जैविक खेती में स्यूडोमानास रोग की रोकथाम के कैसे करें ?
स्यूडोमानास रोग की रोकथाम :-फ्लोरेसेंस की 10 ग्राम मात्रा लेकर प्रति किलोग्राम बीज उपचारित करना चाहिए। वहीं खड़ी फसल के लिए रोपाई के 45 दिनों बाद स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 0.2 प्रतिशत मात्रा का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इसके बाद 10 दिनों के अंतराल पर तीन बार इसका छिड़काव किया जाना चाहिए। रासायनिक कार्बेन्डाजिम एजॉक्सीस्ट्रोबिन की 500 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर मात्रा लेकर 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
मैन डिक्लेरेशन – धान की फसल कटाई के पहले या बाद में अनाज विभिन्न जीवों से संक्रमित हो जाता है। जिससे अनाज के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। धान के दानों पर गहरे भूरे या काले धब्बे पड़ जाते हैं। यह धब्बे पीले, लाल, नारंगी या गुलाबी रंग के भी हो सकते हैं। जिससे फसल की गुणवत्ता घट जाती है।
कैसे करें नियंत्रण– जैविक-धान की कटाई से पहले खेत का पानी पूरी तरह से निकाल देना चाहिए। इसके अलावा फसल को अच्छी तरह सुखाने के बाद ही स्टोरेज करना चाहिए।
रासायनिक-फूल आने के समय कार्बन्डाजिम + मैंकोजेब (50-50न तिशत) की 0.2 मात्रा लेकर छिड़काव करना चाहिए।
फाल्स स्मट-इस रोग के कारण फसल का दाना हरे रंग के बीजाणुओं में बदल जाता है। जिसके कारण उत्पादन कम हो जाता है।
कैसे करें नियंत्रण-प्रोपिकोनाजोल 25 ई.सी. की 500 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर की मात्रा लेकर 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। पहला छिड़काव पौधे में बूट लीफ आने के बाद तथा दूसरा छिड़काव फूल आने के अन्य बाद करना चाहिए। फंगीसाइड रोग : स्प्रेम रॉट-इस रोग के कारण पत्तियों पर छोटे-छोट काले घाव बन जाते है जो बाद में सड़कर टूट जाती है। इस रोग की रोकथाम के लिए पत्तियां आने के समय 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर कार्बेन्डाजिम की मात्रा लेकर छिड़काव करें।
फूट रॉट– नर्सरी में पौधे तैयार करते समय इस रोग के कारण धान के पौधे दुबले पतले और कमजोर रह जाते हैं। इसके लिए कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू.पी. की 2 ग्राम मात्रा से प्रति एक किलोग्राम बीज शोधित करना चाहिए।