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  • Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna: प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना क्या है? और आवेदन करने की प्रक्रिया

    Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna: प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना क्या है? और आवेदन करने की प्रक्रिया

    Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna: प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना क्या है? और आवेदन करने की प्रक्रिया|

    Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna: अगर आप भी एक किसान है और खेती बड़ी से जुड़े है तो आपको पता होना चाहिए मौसम ख़राब होने की वजह से फसल को बहुत नुक्सान होता है उस नुक्सान से बचने के लिए सरकार किसानो के लिए कई प्रकार की योजनाए लाती है जिनमे से एक है प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना|

    Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna क्या है?

    अधिक बारिश गर्मी ठण्ड नमी उमस से किसानो को नुकसान होता है किसानो की फसल को बचने के लिए सरकारी योजना लायी है जिसके तहत किसानो को काम पैसे देकर भी उनकी फसल का बिमा मिल सकता है| अगर भविष्य में किसान की बीमित फसल को नुक्सान होजाता है तो बिमा कंपनी पूरी फसल का मुजफ्वज़ा देती है जिससे किसान बड़ा नुक्सान होने से बच जाते है |

    प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना में कैसे करे आवेदन ?

    प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के तहत आवेदन करने में आप किसी भी बैंक से बिमा करवा सकते है सबसे पहले आप बैंक जाओ और वह जाकर फॉर्म भरना पड़ेगा । फॉर्म में लिखे हुए सरे जमीन से जुड़े दस्तावेज जमा करना पड़ेगा बाकि की जानकारी के लिए निचे के पॉइंट्स पढ़े।

    Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna में आवेदन करने की प्रक्रिया

    Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna tripowe.com

    योजना की जानकारी प्राप्त करें: पहले, आपको फसल बीमा योजना के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। आप सरकारी वेबसाइट्स, किसान सेवा केंद्र, या निकटतम कृषि विभाग से इस योजना की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

    योजना की योग्यता की जांच करें: आवेदक को योजना की योग्यता की जांच करनी चाहिए, जैसे कि किसान की फसल, भूमि का प्रकार, और अन्य योजना द्वारा निर्धारित शर्तें।

    आवेदन फॉर्म प्राप्त करें: योजना के लिए आवेदन फॉर्म प्राप्त करें और उसे ध्यानपूर्वक भरें। आवश्यक दस्तावेज़ संलग्न करें।

    आवेदन जमा करें: भरे गए फॉर्म और आवश्यक दस्तावेज़ों के साथ आवेदन जमा करें। यह आप अपने निकटतम कृषि विभाग में जमा कर सकते हैं।

    आवेदन की स्थिति की जांच करें: आवेदन जमा करने के बाद, आप आवेदन की स्थिति की जांच कर सकते हैं, जो आप अपने निकटतम कृषि विभाग या योजना के आधिकारिक वेबसाइट पर कर सकते हैं।

    और भी योजना के लाभ उठाने के लिए ये ब्लॉग पढ़े।

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  • Chane Ki Daal हो सकती है शरीर के लिए बहुत फ़ायदेबंद जानिये कैसे

    Chane Ki Daal हो सकती है शरीर के लिए बहुत फ़ायदेबंद जानिये कैसे

    Chane ki Daal हो सकती है शरीर के लिए बहुत फ़ायदेबंद जानिये कैसे

    अगर आप भी बार बार बीमार होते है तो Chane ki Daal खाकर आप भी स्वस्थ रह सकते है| अगर आप भी बार बार बीमार होते है तो चने की दाल खाकर आप भी स्वस्थ रह सकते है चने की दाल में बहुत पोषक तत्व होते है जो आपके शरीर को स्वस्थ रखती है | जिससे शरीर को बहुत फायदे होंगे |

    सभी लोग दिन भर की भाग दूध के बाद थक जाते है वे चाहते है की उनकी बॉडी एनर्जेटिक रहे और बहुत से बच्चे अपना करियर बनाने के लिए घर से बहार पढ़ने जाते है, जिसकी वजह से वे घर का खाना नहीं खा पाते और बहार का खाना खाते है आज हम आपके लिए लाये है ऐसी चीज जिससे आप हेअल्थी रह सकते है ।

    Benefits of Chana Dal \चने की दाल खाने के स्वास्थ्य लाभ

    Benefits of Chana Dal \चने की दाल खाने के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं और यह कई बीमारियों से राहत प्रदान कर सकती है। यहां कुछ मुख्य फायदे हैं:

