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  • किसानो को होगा बम्पर फायदा अब आप हर मौसम कर सकते है सब्जियों की खेती साइंटिस्ट की नयी तकनीक

    किसानो को होगा बम्पर फायदा अब आप हर मौसम कर सकते है सब्जियों की खेती साइंटिस्ट की नयी तकनीक

    किसानो को होगा बम्पर फायदा अब आप हर मौसम कर सकते है सब्जियों की खेती साइंटिस्ट की नयी तकनीक

    Roof Removable Polyhouse: किसानो ने अब मौसम के हिसाब से ही काम करने वाली पोलीहौसे तकनीक खोजी है जिससे किसान हर मौसम में सब्जिया ऊगा सकते जिससे किसानो हो सकता है बम्पर फायदा

    Roof Removable Polyhouse: देश में किसान कई फसलों के साथ सब्जिया भी उगाते है ये भारत की परंपरा है फल और सब्जिया की खेती में मुनाफा भी अच्छा होता है भारत में कई प्रकार की सब्जी उगाई जाती है और कई प्रकार के फल भी उगाये जाते है भारतीय किसान पोलुहाउसे की मदत से सब्जिया उगाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे है

    Polyhouse तकनीक खास क्यों है

    Roof Removable Polyhouse

    Polyhouse तकनीक एक प्रकार की नवाचारी तकनीक है जो बच्चों के खेल-खिलौने और अन्य उत्पादों को बनाने के लिए प्लास्टिक का उपयोग करती है। इसका उद्देश्य पर्यावरण को सुरक्षित रखना है, क्योंकि इसमें पुनः उपयोग के लिए प्रयोग किए जा सकने वाले प्लास्टिक सामग्री का उपयोग होता है। पॉली हाउस तकनीक के अनुसार, प्लास्टिक के पुनः उपयोग से पर्यावरण को कष्ट होने से बचाया जा सकता है और यह सम्भव है कि प्लास्टिक के अधिक से अधिक उपयोग की गई सामग्री का पुनः उपयोग किया जा सके। इससे प्लास्टिक के उपयोग से होने वाले प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है।

    छत विस्थापित पॉली हाउस एक विशेष प्रकार का पॉली हाउस होता है जो घर की छत पर स्थापित किया जाता है। इसका काम घर की छत के ऊपर का समुदाय के उपयोग के लिए उपयोग किया जाता है। इस प्रकार के पॉली हाउस की छत अक्सर सोलर पैनलों से ढकी होती है, जो ऊर्जा को इकट्ठा करने और संचयित करने में मदद करते हैं।

    इन पॉली हाउसों में धातु या लकड़ी के संरचन होते हैं, जो प्लास्टिक के उपयोग के बजाय एक प्राकृतिक और वायवसायिक संसाधन के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन पॉली हाउसों के निर्माण में प्लास्टिक उपयोग की खर्च को कम करने के लिए विभिन्न प्रकार के संरचन, जैसे कि सोलर पैनल, अधिकतम समय तक चलने वाले और पर्यावरण को कम नुकसान पहुँचाने वाले मानक निर्माण सामग्री का उपयोग किया जाता है।

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  • इन 5 जगहों पर कभी नहीं ढलता सूरज जानिये कोन कोन सी जगह

    इन 5 जगहों पर कभी नहीं ढलता सूरज जानिये कोन कोन सी जगह

    इन 5 जगहों पर कभी नहीं ढलता सूरज जानिये कोन कोन सी जगह

    आप सभी जानते ही होंगे की दिन में २४ घंटे में १२ घंटे सूरज रेहटा है हम सुबह उठके सीधे सूरज की रौशनी देखते है उसकी रौशनी से ही हम स्वस्थ रहते है अगर सूरज एक दिन न आये तो हमारी दिन चर्या गड़बड़ा जाती है दिनचर्या में सुबह सूरज फिर दोपहर में सूरज शामको सूरज उसके बाद सूरज ढल जाता है| क्या आपको पता है ? 5 जगहों पर कभी नहीं ढलता सूरज

    सोचिये अगर सूरज उगे ही न तो दिनचर्या कितनी बिगड़ सकती है हमारी पूरी दिनचर्या बिगड़ सकती है क्युकी सूरज बहुत जरुरी है स्वस्थ के लिए सूरज से ही पूरी दिनचर्या शुरू होती।

