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  • Winter Tips For Fish Farming :  जाने कैसे करे सर्दियों में मछलियों की देखभाल

    Winter Tips For Fish Farming : जाने कैसे करे सर्दियों में मछलियों की देखभाल

    Winter Tips For Fish Farming : जाने कैसे करे सर्दियों में मछलियों की देखभाल

    क्या आपको भी मछली पालन करना हैं पर अभी सर्दियों मछलियों की देखभाल कैसे हो पाएगी तो आप के काम को आसान बनाने के लिए हम लेकर आये हैं Winter Tips For Fish Farming ब्लॉग को जो आपको खेती से जुडी हर तरह की जानकारी प्रदान करेगा जिस्की मदत से आपको सर्दियों में मछली पालन करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी तो अभी पढ़े हमारा ये ब्लॉग

     

    जाने Winter Tips For Fish Farming के बारे में

    सर्दियों में मछली पालन करना सबसे कठिन माना जाता हैं , क्योंकि सर्दियों में पानी का टेम्परेचर काफी ठंडा रहता हैं जिस वजह से मछली 60 % मर जाती हैं जिस वजह से किसान को काफी नुक्सान होता हैं क्योंकि सर्दियों में इनके जिन्दा रहने के कम चांस रहते हैं तो आप क्या करे जिस से आपको मछली के उत्पादन में फायदा मिलेगा जाने यहाँ दिए गए पॉइंट्स की मदत से :

    पानी की गुडवत्ता बनाए रखे

    अगर आप मछली पालन करते हैं तो आपको इस बात का प्रमुख ध्यान देना हैं की अगर आप मछलियों को बचाना चाहते हैं तो आप को सबसे पहले पानी की गुडवत्ता बनाई रखनी होगी जिसके लिए आपको पानी का पीएच मान 6 से 7 के बीच में रखना होगा और चुना का इस्तेमाल जरूर करे अगर आपका तालाब एक एकड़ का हैं ,तो 100 किलो तक छूना का इस्तेमाल करे जिस से तालाब का सशुद्धिकरण हो सके | और ये प्रक्रिया आपको 10 से 15 दिन तक 2 -3 महीने रोज करनी हैं |

    Winter Tips For Fish Farming-Aapkikheti.com

    पानी को कीटाणु से कैसे बचाये

    अगर मछली वाले पानी में कीटाणु हो गए हैं ,तो ये सबसे अच्छा उपाय हैं जिसमे आपको 400 ग्राम पोटैशियम परमैंगनेट का उपयोग करे जिस से कीटाणु खत्म हो जाते हैं | इसके अलावा आप प्राकर्तिक हल्दी का भी उपयोग कर सकते हैं, जिसमे आपको हल्दी को पीस कर पानी में डालना हैं | जिसकी खुसबू से कीटाणु को खत्म करने में आसानी होगी

    PM Matsya Sampada Yojna

    पानी का तापमान कैसे कंट्रोल करे

    जैसा की हम जानते हैं ,कि सर्दियों में पानी काफी ठंडा हो जाता हैं जिसकी वजह से इंसान तो क्या जानवर को भी काफी परेशानी देखने को मिलती हैं तो इसके लिए आपको तालाब पर किसी त्तिपाल से ठकना होगा जिस से पानी का नियंत्रित हो सके और मछलियों को कोई समस्या न हो |

    मछलियों को रोगों से कैसे बचाये

    अगर मछलियों को रोगों से बचाने की बात करते हैं ,तो आपको मछलियों की नियमित रूप से जाँच करवानी पड़ेगी जिससे उन्हें किसी चीज़ की समस्यां न हो | इनके रोगों के ये लक्षण देखने को मिलते हैं तैरना, हंफनी, किसी कठोर तल पर शरीर को घिसना, समूह में ना रहना, त्वचा का अति चिकना होना, त्वचा या पंख या गलफड़ पर कोई घाव, विकास में कमी तथा बड़े पैमाने पर मछलियों की मृत्यु ।

    सर्दियों में मछली पालन में ये न करे |

    • अगर आप मछली पालन करते हैं तो आपको ये बात ध्यान देनी हैं की उन्हें स्वच्छ पानी में ही रखना हैं | क्योंकि अगर आप गंदे पानी रखते हैं, तो ये मर भी सकती हैं|
    • अगर आप मछली को अचानक ठंडे पानी में छोड़ते हैं, तो इनके स्वास्थ को परेशानी भी सकती हैं | क्योकि जब कोई चीज़ को अचानक से टेम्परेचर में बदलाव हो टी परेशानी देखने को ही मिलती हैं
    • अगर आपके पानी में कोई बीमार मछलियां हैं तो इन्हे हटा दे क्योंकि साथ में रखने से स्वस्थ मछलियों पर असर पड सकता हैं

    Winter Tips For Fish Farming

    अगर आप इन सभी चीज़ों को ध्यान में रखते हुए कार्य करेंगे तो आपको काफी मुनाफा भी होगा | सबसे पहले मछलियों को नियमित मात्रा में खाना प्रदान कर जिस से उनके सेहत में कोई प्रभाव पड़े और वो ज्यादा समय तक जी सके |

    5FAQ’s Winter Tips For Fish Farming

    1. सर्दियों में मछलियों के तालाब का पीएच स्तर कैसे बनाए रखें?

    सर्दियों में पानी की गुणवत्ता बनाए रखना जरूरी है। पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए। इसके लिए तालाब के प्रति एकड़ में 100 किलो चुने का उपयोग करें। यह प्रक्रिया हर 10-15 दिन में करें ताकि पानी शुद्ध रहे।

    2. तालाब के पानी को कीटाणु से बचाने के लिए क्या उपाय करें?

    पानी में 400 ग्राम पोटैशियम परमैंगनेट डालें या प्राकृतिक हल्दी का उपयोग करें। हल्दी को पीसकर पानी में मिलाने से कीटाणु समाप्त हो जाते हैं।

    3. ठंडे पानी के कारण मछलियों को बचाने के लिए क्या करें?

    तालाब को तिरपाल या किसी अन्य कवर से ढकें ताकि पानी का तापमान नियंत्रित रहे। इससे मछलियां ठंड से बची रहेंगी।

    4. मछलियों को बीमारियों से कैसे बचाएं?

    मछलियों की नियमित जांच करें। बीमारियों के लक्षण जैसे असामान्य तैरना, त्वचा का चिकना होना, और गलफड़ों पर घाव देखें। बीमार मछलियों को तुरंत हटाएं ताकि स्वस्थ मछलियां प्रभावित न हों।

    5. मछलियों की देखभाल में क्या गलतियां न करें?

    • गंदे पानी में मछलियों को न रखें।
    • मछलियों को अचानक ठंडे पानी में न डालें।
    • बीमार मछलियों को स्वस्थ मछलियों के साथ न रखें।

    निष्कर्ष:

    सर्दियों में मछली पालन करते समय ऊपर दिए गए सुझावों का पालन करें। पानी की गुणवत्ता, तापमान और मछलियों की स्वच्छता बनाए रखें। इससे आप न केवल नुकसान से बचेंगे बल्कि अपने मछली पालन व्यवसाय में मुनाफा भी सुनिश्चित कर पाएंगे

     

  • 120 दिनों में करे Raajma Ki kheti : जाने हमारे इस ब्लॉग से इसकी खेती से जुडी बातें

    120 दिनों में करे Raajma Ki kheti : जाने हमारे इस ब्लॉग से इसकी खेती से जुडी बातें

    120 दिनों में करे Raajma Ki kheti : जाने हमारे इस ब्लॉग से इसकी खेती से जुडी बातें

    क्या आपको भी खेती में मनमानी कमाई नहीं हो रही हैं जिस के वजह से आपको काफी नुकसान हो रहा हैं तो 120 दिनों में करे Raajma ki kheti जो बदल डालेगी आपकी किस्मत जी हाँ सही सुना आपने अगर आप भी राजमा की खेती करते हैं तो आपको काफी फायदे देखने को मिलेंगे जो आपको काफी मुनाफा भी दिलवाएगा| तो पढ़े हमारा ब्लॉग जो आपको काफी फायदे देगा |