    प्रोटीन स्रोत: चने की दाल में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है, जो मांसाहारी और अमांसीय खाद्य पदार्थों के लिए महत्वपूर्ण होती है। प्रोटीन शरीर के निर्माण और मरम्मत के लिए आवश्यक होता है।

    ऊर्जा स्रोत: चने की दाल में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और लाइफस्टाइल में ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं।

    Benefits of Chana Dal aapkikheti.com

    फाइबर का स्रोत: चने की दाल में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन को सुधारती है, वजन नियंत्रित रखने में मदद करती है, और सामान्य रोगों से बचाव करती है।

    हृदय स्वास्थ्य: चने की दाल में नियामत रूप से खाने से हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है, क्योंकि इसमें कम फैट और कोलेस्ट्रॉल होता है|

    डायबिटीज के प्रबंधन: चने की दाल का सेवन इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जिससे डायबिटीज के प्रकोप को कम किया जा सकता है।

    पाचन को सुधारें: चने की दाल में मौजूद फाइबर पाचन को सुधारने में मदद करती है और आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

    इसके अलावा, चने की दाल में विटामिन्स, मिनरल्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं जो शरीर के लिए अन्योन्य लाभप्रद होते हैं। इसलिए, चने की दाल को अपने आहार में शामिल करके आप अपने स्वास्थ्य को संतुलित रख सकते हैं और कई बीमारियों से बचाव कर सकते हैं।

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  • जिमीकंद (Elephant Foot Yam) की खेती के लिए बीज की मात्रा कितनी लगती है?

    जिमीकंद (Elephant Foot Yam) की खेती के लिए बीज की मात्रा कितनी लगती है?

    जिमीकंद (Elephant Foot Yam) की खेती के लिए बीज की मात्रा कितनी लगती है?

    जिमीकंद (Elephant Foot Yam) की खेती के लिए बीज की मात्रा कितनी लगती है?: जिमीकंद  की खेती एक लाभदायक व्यवसाय है जो विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है। इसका उत्पादन अधिक उत्तर भारत में होता है, लेकिन यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और पश्चिम बंगाल में भी किया जाता है। जिमीकंद की खेती के लिए बीज की मात्रा विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि कृषि प्रौद्योगिकी, जलवायु, मौसम, और भौगोलिक स्थिति।

    जिमीकंद की खेती में बीज की मात्रा का निर्धारण करने के लिए कई परिप्रेक्ष्य हैं। यह बीज की गुणवत्ता, पूर्व उत्पादन खेती, और खेत का आकार आदि पर निर्भर करता है। सामान्यतः, जिमीकंद की खेती के लिए प्रति एकड़ में बीज की मात्रा 1000 से 1500 किलोग्राम के बीच होती है।

    Elephant Foot Yam aapkikheti.com

    जिमीकंद की खेती में बीज की मात्रा को ध्यान में रखते हुए, उचित दूरी पर पौधों को बोए जाना चाहिए ताकि पौधों को पर्याप्त स्थान और पोषण मिल सके। बीजों को बोने के लिए उपयुक्त तकनीक और तारीक़े का उपयोग करना चाहिए ताकि पौधों का सही विकास हो सके।

    जिमीकंद की खेती के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लेना और अनुभवी किसानों की सलाह लेना चाहिए। उन्हें खेती के लिए उचित तकनीकों का उपयोग करके उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

    बीज की मात्रा को ध्यान में रखते हुए, उचित दूरी पर पौधों को बोए जाना चाहिए ताकि पौधों को पर्याप्त स्थान और पोषण मिल सके। इसके अलावा, उचित पानी और खाद्य की आपूर्ति को भी ध्यान में रखना चाहिए ताकि पौधों का सही विकास हो सके।

    इसलिए, जिमीकंद की खेती के लिए बीज की मात्रा को ध्यान में रखते हुए, किसानों को उचित तकनीकों का उपयोग करना चाहिए ताकि उन्हें अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके।

    इस प्रकार, जिमीकंद की खेती के लिए बीज की मात्रा को ध्यान में रखते हुए, किसानों को उचित तकनीकों का उपयोग करना चाहिए ताकि उन्हें अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके।

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  • गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट,तुरंत करें ये काम|

    गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट,तुरंत करें ये काम|

    गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट,तुरंत करें ये काम|

    गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट का प्रकोप किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। यह कीट प्रमुख रूप से गन्ने की पत्तियों को खाती है, जिससे पौधों की पोषण शक्ति कम होती है, फलों का विकास रुक जाता है, और अंत में उत्पादन में कमी होती है। इसलिए, चोटी बेधक कीट को तुरंत नियंत्रित किया जाना चाहिए ताकि किसान बड़े नुकसान से बच सकें।

    चोटी बेधक कीट के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय हैं। पहले, प्रभावित क्षेत्रों में कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। कीटनाशकों का उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए और उन्हें पर्याप्त संदर्भ में ही उपयोग किया जाना चाहिए। दूसरे, प्राकृतिक रूप से उपायों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि नीम का तेल, प्याज का रस, और नीबू का रस। इन प्राकृतिक उपायों से कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है और फसल को हानि से बचाया जा सकता है।

    इसके अलावा, कीटों की पहचान करने और नियंत्रण करने के लिए विशेषज्ञ किसानों या कृषि विज्ञानियों की सलाह लेना भी महत्वपूर्ण होता है। वे उचित उपायों की सलाह दे सकते हैं और किसानों को चोटी बेधक कीट के प्रकोप से निपटने के लिए उचित दिशा देने में मदद कर सकते हैं।

    गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट

    इस विषय पर विस्तृत जानकारी देने के लिए, किसानों को चोटी बेधक कीट की पहचान, उपचार, और नियंत्रण के तरीकों के बारे में सही जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। वे किसानों को संभावित नुकसानों से बचने के लिए उचित तकनीकों का उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं।

    चोटी बेधक कीट की उचित पहचान और नियंत्रण से, किसान बड़े नुकसान से बच सकते हैं और अधिक उत्पादन तक पहुंच सकते हैं। इसलिए, उन्हें इस विषय पर सतर्क रहना चाहिए और अगर वे किसी प्रकार के प्रदर्शन को देखते हैं, तो तुरंत कीटनाशकों का उपयोग करके इस समस्या का समाधान करना चाहिए।

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  • 42 एचपी में पावरफुल ट्रैक्टर(42 HP Powerful Tractor), जो है ताकत का बादशाह

    42 एचपी में पावरफुल ट्रैक्टर(42 HP Powerful Tractor), जो है ताकत का बादशाह

    42 एचपी में पावरफुल ट्रैक्टर(42 HP Powerful Tractor), जो है ताकत का बादशाह

    42 एचपी में पावरफुल ट्रैक्टर(42 HP Powerful Tractor), जो है ताकत का बादशाह: ट्रैक्टर कृषि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और अपरिहार्य उपकरण है, जो किसानों को खेती और खेती संबंधी कामों को सुगम और अधिक प्रभावी बनाता है। ट्रैक्टर की ताकत, स्थिरता, और क्षमता उसके प्रदर्शन के मापदंड होते हैं, और यह उपकरण किसानों को उनके कामों को सही और समय पर पूरा करने में मदद करता है।

    42 एचपी में पावरफुल ट्रैक्टर एक बादशाह है, जो खेती के क्षेत्र में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इस ट्रैक्टर की 42 एचपी की ताकत काम को और भी आसान बनाती है और बड़े खेतों में अधिक प्रभावीता प्रदान करती है। इसके साथ ही, यह ट्रैक्टर विभिन्न कृषि कार्यों को संभावित बनाता है, जैसे कि खेतों की जोताई, बीज बोना, फसलों की बुआई, और फसलों को परिचालित करना।

    42 HP Powerful Tractor aapkikheti.com

    इस पावरफुल ट्रैक्टर की 42 एचपी की ताकत के साथ, किसान अपने कामों को स्विफ्टली पूरा कर सकते हैं और अधिक समय और ऊर्जा की बचत कर सकते हैं। इसके पावरफुल इंजन और एफिशिएंट डिजाइन की वजह से, यह ट्रैक्टर लंबे समय तक भारी कामों को सह सकता है और लंबे समय तक टिका रह सकता है।

    इस ट्रैक्टर का एक और महत्वपूर्ण फायदा यह है कि यह विभिन्न कृषि उपकरणों को लगाने के लिए संगठनात्मक ढंग से डिजाइन किया गया है। इससे किसान अपने कामों को और भी सहज बना सकते हैं और उन्हें अधिक उत्पादक बनाने में मदद मिलती है।

