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Adrak ki Kheti : कीजिये चाय के साथी की खेती इस ब्लॉग की मदद से

Adrak ki Kheti : कीजिये चाय के साथी की खेती इस ब्लॉग की मदद से

Adrak ki Kheti

Adrak ki Kheti एक लाभदायक व्यवसाय बन चूका है क्योकि अदरक का उपयोग देश और विदेश दोनों जगह होता है
अदरक अपनी ताजगी, स्वाद और औषधि गुणों के लिए जाना जाता है। इसकी खेती करना काफी आसान है अगर सही तरीके से की जाये तो । अगर आप भी अपने खेत में अदरक की खेती करना चाहते हैं तो पढ़िए पूरा लेख

Adrak Ki Kheti Kaise Kare

सबसे पहले आपको अदरक का चुनाव करना होगा। बीज अदरक को छोटे टुकड़ों में काट कर लगाया जाता है। हर टुकड़े में कम से कम एक या दो आंखें होनी चाहिए जिसमें से नए पौधे निकल सकते हैं। टुकड़ों को लगाने से पहले उन्हें एक दिन तक धूप में सुखाया जाता है ताकि उनमें से अतिरिक्त नमी निकल जाए। उसके बाद टुकड़ोंको 5-7 सेमी गहराई में लगया जाता है।

अदरक की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

अदरक की खेती के लिए भारी और उपजाऊ मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है। इसके लिए रेतीली दोमट मिट्टी को उपयुक्त समझा जाता है। इसके साथ ही, मिट्टी का pH स्तर 6 से 6.5 के बीच होना चाहिए।। अदरक की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसमें तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच हो, साथ ही पर्याप्त बारिश भी होनी चाहिए।

अदरक की उन्नत किस्मे

अदरक की कई उन्नत किस्में हैं कुछ प्रमुख उन्नत किस्मत हैं:
नादिया
मारन
हिमाचल प्रदेश स्थानीय
रियो-डी-जनेरियो
वरदा
ये किसमें उत्कृष्ट गुण और उपज देती हैं, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफ़ा होता है।

अदरक की खेती किस मौसम में करें

अदरक की खेती गर्मी के महीनों में होता है। इसका बीज लवन का पौधा अप्रैल से जून के बीच लगाया जाता है। मानसून के पहले या मानसून के दौरान बीज लवन करना काफी लाभदायक होता है, क्योंकि इस समय धरती में नरमी होती है और अधिक पानी उपलब्ध होता है।

अदरक की खेती में खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार नियंत्रण एक बड़ी समस्या हो सकती है। इसलिए साफ-सफाई और समय पर निराई-गुड़ाई जरूरी होती है। हाथ से निराई करना या गीली घास का इस्तेमाल करना अच्छे तरीके हैं। मल्चिंग से सिर्फ खरपतवार नियंत्रित होती है बल्की मिट्टी की नमी भी बनी रहती है, जो अदरक के लिए फ़ाइदेमंद होता है।

अदरक की खेती में खाद का प्रयोग

Adrak ki Kheti के लिए अच्छी मात्रा में जैविक या रसायनिक खाद का उपयोग करना जरूरी है। जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट का इस्तमाल मिट्टी की उपज शक्ति को बढ़ाती है। इसके अलावा 75-100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर का उपयोग करना चाहिए, जो अदरक की खेती के विकास के लिए जरूरी पोषक तत्वों को प्रदान करता है।

सिंचाई

अदरक को विकास के लिए नियमित सिंचाई की जरूरत होती है। सुरुआती दिनों में सिंचाई कैसे करें ये काफी मायने रखता है। बीज लावण के 1 हफ्ते के बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए और उसके बाद हर 7-10 दिन में सिंचाई जरूरी होती है। मानसून के दौरान पानी की जरुरत कम होती है क्योंकि प्राकृतिक बारिश उपलब्ध होती है।

पोधे की देखभाल

अदरक के पोधो को सुरुआती दिनों में अच्छी देखभाल की जरुरत होती है। समय समय पर खरपतवार साफ करना, पोधों की कटिंग करना और मिट्टी की जांच करना काफी जरूरी होता है। पोधों के आस-पास गीली घास डालने से ये पौधे कीड़े और बीमारियाँ से बचे रहते हैं, और पोधा स्वस्थ रहता है।

फसल की कटाई

अदरक के पोधे जब पूरे विकसित हो जाते हैं तो उनका रंग पीला पड़ने लगता है। ये समय अदरक की कटाई का होता है। फसल को बीज लावन के 7-9 महीने बाद काटा जाता है। अदरक को जमीन से निकालने के बाद सफाई करके बाजार में बेचा जा सकता है।

Ginger Farming in India

भारत दुनिया का सबसे बड़ा उअदरक उत्पादक है। भारत के प्रमुख राज्य जहां अदरक की खेती की जाती है उनमें केरल, कर्नाटक, असम, उड़ीसा और सिक्किम शामिल हैं। देश के कई राज्यों में जैविक और पारंपरिक डोनन तरीके से अदरक की खेती होती है। भारतीय अदरक अपने गुणों और स्वाद के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध है।

पढ़िए यह ब्लॉग Jasmin Ki Kheti

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