    Raajma ki kheti-Aapkikheti.com

    जाने कैसे कमाएं Raajma ki kheti से लाखों में

    राजमा के बारे में जाने

    राजमा भारतीय दलहन फसलों के प्रमुख अंग हैं, क्योंकि ये सभी घरों में देखने के मिल जाता हैं | इसको इंग्लिश किडनी बीन्स कहा जाता हैं ,राजमा में प्रोटीन, फ़ाइबर, आयरन,और कई पोषक तत्व पाए जाते हैं | राजमा को भारतीय मसालों के साथ गाढ़ी ग्रेवी में बनाया जाता है ,और इसे चावल या रोटी के साथ खाया जाता है |

    Raajma Ke Liye Mitti

    राजमा की खेती अगर आप कर रहे हैं तो सबसे पहले आपको यह ध्यान देना है कि इसकी खेती के दोमट और हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है , क्योंकि ये मिटटी इसकी खेती के लिए काफी मदतगार रहती जिस से इसकी में काफी मुनाफा देखने को मिलता हैं| इसकी खेती के लिए मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

    Raajma ke liye Beej

    खराब राजमा की खेती करना चाहते हैं सबसे पहले आपको राजमा के उत्तम बीज का चुनाव करना होगा क्योंकि अगर आप सही तरह से बीजों का चुनाव करते हैं , तो आपको ये खेती में उपज को बढ़ा सकता हैं | जिस से आप मालामाल हो सकते हैं , इसके लिए आप यहाँ दी गयी लिंक पर क्लिक करे या फिर पास के किसी बीज भण्डार से जाकर बीज खरीद ले |

    Raajma ki kheti Kaise Karen

    • अगर आप राजमा की खेती करना चाहते हैं तो रोटावेटर से सबसे पहले खेत को पाटा करले ,जिससे कोई भी पत्थर या मिट्टी के बड़े टुकड़े ना बचे|
    • फिर उसके बाद राजमा के बीजों को हाथों में लेकर खुरपी की मदत से 10 इंच के दूरी में बीजों को बोये और गहराई तीन इंच तक होनी होनी चाहिए |
    • बीजों को बोने के बाद ध्यान दें कि पेडों में नमी बनी रहे ,अगर आप पानी दे रहे हैं तो 21 दिनों के बाद पानी दे उसे एक सीमित समय में राजमा की खेती में वृद्धि हो

    Raajma Mein Lagne Waale Rog

    राजमा की खेती में ये रोग ज्यादातर होते हैं :

    सफ़ेद सड़न रोग: यह रोग राजमा के पौधों के उपरी हिस्से को संक्रमित करता है.

    इस रोग के लक्षण ये रहे:
    पत्तियों का रंग भूरा हो जाता है और नरम हो जाती हैं,पत्तियों, फूल, और फलों पर सफ़ेद रंग का रूई जैसा संरचना बन जाता है|
    मिट्टी की सतह के पास होने से पौधों के तने गल जाते हैं,तनों पर काली सरसो के दाने जैसी संरचना बन जाती है |
    इस रोग से संक्रमित पौधे मुरझा जाते हैं.

    चूर्णिल फफूंद : यह रोग एरीसीफी सिकोरेसिएरम नामक कवक से होता है.

    इस रोग के लक्षण ये रहे:
    पुरानी पत्तियों की निचली सतह पर सफ़ेद धब्बे दिखाई देते हैं,धीरे-धीरे इन धब्बों की संख्या और आकार बढ़ जाता है,
    पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और इनकी सामान्य वृद्धि रुक जाती है

    Raajma Ki Kheti Ka Samay

    1. खरीफ मौसम:
      • बुवाई का समय: जून के अंत से जुलाई के मध्य तक।
      • बुवाई के लिए आदर्श समय: मानसून की शुरुआत के बाद, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी हो।
    2. रबी मौसम (सिंचित क्षेत्रों में):
      • बुवाई का समय: अक्टूबर से नवंबर के बीच।
      • ध्यान दें कि रबी में खेती के लिए सिंचाई की सुविधा आवश्यक होती है।
    • तापमान: राजमा की अच्छी वृद्धि के लिए 20°C से 30°C तापमान आदर्श होता है।
    • सूरज की रोशनी: फसल को पर्याप्त धूप चाहिए।

    Important Note Related To Raajma ki kheti 

    • बीज चयन: अच्छे किस्मों के बीजों का चयन करें जैसे पूसा रेड, एच.पी.एल. 35 आदि।
    • बीज उपचार: बीज को बुवाई से पहले कवकनाशी और राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें।
    • सिंचाई: बारिश पर निर्भर क्षेत्रों में खरीफ फसल और सिंचाई सुविधायुक्त क्षेत्रों में रबी फसल उगाई जा सकती है।

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    5FAQ’s of Raajma ki kheti

    • प्रश्न: राजमा की खेती के लिए कौन-सी मिट्टी उपयुक्त होती है?
      उत्तर: राजमा के लिए दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो और pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच हो, सबसे उपयुक्त होती है।
    • प्रश्न: राजमा की बुवाई का सही समय क्या है?
      उत्तर:

      • खरीफ फसल: जून के अंत से जुलाई के मध्य।
      • रबी फसल: अक्टूबर से नवंबर के बीच (सिंचित क्षेत्रों में)।
    • प्रश्न: राजमा की प्रमुख किस्में कौन-सी हैं?
      उत्तर: राजमा की प्रमुख किस्मों में पूसा रेड, पूसा वैष्णो, एच.पी.एल. 35, और पूसा हिमालिनी शामिल हैं।
    • प्रश्न: राजमा की सिंचाई कितनी बार करनी चाहिए?
      उत्तर:

      • खरीफ फसल के लिए बारिश पर निर्भरता रहती है, लेकिन सूखा पड़ने पर सिंचाई करें।
      • रबी फसल के लिए 3-4 सिंचाई की आवश्यकता होती है: पहली बुवाई के बाद, दूसरी फूल आने पर और तीसरी फलियां बनने के समय।
    • प्रश्न: राजमा की खेती में प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम क्या है?
      उत्तर:

      • रोग: झुलसा रोग (ब्लाइट), जड़ सड़न।
      • रोकथाम: बीज उपचार करें, खेत में जलभराव न होने दें और समय-समय पर जैविक या रासायनिक फफूंदनाशकों का छिड़काव करें।

    यदि सही समय और उचित देखभाल के साथ राजमा की खेती की जाए, तो यह किसानों को अच्छा उत्पादन और लाभ दे सकती है।

     

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  • Kale Gehu Ki Kheti : इस गेहू में है कई सारा प्रोटीन कीजिये इसकी खेती 

    Kale Gehu Ki Kheti : इस गेहू में है कई सारा प्रोटीन कीजिये इसकी खेती 

    Kale Gehu Ki Kheti : इस गेहू में है कई सारा प्रोटीन कीजिये इसकी खेती

    काले गेहु, जिसे black wheat भी कहा जाता है, एक विशेष प्रकार का गेहु है जो अपनी उन्नति पोषक तत्व और स्वास्थ्य लाभ के लिए जाना जाता है। इसमें एंथोसायनिन और एंटी-ऑक्सीडेंट्स की मात्रा अधिक होती है, जो इसे सामान्य गेहु के मुकाबले ज्यादा सकारात्मक और लाभदायक बनाती है। Kale Gehu Ki Kheti करना एक लाभकारक व्यवसाय हो सकता है, जो आपके खेत के उत्पादन को नई ऊंचाई तक ले जा सकता है।

    1. काले गेहू की खेती कैसे करें

    Kale Gehu Ki Kheti के लिए सबसे पहले एक उचित स्थान का चयन करें। इस फसल को उन जगहों पर उगाया जा सकता है जहां मौसम समान हो और मिट्टी उपजाऊ हो। इसकी खेती अक्टूबर से नवंबर के बीच में की जाती है ।

    2. उन्नत किस्मे

    काले गेहु की कुछ उन्नत किस्मे हैं जो बेहतर उत्पादन देती हैं, जैसे की:
    NABI काला गेहूं
    एएचएल काला गेहूं
    पंजाब काला गेहूं
    किस्म का चयन मिट्टी और जलवायु के आधार पर करें।किस्मेकिस्मे

    3. ज़मीन की तयारी

    काले गेहु की खेती के लिए ज़मीन की अच्छी तरह से जुताई करें और धूप में सुखाएं। ज़मीन को 2-3 बार हल चलाकर मुलायम और समतल बनायें। अच्छी नालियां बनाएं ताकि बिजाई और सिंचाई में आसान हो।