    समाप्ति रूप से, 42 एचपी में पावरफुल ट्रैक्टर एक बेजोड़ बादशाह है जो किसानों को उनके कृषि कामों को सुगम और प्रभावी बनाने में मदद करता है। इसकी ताकत, स्थिरता, और ऊर्जा की मान्यता के साथ, यह ट्रैक्टर एक उत्कृष्ट विकल्प है जो खेती के क्षेत्र में निराश्रित किसानों को उनके कामों को पूरा करने में मदद कर सकता है।

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  • Neem Ke Fayde: क्या आप जानते है किसी हाकिम से काम नहीं नीम जानिये क्या है 

    Neem Ke Fayde: क्या आप जानते है किसी हाकिम से काम नहीं नीम जानिये क्या है 

    Neem Ke Fayde: क्या आप जानते है किसी हाकिम से काम नहीं नीम जानिये क्या है

    Neem Ke Fayde: आज हम आपको बताएँगे नीम कैसे हकीम बन चुकी है लोगो के लिए नीम केवल आज के समय में ही नहीं बल्कि  सदियों से ग्रामीण छेत्रो में इस्तेमाल होती सदियों से नीम का इस्तेमाल कीटनाशक के रूप में किया जाता है भारत में लोग नीम को गांव की फार्मेसी भी कहते है गांव में नीम के काढ़े के उपयोग होता है नीम एक ओषधिया पौधा है नीम से कई प्रकार की जड़ी बूटी बनती है

    नीम औषधीय गुंडों से भरा एक उपहार है गांव के लोग आज भी नीम को बहार की दवाईयो से ज्यादा मानते है नीम से कई रोग से छुट्टी मिलती है नीम चेहरे के लिए भी एक उपहार है २०२१ में एक पर्यावरण कार्यक्रम में नीम के वृक्ष को २१वी सदी के वृक्ष के नाम से घोषित करदिया गया नीम से त्वचा रोग, गैस्ट्रिक विकार रोग और रोगों से रक्षा, आदि का इलाज कर सकते है .

    CFRI झांसी के अनुसार, भारत नीम का 88.4 हजार लीटर नीम का तेल और 354 हजार टन नीम केक उत्पादन के साथ अग्रणी उत्पादक है. आज देश में लगभग 444करोड़ नीम के पेड़ हैं. नीम में कई औषधीय और जैविक गुण होने के कारण नीम की ुल्य ज्यादा है . इसके अलावा, बीज तेल का एक अच्छा स्रोत है, इसका इस्तेमाल जैव-कीटनाशक के रूप में किया जाता है

    नीम की पत्तिया पशु आहार में काम आती है नीम की लकड़ियों से कही किट नाश होते है आईये हम और नीम के फायदे पॉइंट्स में बताते है

    Neem Ke Fayde

    Neem Ke Fayde

    Neem त्वचा के लिए : नीम के रास त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है इससे त्वचा में फुंसिया ख़तम होती है चेहरे को रौनक मिलती है त्वचा में अगर कोई इन्फेक्शन होरहा है तो उसको ठीक करता है और चेहरे के दाग धब्बे ख़तम होते है

    Neem बालो के लिए : नीम के तेल बाल के लिए बहुत उपयोगी होता है नीम के तेल से बाल मजबूत रहते है और साथ ही साथ काले भी रहते है
    Neem डायबिटीज नियंत्रण : नीम और नीम के जयदे से डायबिटीज को ख़तम करने में मदत मिलती है अगर रोज नीम के सेवन करे तो डायबिटीज पूरी तरह से ख़त्म हो सकती है
    Neem एंटीसेप्टिक : नीम में एंटीसेप्टिक गुंड होते है जो छोटे छोटे रोगो को नाश करता है और इससे स्वस्थ भी ठीक रहता है

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  • Indian Goat Breeds: भारतीय  बकरियों की अनूठी नस्ले

    Indian Goat Breeds: भारतीय बकरियों की अनूठी नस्ले

    Indian Goat Breeds: भारतीय बकरियों की अनूठी नस्ले

    Indian Goat Breeds: देश के अधिकतर राज्यों में बकरी पालन होता है उस ही से सम्बंधित हम एक ब्लॉग लेकर आये है जो आपको भारत की बकरिया की अनूठी नस्ले के बारे में जानकारी प्रदान करेगा तो सम्पूर्ण जानकारी के लिए पूरा ब्लॉग पढ़े|

    भारत में विभिन्न प्रकार की बकरियों की कई नस्लें पाई जाती हैं, जो अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां कुछ प्रमुख भारतीय बकरी नस्लों (Indian Goat Breeds) के बारे में जानकारी दी जा रही है:

