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Strawberry ki kheti: खेती से जुडी हर जानकरी जाने यहां

Strawberry ki kheti: खेती से जुडी हर जानकरी जाने यहां

Strawberry ki kheti एक लाभदायक और लोकप्रिय कृषि गतिविधि है, जो मुख्य रूप से ठंडे और समशीतोष्ण जलवायु क्षेत्रों में की जाती है। यह एक रसीला और स्वादिष्ट फल है, जिसे ताजगी और पोषण के लिए जाना जाता है। स्ट्रॉबेरी की खेती भारत में मुख्य रूप से महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और उत्तर पूर्वी राज्यों में की जाती है।

मिट्टी की तैयारी और बीजाई उत्पादन

Strawberry ki kheti शुरू करने के लिए सबसे पहले उपयुक्त मिट्टी का चयन करना आवश्यक है। इसके लिए मिट्टी का पीएच लेवल 5.5 से 6.8 के बीच होना चाहिए, जो पौधे अच्छे विकास के लिए जरूरी है। नर्सरी में स्ट्रॉबेरी के बीज उगाए जाते हैं। बीजाई उगने के लिए बीज ट्रे या पीट पॉट का उपयोग किया जाता है जहां पर बीजाई को उगाया जा सकता है। बीज की तैयारी और उनकी उगने की अवधि में ध्यान दिया जाता है ताकि अंकुर स्वस्थ हों और उनका प्रत्यारोपण समय पर हो सके।

प्रत्यारोपण का महत्व

जब पौधे 3-4 पत्ते वाले हो जाते हैं, तब उन्हें खेत में रोपाई किया जाता है। प्रत्यारोपण के समय ध्यान दिया जाता है कि खेत का उचित जल निकासी हो ताकि पौधे की जरूरत के अनुसार पानी प्राप्त हो सके। इस समय पर पौधे को अच्छी धूप के लिए उजागर किया जाता है ताकि उनका विकास अच्छे से हो सके।

पोषण और पानी की प्रवृत्ति

पौधों की देखभाल में पानी की प्रकृति का महत्वपूर्ण स्थान है। ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करके पौधो को नियम रूप से पानी प्रदान किया जाता है, जिसे पानी की बचत होती है और पौधो को सही मात्रा में पानी मिलता है। इसी प्रकार, पौधों को समय पर जैविक या रासायनिक उर्वरकों से पोषण प्रदान किया जाता है ताकि उनका विकास सही समय पर हो सके।

स्ट्रॉबेरी में लगने वाले रोग

पौधों की रक्षा के लिए कीट और रोग से बचाव भी खतरनाक है। इसके लिए जैविक कीटनाशक जैसे नीम का तेल, पायरेथ्रम या फिर कोई अन्य प्राकृतिक उपाय किया जा सकता है। रोगन और कीटों के समय पर निदान करने से पौधे स्वस्थ रहते हैं और उनका विकास भी अच्छा होता है।

फलोत्पादन एवं सामायिक पोषण

जब पौधे लगभाग 4-6 हफ्ते के बाद फल देने लगते हैं, तब उन्हें समय पर तोड़ेन और पोषण प्रदान करते रहेंगे ताकि उनका विकास सही समय पर हो सके। फलोत्पादन के दौरन भी पौधों को सामायिक पोषण प्रदान करते रहें ताकि उनका विकास अच्छे से हो सके और उनमें किसी प्रकार की कमी न आए।

Strawberry ki kheti एक महत्तवपूर्ण और संवेदनाशील कृषि पद्धति है जो समय, मेहनत और विधियों को समझकर और अमल में लाते हुए अच्छी भुगतान प्राप्त करने में सहायक होती है। इस पद्धति को सही तरीके से समझने और अमल में लाने से पौधे स्वस्थ और विकसित रहते हैं और कृषि क्षेत्रों में लाभकारी हो सकती है।

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