    4. बिजाई

    बिजाई के लिए अच्छी क्वालिटी के बीज का चयन करें। बीजो को बिजाई से पहले कवकनाशी या जैवउर्वरक के साथ उपचार करें। बीज को लगभग 4-5 सेमी की गहराई में बोए और बीज के बीच में थोड़ा अंतर रखें।

    5. सिंचाई

    काले गेहू की फसल के लिए 4-5 बार सिंचाई की जरूरत होती है। पहली सिंचाई बिजाई के 20 दिन बाद करें और अगले चक्कर सिंचाई का समय मौसम और मिट्टी की अवस्था के अनुसार तय करें।

    6.खाद

    अच्छी कीमत के लिए फसल को संरक्षण मिलना जरूरी है।
    नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश ( एनपीके ) का समुच्चय प्रयोग करें।
    जैविक खाद जैसा गोबर या वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग भी करें।

    7. खरपतवार नियन्त्रण

    काले गेहु की खेती में खरपतवार नियन्त्रण एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके लिए हाथ से निकालने या शाकनाशी का प्रयोग कर सकते हैं। मल्चिंग भी एक अच्छी तकनीक है जो खरपतवार नियन्त्रण में मदद करती है।

    8. फसल की कटाई

    फसल को लगभग 130 -150 दिनों के बाद काटा जाता है जब कनास पक जाती है और उनका रंग काला हो जाता है। कटाई के बाद फसल को ध्यान से सुखाया जाता है और उसका संचय करते हैं।

    9. काले गेहू की खेती के लाभ

    Kale Gehu Ki Kheti

    स्वास्थ्य के लाभ: इसमें एंथोसायनिन होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
    अच्छी कीमत: सामान्य गेहू के मुकाबले काले गेहू की कीमत ज्यादा होती है, जो किसानो को ज्यादा मुनाफ़ा देती है।
    पौष्टिक भोजन: इसके आटे से बने हुए रोटी और बेकरी उत्पाद ज्यादा पोष्टिक होते हैं।
    अंतर्राष्ट्रीय मांग: काले गेहू की मांग विदेशो में भी बढ़ रही है, जो इसे एक व्यावसायिक खेती का रूप देता है।

    पढ़िए यह ब्लॉग Top 5 Varieties of Basmati Rice 

    FAQs : Kale Gehu Ki Kheti

    1. काले गेहू की खेती के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है?
    काले गेहू की खेती का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर के बीच है।

    2. काले गेहू की कौन-कौन सी उन्नत किस्में उपलब्ध हैं?
    काले गेहू की मुख्य उन्नत किस्में हैं: NABI काला गेहूं, AHL काला गेहूं, और पंजाब काला गेहूं।

    3. काले गेहू की बिजाई के लिए बीज कितनी गहराई पर बोना चाहिए?
    बीज को लगभग 4-5 सेमी की गहराई पर बोना चाहिए।

    4. काले गेहू की खेती के लिए कितनी बार सिंचाई की आवश्यकता होती है?
    काले गेहू की फसल के लिए 4-5 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है।

    5. काले गेहू की फसल कितने दिनों में तैयार होती है?
    काले गेहू की फसल लगभग 130-150 दिनों में तैयार हो जाती है।

  • Top 5 Varieties of Basmati Rice : जाने खुशबूदार बासमती की किस्मों के बारे में इस  ब्लॉग से

    Top 5 Varieties of Basmati Rice : जाने खुशबूदार बासमती की किस्मों के बारे में इस ब्लॉग से

    Top 5 Varieties of Basmati Rice : जाने खुशबूदार बासमती की किस्मों के बारे में इस ब्लॉग से

    Top 5 Varieties of Basmati Rice  जिनकी खेती करके आप अधिक मुनाफा कमा सकते हैं जो आपको और वैरायटी में देखने को नहीं मिलेगा । इनका प्राइज न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय देशों में भी किया जाता है । किसानों के लिए उच्च उत्पादन और गुणवत्ता वाली बासमती धान की किस्में चुनना महत्वपूर्ण होता है, जो कम समय में अधिक पैदावार दे सकें। यहाँ आप की मदत से काफी अधिक मात्रा में मुनाफा कमा सकते हैं ,जो कम समय में 60 क्विंटल तक पैदावार देने में सक्षम हैं।

    Top 5 Varities of Basmati Rice के बारे में जाने

    1. पंजाब बासमती 1121

    Basmati Rice Varities

    पंजाब बासमती 1121 बासमती धान की सबसे लोकप्रिय और उच्च पैदावार वाली किस्मों में से एक है। यह किस्म अपने लंबे और पतले दानों के लिए जानी जाती है, जो पकने के बाद और भी लंबे हो जाते हैं।

    विशेषताएँ:

    • पैदावार: प्रति हेक्टेयर 60 क्विंटल तक।
    • फसल अवधि: 140-145 दिन।
    • गुणवत्ता: उच्च गुणवत्ता वाले लंबे दाने, उत्कृष्ट सुगंध और स्वाद।
    • रोपण समय: जून-जुलाई।
    • फसल कटाई: अक्टूबर-नवंबर।

    लाभ:

    • यह किस्म कम समय में अधिक पैदावार देती है।
    • बाजार में इसकी मांग अधिक है, जिससे किसानों को अच्छा मूल्य मिलता है।
    • कीट और रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी।

    2. पुसा बासमती 1509

    पुसा बासमती १५०९ aapkikheti.com

    पुसा बासमती 1509 एक और प्रमुख बासमती किस्म है, जो जल्दी पकने और उच्च उत्पादन के लिए जानी जाती है। यह किस्म पुसा संस्थान द्वारा विकसित की गई है और किसानों के बीच लोकप्रिय है।

    विशेषताएँ:

    • पैदावार: प्रति हेक्टेयर 60 क्विंटल तक।
    • फसल अवधि: 120-130 दिन।
    • गुणवत्ता: अच्छे लंबे दाने, हल्की सुगंध।
    • रोपण समय: जून के अंत से जुलाई के पहले सप्ताह तक।
    • फसल कटाई: सितंबर-अक्टूबर।

    लाभ:

    • यह कम समय में पक जाती है, जिससे किसानों को जल्दी मुनाफा मिलता है।
    • पानी की खपत कम होती है, जिससे यह जलसंकट वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
    • कीट और रोगों के प्रति अच्छी सहनशीलता।

    3. हरियाणा बासमती 118

    हरियाणा बासमती 118 aapkikheti.com

    हरियाणा बासमती 118, जिसे एचबी 118 भी कहा जाता है, एक उच्च उत्पादकता वाली बासमती किस्म है। इसे हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने विकसित किया है।

    विशेषताएँ:

    • पैदावार: प्रति हेक्टेयर 55-60 क्विंटल तक।
    • फसल अवधि: 135-140 दिन।
    • गुणवत्ता: लंबे और पतले दाने, मध्यम सुगंध।
    • रोपण समय: जून-जुलाई।
    • फसल कटाई: अक्टूबर-नवंबर।

    लाभ:

    • यह किस्म भी कम समय में अच्छी पैदावार देती है।
    • दाने पकने के बाद भी अपनी लंबाई और गुणवत्ता बनाए रखते हैं।
    • अच्छे बाजार मूल्य के साथ किसानों को उच्च लाभ।

    4. पुसा बासमती 1

    पुसा बासमती 1 aapkikheti.com

    पुसा बासमती 1 एक प्रसिद्ध बासमती किस्म है, जो अपनी उत्कृष्ट गुणवत्ता और उच्च उत्पादन के लिए जानी जाती है। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने विकसित किया है।

    विशेषताएँ:

    • पैदावार: प्रति हेक्टेयर 50-60 क्विंटल तक।
    • फसल अवधि: 145-150 दिन।
    • गुणवत्ता: लंबे, पतले और सुगंधित दाने।
    • रोपण समय: जून-जुलाई।
    • फसल कटाई: नवंबर।

    लाभ:

    • इसकी गुणवत्ता अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में उच्च मूल्य पर बिकती है।
    • दानों की लंबाई और सुगंध उत्कृष्ट होती है, जो इसे बासमती की श्रेणी में श्रेष्ठ बनाती है।
    • रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है।

    5. पुसा बासमती 6

    पुसा बासमती 6 एक और उन्नत किस्म है, जिसे IARI द्वारा विकसित किया गया है। यह किस्म अपनी तेज वृद्धि और उच्च पैदावार के लिए प्रसिद्ध है।