    क्या आपको पता है ? ऐसी भी जगहे है जहा सूरज नहीं ढलता हाँ आपको सुनके हैरानी होगी की कुछ जगहे धरती पर ऐसी है जहा सूरज नहीं ढलता है तो चली बताते है आपको उन जगहों के नाम जहा २४ घंटे सूरज रहता है|

    नॉर्वे/ Norway

    5 जगहों पर कभी नहीं ढलता सूरज

    नॉर्वे ऐसी जगाहै जहा सूरज नहीं ढलता है । नॉर्वे को लैंड ऑफ़ मिडनाइट सुन भी कहते है। नॉर्वे में मई के शुरुआत से अप्रैल के अंत तक सूरज नहीं डूबता यहाँ पर २४ घंटे धुप और रौशनी रहती है आप यहाँ पर घूमने आसक्ति है मई और अप्रैल के बिच में घूमने का प्लान बनाये|

    फ़िनलैंड/ Finland

    Aapkikheti

    क्याआपको पता है दोस्तों फ़िनलैंड लैंड ऑफ़ लैंड के नाम से जाना जाता है । फ़िनलैंड में गर्मियों के दिन में ७३ दिन सूरज की तेज डूब रहती है पुरे ७३ दिन सूरज नहीं डूबता और सर्दियों के मौसम में यहाँ सूरज नहीं उगता रात रहती है हर समय यहाँ पर जरूर आपको घूमने आना चाहिए यहाँ पर आप इग्लू भी देख सकते है

    अलास्का/ Alaska 

    Alaska

    यहाँ पर मई की शुरूआत से लेकर जुलाई के अंत तक सूरज कभी अस्त नहीं होता सूरज की रोशनी लगातार रहती है Iलेकिन नवंबर के महीने में यहां सूरज नहीं उगता अलास्का को पोलर नाइट भी कहते हैं

    स्वीडन/ Sweeden 

    5 जगहों पर कभी नहीं ढलता सूरज

    स्वीडन स्वीडन में मई से लेकर अगस्त में रात को स्वीडन में सूरज डूब जाता है या 4 बजे उग जाता है स्वीडन में एक साल में 6 महीने धूप रहती है|  स्वीडेन में लगातार ६ महीने आपको धुप का सामना करना पढता है

    आइसलैंड/ Iceland

    5 जगहों पर कभी नहीं ढलता सूरज

    आइसलैंड में एक भी मच्छर नहीं है जून में आइसलैंड में सूरज अस्त कभी नहीं होता या यहाँ पर गर्मियों में रात होती है| आइसलैंड में आधी रात में भी सूरज की रौशनी देखने को मिलती है

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  • Baby Corn ki Kheti Kaise Kare ? और ज़याद मौसम में कैसे करे बेबी कॉर्न से दुगनी कमाई

    Baby Corn ki Kheti Kaise Kare ? और ज़याद मौसम में कैसे करे बेबी कॉर्न से दुगनी कमाई

    Baby Corn ki Kheti Kaise Kare ?और ज़याद मौसम में कैसे करे बेबी कॉर्न से दुगनी कमाई

    क्या आपको पता हमारे देश के किसानो को बेबी कॉर्न की खेती मुनाफा देती है और बेबी कॉर्न की खेती कैसे करते है ? / Baby Corn ki kheti kaise kare ? भारत के भोत से राज्य में बेबी कॉर्न की खेती होती है .बेबी कॉर्न की खेती की शुरुआत दक्षिण पूर्व एशिया से हुयी थी बेबी कॉर्न की खेती की शरुआत को सादिया होगयी है उसके बाद से हमारे यहाँ के राज्यों ने भी बेबी कॉर्न की खेती की शरुआत करदी है।

    Baby Corn\बेबी कॉर्न क्या होता है ?

