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Matar ki kheti : जानिये यहाँ मटर की खेती से जुडी सारी अहम् जानकारी

Matar ki kheti : जानिये यहाँ खेती से जुडी सारी अहम जानकारी

क्या आप सोच रहे हैं की सर्दियां आ रही हैं ,तो किस चीज़ की खेती करू जिस से काफी फायदा हो तो करें| Matar ki kheti क्योंकि ये सर्दियों में अधिक प्रयोग होने वाली सब्जियों में आती हैं ,अगर आप करना चाहते हैं तो पढ़े हमारे इस ब्लॉग को जो आपको सभी जानकारी देगा और अगर आप हमारे इंस्टाग्राम से जुड़ना चाहते हैं तो यहाँ Click करें |

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Matar ki kheti के बारे मे

मटर एक तरह की दाने वाली फसल हैं ,जो आपने बहुमुखी प्रयोगों के लिए जानी जाती हैं, क्योकि इसको हम नास्ते में खा सकते हैं इसके अलावा आप इसे सूखा कर भी यूज़ कर सकते हो | मटर की खेती आपको सर्दियों में सबसे अधिक देखने को मिलेगी

Matar ki kheti ke liye mitti

इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी 6 पीएच से 7 पीएच तक की होती है ,और हल्की दोमट मिट्टी चुने जो इसकी खेती के लिए सही होती हैं क्योकि यह मिटटी पानी को जमा होने से बचाती हैं जिस से फसल सही रहती हैं|

सबसे ज्यादा कहाँ होती हैं खेती

इसकी खेती ज्यादातर पंजाब ,उत्तरप्रदेश, हरयाणा, मध्यप्रदेश में सबसे अधिक होती हैं क्योंकि ये राज्य इसकी खेती के लिए बहुत उपयोगी होते हैं यहाँ का वातावरण इन के लिए पर्याप्त स्तिथि प्रदान करते हैं

Matar ki kheti kaise karen

खेती करने के लिए सबसे पहले आपको खेत को की तारह से जोतना होगा ध्यान मिटटी में पथर नहीं बचने चाहिए  |इसको बोने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर तक होता हैं और आपकोअच्छी बीज को लेना हैं और 3 से 4 सेंटीमीटर की गहराई और 30 -40 के सेंटीमीटर की दूरी पर लगाए और आपको इनको कीट से बचाने के लिए उर्वरक का भी प्रयोग करना पड़ेगा जिस से वो ऐसी फसल देने के लिए उपयोगी रहेंगे

मटर के खेत में पानी कैसे लगाए

मटर की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है लेकिन आपको इसमें 10 से 15 दिन के अंतराल पर पानी देते रहना चाहिए ताकि फसल ठीक रहे और अगर आप ज्यादा पानी देंगे तो जड़ सड़ने का डर रहता है। इस कारण से अच्छी मिट्टी का चुनाव करना सबसे सही रहता हैं

matar ki kheti kab hoti hai

मटर की खेती अक्टूबर के अंत से और नवंबर और शुरुवात तक बोई जाती हैं जो की इसकी खेती करने के लिए सबसे सही समय होता हैं | खरीफ की फसल के बाद ही वैसे इसकी फसल कर दी जाती हैं

मटर में लगने वाले रोग

 उकठा रोग: इस रोग में पौधों की जड़ें सड़ जाती हैं और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. मौसम में बदलाव और बार-बार एक ही फ़सल लगाने से यह रोग होता है. इस रोग से बचने के लिए, संक्रमित खेत में दो-तीन साल तक मटर न बोएं. 
सफ़ेद तना झुलसा: यह रोग स्क्लेरोटिनिया स्क्लेरोटियोरम कवक से होता है. यह कवक मिट्टी में सर्दियों में रहता है और हवा और सिंचाई से फैलता है. इस रोग से बचने के लिए, कम से कम पांच साल का खेती का अंतराल रखें और प्रतिरोधी किस्मों की खेती करें. 
मटर बीज जनित मोजेक वायरस (पीएसबीएमवी): यह वायरस बीज से फैलता है और एफ़िड्स के ज़रिए भी फैलता है. इस रोग के लक्षण ये रहे: 
  • पत्तियां संकरी हो जाती हैं और नीचे की ओर मुड़ जाती हैं.
  • पौधों के ऊपरी हिस्से में फली छोटी हो जाती है और चमकदार हरे रंग की दिखती है.

पाइथियम रोग: यह रोग नम मिट्टी और ज़्यादा आर्द्रता में होता है. इस रोग से बचने के लिए, मिट्टी में जैव कवक नाशी का इस्तेमाल करें

FAQ’S Related to Matar ki kheti

प्रश्न 1: मटर की खेती के लिए सबसे अच्छा समय क्या है? 

उत्तर: मटर की खेती के लिए आदर्श समय अक्टूबर के अंत से नवंबर की शुरुआत तक है, जो खरीफ सीजन के ठीक बाद है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि फसल ठंडी सर्दियों के महीनों में उगती है, जो मटर की खेती के लिए एकदम सही है।

प्रश्न 2: मटर की खेती के लिए किस तरह की मिट्टी उपयुक्त है? 
उत्तर: मटर 6 से 7 पीएच वाली मिट्टी में सबसे अच्छी तरह उगती है। हल्की दोमट मिट्टी आदर्श है क्योंकि यह अच्छी जल निकासी की अनुमति देती है, जिससे जलभराव नहीं होता जो फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। पथरीली मिट्टी से बचें और सुनिश्चित करें कि बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई की गई हो।

प्रश्न 3: मटर की खेती सबसे ज़्यादा किन राज्यों में होती है?
उत्तर: मटर की खेती पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में व्यापक रूप से की जाती है, जहाँ जलवायु और मिट्टी की स्थिति मटर की खेती के लिए बेहद अनुकूल है।

प्रश्न 4: मटर की फसल के लिए कितना पानी चाहिए?
उत्तर: मटर को बहुत ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती। हर 10 से 15 दिन में फसल की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है। ज़्यादा पानी देने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे जड़ सड़ सकती है। मिट्टी में उचित जल निकासी स्वस्थ पौधों को बनाए रखने में मदद करती है।

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