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Mirchi Ki Kheti : कैसे करे सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली सब्जी की खेती के बारे में

Mirchi Ki Kheti : कैसे करे सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली सब्जी की खेती के बारे में

Mirchi Ki Kheti भारत में एक प्राचीन और लोकप्रिय कृषि क्रिया है। भारत मिर्चों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जहां इसका इस्तेमामल मसाला और स्वाद बढ़ाने के लिए होता है। मिर्ची की खेती किसानो के लिए एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है

mirchi ki kheti

 

मिर्ची की खेती कैसे करें

Mirchi Ki Kheti करने के लिए पहले आपको अच्छे बिजों का चयन करना होता है। इसके लिए उन्नत प्रजाति के बीज का इस्तमाल करना चाहिए जो रोग-मुक्त हो। बिजों को पहले नर्सरी में लगाया जाता है और जब पौधे लगभग 25-30 दिन के हो जाते हैं, तो उन्हें खेत में रोप दिया जाता है। हर 60-75 सेमी की दुरी पर पौधे लगाए जाते हैं ताकि उन्हें बढ़ने के लिए अच्छी जगह मिल सके।

मिट्टी और जलवायु

मिर्च की खेती के लिए भारी और चिकनी मिट्टी से बचना चाहिए। इसकी खेती के लिए अच्छी सूखी मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिर्ची को जमीन में पानी रुकने की शमता वाली मिट्टी पसंद है। मिर्च की खेती के लिए गरम और नम मिट्टी वाली जलवायु सही होती है। यदि तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहे तो मिर्ची का उत्पादन अच्छा होता है।

मिर्ची की प्रसिद्ध किस्में

भारत में मिर्ची की प्रसिद्ध किस्में पाई जाती है, जैसे: गुंटूर मिर्ची: आंध्र प्रदेश की ये मिर्ची तीखी और लाल रंग के लिए मशहूर है।
कश्मीरी मिर्ची: हल्के रंग और कम तीखेपन के लिए प्रसिद्ध।
ब्यादगी मिर्ची: कर्नाटक की ये क़िस्म अपने लाल रंग और कम तीखेपन के लिए जानी जाती है।

Mirchi ki kheti ke lliye ज़मीन की तैयारी

मिर्ची की खेती के लिए ज़मीन की तैयारी अच्छे तरीके से करनी पड़ती है। पहले खेत को गहरा जोत कर, गन्दे घास-फूस और पुरानी फसल के अवशेषों को निकाल देना चाहिए। जमीन को ध्यान से देखने के बाद, जैविक खाद का प्रयोग करना उचित रहता है ताकि मिट्टी की उर्वरकता बढ़ सके।

मिर्च की खेती का समय

मिर्ची की बिजाई का समय जलवायु के अनुसार बदलता है। ये गर्मियों के मौसम में, फरवरी से मार्च के बीच बिजाई की जाती है। कुछ जगहों पर जून-जुलाई में भी बिजाई की जाती है। बिजोन को पहले नर्सरी में लगाया जाता है और 30-40 दिन बाद पौधे को खेत में ट्रांसप्लांट किया जाता है।

मिर्च की खेती में खाद का प्रयोग

मिर्ची की खेती में जैविक खाद का प्रयोग सबसे अच्छा माना जाता है। गोबर की खाद, वर्मी-कम्पोस्ट, या फिर नीम की खाद का लाभदायक होता है। यदि रसायनिक खाद का उपयोग किया जाए तो एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम) 150:60:60 किग्रा/हेक्टेयर अनुपत में दिया जाता है।

खरपतवार नियंत्रण

मिर्ची की खेती में खरपतवार नियंत्रण एक महतवापूर्ण कदम है। खरपतवार फसल के पोषक तत्वों को छीन लेते हैं, जिससे मिर्ची की वृद्धि कम हो जाती है। खेत में हाथ से निंदाई या संचेतक दवा का प्रयोग करके खरपतवार को रोका जा सकता है। सही समय पर निंदाई करना उत्पादन को बढ़ाने में मददगार होता है।

सिंचाई

मिर्ची की खेती के लिए समय-समय पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। मिर्च के पौधों को बिल्कुल भी पानी की कमी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि पानी की कमी से फुल और फल छोटे रह जाते हैं। ड्रिप सिंचाई या फर सिंचाई का उपाय मिर्ची के पौधों के लिए सर्वोत्तम होता है, जिसमें पानी की बचत भी होती है और फसल भी अच्छी होती है।

कटाई

मिर्ची की कटाई लगभग 90-120 दिन के बीच होती है, जब मिर्चियां लाल या हरे रंग की हो जाती हैं। कटाई के समय, मिर्चियों को हाथों से तोड़ा जाता है। मिर्ची की फसल को सुखा कर बाजार में बेचने के लिए भेजा जाता है या फिर सीधे बाजार में बेचा जा सकता है।

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