    Baby Corn ki kheti kaise kare

    Baby Corn, जिसे यंग कॉर्न  मिनी कॉर्न भी कहा जाता है, बेबी कॉर्न एक ऐसा अनाज है जो कॉर्न (मक्का) से निकाला जाता है जब पौधे अभी छोटे होते हैं। इसे आमतौर पर कॉर्न के धान को पकने से पहले 2 से 3 सप्ताह के भीतर काटा जाता है। बेबी कॉर्न को उस समय काटा जाता है जब गेहूं के सिल्क के प्रकट होने के पहले ही अधिकार होता है। इसलिए इसकी स्थिति कमजोर होती है और मीठा अनुभव देती है।

    अगर हम Baby Corn की बात करें तो यह दिखने में आम कॉर्न जैसा होता है, लेकिन आकार में बहुत छोटा होता है, आमतौर पर लंबाई 4 से 10 सेंटीमीटर (1.5 से 4 इंच) तक होती है। इसके दाने छोटे, चिकने और कॉब पर संघटित होते हैं। बेबी कॉर्न को खाने में उपयोग किया जाता है, जैसे कि सलाद, स्टिर-फ्राई, सूप, और स्टार्टर्स में, क्योंकि इसका स्वाद मीठा होता है और उसकी क्रंची टेक्सचर होती है। यह एशियाई खाने की विभिन्न विधियों में भी प्रसिद्ध है, विशेषकर स्टिर-फ्राई सब्जियों, थाई करी, और चाइनीज स्टिर-फ्राई व्यंजनों में।

    विश्व स्तर पर और भारत में Baby Corn  उत्पादन में कुछ अंतर्दृष्टि निम्नलिखित हैं:

    1. उत्पादन क्षेत्र: विश्व भर में, बेबी कॉर्न की खेती सबसे अधिक एशिया में होती है, जहां चीन, थाईलैंड, वियतनाम, फिलीपींस, और इंडोनेशिया जैसे देश अग्रणी हैं। ये देश अधिकतर बेबी कॉर्न का उत्पादन करते हैं। भारत में भी कुछ क्षेत्रों में बेबी कॉर्न की खेती होती है, जैसे कि कर्नाटक, महाराष्ट्र, और तमिलनाडु।
    2. उत्पादन की मात्रा: विश्व भर में बेबी कॉर्न का उत्पादन वर्षावन्त रहता है, लेकिन उत्पादन की मात्रा वर्ष-वर्ष बदलती रहती है। यह उत्पादन क्षेत्र, मौसम और उत्पादक देशों की प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। भारत में बेबी कॉर्न का उत्पादन अधिकतर स्थानीय खेती के रूप में किया जाता है।
    3. उपयोग: बेबी कॉर्न का उपयोग विभिन्न प्रकार के खाने में किया जाता है, जैसे कि सलाद, स्टिर-फ्राई, सूप, पिकल, और अन्य खाने। यह एक लोकप्रिय साइड डिश भी है और इसे अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर पकाया जाता है।
    4. व्यापारिक महत्व: बेबी कॉर्न का व्यापार अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ता हुआ है, क्योंकि इसकी मांग विभिन्न देशों में बढ़ रही है। बेबी कॉर्न भारत से भी निर्यात किया जाता है, जिससे यह एक महत्वपूर्ण आय उपाय बन चुका है।

    इन अंतर्दृष्टियों से स्पष्ट होता है कि बेबी कॉर्न एक महत्वपूर्ण खाद्य उत्पाद है जो विश्व भर में लोकप्रियता हासिल कर रहा है।

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  • Wheat Crop Protection Tips: अपनी गेहू की फसल को गर्मी में आग लगने से बचाये जानिये कैसे ?

    Wheat Crop Protection Tips: अपनी गेहू की फसल को गर्मी में आग लगने से बचाये जानिये कैसे ?

    Wheat Crop Protection Tips: अपनी गेहू की फसल को गर्मी में आग लगने से बचाये जानिये कैसे ?

    Wheat Crop Protection Tips: देश के अधिकतर राज्यों में गेहू की फसल पक चुकी है और पककर तैयार है क्युकी अप्रैल मई आचुकी है ऐसे में किसान को अपनी फसल पर ध्यान देने की जरुरत है और खासकर गेहू की फसल पर तो जल्दी आग लगती है तो ध्यान दे

    Wheat Crop: गर्मियों में अक्सर गेहू की फसल में आग लगजाति है क्युकी तापमान गर्मियों में ज्यादा रहता है अप्रैल आने पर गर्मियों का मौसम शरू होजाता है इस बार अभी से गर्मी बहुत पड़नी शरू होगयी है कई राज्यों में तो पारा  40 ग्री के ऊपर पहुंच चुका है इसलिए गेहू को गर्मी से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी है