    जमुनपारी: जमुनपारी बकरी नस्ल भारत की सबसे प्रसिद्ध और मान्यता प्राप्त नस्लों में से एक है। इनकी खासियत में उनका मुट्ठीभर शरीर, लंबे कान, बड़ी आंखें और चढ़ावरहित पृष्ठदेश शामिल हैं। ये अच्छे दूध प्रदान करने वाली नस्ल हैं और मांस और दूध के उत्पादन के लिए भी पसंद की जाती हैं।

    Indian Goat Breeds

     

    सीरानगी: सीरानगी बकरियों को उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में पाया जाता है। इनकी विशेषता में लम्बे कान, बड़ी आंखें, चरण और पूंछ का बड़पन, और गहरे रंग की त्वचा शामिल हैं। इनका दूध और मांस दोनों ही उत्तम गुणवत्ता के होते हैं।

     

    बोखरा: बोखरा नस्ल की बकरियाँ राजस्थान के जैसलमेर जिले से निकलती हैं। इनकी खासियत में उनका भारी शरीर, बड़े कान, लंबा और ठोस शरीर, और गहरे रंग  की त्वचा शामिल हैं। ये ज्यादातर दूध के लिए उत्पादन की जाती हैं।

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    मलाबार: मलाबार बकरियाँ भारत के दक्षिणी भाग में पायी जाती हैं, जैसे के केरल और तमिलनाडु में। इनकी खासियत में छोटी और कम बोडी साइज, अच्छे रंग की त्वचा, और उत्तम मांस और दूध उत्पादन शामिल हैं।

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    बेटाल: बेटाल बकरियों को भारत के उत्तरी और पश्चिमी भागों में पाया जाता है, जैसे के गुजरात और महाराष्ट्र में। इनकी विशेषता में उनकी बड़ी आंखें, बड़े कान, और गहरा रंग का शामिल हैं। ये दूध और मांस के लिए प्रसिद्ध हैं।

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    ये कुछ मुख्य भारतीय बकरी नस्ल हैं जिनकी विशेषताओं में उनकी शारीरिक रूपरेखा, रंग, और उत्पादन क्षमता शामिल हैं। यहीं पर अन्य नस्लों के बारे में भी विस्तार से जानकारी उपलब्ध होती है।

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  • लहसुन की खेती में लगते हैं ये तीन खतरनाक कीट

    लहसुन की खेती में लगते हैं ये तीन खतरनाक कीट

    लहसुन की खेती में लगते हैं ये तीन खतरनाक कीट

    किसान अगर ध्यान दें और थोड़ी सी सावधानी बरतें तो लहसुन की फसल को खतरनाक कीट से बचाया जा सकता है. समय पर लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो उनका नियंत्रण भी किया जा सकता है, आइए जानते हैं कैसे. देश में होने वाली मसाला की खेती में लहसुन एक प्रमुख फसल है. इसका इस्तेमाल सब्जियों के अलावा औषधियों में भी किया जाता है. भारतीय लहसुन की नांग दूसरे देशों में भी रहती है यही कारण है कि बड़ी संख्या में किसान इसकी खेती से जुड़े हुए हैं. वैसे तो ये मुनाफे की खेती है लेकिन कई बार इसमें लगने वाले कीट इसे नुकसान का सौदा बना देते हैं. किसान अगर ध्यान दें और थोड़ी सी सावधानी बरतें तो लहसुन की फसल को खतरनाक कीटों से बचाया जा सकता है. समय पर लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो उनका नियंत्रण भी किया जा सकता है, आइए जानते हैं कैसे.

    थ्रिप्स : यह लहसुन की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला सबसे अधिक हानिकारक कीट है. यह कीट छोटा सा पीले रंग का होता है जो पत्तियों का रस चूसकर उनमे छोटे-छोटे सफेद धब्बे बना देता है. पत्तिया पीला होकर मुरझाने लगते हैं और पौधा सूख जाता है. फलस्वरूप फसल छोटी रह जाती है और उपज में भरी गिरावट आ जाती है. यह कीट फूल आने के समय अधिक नुकसान पहुंचाता है. जब थ्रिप्स की संख्या आर्थिक क्षति स्तर (30 थ्रिप्स प्रर्ति पौधे) से ऊपर हो जाये तभी कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए. उपयुक्त फसलचक्र व उन्नत तकनीक से खेती करें।

    नियंत्रण : जब थ्रिप्स की संख्या आर्थिक क्षति स्तर (30) थ्रिप्स प्रर्ति पौधे) से ऊपर हो जाए तब इमिडाक्लोप्रिड 5 मिली प्रति 15 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें या फिप्रोनिल 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें या स्पायनोसेद 100 मिली / हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें. पीले / नीले रंग के स्टिकी पट्टिकाओं का प्रयोग भी लहसुन के खेत में करना थ्रिप्स की रोकथाम के लिए लाभकारी रहता है.