    विशेषताएँ:

    • पैदावार: प्रति हेक्टेयर 55-60 क्विंटल तक।
    • फसल अवधि: 130-135 दिन।
    • गुणवत्ता: लंबे, पतले और हल्की सुगंध वाले दाने।
    • रोपण समय: जून-जुलाई।
    • फसल कटाई: अक्टूबर।

    लाभ:

    • यह कम समय में अच्छी पैदावार देती है।
    • कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे यह सूखे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
    • रोग और कीट प्रतिरोधी क्षमता अच्छी है।

    Basmati Rice Varities: बासमती धान की ये किस्में किसानों के लिए बेहद लाभकारी हैं, जो कम समय में अधिक पैदावार देती हैं। पंजाब बासमती 1121, पुसा बासमती 1509, हरियाणा बासमती 118, पुसा बासमती 1, और पुसा बासमती 6 जैसी किस्में उच्च उत्पादन, गुणवत्ता और बाजार मांग के कारण बेहद लोकप्रिय हैं। सही कृषि तकनीकों और प्रबंधन के साथ, किसान इन किस्मों से उत्कृष्ट पैदावार प्राप्त कर सकते हैं और उच्च मुनाफा कमा सकते हैं। किसानों को चाहिए कि वे अपनी भूमि और जलवायु के अनुसार सही किस्म का चयन करें और उन्नत कृषि पद्धतियों का पालन करें, जिससे उन्हें सर्वोत्तम परिणाम मिल सकें।

    https://www.instagram.com/aapki_kheti?igsh=MWl5cGd3dGd5cXloOA==

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    क्या आप की आय ज्यादा होने की वजह से आपको के फायदे नहीं मिल पा रहे हैं तो निश्चिंत रहे क्योंकि पीएम आवास योजना में नए बदलाव किये गए हैं जिससे आपको भी इस योजना मिल सके अगर आप जानना चाहते हैं की कैसे इस योजना में रजिस्ट्रेशन करे तो अभी पढ़े हमारा PM-Awas Yojna New Guidelines ब्लॉग जो आपको इसमें काफी मदत करेगा |

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    PM-Awas Yojana ke baare mein jaankari

    PM-Awas Yojna भारत सरकार के द्वारा चलाई जा रही पीएम आवास योजना 2016 में शुरू की गयी थी | जिसमे अभी तक भारत के कई लोगो ने इस योजना का फायदा उठाया जिसमे सरकार की तरफ से आर्थिक मदत की जाती हैं | जिस से लोग दिए गए रुपए में अपने घर को बनवा सकते हो |

    PM-Awas Yojna Objective

    कम रुपए में : इस योजना का मुख्य उद्देश्य 2022 तक सभी पात्र परिवारों को सस्ते और किफायती घर मुहैया कराना है।
    डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना: सरकार इस योजना के तहत पारदर्शी, प्रभावी और कुशल सेवा वितरण सुनिश्चित करने के लिए तकनीक का उपयोग कर रही है।
    आवास वित्त का आसान प्रावधान: पीएमAY का लक्ष्य सस्ते घरों के लिए सस्ती और आसान वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराना है, जिसमें कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाता है।
    रोजगार भी मिलेगा :  लाखों घरों के निर्माण से निर्माण क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

    PM-Awas Yojna Types

    PMAY योजना दो प्रमुख श्रेणियों में बांटी जाती है: शहरी और ग्रामीण जरूरतों के अनुसार।

    1. PMAY शहरी
    यह योजना शहरी गरीबों को लक्षित करती है, जिसमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग भी शामिल हैं। इस योजना के तहत घर बनाने, बढ़ाने या खरीदने के लिए वित्तीय सहायता और सब्सिडी प्रदान की जाती है।

    2. PMAY ग्रामीण
    यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब परिवारों को लक्षित करती है। इस योजना के तहत ऐसे परिवारों को घर बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जो अभी तक एक पक्का घर नहीं बना पाए हैं।

    Read Blog 

    PM-Awas Yojna ke laabh

    • होम लोन पर सब्सिडी: पात्र लाभार्थियों को क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) के तहत होम लोन पर ब्याज सब्सिडी मिलती है। यह सब्सिडी आय समूहों के अनुसार बदलती है।
    • घर निर्माण के लिए वित्तीय सहायता: ग्रामीण योजना के तहत, लाभार्थियों को घर निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • सस्ते ऋण का प्रावधान: यह योजना परिवारों को सस्ती ब्याज दरों पर होम लोन उपलब्ध कराती है, जिससे घर खरीदने या बनाने की प्रक्रिया को आसान बनाती है।
    • प्राथमिकता विशेष वर्गों को: महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, विकलांग व्यक्तियों और अन्य पिछड़े वर्गों को इस योजना में प्राथमिकता दी जाती है।

    PM-Awas Yojna New Guidelines for a Beneficiary

    1. घर का मालिकाना हक: पीएमAY के तहत केवल पहले बार घर खरीदने वाले लोग ही पात्र होते हैं। इसका मतलब है कि आवेदक (और उनके परिवार के सदस्य) के नाम पर कोई अन्य संपत्ति नहीं होनी चाहिए।
    2. सब्सिडी राशि: सब्सिडी आय श्रेणियों के आधार पर दी जाती है, उदाहरण के लिए:
      • EWS/LIG: ₹6 लाख तक के लोन पर 6.5% ब्याज सब्सिडी।
      • MIG-I: ₹6 लाख से ₹9 लाख के लोन पर 4% ब्याज सब्सिडी।
      • MIG-II: ₹9 लाख से ₹12 लाख के लोन पर 3% ब्याज सब्सिडी।
    3. निर्माण गुणवत्ता: पीएमAY के तहत बनाए गए घरों को सरकार द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुसार स्थायी और सुरक्षित होना चाहिए। ये घर पक्का (स्थायी) होंगे, न कि कच्चा (अस्थायी)।
    4. योजना का समयसीमा: यह योजना विभिन्न चरणों में लागू की जा रही है। शहरी क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों को भी समय के साथ लाभ मिलेगा।

    पीएम आवास योजना के लिए आवेदन कैसे करें?

    1. For Online Registration

    • PMAY वेबसाइट पर जाएं: https://pmaymis.gov.in/
    • अपना पंजीकरण करें और अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, पता, संपर्क विवरण, आय विवरण आदि भरें।
    • आवेदन फॉर्म भरें और ऑनलाइन सबमिट करें।
    • आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें जैसे:
      • आधार कार्ड
      • आय प्रमाणपत्र
      • बैंक खाता विवरण
      • निवास प्रमाणपत्र

    आवेदन की जांच के बाद पात्र लाभार्थियों को योजना के तहत ऋण या सब्सिडी मिलती है।

    2. Offline Registration kaise kare 

    जो लोग ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते, वे अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या नगर निगम कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं। स्थानीय अधिकारियों द्वारा आपको आवेदन प्रक्रिया में सहायता दी जाएगी।

    3. आवश्यक दस्तावेज

    • आधार कार्ड
    • आय प्रमाणपत्र (आईटीआर, सैलरी स्लिप या आय प्रमाणपत्र)
    • बैंक खाता विवरण
    • पहचान और निवास प्रमाणपत्र (जैसे वोटर आईडी, पैन कार्ड आदि)
    • परिवार के सदस्य का विवरण

    4. आवेदन स्थिति ट्रैक करना

    आपने आवेदन कर लिया है तो आप PMAY वेबसाइट पर जाकर अपने आवेदन की स्थिति ट्रैक कर सकते हैं।

    क्या आप PMAY के पात्र हैं? आज ही आवेदन करें और अपने सपनों के घर की ओर पहला कदम बढ़ाएं!