    अगर तापमान बढ़ता है तो उसका असर कृषि पर भी दीखता है जैसे ही तापमान बढ़ता है गेहू में आग लग्न शरू होजाती है हर साल आग लगने की घटनाएं दिखाई और सुनाई पढ़ती है अगर फसल में आग लगती है तो किसानो को ध्यान देने की जरवत है क्युकी ज्यादा गर्मी में फसल में आग कुछ ही समय में लग जाती है और अगर आग लगती है तो किसान की पूरी म्हणत पानी में चलजाति है इसलिए उन्हें ध्यान देना चाहिए

    गेहूं की फसल में आग लगने पर तत्काल कदम उठाना जरूरी होता है, ताकि नुकसान को कम किया जा सके। निम्नलिखित 10 बातों का Wheat Crop Protection Tips ध्यान रखें:

    निराश्रित क्षेत्र को नियंत्रित करें: आग को फैलने से पहले निराश्रित क्षेत्र को नियंत्रित करें, ताकि यह और फैलने से रोका जा सके।

    सभी आग संदेशों को ध्यान में रखें: सभी आग संदेशों को ध्यान में रखें और तुरंत कदम उठाएं।

    Wheat Crop Protection Tips

    आग का पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित करें: आग को पूरी तरह से नियंत्रित करने के बाद भी ध्यान रखें और उसकी जांच करें, ताकि वह फिर से नहीं जल सके।

    फसल के चारों ओर अलर्ट रहें: गेहूं के खेतों को निरंतर नजर रखें और अगर कोई आग की शुरुआत होती है तो तुरंत अधिकारियों को सूचित करें।

    आग को नियंत्रित करें: आग को नियंत्रित करने के लिए पानी के तांबे या अन्य उपकरणों का उपयोग करें।

    समय पर नियंत्रण करें: आग को जल्द से जल्द नियंत्रित करें, ताकि यह फसल को अधिक नुकसान ना पहुंचा सके।

    पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करें: गेहूं के खेतों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करें, ताकि आग को बुझाने के लिए पर्याप्त पानी हो।

    सुरक्षितता के नियमों का पालन करें: आग को नियंत्रित करते समय सुरक्षा के नियमों का पालन करें, जैसे कि हेलमेट और अन्य सुरक्षा उपकरण पहनना।

    प्रदूषण को नियंत्रित करें: आग के समय उत्पन्न होने वाले धुंध को कम करने के लिए प्रदूषण को नियंत्रित करें।

    सहायक लोगों का सहारा लें: आग को नियंत्रित करने में अन्य लोगों की मदद लें, ताकि कार्य को तेजी से और सही ढंग से किया जा सके।

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  • Watermelon: जानिये तरबूज अंदर से लाल और मीठा है या नहीं कुछ ट्रिक्स

    Watermelon: जानिये तरबूज अंदर से लाल और मीठा है या नहीं कुछ ट्रिक्स

    Watermelon: जानिये तरबूज अंदर से लाल और मीठा है या नहीं कुछ ट्रिक्स

    Watermelon: अगर आप भी ये नहीं जान पाते की तरबूज अंदर से लाल है और मीठा है या नहीं तो घबराइए नहीं आज हम आपको हमारे लेख के माध्यम से बताते है की बहार से देख के कैसे पता करे की तरबूज मीठा है या लाल है या नहीं तो ये ब्लॉग पूरा पढ़े और जानिए सम्पूर्ण जानकारी|

    Watermelon: गर्मियों के सीजन में तरबूज की बिक्री बाजार में ज्यादा होती है. समर सीजन में लोगो के द्वारा तरबूज अधिक मात्रा में खाया जाता है लेकिन कुछ लोग को तरबूज खरीदते समय मन में ये जरूर आता है की तरबूज लाल होगा या नहीं मीठा होगा या नहीं ये सब कुछ वैसे बोहोत सी ट्रिक है जिससे हम पता लगसक्ता है की तरबूज मीठा है या नहीं या लाल है या नहीं

    तरबूज अंदर से मीठा है या नहीं और लाल है या नहीं  पहचाने की ट्रिक

    Watermelon

    तरबूज को आप आवाज से पहचान सकते हो की तरबूज मीठा है या नहीं तरबूज पर थप थप करके देखिये की तरबूज से कैसी आवाज आरही है अगर तरबूज से अंदर से धक् धक् आवाज आयी तो मतलब तारबूज मीठा है और तरबूज में से खोकली आवाज आयी तो तरबूज मीठा नहीं है

    दूसरा तरीका यह है की तरबूज के पीले रंग को देखे . अगर वह पीला रंग गहराहै, तो आपको पता चल सकता है की तरबूज अंदर से लाल है और खाने में मीठा होगा.

