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Kishmish ki kheti : करिये किशमिश की खेती और पाइये मीठे लाभ

Kishmish ki kheti

Kishmish ki kheti : करिये किशमिश की खेती और पाइये मीठे लाभ

Kishmish ki kheti यानि अंगूर की खेती करना किशमिश बनाने के लिए | यह एक लाभदायक खेती है किसानो के लिए ,क्योकि बाजार में इसकी मांग बहुत जियादा है | अंगूर को सूखा कर किशमिश बनाई जाती है | भारत में भी इसका उत्पादन काफी होता है | कई ऐसे राज्य है जैसे की महाराष्ट्र , कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में इसकी खेती ज़ियादा की जाती है | किशमिश का इस्तेमाल मिठाई बनाने और ड्राई फ्रूट्स के रूप में किया जाता है | यह हमरी सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होती है | यदि आप किशमिश की खेती से जुडी जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो पढ़िए पूरा लेख और हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ने की लिए यहाँ क्लिक करे

किशमिश उत्पादन (किशमिश उत्पादन)

किशमिश का उत्पादन करने के लिए अंगूर को उगाना और सही तरीके से इन्हें सुखाना जरूरी होता है। भारत में किशमिश का उत्पादन महाराष्ट्र के नासिक और सांगली जिलों में सबसे ज़ियादा होता है। अंगूर जब पक जाते है , तब इन्हें सुखने के लिए छोड़ दिया जाता है। किशमिश उत्पादन में अंगूर की किसम, सिंचाई की व्यवस्था, और सुखने का तरीका बहुत महत्वपूर्ण होता है।

अंगूर से किशमिश कैसे बनाएं (Angoor se Kishmish Kaise Banayein)

अंगूर से किशमिश बनाने के लिए अंगूरों को सूरज की रोशनी में या फिर सुखाने वाले रैक पर सुखाया जाता हैजो लगभग 2-3 दिन का समय लेता है।। सुखने के दौरन अंगूर का पानी वाष्पित हो जाता है और इन्हें एक मुरझाये हुवे , सुखी रूप में बदल देता है। किशमिश बनाने का समय, प्रकार और सुखने की स्थिति इस बात पर निर्भर है कि आप कितनी मीठी और किस प्रकार का किशमिश बनाना चाहते हैं।

किशमिश की उन्नत किस्मे (Kishmish Ki Unnat Kismein)

किशमिश की कुछ उन्नत किस्मे हैं जैसे की थॉम्पसन सीडलेस, जो दुनिया भर में सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाली वैरायटी है। इसके अलावा ब्लैक कोरिंथ, फिएस्टा सीडलेस, और मोनुका भी काफी लोकप्रिय हैं। किसमो का चुनाव खेती के लिए फसल की आवश्यकता, जलवायु और स्थानीय बाजार की मांग पर निर्भर होती है।

किशमिश की खेती के लिए आवश्यक जलवायु (Kishmish ki kheti ke liye Aavashhyak Jalvayu)

इसकी खेती के लिए गरम और सुखा जलवायु जरुरी होता है | अंगूर की पैदावार अच्छे से हो सके इसके लिए इसके लिए गर्मी में तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। सुखने के दौरान भी तापमान सही होना चाहिए | क्योंकि बारिश या ज्यादा नमी किशमिश की गुणवत्ता को खराब कर सकती है। नासिक और सांगली जैसे क्षेत्र का मौसम इसके लिए एकदम सही रहता है |

किशमिश के पौधे कैसे लगाएं (Kishmish ke paudhe kaise Lagayein)

किशमिश के पौधे लगाने के लिए सबसे पहले ऊंची किस्म के अंगूर के पौधे को चुनना जरुरी होता है । पौधों को लगाने के लिए मिट्टी का उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाला होना जरूरी है। पौधों को रोपण के मौसम में लगाया जाता है, जो अक्सर मानसून के बाद होता है। उत्पादन को बढ़ाने के लिए पौधो को अच्छी तरह से पानी देना और खेतों को जरुरत के मुताबिक खाद देना जरुरी होता है |

किशमिश की खेती में सिंचाई (Kishmish ki Kheti mein Sinchai)

इसकी खेती में सिंचाई बहुत जरूरी होती है। ड्रिप सिंचाई किशमिश की खेती के लिए एक अच्छा विकल्प है, जिससे पानी की बचत होता है और पौधों को औसत मात्रा में पानी मिलता है। सिंचाई का समय और पानी की मात्रा जलवायु और पौधों की वृद्धि अवस्था पर निर्भर करती है।

किशमिश उत्पादन में लागत (Kishmish Utpadan mein Lagat)

किशमिश उत्पादन में लागत, खाद, सिंचाई, और सुखने की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। एक एकड़ ज़मीन पर अंगूरों की खेती की लागत ₹70,000 से ₹1,00,000 के बीच होती है, जिसमें किशमिश बनाने के सुखने का खर्चा भी शामिल होता है। हालाँकि , सही प्रक्रिया और अच्छे प्रबंधन के साथ ये निवेश अच्छी आमदनी में बदल सकता है।

 किशमिश की खेती के फायदे (Kishmish ki Kheti ke Fayde)

किशमिश की खेती से कई प्रकार के फायदे होते है | पहला, ये एक उच्च मूल्य वाली फसल है, जिसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। दूसरा, इसका एक्सपोर्ट मार्केट भी काफी बड़ा है, जो किसानों के लिए अच्छी आमदनी का एक और रास्ता खोलता है। तीसरा, किशमिश से प्राप्त उत्पादों का उपयोग खाद्य उद्योग में कई तरह से होता है, जिससे बाजार क्षमता और बढ़ जाती है।

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