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Suran ki Kheti : सेहत के लिए है बहुत फायदेमंद

Suran ki Kheti : सेहत के लिए है बहुत फायदेमंद

Suran ki Kheti  जिसे  हाथी पांव यम भी कहा जाता है, एक लाभकारी फसल है जो भारत के कई राज्यों में उगती है। ये खेती कम समय और मेहनत में अच्छी आमदनी देने वाली है। सुरन में कई सकारात्मक तत्व और विशेष गुण होते हैं, जो इसे व्यापारी और सकारात्मक दृष्टि से भी उपयोगी बनाते हैं।

सूरन की खेती कैसे करें

सुरन की खेती करने के लिए सबसे पहले इसके बीज और जमीन का सही चयन करना जरूरी है। बीज के रूप में सुरन के छोटे-छोटे टुकड़े इस्तेमाल किये जा सकते हैं। ये खेती गर्मियों के शुरुआत  में यानी अप्रैल से ले कर जून के महीने तक शुरू हो सकती है।

सूरन की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

Suran ki Kheti के लिए भारी और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त है। मिट्टी का पीएच स्टार 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए। गरम और समुमेधा जलवायु सुरन के लिए अनुकूल है, लेकिन ये फसल सर्दियों में थोड़ी कम अच्छी होती है, इसलिए इसकी खेती गरम इलाको में ज्यादा होती है।

सूरन की उन्नत किस्में

सूरन की उन्नत किस्मो  , का चयन करने से खेती में अच्छी पैदावार हो सकती है। कुछ प्रमुख किस्में  जिनमें किसानो के बीच प्रचलित हैं, उनमें गजेंद्र और श्री पद्मा किस्में  शामिल हैं। ये किसमें उन्नत उत्थान और अच्छी गुणवत्ता देती हैं।

सूरन की खेती के लिए ज़मीन की तैयारी

Suran ki Kheti

ज़मीन की तैयारी के लिए सबसे पहले गहरा हल चलाना होता है ताकि मिट्टी को अच्छे से ढीला किया जा सके। फिर, ज़मीन में 10-15 टन गोबर या खेती के कचरे का खाद मिला कर इसकी उर्वरक्ता बड़ाई  जा सकती है।

बिजाई

सूरन की खेती में बिजाई के लिए सूरन के टुकड़े या छोटे प्रकंदों का उपयोग होता है। टुकड़ों में 30-40 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए।हर टुकड़े का वजन कम से कम 250 से 300 ग्राम होना चाहिए ताकि उनमें अच्छी ग्रोथ हो सके ।

सिचाई

सूरन की खेती में पहली सिंचाई बिजाई के तुरत बाद करनी होती है। उसके बाद, मौसम और मिट्टी के अनुसर हर 10-15 दिन पर सिंचाई करते रहना जरूरी होता है। गर्मी के मौसम में सिंचाई का ध्यान रखना पड़ता है ताकी फसल सूखे ना |

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार नियंत्रण सुरन की खेती में बहुत जरूरी है क्योंकि ये फसल की  वृद्धि को रोक सकते हैं। खेती के बीच-बीच में निराई-गुड़ाई करके और मल्चिंग का उपयोग करके खरपतवार पर नियन्त्रण किया जा सकता है।

फसल की कटाई

सूरन की फसल लगभग 7-8 महीने में तैयार हो जाती है। जब इसके पत्ते सूखने लगते हैं, तब समझ लेना चाहिए कि कटाई का समय आ गया है। फसल को धीरे-धीरे जमीन से खोदकर निकाला जाता है ताकि ये घीस  न पाये और अच्छी तरह से सुरक्षित रहे।

पढ़िए यह ब्लॉग Phool gobhi ki kheti 

FAQs 

सूरन की खेती क्या है?

सुरन की खेती एक लाभकारी फसल है जिसे हाथी पांव यम भी कहा जाता है और यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है।

सूरन की खेती के लिए कौनसी मिट्टी और जलवायु उचित है?

भारी, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी और गरम जलवायु सुरन की खेती के लिए अनुकूल हैं।

सूरन की खेती में बीज कैसे लगाते हैं?

सुरन के टुकड़ों को 30-40 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है, और प्रत्येक टुकड़े का वजन 250-300 ग्राम होना चाहिए।

सूरन की फसल कितने समय में तैयार होती है?

सुरन की फसल लगभग 7-8 महीनों में तैयार हो जाती है।

सूरन की खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे किया जाता है?

निराई-गुड़ाई और मल्चिंग का उपयोग करके सुरन की खेती में खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता है।

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