    अगर आपका तरबूज का आकर अंडाकार है, तो आप समझ सकते है की आपका तरबूज पक्का नहीं कच्चा है

    अगर आपके तरबूज का आकार गोल है, तो तरबूज अंदर से लाल हो सकता है इसलिए .ये चीज जरूर देखे

    तरबूज के वजन से भी आप पता कर सकते है की तरबूज लाल है या नहीं इसके लिए इसके लिए आप पहले तरबूज को उठाओ कि वह भारी है या नहीं . अगर तरबूज भरी नहीं है तो तो आपका लाया हुआ तरबूज कच्चा हो सकता है

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  • Khad VS Manure: दोनों के बीच अंतर

    Khad VS Manure: दोनों के बीच अंतर

    Khad VS Manure: दोनों के बीच अंतर

    Khad VS Manure: दोनों के बीच अंतर : खाद और उर्वरक दोनों ही कृषि में महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं, लेकिन इन दोनों के बीच अंतर है।

    1. खाद (Fertilizer):
      • खाद पौधों को पोषण प्रदान करने के लिए उपयोग की जाती है। खाद पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध कराती है, जो उनके विकास और उत्पादन के लिए आवश्यक होते हैं।
      • खाद विभिन्न प्रकार की होती है, जैसे की नाइट्रोजन, फॉस्फेट, पोटाशियम, और मिश्रित खाद। इनमें से हर एक पोषक तत्व पौधों के विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है।
      • खाद उत्पादन में वृद्धि करने और पोषण मान को बनाए रखने में मदद करती है, जिससे उत्पादकता बढ़ती है

    Khad VS Manure: दोनों के बीच अंतर aapkikheti.com

    1. उर्वरक (Pesticide):
      • उर्वरक पौधों को कीट, कीटाणु, और फंगस सहित विभिन्न रोगों से बचाने के लिए उपयोग की जाती है। यह पौधों को सुरक्षित रखती है और उत्पादन को बढ़ावा देती है।
      • उर्वरक विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे की कीटनाशक, फंगाइसाइड, और हर्बिसाइड। इनका उपयोग उन्हें नुकसान पहुंचाने वाले जीवों से बचाने के लिए किया जाता है।
      • उर्वरक का सही उपयोग किया जाता है ताकि पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटाणुओं का प्रभावी तरीके से नाश किया जा सके।

    उर्वरक (Pesticide) aapkikheti.com

    Khad VS Manure: खाद और उर्वरक दोनों ही कृषि में महत्वपूर्ण उपयोग हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण उपयोगों की एक सारणी है:

    खाद के उपयोग उर्वरक के उपयोग
    पौधों को पोषित करना कीटों, कीटाणुओं, और रोगों से पौधों की सुरक्षा करना
    मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना कीटों और रोगों के प्रकोप को नियंत्रित करना
    पौधों की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाना कीटों और रोगों से पौधों की रक्षा करना
    भूमि की स्वास्थ्य को बनाए रखना उन्नत उत्पादकता को सुनिश्चित करना
    खाद में प्राकृतिक तत्वों को पुनर्स्थापित करना पौधों के साथ हार्मोनिक संबंध स्थापित करना

    खाद और उर्वरक दोनों ही कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनका उपयोग और प्रभाव अलग-अलग होते हैं। खाद पौधों के पोषण के लिए होती है, जबकि उर्वरक पौधों को कीटों और रोगों से सुरक्षित रखने में मदद करता है।

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  • Sounf (Fennel ) Utpadan: एक विस्तार से जानें