    माइट्स: इस कीट से ग्रसित पोधे की पत्तियां पूरी तरह खुल नहीं पाती व पूरा का पूरा पोधा जलेबी की तरह मुड़ जाता है. ग्रसित पत्तियों के किनारे पीले हो जाते हैं. लहसुन उथली जड़ वाली फसल है अतः पौधों की जड़ों में वायु संचार के लिए उथली निंदाई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है. खरपतवार नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर पेंडामेथालीन का 3-4 ली. मात्रा का 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई से पहले छिड़काव करना चाहिए।

    नियंत्रण : लक्षण दिखाई देते ही ओमईट 1 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पानी में घोल कर छिड़काव करें।

    बैंगनी धब्बा : बैंगनी धब्बा रोग (पर्पिल ब्लाच) इस रोग के प्रभाव से प्रारम्भ में पत्तियों तथा उर्ध्व तने पर सफेद एवं अंदर की तरफ धब्बे बनते है, जिससे तना एवं पत्ती कमजोर होकर गिर जाती है. फरवरी एवं अप्रैल में इसका प्रक्रोप ज्यादा होता है।

    रोकथाम एवं नियंत्रण: 1. मैकोजेब+कार्बडिज़म 2.5 ग्राम दवा के सममिश्रण से प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार कर बुआई करें. 2. मैकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या कार्बडिज़म 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से कवनाशी दवा का 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें. 3. रोग रोधी किस्म जैसे जी-50, जी-1, जी 323 लगाएं.

  • पौधों की नर्सरी बिजनेस शुरू कर कमाएं लाखों

    पौधों की नर्सरी बिजनेस शुरू कर कमाएं लाखों

    पौधों की नर्सरी बिजनेस शुरू कर कमाएं लाखों

    पौधों की नर्सरी

    पेड़ पौधों को हमारे जीवन का आधार माना जाता है। इसलिए यह बहुत जरूरी। होता है कि हमलोग ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। गाँव में तो पेड लगाने के लिए पर्याप्त जगह होती है परन्तु। शहरी इलाकों में जगह। की कमी होने के वजह से लोग घरों की बॉलकोनी या छतों पर छोटे छोटे पौधे लगाना पसंद करते है। इसके लिए बाजार में। आपको कई तरह के फूल और फल के पौधे मिल जाते है जो देखने मे बहुत ही आकर्षक लगते हैं। इन पौधों को लगाने से हमारे घर की खूबसूरती और भी। ज्यादा बढ़ जाती है इसलिए प्लांट नर्सरी का बिजनेस आजकल काफी चलन मे । है। अगर आप भी कम बजट में ज्यादा मुनाफे का बिजनेस करना चाहते है तो प्लांट नर्सरी का बिजनेस आपके लिए एकदम सही है। आज हम आपको नर्सरी का बिजनेस कैसे शुरू करें से जुड़ी सारी जानकारी देने वाले है ताकि आप इस बिजनेस के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें। प्लांट नर्सरी बिजनेस क्या है : आपने कई जगहों पर सड़क किनारे फूल और फलों के छोटे छोटे पौधें बेचने वाले दूकान देखें होंगे इसे ही प्लांट नर्सरी कहा जाता है। यहां आपको कई तरह के फूल, फल, सब्जी और इनडोर पौधे मिल जाते है जिसे आप बड़ी ही आसानी से किसी गमले में प्लांट करके रख सकते है। आजकल तो कई तरह के इंडोर पौधे भी मिलते है जिससे आपके घर की सजावट और भी ज्यादा बढ़ जाती है जैसे बोन्साई प्लांट, मनी प्लांट आदि। इन पौधों का इस्तेमाल छत और बॉलकोनी की शोभा बढ़ाने के लिए की जाती है। पौधों के साथ ही साथ आपको प्लांट नर्सरी में बीज, खाद, कीटनाशक दवाएं, गमले, पौधे लगाने के इक्विपमेंट आदि भी मिल जाते हैं।