    FAQ’s PM-Awas Yojna

    1. PM-Awas Yojna New Guidelines
    उत्तर:
    प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) में हाल ही में कई नए बदलाव किए गए हैं, जो लोगों को आसानी से इस योजना का लाभ उठाने का अवसर प्रदान करते हैं। इन बदलावों में आय सीमा को थोड़ा लचीला बनाया गया है ताकि अधिक लोग इस योजना में शामिल हो सकें। इसके अलावा, अब अधिक परिवारों को आर्थिक सहायता मिल रही है, खासकर जिनकी आय थोड़ी अधिक है। इन बदलावों का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को सस्ते और किफायती आवास उपलब्ध कराना है।

    2. पीएम आवास योजना के तहत आवेदन करने की प्रक्रिया क्या है?
    उत्तर:
    पीएम आवास योजना में आवेदन करने के लिए दो प्रमुख तरीके हैं:

    • ऑनलाइन आवेदन: आप PMAY वेबसाइट पर जाकर अपनी व्यक्तिगत जानकारी भर सकते हैं, आवेदन फॉर्म सबमिट कर सकते हैं और आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं। इसके बाद आपकी आवेदन की जांच की जाएगी और यदि आप पात्र होते हैं, तो आपको योजना के तहत सब्सिडी या ऋण मिलेगा।
    • ऑफलाइन आवेदन: जो लोग ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते, वे अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या नगर निगम कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं।

    3. पीएम आवास योजना के तहत कौन से आय समूह पात्र हैं?
    उत्तर:
    PMAY योजना में विभिन्न आय समूहों के लिए अलग-अलग लाभ हैं। निम्नलिखित आय समूहों के लोग पात्र हैं:

    • EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग): ₹3 लाख तक की वार्षिक आय।
    • LIG (निम्न आय समूह): ₹3 लाख से ₹6 लाख तक की वार्षिक आय।
    • MIG-I (मध्यम आय समूह-I): ₹6 लाख से ₹9 लाख तक की वार्षिक आय।
    • MIG-II (मध्यम आय समूह-II): ₹9 लाख से ₹12 लाख तक की वार्षिक आय।

    इन आय समूहों के आधार पर आपको लोन पर ब्याज सब्सिडी मिलती है।

    4. पीएम आवास योजना के तहत मिल रही सब्सिडी के लिए कौन से दस्तावेज़ जरूरी हैं?
    उत्तर:
    पीएम आवास योजना में आवेदन करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है:

    • आधार कार्ड
    • आय प्रमाणपत्र (जैसे आईटीआर, सैलरी स्लिप या आय प्रमाणपत्र)
    • बैंक खाता विवरण
    • निवास प्रमाणपत्र (जैसे वोटर आईडी, पैन कार्ड आदि)
    • परिवार के सदस्य का विवरण (जैसे पति/पत्नी, बच्चे आदि)

    इन दस्तावेज़ों को आपको आवेदन प्रक्रिया के दौरान ऑनलाइन या ऑफलाइन सबमिट करना होगा।

    5. पीएम आवास योजना का आवेदन करने के बाद उसकी स्थिति कैसे ट्रैक करें?
    उत्तर:
    यदि आपने पीएम आवास योजना में आवेदन कर लिया है, तो आप अपनी आवेदन की स्थिति को PMAY वेबसाइट पर जाकर ट्रैक कर सकते हैं। वेबसाइट पर “Track Your Application Status” विकल्प उपलब्ध है, जहां आप अपना आवेदन नंबर डालकर आवेदन की स्थिति देख सकते हैं। यह प्रक्रिया आपको यह जानने में मदद करेगी कि आपकी आवेदन प्रक्रिया कहां तक पहुंची है।

  • PM Matsya Sampada Yojana : इस योजना से मछुआरों को मिलेगी मदद

    PM Matsya Sampada Yojana : इस योजना से मछुआरों को मिलेगी मदद

    PM Matsya Sampada Yojana: इस योजना से मछुआरों को मिलेगी मदद

    PM Matsya Sampada Yojana भारत सरकार की एक अभिनव योजना है जो मत्स्यपालन और जलीय कृषि उद्योग को समर्थन देने के लिए शुरू की गई है। यह योजना मछुआरों को आर्थिक और तकनीकी मदद प्रदान करती है, और भारत को प्रतिष्ठित मछली पालन के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने का लक्ष्य रखती है। यदि आप अपना मत्स्य पालन या जलीय कृषि में भविष्य देख रहे हैं, तो यह योजना आपके लिए बहुत उपयोगी हो सकती है।

    1. पीएम मत्स्य सम्पदा योजना क्या है?

    पीएम मत्स्य सम्पदा योजना भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है जो 2020 में शुरू हुई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र का समग्र विकास और नीली क्रांति को बढ़ावा देना है। मछली उत्पादन बढ़ाकर देश के जीडीपी में योगदान देने का प्रयास करती है योजना सतत अभ्यास के माध्यम से। बुनियादी ढांचे के विकास के तहत योजना, प्रौद्योगिकी का समावेश, और विपणन सुविधाओं को भी समर्थन मिलता है।

    2. पातरता

    मछुआरे और मछली किसान: पंजीकृत मछुआरे और मछली किसान पात्र हैं।
    स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) और मत्स्य सहकारी समितियां: मछुआरा समितियां और सहकारी समितियां भी पात्र हो सकती हैं।
    उद्यमी: मत्स्य पालन और संबंधित व्यवसाय शुरू करने वाले उद्यमी भी पात्र हैं।
    महिला और एससी/एसटी समुदाय: विशेष प्रोत्साहन ये समुदायों के लिए हैं।

    3. पीएम मत्स्य सम्पदा योजना के लाभ

    PM Matsya Sampada Yojana

    वित्तीय सहायता: मत्स्य पालन और जलीय कृषि गतिविधियों के लिए सब्सिडी और अनुदान प्रदान की जाती है।
    प्रौद्योगिकी उन्नयन: उन्नत उपकरण और बुनियादी ढांचे के लिए फंडिंग दी जाती है।
    रोजगार सृजन: योजना नये रोजगार के अवसर पैदा करती है, खासकर तटीय और ग्रामीण क्षेत्रों में।
    निर्यात प्रोत्साहन: इस योजना का एक उद्देश्य है भारत को मत्स्य निर्यात बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी बनाना।
    सतत प्रथाएँ: योजना पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ मछली पकड़ने के तरीकों को बढ़ावा देती है।

    4. रजिस्ट्रेशन कैसे करें?

    पीएम मत्स्य सम्पदा योजना के लिए पंजीकरण करना बहुत आसान है। नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें:

    आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: सबसे पहले पीएमएमएसवाई की आधिकारिक वेबसाइट या राज्य मत्स्य पालन विभाग की साइट पर जाएं।
    ऑनलाइन फॉर्म भरें: पंजीकरण फॉर्म को सही तरीके से भरें और आवश्यक विवरण प्रदान करें।
    दस्तावेज़ अपलोड करें: जो अनिवार्य दस्तावेज़ों की सूची दी गई है उन्हें अपलोड करें।
    आवेदन जमा करें: सभी विवरण सत्यापित करने के बाद आवेदन जमा करें।
    राज्य मत्स्य पालन कार्यालयों से भी आप सीधे संपर्क कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

    5. अनिवर्या दस्तावेज

    पंजीकरण के लिए आपको दस्तावेज़ों की आवश्यकता होगी:
    आधार कार्ड पहचान प्रमाण के लिए
    बैंक खाता विवरण सब्सिडी या वित्तीय सहायता के लिए
    मत्स्य पालन सहकारी सदस्यता प्रमाणपत्र यदि लागू हो
    प्रोजेक्ट रिपोर्ट उद्यमियों के लिए
    पासपोर्ट साइज फोटो

    पढ़िए यह ब्लॉग Bima Sakhi Yojana Online Registration: 

    FAQs : 

    1. पीएम मत्स्य सम्पदा योजना क्या है?
    यह भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है जो मत्स्य पालन और जलीय कृषि के समग्र विकास के लिए शुरू की गई है।

    2. इस योजना का उद्देश्य क्या है?
    इसका उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र का विकास, नीली क्रांति को बढ़ावा देना, और सतत प्रथाओं को अपनाना है।

    3. इस योजना का लाभ कौन उठा सकता है?
    पंजीकृत मछुआरे, मछली किसान, स्वयं सहायता समूह, मत्स्य सहकारी समितियां, उद्यमी, और विशेष रूप से महिलाएं व एससी/एसटी समुदाय।

    4. रजिस्ट्रेशन कहां करें?
    रजिस्ट्रेशन के लिए आप पीएमएमएसवाई की आधिकारिक वेबसाइट या अपने राज्य के मत्स्य पालन विभाग की वेबसाइट पर जा सकते हैं।