    Sounf (Fennel ) Utpadan: एक विस्तार से जानें

    Sounf (Fennel ) Utpadan: एक विस्तार से जानें

    Sounf Utpadan: सोंफ (fennel) एक प्रमुख मसाला है यह मसाला भोजन में स्वाद को बढ़ाता है और सोंफ से खाने में खुशबु लिए उपयोग किया जाता है। इसका उत्पादन करना एक शौकीन किसान के लिए एक लाभकारी कृषि उपाय हो सकता है। आज हम आपको हमारे लेख के माध्यम से बताएँगे सोफ्ट उत्पादन कैसे करे जानकारी के लिए पूरा ब्लॉग पढ़े। नीचे दी गई है एक विस्तृत विवरण जो सोंफ के उत्पादन की प्रक्रिया को समझाता है:

    1. बीज की उत्पादन प्रक्रिया:

    सोंफ के बीजों को पूरी तरह से साफ करें।
    अच्छे गुणवत्ता वाले बीजों को अच्छी गुणवत्ता वाले पानी में भिगो दें।

    2. बीज का बुनाव:

    भिगोए हुए सोंफ के बीजों को धूप में सुखा दें।
    सूखे बीजों को पीसकर सोंफ का पाउडर तैयार करें।

    3. पैकेजिंग और मार्केटिंग:

    सोंफ का पाउडर अच्छे पैकेजिंग में रखें।
    उत्पादित सोंफ को बाजार में बेचने और मार्केटिंग करने के लिए तैयार करें।

    4. गुणवत्ता नियंत्रण:

    सोंफ का उत्पादन करने में गुणवत्ता नियंत्रण का ख्याल रखें।
    उत्पादित सोंफ को आवश्यकतानुसार टेस्ट करें ताकि उपभोक्ता को स्वास्थ्यपूर्ण और सुरक्षित सोंफ मिले।
    सोंफ का उत्पादन एक महत्वपूर्ण कृषि उद्योग है जो कई लोगों को रोजगार प्रदान करता है और अर्थव्यवस्था में योगदान करता है। इसे उत्पादित करते समय स्वास्थ्य और सुरक्षा का ख्याल रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

    Saunf khane ke fayde :

    Sounf Utpadan

    शारीरिक संरक्षण प्रदान करता है: सौंफ में विभिन्न एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शारीरिक संरक्षण प्रदान करते हैं और कई रोगों से लड़ने में मदद करते हैं।

    वजन कम करने में मदद करता है: सौंफ में कम कैलोरी होती है और यह मेटाबोलिज्म को बढ़ाकर वजन कम करने में मदद करता है।

    मस्तिष्क को ताजगी और संज्ञानशक्ति प्रदान करता है: सौंफ का सेवन करने से मस्तिष्क की क्रिया को बेहतर बनाया जा सकता है और यह संज्ञानशक्ति को बढ़ा सकता है।

    पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है: सौंफ पाचन क्रिया को सुधारता है और पेट संबंधी समस्याओं जैसे गैस, एसिडिटी, और कब्ज को दूर करता है।

    इम्यूनिटी को बढ़ाता है: सौंफ में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं और विभिन्न संक्रमणों से बचाते हैं।

    हृदय स्वास्थ्य को सुधारता है: सौंफ में पोटासियम होता है जो हृदय को स्वस्थ रखता है और रक्तचाप को नियंत्रित करता है।

     

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  • Radish Benefits: मूली के सेवन से क्या फायदे होते है जानिये

    Radish Benefits: मूली के सेवन से क्या फायदे होते है जानिये

    Radish Benefits: मूली के सेवन से क्या फायदे होते है जानिये

    Radish Benefits: कई लोगो को लगता है मूली सिर्फ ठण्ड में ही खा सकते है गर्मियों में नहीं उन्हें ऐसा लगता है गर्मियों में अगर मूली का सेवन करेंगे तो पेट से जुडी समस्या होगी बल्कि हम आपको बताते है गर्मियों में भी मूली का सेवन कर सकते है मूली सेवन करने का भी सही तरीका और सही समय होता है जानिये क्या है सही समय और है सही तरीका

    Radish Benefits: सर्दियों में मूली खाने से इम्युनिटी मजबूत होती है इसलिए लोग सर्दियों में मूली का सेवन करते है और मूली का सेवन सर्दियों में सब्जियों में भी होता है लेकिन लोग गर्मियों में मूली का सेवन करने से डरते है क्युकी गर्मियों में मूली के सेवन के बाद गैस पेट दर्द और भी पेट से जुडी परेशानी होती है