    प्लांट नर्सरी बिजनेस कितने प्रकार का होता है : अगर आप प्लांट नर्सरी के बिजनेस को शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे पहले आपको यह सुनिश्चित कर लेना होगा कि आपके बिजनेस का रूप क्या होना चाहिए। प्लांट नर्सरी बिजनेस को कई तरीकों से किया जा सकता है जिसके बारे में आगे हम आपको बताने वाले हैं।

    नर्सरी में किसी बड़ी नर्सरी से पौधे खरीदकर ग्राहकों को बेचे जाते है । आप अपने घरों के आस पास जिस प्लांट नर्सरी को देखते है वे रिटेल प्लांट नर्सरी में ही आते हैं। इस नर्सरी में घरों या ऑफिस के अंदर या बाहर लगाए जाने वाले पौधे पाए जाते हैं। इसे स्ट्रेच प्लांट नर्सरी भी कहा जाता है। इस नर्सरी में घरों और ऑफिस के लिए छोटे छोटे विभिन्न प्रकार के पौधें। बेचे जाते है । इस प्रकार की नर्सरी में आपको पौधें प्लांट करने के लिए आवश्यक चीजें भी मिल जाती है।

    2. लैंडस्केप प्लांट नर्सरी (Landscape Plant Nursery):

    लैंडस्केप प्लांट नर्सरी

    : लैंडस्केप प्लांट नर्सरी में वैसे पौधे बेचे जाते हैं जो घर मे उपलब्ध बागानों में लगाये जाते हैं। यहां ग्राहकों के पसंद के पौधे तैयार किये जाते हैं। इसके लिए आपको बड़े बड़े खेत या जमीन की जरूरत पड़ती है। यहां फल, फूल, सब्जी और औषधियों के प्लांट्स भी लगाए जाते है।

    3. व्यापारिक प्लांट नर्सरी (Commercial Plant Nursery):

    व्यापारिक प्लांट नर्सरी

    व्यापारिक नर्सरी शुरू करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश करने की जरूरत पड़ती है। इस प्रकार की नर्सरी में किसानों की खेती के लिए पौधों और बीजों को तैयार किया जाता है। इस प्रकार की नर्सरी से छोटे छोटे नर्सरी ■ को पौधे सप्लाई भी किये जाते हैं। विशेष रूप से इस प्रकार की नर्सरी में

    पौधों का होलसेल बिजनेस किया जाता है। पौधों की नर्सरी का व्यापार कैसे शुरू करें?

    पौधों की नर्सरी

    शुरू करने के लिए आपको कुछ चीजों का जरूरी ध्यान रखना पड़ता है तभी आप इस बिजनेस को अच्छी तरह से चला पाएंगे। बिजनेस के लिए जगह : अगर आप रिटेल प्लांट नर्सरी करना चाहते है

    1. तो इसे आप छोटी सी जगह पर भी शुरू कर सकते हैं जैसी नर्सरी आपको घरों के आस पास देखने को मिलती है परंतु अगर आप बड़े पैमाने पर इस बिजनेस को करना चाहते हैं तो आपको बड़ी जगह की आवश्यकता पड़ती है जहां आप ज्यादा से ज्यादा पौधे तैयार कर सकें। आपको बागवानी और खेती के लिए बड़ी और उपजाऊ जमीन की आवश्यकता पड़ती है। अगर आप शुरआत में कम बजट में इस बिजनेस को शुरू करना चाहते है तो कहीं – भी छोटी सी जमीन रेंट पर लेकर इस बिजनेस को शुरू कर सकते हैं। इस ■ बिजनेस के लिए सड़क किनारे की जमीन ज्यादा फायदेमंद होती है ताकि आने जाने वाले लोगों को आपकी नर्सरी आसानी से दिख जाए।

    • 2. पानी की उत्तम व्यवस्था : च्संदज छनतेमतल ठनेपदमे के लिए पानी बहुत ही जरूरी होता है अतः आपको ध्यान रखना होगा कि जहां भी आप – इस बिजनेस के लिए जगह ले रहे है वहां पानी की उत्तम व्यवस्था हो तभी आप इस बिजनेस को अच्छे से चला पाएंगे क्योंकि पौधों को समय समय पर पानी देने की आवश्यकता होती है।