    5. रजिस्ट्रेशन के लिए कौन-कौन से दस्तावेज़ चाहिए?
    आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, मत्स्य सहकारी सदस्यता प्रमाणपत्र (यदि लागू हो), प्रोजेक्ट रिपोर्ट उद्यमियों के लिए, और पासपोर्ट साइज फोटो।

  • Sardiyon Mein Aam ki Ped ki Dekhbhal Kaise Kare : जाने इस ब्लॉग में

    Sardiyon Mein Aam ki Ped ki Dekhbhal Kaise Kare : जाने इस ब्लॉग में

    Sardiyon Mein Aam ki Ped ki Dekhbhal Kaise Kare : जाने इस ब्लॉग में

    जैसा की आप जानते हैं, कि आम की फसल कोहरे और पाले की वजह से इसके पेड़ों को काफी नुकसान देखने को मिलता हैं | जिस से आम के पेड़ की उपजाऊ छमता पर प्रभाव भी पड़ता हैं | तो अगर आप भी इस तरीके को जानन चाहते हैं जिससे आपकी आम की फसल बची रहे और उत्पादन भी ज्यादा हो तो पढ़े हमारा Sardiyon Mein Aam ki Ped ki Dekhbhal Kaise Kare ब्लॉग जो आपको इस क्रिया बहुत मदत करेगा | और अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट Aapkikheti पर जाए

    जाने Sardiyon Mein Aam ki Ped ki Dekhbhal Kaise Kare

    करिए ये महत्वपूर्ण कार्य :

    1. पाले से बचाव के तरीके
    धुआं करना:
    सर्द रातों में खेत या बगीचे में हल्का धुआं करें। इससे तापमान को स्थिर रखा जा सकता है ,और पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
    पानी का छिड़काव:
    पेड़ों पर सुबह के समय हल्का पानी छिड़कें। यह पत्तियों और शाखाओं को पाले से बचाता है।

    2. पेड़ों को गर्म रखने के उपाय
    मल्चिंग 
    पेड़ों के आधार के चारों ओर सूखी घास, पुआल, या पत्तियां बिछाएं। यह जड़ प्रणाली को ठंड से बचाने में मदद करता है।
    पेड़ों को ढकें:
    पेड़ों को प्लास्टिक शीट या जूट के बोरे से ढकें। यह ठंडी हवाओं और पाले से बचाव करता है।

    3. पोषण और उर्वरक
    सर्दियों में पेड़ों को नाइट्रोजन और पोटाश युक्त उर्वरक दें।
    जिंक और सल्फर का छिड़काव करें, जो पेड़ की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
    गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करें, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।

    4. कीट और रोग नियंत्रण
    कोहरा हटाने के लिए दवा:
    कोहरे की नमी से बचने के लिए पेड़ों पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करें।
    कीटनाशक का उपयोग:
    सर्दियों में फफूंद और कीटों से बचाने के लिए क्लोरोथैलोनिल या मैंकोज़ेब का छिड़काव करें।
    नियमित रूप से पेड़ों की पत्तियों और तनों की सफाई करें।

    5. सिंचाई का सही तरीका
    सर्दियों में ज्यादा पानी देने से बचें।सुबह के समय हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे। पेड़ों की जड़ों में पानी जमने न दें, क्योंकि यह ठंड बढ़ा सकता है। विशेष ध्यान देने योग्य बातें

    6. जमीन का तापमान बनाए रखें:

    ठंड में मिट्टी का तापमान स्थिर रखने के लिए गोबर की खाद का उपयोग करें।
    नई शाखाओं की कटाई न करें:
    सर्दियों में पेड़ों की कटाई-छंटाई न करें, क्योंकि इससे पेड़ कमजोर हो सकता है।
    रोगग्रस्त हिस्सों को हटाएं:
    अगर पत्तियां या शाखाएं संक्रमित दिखें, तो उन्हें तुरंत हटा दें।

    Aam Mein Lagne Waale Rog

    Sardiyon Mein Aam ki Ped ki Dekhbhal Kaise Kare

    आम की खेती कर रहे हैं तो आम में लगने वाले रोग की भी बात जरूर होनी चाहिए | तो आज आप इसमें कौनसे रोग लगतें हैं चलिए जानते हैं:

    कुछ रोग आम की फसल को भारी नुकसान पहुँचाते हैं तथा कुछ क्षेत्रों में आम की फसल के उत्पादन में बाधक हैं।
    पाउडरी मिल्ड्यू : इसमें किंटाणुओं का समूह पेड़ के पत्तों पर प्रभाव डालता हैं जिसमे पत्ते ओर सफेदी दसे छा जाती हैं जो की एक फंगस भी होता हैं
    , ऐन्थ्रेकनोज,: इसके होने से पेड़ की पत्तियों में घाव हो जाता हैं और पत्तियों को गाला देती हैं
    डाई बैक : डाई बैक से सबसे पहले पत्तियां सूखने लगती हैं,इसके बाद पतली टहनियां से लगती हैं

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    1. सर्दियों में आम के पेड़ को कैसे बचाया जा सकता है?
    आप हल्के धुए का इस्तेमाल कर सकते हैं और सुबह के समय हल्के पानी से छुटकारा पा सकते हैं और शाखाएं पीले के प्रभाव से बच सकते हैं। मल्चिंग और पेडन को प्लास्टिक शीट या जूट से ढकना भी फ़ायदेमंद है।

    2. सर्दियों में आम के पेड़ के लिए कौनसा खाद और उर्वरक उपयोगी है?
    सर्दियों में नाइट्रोजन और पोटाश युक्त उर्वरक दे, साथ ही जिंक और सल्फर का छिड़काव करें। जैविक खाद जैसा गोबर खाद या वर्मीकम्पोस्ट भी उपयोगी है।

    3. सर्दियों में आम के पेड़ों पर कौन से रोग लगते हैं और उनका इलाज क्या है?
    आम के पेड़ों पर रोग जैसे पाउडरी फफूंदी, एन्थ्रेक्नोज, और डाइबैक का असर हो सकता है। कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, बोर्डो मिश्रन, या फिर क्लोरोथालोनिल का छिड़काव करके रोग से बचाव किया जा सकता है।

    4. सर्दियों में आम के पेड़ों की सिंचाई का सही तरीका क्या है?
    सर्दियों में ज़्यादातार सुबह के समय हल्की सिंचाई करें और पानी की मात्रा समझ कर रखें। पेड़ों की जड़ो के पास पानी जमने से बचे।

    5. सर्दियों में आम के पेड़ों को ठंड से कैसे सुरक्षित रखें?
    पेड़ के आस-पास मल्चिंग करें और पेड़ को जूट के बोरॉन या प्लास्टिक से ढक दें। ध्यान रखें कि पेड़ की नई शाखाएँ न काटें, और गरमी बनाए रखने के लिए गोबर की खाद का उपयोग करें।

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  • Bima Sakhi Yojana Online Registration: जाने महिला सशक्तिकरण से जुडी इस योजना के बारे में

    Bima Sakhi Yojana Online Registration: जाने महिला सशक्तिकरण से जुडी इस योजना के बारे में

    Bima Sakhi Yojana Online Registration: जाने महिला सशक्तिकरण से जुडी इस योजना के बारे में

    जैसा कि हम सब जानते हैं महिला को जीवन में अधिकार देना भारत की सबसे बड़ी पहल हैं | आज के समय को देखते हुए महिलाओं को हर मुश्किल से लड़ना और जीवन जीना आना चाहिए पर ये चीज़ का अभाव गावों में अधिक मात्रा में देखा जाता हैं | इसी वजह से भारत सरकार की इस योजना में महिला को एक अधिकार दिया जाता हैं जिसमे वो गावों में जाकर उन महिलाओं को उनके कार्य की ओर शिक्षित करे जिस से वो हर मुश्किल से निकलने का तरीका जान सके | तो पढ़े हमारा ब्लॉग जो आपको Bima Sakhi Yojana Online Registration के बारे में बताएगा की इसमें रजिस्ट्रेशन कैसे करें और क्या है इसके फायदे |

    Bima Sakhi Yojana Online Registration-Aapkikheti.com

    कैसे करे Bima Sakhi Yojana Online Registration

    Bima Sakhi Yojana Kya hain

    यह योजना LIC की एक प्रमुख योजना हैं ,जिसमे महिला को बीमा एजेंट बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता हैं जिसमे उनको 3 साल तक वजीफा भी मिलता हैं |यह योजना में 18 से 70 साल की आयु की उन महिलाओं के लिए हैं जिन्होंने दसवीं कक्षा पास की हुई हैं | इस कार्यक्रम में महिलाओं को आर्थिक मदत प्रदान की जाती हैं ,जिस से वो किसी कार्य को करने में सक्षम हो सके |