    लेकिन हम आपको बता देते है की पेट से जुडी समस्या मूली गर्मियों में खाने से नहीं बल्कि गलत तरीके से सेवन करने में है यह सवस्थ विशेषज्ञों ने बताया है की मूली के गलत सेवन से पेट से जुडी समस्या हो सकती है

    क्या है मूली सेवन करने का सही समय

    Radish Benefits

    कभी भी आपको कच्ची मूली नहीं khani चाहिए और नहीं सलाद के तोर पर मूली कहानी चाहिए क्युकी पाकी हुयी सब्जियों के साथ कच्ची सब्जिया नहीं खाते कच्ची मूली सब्जियों के खाने से पेट में दबाव पढ़ सकता है मूली गाजर टमाटर पक्की सब्जियों के साथ भूलकर भी न खाये पेट बिगड़ सकता है और साथ में स्वस्थ भी ये हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है मूली का सेवन लंच और डिनर के बिच के समय में करना चाहिए जिससे स्वस्थ अच्छा रहता है मूली खाने से सरे पोषक तत्व मिलते है और पाचन क्रिया भी अच्छी रहती है

    क्या है मूली खाने का सही तरीका

    मूली टमाटर गाजर खीरा के साथ सलाद के तोर पर खानी चाहिए याद रहे कभी भी अकेले सिर्फ मूली न खाये मूली जल्दी पचती नहीं है इसके पाचन मेंसमय लगता है तो मूली का सेवन ककरे सीधे बैठे या लेते नहीं घूमते फिरते रहे जिससे मूली अच्छे से पांच जाये

    मूली खाने के फायदे

    अगर रोजाना आप मूली का सेवन करते है तो आपका ब्लड लेवल और शुगर लेवल सही रहता है आपको पेट से जुडी कोई समस्या का सामना नहीं करना पढता मूली खाने से हड्डिया भी मजबूत रहती है और पाचन क्रिया भी सही रहती है

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  • PM Suraksha Bima Yojna अब आप सालाना 20 रुपये देकर उठा सकते हैं 2 लाख तक की राशि जानिए कैसे

    PM Suraksha Bima Yojna अब आप सालाना 20 रुपये देकर उठा सकते हैं 2 लाख तक की राशि जानिए कैसे

    PM Suraksha Bima Yojna अब आप सालाना 20 रुपये देकर उठा सकते हैं 2 लाख तक की राशि जानिए कैसे

    देश में लोगो की आर्थिक स्थिति या गीबो को देखकर सरकार ने एक नई योजना बनाई है जिसका नाम है PM Suraksha Bima Yojna इस योजना के तहत कोई भी 20 रुपये का सालाना देकर 2 लाख तक का लाभ उठा सकता है योजना से जुड़ी पूरी जानकारी के लिए हमारा लेख पूरा पढ़े

    केन्द्रीय सरकार के दुआरा चलायी गयी ये योजना आम जनता को बहुत लाभ दे सकती है सिर्फ आपको सालाना 20 रुपये ही देना है बाकी आपको 2 लाख तक की राशि मिलेगी गरीबों के लिए ये अच्छा अवसर है और आप अपनी स्थिति सुधार सकते हैं

    हम आपको बताते हैं कि आज ये योजना गरीबों की स्थिति को अच्छा कर सकती है या गरीबों के लिए संकटमोचन का काम कर रही है

    प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना क्या है? What is PM Suraksha Bima Yojna ?

    सरकार दुआ चालाई गई ये योजना आम जनता के लिए Bima Policy है अगर उपभोक्ता के साथ कुछ दुर्घना होती हे तो  बीमा पॉलिसी की राशि क्लेम हो सकती है, इस योजना के साथ-साथ नागरिक का बीमा 2 लाख का है या 20 रुपये उसकी प्रीमियम किस्त है। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 2 लाख रुपये तक का बीमा का लाभ उठा सकते हैं।

