबर से दिसंबर के बीच इसे काटा जा सकता है।

प्रश्न 3: रतालू की खेती के लिए कौन-सी मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है?

उत्तर: रतालू की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए, और जल निकासी अच्छी होनी चाहिए ताकि पानी न रुके।

प्रश्न 4: रतालू की खेती में कौन-कौन से उर्वरक उपयोग किए जाते हैं?

उत्तर: रतालू की खेती में जैविक खाद या सड़ी हुई गोबर की खाद का उपयोग सबसे अच्छा होता है। प्रति हेक्टेयर 10-15 टन जैविक खाद या कम्पोस्ट मिलाया जा सकता है।

प्रश्न 5: रतालू की फसल के लिए सिंचाई का क्या तरीका होना चाहिए?

उत्तर: रतालू की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। पानी रुकने से फसल खराब हो सकती है, इसलिए खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रश्न 6: रतालू खाने के क्या-क्या फायदे हैं?

उत्तर:

  1. पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है।
  2. इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
  3. ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है।
  4. शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
  5. हड्डियों को मजबूत बनाता है।

प्रश्न 7: रतालू की खेती से किसानों को क्या फायदे होते हैं?
उत्तर:

  1. कम लागत में अधिक मुनाफा होता है।
  2. लंबे समय तक भंडारण की सुविधा होती है।
  3. यह मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखता है।
  4. बाजार में इसकी अच्छी मांग रहती है।
  5. यह एक पोषण से भरपूर फसल है।

प्रश्न 8: रतालू की फसल में कौन-कौन से रोग लग सकते हैं?

उत्तर: रतालू की फसल में मुख्यतः फफूंद जनित रोग और कीड़ों का प्रकोप हो सकता है। इनसे बचाव के लिए जैविक कीटनाशक या फफूंदनाशक का उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 9: रतालू की खेती में लागत कितनी आती है?

उत्तर: रतालू की खेती में अन्य फसलों की तुलना में लागत कम आती है। मुख्य रूप से जुताई, खाद, सिंचाई और बीज की लागत आती है, और बाजार में इसकी अच्छी मांग के कारण मुनाफा अधिक होता है।

प्रश्न 10: रतालू की फसल को कैसे भंडारित किया जा सकता है?

उत्तर: रतालू को ठंडी और सूखी जगह पर भंडारित किया जा सकता है। उचित तापमान और नमी बनाए रखने पर इसे लंबे समय तक बिना खराब हुए रखा जा सकता है।

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