    Bima Sakhi Yojna Online Registration Important Document

    अगर आप बीमा सखी योजना में रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं ,तो आपको सबसे पहले आपको इन डॉक्यूमेंट का होना जरुरी हैं |

    • आधार कार्ड,वोटर आईडी ,पैन कार्ड , रहने का प्रमाण , राशन कार्ड , बिजली का बिल , बैंक पासबुक , ड्राइविंग लाइसेंस ,
      शैक्षणिक योग्यता प्रमाणपत्र
    • न्यूनतम 10वीं या 12वीं पास का प्रमाण पत्र
    • बैंक खाता विवरण
      :बैंक खाता नंबर,आईएफएससी कोड,पासबुक की फोटोकॉपी,पासपोर्ट साइज फोटो
    • हाल ही की पासपोर्ट साइज फोटो।
    • स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ाव का प्रमाण (यदि लागू हो):
    • यदि आप किसी स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) से जुड़ी हैं, तो उसका प्रमाण।
    • आवेदन पत्र (Application Form):
    • योजना के लिए निर्धारित आवेदन पत्र (पंचायत कार्यालय या संबंधित विभाग से उपलब्ध)।
      अनुभव का प्रमाण (Experience Proof, यदि लागू हो):\
    • बीमा या ग्रामीण क्षेत्र में काम करने का कोई अनुभव हो तो उसका प्रमाण।
    • कैरेक्टर सर्टिफिकेट (Character Certificate):
    • स्थानीय अधिकारी (सरपंच या ग्राम प्रधान) द्वारा जारी।
    • मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी (Mobile Number and Email ID):

    Bima Sakhi Yojana ke faayde

    • बीमा सखी योजना में नामांकित होने वाली महिलाओं को पहले तीन साल के दौरान वित्तीय छमता और बीमा के लिए जागरूकता बढ़ाने के लिए वज़ीफ़ा दिया जाता है |
    • अगर जब भी आपका कार्यकाल पूरा होता हैं ,तो आप किसी एलआईसी एजेंट के तौर पर काम कर सकती हैं |
    • इस कार्य में महिलाओं को कार्य के हिसाब से कमीशन भी मिलेगा और वो , विकास अधिकारी की भूमिका के लिए भी योग्य हो सकती हैं

    Bima Sakhi Yojana में कितना वजीफा मिलेगा

    LIC की इस योजना में महिलाओं को वजीफा कुछ इस प्रकार मिलता हैं
    प्रथम वर्ष रु.7,000/-
    दूसरा साल रु.6,000/- (बशर्ते कि पहले वजीफा वर्ष में पूरी की गई कम से कम 65% पॉलिसियाँ दूसरे वजीफा वर्ष के संगत महीने के अंत तक प्रभावी हों)
    तीसरा साल रु.5,000/- (बशर्ते कि दूसरे वजीफा वर्ष में पूरी की गई कम से कम 65% पॉलिसियाँ तीसरे वजीफा वर्ष के संगत माह के अंत तक प्रभावी हों)

    संशोधित ब्याज अनुदान योजना

    Bima Sakhi Yojana Online Registration

    अगर आप LIC की बीमा सखी योजना में रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले इस लिंक पर CLICK करना होगा जो आपको उस फॉर्म पर ले जायेगी जो की इस योजना में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा जिसमे रजिस्ट्रेशन करके आप इस योजना में आसानी से पंजीकरण कर सकते हैं |

    Bima Sakhi Yojana kab shuru hui thi

    बिमा सखी योजना LIC के द्वारा 9 दिसम्बर को जारी की गयी थी जिसमे आप रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं इस योजना की अंतिम तारीख अभी जारी नहीं की गयी हैं जो की जल्द ही आएगी |

    Bima Sakhi Yojana mein kya sikhaya jata hain

    इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को तीन साल की शिक्षा दी जाएगी। उन्हें ट्रेनिंग में बीमा की महत्ता बताई जाएगी, उनकी वित्तीय समझ बढ़ाई जाएगी और बीमा योजनाओं को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने की शिक्षा दी जाएगी।

    FAQ’S Bima Sakhi Yojana Online Registration

    • Bima Sakhi Yojana kya hai?
      यह LIC द्वारा शुरू की गई एक विशेष योजना है, जिसमें महिलाओं को बीमा एजेंट के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। इसके तहत तीन साल तक वजीफा दिया जाता है, ताकि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।
    • Bima Sakhi Yojana online registration kaise karein?
      बीमा सखी योजना में रजिस्ट्रेशन के लिए आपको आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा और वहां से आवेदन फॉर्म भरकर आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे।
    • Bima Sakhi Yojana ke liye kaun eligible hai?
      इस योजना के लिए 18 से 70 साल की उम्र की महिलाएं, जिन्होंने न्यूनतम 10वीं कक्षा पास की हो, आवेदन कर सकती हैं।
    • Bima Sakhi Yojana mein kya documents chahiye?
      • आधार कार्ड
      • शैक्षणिक प्रमाणपत्र (10वीं/12वीं पास)
      • बैंक खाता विवरण
      • स्वयं सहायता समूह से जुड़ाव का प्रमाण (यदि लागू हो)
      • पासपोर्ट साइज फोटो और अनुभव प्रमाण पत्र (यदि उपलब्ध हो)।
    • Bima Sakhi Yojana ka faayda kya hai?
      • महिलाओं को तीन साल तक वजीफा मिलता है।
      • LIC एजेंट के रूप में काम करने का अवसर मिलता है।
      • बीमा योजनाओं से संबंधित प्रशिक्षण और कमीशन आधारित आय का मौका मिलता है

     

  • Anjeer ki kheti ke liye Subsidy : सरकार दे रही हैं 50,000 तक का अनुदान जाने हमारे इस ब्लॉग से

    Anjeer ki kheti ke liye Subsidy : सरकार दे रही हैं 50,000 तक का अनुदान जाने हमारे इस ब्लॉग से

    Anjeer ki kheti ke liye Subsidy : सरकार दे रही हैं 50,000 तक का अनुदान जाने हमारे इस ब्लॉग से

    अगर आप भी खेती में कम मुनाफा हो रहा हैं पर आप चाहते हैं ,किसी ऐसी फसल की खेती करना जो आपको खेती में मुनाफ बढ़ा सके पर आपके पास उसकी खेती के लिए पर्याप्त धन नहीं हैं तो बिहार सरकार दे रही हैं Anjeer ki kheti ke liye Subsidy जिसमे सरकार उन्हें आर्थिक मदत प्रदान करेगी जाने हमारे इस ब्लॉग से इस जानकारी |

    Anjeer ki kheti ke liye subsidy-Aapkikheti.com

    Anjeer Ki Kheti Ke Liye Subsidy Kaise Paaye जाने

    Anjeer ki kheti kaise kare

    अंजीर उगाने के लिए सबसे पहले आपको मिट्टी का सही चयन करना होता है। रेतिली या दोमत मिट्ति बेहतरीन मानी जाती है। ठंडे मौसम में पोधे लगना उचित होता है। बीज या कटाव को 6-8 इंच गहरायी में बोया जाता है और 15-20 फीट की दूरी पर पोधे लगाए जाते हैं| अंजीर के पत्तों को कम पानी की ज़रूरत होती है। गर्मी के मौसम में हफ़्ते में एक या दो बार पानी देना काफ़ी होता है। सर्दियों में और भी कम पानी की ज़रूरत होती है। सिंचाई तभी करनी चाहिए जब मिट्टी सूख जाए, ताकि जड़ों को सुरक्षा मिले।

    Anjeer ki kheti ke kheti ke liye Subsidy Me kitne rupaay milte hain

    राज्य कृषि विभाग की ओर से किए गए ट्वीट के मुताबिक,बिहार सरकार राज्य में अंजीर की खेती को बढ़ावा देने के लिए 60 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। इस योजना के तहत किसान भाइयो को अंजीर के पौधे लगाने के लिए प्रति इकाई लागत पर 50,000 रुपए का 60 प्रतिशत यानी 30,000 रुपए का अनुदान दिया जाएगा। योजना के तहत लाभार्थी किसान को पहले साल में 30,000 रुपए, दूसरे साल में 10,000 रुपए और तीसरे साल में 10,000 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी। इस तरह किसान को अंजीर की खेती पर कुल 50,000 रुपए का सरकारी अनुदान दिया जाएगा।