    PM Suraksha Bima Yojna के फ़ायदे

    PM Suraksha Bima Yojna

    • नागरिक की मृत्यु होने पर परिवार को या नामांकित व्यक्ति को 2 लाख रुपये मिलेंगे
    • दुर्घटना में आंखों गंवाने, हाथ पैरों को नुकसान पहुंचने पर उपभोक्ता को 2 लाख रुपये तक मिलेंगे.
    • यूजर की एक नजर, एक हाथ, एक पैर को नुकसान 1 लाख रुपए तक

    अगर सरकार की PM Suraksha Bima Yojna का लाभ उठाना चाहते हैं, तो आपको अपने आधार कार्ड को सबसे पहले अपने बैंक खाते से जोड़ना होगा. उसमें 1 जून से पहले बैंक में जाकर पीएम सुरक्षा बीमा योजना का फॉर्म भरकर जमाकर देना है. सभी जानकारी सही होने पर आप पीएम सुरक्षा बीमा योजना का लाभ उठा सकते हैं.

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  • Gehu kaatne ki Machine 2024 Reep binder Machine के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

    Gehu kaatne ki Machine 2024 Reep binder Machine के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

    Gehu kaatne ki Machine 2024| Reep binder Machine के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

    Gehu kaatne ki Machine 2024 Reep binder Machine विशेष ध्यान दें कि रीप बाइंडर मशीन एक कृषि यंत्र है जो फसलों को काटने और बाँधने के लिए उपयोग किया जाता है। यह यंत्र किसानों को काटने और बाँधने की प्रक्रिया को एक संयोजित ऑपरेशन में सुचारू बनाता है, जिससे किसानों को काटने के दौरान समय और श्रम की बचत होती है। रीप बाइंडर मशीन के सुविधाएँ इसे फसलों को वांछित ऊँचाई पर काटने और उन्हें बंडलों में बाँधने की अनुमति देती हैं। ये मशीनें आधुनिक कृषि अभ्यासों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे खेत में कार्यक्षमता और उत्पादकता को बढ़ाती हैं।

    Reep binder Machine ke fayde

    Gehu kaatne ki Machine 2024 Reep binder Machine

      जब Gehu kaatne ki Machine 2024 Reep binder Machine का उपयोग किया जाता है, तो इसके कई फायदे होते हैं। इन फायदों में से कुछ मुख्य फायदे निम्नलिखित हैं:

    1. समय की बचत: रीपर बाइंडर मशीन किसानों को काटने और बाँधने की प्रक्रिया को एक संयोजित ऑपरेशन में सुचारू बनाती है, जिससे किसानों को काटने के दौरान समय की बचत होती है।
    2. श्रम की दक्षता: ये मशीनें किसानों के लिए श्रम की दक्षता में सुधार करती हैं, काटने और बाँधने की प्रक्रिया के लिए आवश्यक मैन्युअल श्रम को कम करके खेत में कार्यक्षमता और उत्पादकता बढ़ाती है।
    3. संचालन की सरलता: रीपर बाइंडर मशीन उपयोगकर्ता-मित्रवत हैं और संचालन के लिए सरल हैं, जिससे किसानों को अपनी काटने की गतिविधियों को अनुकूलित करने में मदद मिलती है।
    4. लागत-कुशल: रीपर बाइंडर मशीन में निवेश करना लंबे समय तक लागत-कुशल हो सकता है क्योंकि यह मैन्युअल श्रम पर निर्भरता को कम करती है और काटने की प्रक्रिया की कुल दक्षता बढ़ाती है।

    Reep binder Machine की मुख्य विशेषताएं

    विशेषताओं के आधार पर, रीपर मशीन की कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

    1. काटने और बाँधने की सुविधा: रीपर मशीन किसानों को फसलों को काटने और बाँधने की प्रक्रिया को एक संयोजित ऑपरेशन में सुचारू बनाती है।
    2. समय और श्रम की बचत: यह मशीन किसानों को काटने और बाँधने की प्रक्रिया में समय और श्रम की बचत करने में मदद करती है।
    3. उत्पादकता और कार्यक्षमता: रीपर मशीन खेती के क्षेत्र में उत्पादकता और कार्यक्षमता को बढ़ाती है और किसानों को अधिक सुविधा प्रदान करती है।

    इन विशेषताओं के माध्यम से, रीपर मशीन किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कृषि यंत्र है जो उन्हें फसलों की काटने और बाँधने की प्रक्रिया में सुधार करने में मदद करता है।

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