    3. रेत एवं मिट्टी : इस बिजनेस को चलाने के लिए आपको रेत और मिट्टी की भी जरूरत पड़ती है। अतः जगह ऐसी होनी चाहिए जहां रेत और मिट्टी आसानी से मिल जाए। अलग अलग पौधे के लिए मिट्टी भी अलग अलग तरह की लगती है इसलिए आपको ऐसी जगह चुननी होगी जहां से हर तरह की मिट्टी उपलब्ध हो पाए ।

    4. लकड़ी और हरे कपड़े की जाली : के लिए आपको ग्रीन हाउस बनाने की जरूरत पड़ती है ताकि सूरज की तेज रोशनी से पौधों को बचाया जा सके। शुरुआत में आप इसके लिए अपनी नर्सरी के चारों तरफ लकड़ी और हरे कपड़े की जाली लगा सकते हैं जिससे जानवरो से भी आपके नर्सरी का बचाव होगा। बड़े पैमाने पर इस बिजनेस के लिए ग्रीन हाउस भी बनाये जाते हैं।

  • Crop burns Compensation: अगर फसल आग के वजह से जल गयी है तो मिलेगा मुआफज़ा

    Crop burns Compensation: अगर फसल आग के वजह से जल गयी है तो मिलेगा मुआफज़ा

    Crop burns Compensation: अगर फसल आग के वजह से जल गयी है तो मिलेगा मुआफज़ा

    Crop burns Compensation: आपको तो पता ही होगा रबी सीजन में सबसे ज्यादा गेहू की फसल उगाई जाती है और मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश गेहू उत्पादन में सबसे बड़े राज्यों में से है। इस फसल पर बहोत रिस्क रहती है इन दिनों शार्ट सर्किट से गेहू फसल के जलने के मामले बहुत सामने आरहे है जरा सा शार्ट सर्किट और चिंगारी की वजह से गेहू की फसल बर्बाद होजाती है इसलिए सरकार ने मुख्यमंत्री खेत खलिहान दुर्घटना सहायता योजना शरू करी है जिसके अन्तर्गत अगर आपकी फसल में आग लगती है तो आपको सरकार के दुआवारा मुआफज़ा दिया जायेगा इस योजना में 1 लाख तक का मुआफज़ा मिल सकता है|

    क्या आपको पता है किसानो को फसल के दौरान बहोत साडी समस्याओं का सामना करना पढता है कभी बेमौसम बारिश फसल बर्बाद करदेती है तो कभी ज्यादा गर्मी से फसल ख़राब होजाती है बिजली के तारो से शॉर्टसर्किट की वजह से कई बीघे की फससल बर्बाद हो चुकी है हाल ही में अलीगढ के एक किसान की गेहू की फसल रातो रत जलकर रख होगयी बिजली के तारो की वजह से और उसके अलावा भी पास वाले खेतो में आग लगगयी और उनकी फसल एक रात में बर्बाद होगयी किसानो को फसल में आग लगने के कारन अधिक नुकसान होने पर १ लाख तक का मुआफज़ा दिया जाता है इस योजना का अगर किसान को लाभ उठाना है तो फसल जलने के १५ दिन के अंदर आवेदन करना होता है

    फसल में अगर आग लग जाये तो क्या है नियम

    Crop burns Compensation

    उत्तरप्रदेश सरकार के दुआवरा चलाई गयी ये योजना के अंतर के कुछ बातें ध्यान रखने वाली है जैसे जिन किसानो के पास । ५ एकड़ से काम जमीन है उनको १५ हज़ार मुअफ़वा दिया जायेगा और जिसके पास । ५ से ५ एकड़ तक जमीन है उसको २० हज़ार तक का और जिसके पास ५ एकड़ से ज्यादा जमीन उसको ३० हज़ार तक का मुआफज़ा दिया जायेगा मुआफज़ा सिर्फ आग लगने पर ही दिया जायेगा।

    अगर आप भी किसान हो और आपको भी योजना का लाभ लेना है तो आपको आपकी फसल के जलने के बाद मतलब १५ दिन के अंदर आपको आवेदन करना होगाआपको कृषि मंत्रालय में एक पत्र देना होता है जिसमे बताना होता है की आपकी फसल जल चुकी है और कैसे जली है। सरकार की इस योजना में गेहूं, बाजरा, मूंग, मसूर, राई धान, मक्का अनाज वाली फसलें शामिल हैं.

    https://aapkikheti.com/government-schemes/pm-surya-ghar-yojna/

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