    Subsidy ke faayde

    • अंजीर की खेती करने में किसानों को काफी मदद मिलेगी जिनसे वो काफी मुनाफे कमा सकते हैं |
    • अंजीर की फसल उगाने से खेत की मिटटी की उपजाऊ छमता भी बढ़ती हैं |
    • राज्य के किसानों को अंजीर की खेती के लिए आर्थिक मदद पहुंचाना |
    • राज्य में फलों की खेती को बढ़ावा देना जिस से किसान अधिक अधिक से खेती कर सके |
    • बिहार को फलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना , जिससे बिहार फलों के उत्पादन में आगे आकर हिस्सा ले

    Subsidy Mein Registration kaise karen

    बिहार के हैं अंजीर की खेती के लिए सब्सिडी के बारे में जानना चाहते हैं या फिर रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं | तो अभी इस LINK पर क्लिक करे जो आपको इस सब्सिडी के लिए रजिस्टर करवा सकता हैं |

    Ganne ki kheti kaise karen

    FAQ’s Related To Anjeer ki kheti ke liye Subsidy

    1. अंजीर की खेती के लिए सब्सिडी क्या है?

    अंजीर की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। यह सब्सिडी बागवानी योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY), और राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) जैसी योजनाओं के तहत दी जाती है।

    2. सब्सिडी का लाभ कौन ले सकता है?

    • छोटे और सीमांत किसान
    • महिला किसान
    • किसान उत्पादक संगठन (FPO)
    • सहकारी समितियाँ
    • योग्य व्यक्तिगत किसान

    3. अंजीर की खेती के लिए कितनी सब्सिडी मिलती है?

    • राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM): पौधों की खरीद, ड्रिप सिंचाई और खेती के लिए 40% से 50% तक की सब्सिडी।
    • PMKSY: जल संसाधन और सिंचाई के लिए 55% से 70% तक की सब्सिडी।
    • राज्य सरकारें: कुछ राज्य अपने कृषि बजट के आधार पर अतिरिक्त सब्सिडी प्रदान करते हैं।

    4. अंजीर की खेती के लिए सब्सिडी का आवेदन कैसे करें?

    • कृषि विभाग से संपर्क करें: अपने राज्य के कृषि या बागवानी विभाग में जाकर आवेदन कर सकते हैं।
    • ऑनलाइन आवेदन: राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय कृषि पोर्टल पर आवेदन प्रक्रिया उपलब्ध है।
    • जरूरी दस्तावेज:
      • आधार कार्ड
      • भूमि का रिकॉर्ड (खसरा-खतौनी)
      • बैंक खाता विवरण
      • परियोजना रिपोर्ट (अगर बड़ी खेती कर रहे हैं)

    5. क्या सब्सिडी पाने के लिए ड्रिप सिंचाई आवश्यक है?

    हाँ, अंजीर की खेती में जल की बचत और बेहतर उत्पादन के लिए ड्रिप सिंचाई की सिफारिश की जाती है। ड्रिप सिंचाई पर मिलने वाली सब्सिडी का लाभ भी इस प्रक्रिया में जोड़ा जा सकता है।

    निष्कर्ष

    अंजीर की खेती के लिए सब्सिडी किसानों के लिए एक बेहतरीन अवसर है, जिससे वे कम लागत में उन्नत खेती कर सकते हैं। इसके लिए समय पर आवेदन करना और सभी जरूरी दस्तावेज जमा करना बेहद जरूरी है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने राज्य के कृषि विभाग या नजदीकी किसान सेवा केंद्र से संपर्क करें,और अधिक Aapkikheti.com जानकारी एक लिए जाए

  • Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana : यह योजना करेगी गरीबो की मदद

    Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana : यह योजना करेगी गरीबो की मदद

    Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana : यह योजना करेगी गरीबो की मदद

    Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana (PMGKAY) भारत सरकार द्वार एक महत्तवपूर्ण योजना है जो गरीब और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराती है। कोविड-19 के समय शुरू हुई ये योजना भारत के हर गरीब नागरिक तक भोजन सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई है। ये योजना देश के अनेक परिवार को खुशहाल जीवन जीने का अवसर देती है।

    Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana

    1. प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) क्या है?

    प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतरगत चलाई जा रही योजना है। इसके तहत राशन कार्ड धारकों को 5 किलो अनाज गेहु या चावल मुफ्त में दिया जाता है। योजना का लक्ष्य है कि कोई भी व्यक्ति भूख से न मरे और समय पर जरुरतमंदों तक मदद पहुंच सके।

    2. पात्रता

    PMGKAY का लाभ लेने के लिए निम्न पत्रता होनी चाहिए:

    राशन कार्ड धारक होना चाहिए।
    गरीब और अंत्योदय परिवार इस योजना के लिए पात्र हैं।
    योजना का लाभ केवल उन्हीं परिवारों को दिया जाता है जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के अंतर्गत पंजीकृत हैं।
    यदि व्यक्ति राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आता है, तो वो भी इस योजना का लाभ ले सकता है।

    3. आवेदान प्रक्रिया

    पीएमजीकेएवाई के लिए अलग से आवेदन की जरूरत नहीं होती है। जो लोग एनएफएसए के अंतर्गत पंजीकृत हैं और राशन कार्ड रखते हैं, उन्हें ये लाभ स्वत: मिल जाता है। अगर राशन कार्ड नहीं है तो नजदीकी राशन कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं।

    फॉर्म भरने के बाद जरूरी दस्तावेज जमा करें।
    सत्यापन के बाद राशन कार्ड बन जाता है, जिससे पीएमजीकेएवाई का लाभ मिलता है।

    4. आवश्यक दस्तवेज

    पीएमजीकेएवाई के लिए निम्न दस्तावेज की आवश्यक होती है:
    राशन कार्ड
    आधार कार्ड
    पीडीएस में पंजीकरण का प्रमाण
    पता प्रमाण बिजली का बिल या वोटर आईडी
    परिवार के सदस्यों के विवरण के साथ शपथ पत्र

    5. प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के लाभ

    हर गरीब व्यक्ति और परिवार को मुफ्त अनाज मिलता है, जो उनके भोजन की जरूरत को पूरा करता है।
    भूखमरी और कुपोषण को कम करने में मदद मिलती है।
    योजना के माध्यम से गरीब लोगों के जीवन में स्थिरता और सुरक्षा आती है।
    सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा दिया जाता है।
    COVID-19 जैसे संकट के समय में ये योजना जन कल्याण का एक प्रमुख माध्यम बनी है।

    पढ़िए यह ब्लॉग Kisan Diwas 2024: इस अवसर पर जानिये किसानो से जुडी ये प्रमुख योजना

    FAQs

    1 PMGKAY क्या है?
    यह भारत सरकार की एक योजना है जो गरीब और अंत्योदय परिवारों को मुफ्त में 5 किलो अनाज (गेहूं या चावल) प्रति व्यक्ति हर महीने उपलब्ध कराती है।

    2 इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी गरीब व्यक्ति भूखा न रहे और जरुरतमंदों को समय पर मदद मिले।

    3 इस योजना का लाभ कौन ले सकता है?
    राशन कार्ड धारक, गरीब और अंत्योदय परिवार, और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के अंतर्गत आने वाले लोग इस योजना के लिए पात्र हैं।

    4 PMGKAY के लिए आवेदन कैसे करें?
    अलग से आवेदन करने की जरूरत नहीं है। जो लोग NFSA के अंतर्गत पंजीकृत हैं और राशन कार्ड रखते हैं, उन्हें स्वतः लाभ मिलता है। अगर राशन कार्ड नहीं है, तो नजदीकी राशन कार्यालय में जाकर आवेदन किया जा सकता है।

    5 इस योजना के लिए कौन-कौन से दस्तावेज आवश्यक हैं?
    राशन कार्ड, आधार कार्ड, पीडीएस में पंजीकरण का प्रमाण, पता प्रमाण (जैसे बिजली का बिल या वोटर आईडी), और परिवार के सदस्यों के विवरण का शपथ पत्र।