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Apricot farming : एक व्यवसायिक और लाभदायक खेती

Apricot farming : एक व्यवसायिक और लाभदायक खेती

खुबानी, यानि apricot, एक मीठा और पोषक फल है जो अपनी उन्नत उपज और व्यापारिकमहत्त्व के लिए प्रसिद्ध है। भारत के कुछ ठंडे क्षेत्रों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है। खुबानी की खेती एक लाभदायक व्यापार है जो कम लागत में अच्छा मुनाफ़ा दे सकता है। यह गाइड आपको Apricot farming के प्रमुख पहलुओं के बारे में जानकारी देगी।

खुबानी की खेती कैसे करें

सही जगह का चयन और जमीन की सही तैयारी सबसे पहले जरूरी है। ठंड और उन्नत जलवायु वाले क्षेत्रों में इसका उत्पादन बेहद अच्छा होता है। खुबानी के पोधों को सही तरीके से लगाकर उन्हें प्रभावित जलवायु और मिट्टी के अनुकूल उगने दिया जाता है। रोग-मुक्त और सेहतमंद पोधो का चयन करना भी महत्वपूर्ण है।

खुबानी की उन्नत किस्म

खुबानी की उन्नत किस्मे खेती की सफलता और उत्पादन को सुधारने के लिए महत्तवपूर्ण होती है। भारत में कुछ प्रसिद्ध उन्नत किस्मे हैं:
न्यूकैसल
सनड्रॉप
मूरपार्क
शकरपारा
ये किसमें जलवायु के प्रति समर्थ होती हैं और इनका उत्पादन उच्च मार्गदर्शन के साथ व्यवस्थित होता है।

खुबानी की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

Apricot farming के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जो कार्बनिक पदार्थ से भरपूर हो। मिट्टी का pH स्तर 6.0-7.5 के मध्य होना चाहिए। ख़ुबानी के पोधों के लिए ठंडी जलवायु और संतुलित मौसम सबसे अनुकूल होते हैं, जो इनकी वृद्धि और उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।

खुबानी की खेती के लिए जमीन की तैयारी

खुबानी की खेती के लिए ज़मीन की सही तैयारी करना ज़रूरी है। ज़मीन को गहरी जोत कर साफ करें और जैविक खाद का उपयोग करें। मिट्ठी को हल्का ढीला और चिकना बनाएं ताकि जड़ो की वृद्धि और पानी के निकास में सहायता मिले। जल निकासी का ध्यान रखें, क्योंकि पानी जमा होने से जड़ो को नुक्सान हो सकता है।

बुवाई

खुबानी के बीज या कलम को सही समय पर लगाना जरूरी है। सर्दीयों के अंत और बसंत ऋतु के शुरूआत में बिजाई सबसे अच्छी होती है। पोधों के बीच 5-6 मीटर का फसला रखें और 60 सेमी गहरा गड्ढा तैयार कर उन्हें लगाएं।

सींचाई

खुबानी के पोधों को पानी की आवश्यकता होती है, खास कर उनके वृद्धि के प्रथम चरण में। सिंचाई हर 10 -15 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। फल लगने के समय पानी की मात्रा में वृद्धि करें, पर ध्यान रहे कि ज्यादा पानी से जड़ो में सड़न हो सकता है।

खरपतवार नियंतरण

खुबानी के खेत में खरपतवार की सफ़ाई अत्यन्त महत्वपूर्ण है। खरपतवार से पोधों की पोषक तत्त्वों में कमी होती है और उनकी वृद्धि प्रभावित होती है। निरई-गुदाई और मल्च का उपयोग करके खरपतवार को रोका जा सकता है।

फसल की कटाई

खुबानी की फसल लगभग 3-4 साल के बाद पोधों से मिलती है। फल तभी काटना चाहिए जब वो अच्छे रंग के हो जाएं और उनका स्वाद मीठा हो। फलों को हाथ से या हल्के हथियार का उपयोग करके बताएं और उन्हें ठंडे स्थान पर संग्रहित करें।

खुबानी की खेती के फायदे

Apricot farming

व्यवसाइक लाभ: खुबानी की मांग बड़े बाजारों और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में काफी ज्यादा है।
पोशक्तत्वों से भारी: यह एक पोशक फल है, जो व्यापार और स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त है।
कम लागत में ज्यादा मुनाफा: थोड़ी लागत और सही प्रक्रिया के साथ इसका उत्पादन और मुनाफा प्रभावित होता है।
प्राकृतिक अनुकूलता: खुबानी हर प्रकृति की जलवायु में उगती है, खास कर ठंडे क्षेत्रों में।

पढ़िए यह ब्लॉग Akhrot Ki Kheti 

FAQs

खुबानी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु कौन सी है?
उत्तर: खुबानी की खेती के लिए ठंडी और संतुलित जलवायु सबसे उपयुक्त होती है।

खुबानी की बुवाई का सही समय कब है?
उत्तर: खुबानी की बुवाई का सबसे अच्छा समय सर्दियों के अंत और बसंत ऋतु की शुरुआत होती है।

खुबानी की उन्नत किस्में कौन-कौन सी हैं?
उत्तर: खुबानी की उन्नत किस्मों में न्यूकैसल, सनड्रॉप, मूरपार्क और शकरपारा प्रमुख हैं।

खुबानी के पौधों की सिंचाई कितने अंतराल पर करनी चाहिए?
उत्तर: खुबानी के पौधों की सिंचाई हर 10-15 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए।

खुबानी की फसल कटाई का सही समय कब है?
उत्तर: खुबानी की फसल तब काटनी चाहिए जब फल अच्छे रंग के हो जाएं और स्वाद में मीठे हों।

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