120 दिनों में करे Raajma Ki kheti : जाने हमारे इस ब्लॉग से इसकी खेती से जुडी बातें
क्या आपको भी खेती में मनमानी कमाई नहीं हो रही हैं जिस के वजह से आपको काफी नुकसान हो रहा हैं तो 120 दिनों में करे Raajma ki kheti जो बदल डालेगी आपकी किस्मत जी हाँ सही सुना आपने अगर आप भी राजमा की खेती करते हैं तो आपको काफी फायदे देखने को मिलेंगे जो आपको काफी मुनाफा भी दिलवाएगा| तो पढ़े हमारा ब्लॉग जो आपको काफी फायदे देगा |
जाने कैसे कमाएं Raajma ki kheti से लाखों में
राजमा के बारे में जाने
राजमा भारतीय दलहन फसलों के प्रमुख अंग हैं, क्योंकि ये सभी घरों में देखने के मिल जाता हैं | इसको इंग्लिश किडनी बीन्स कहा जाता हैं ,राजमा में प्रोटीन, फ़ाइबर, आयरन,और कई पोषक तत्व पाए जाते हैं | राजमा को भारतीय मसालों के साथ गाढ़ी ग्रेवी में बनाया जाता है ,और इसे चावल या रोटी के साथ खाया जाता है |
Raajma Ke Liye Mitti
राजमा की खेती अगर आप कर रहे हैं तो सबसे पहले आपको यह ध्यान देना है कि इसकी खेती के दोमट और हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है , क्योंकि ये मिटटी इसकी खेती के लिए काफी मदतगार रहती जिस से इसकी में काफी मुनाफा देखने को मिलता हैं| इसकी खेती के लिए मिट्टी का pH 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
Raajma ke liye Beej
खराब राजमा की खेती करना चाहते हैं सबसे पहले आपको राजमा के उत्तम बीज का चुनाव करना होगा क्योंकि अगर आप सही तरह से बीजों का चुनाव करते हैं , तो आपको ये खेती में उपज को बढ़ा सकता हैं | जिस से आप मालामाल हो सकते हैं , इसके लिए आप यहाँ दी गयी लिंक पर क्लिक करे या फिर पास के किसी बीज भण्डार से जाकर बीज खरीद ले |
Raajma ki kheti Kaise Karen
- अगर आप राजमा की खेती करना चाहते हैं तो रोटावेटर से सबसे पहले खेत को पाटा करले ,जिससे कोई भी पत्थर या मिट्टी के बड़े टुकड़े ना बचे|
- फिर उसके बाद राजमा के बीजों को हाथों में लेकर खुरपी की मदत से 10 इंच के दूरी में बीजों को बोये और गहराई तीन इंच तक होनी होनी चाहिए |
- बीजों को बोने के बाद ध्यान दें कि पेडों में नमी बनी रहे ,अगर आप पानी दे रहे हैं तो 21 दिनों के बाद पानी दे उसे एक सीमित समय में राजमा की खेती में वृद्धि हो
Raajma Mein Lagne Waale Rog
राजमा की खेती में ये रोग ज्यादातर होते हैं :
सफ़ेद सड़न रोग: यह रोग राजमा के पौधों के उपरी हिस्से को संक्रमित करता है.
इस रोग के लक्षण ये रहे:
पत्तियों का रंग भूरा हो जाता है और नरम हो जाती हैं,पत्तियों, फूल, और फलों पर सफ़ेद रंग का रूई जैसा संरचना बन जाता है|
मिट्टी की सतह के पास होने से पौधों के तने गल जाते हैं,तनों पर काली सरसो के दाने जैसी संरचना बन जाती है |
इस रोग से संक्रमित पौधे मुरझा जाते हैं.
चूर्णिल फफूंद : यह रोग एरीसीफी सिकोरेसिएरम नामक कवक से होता है.
इस रोग के लक्षण ये रहे:
पुरानी पत्तियों की निचली सतह पर सफ़ेद धब्बे दिखाई देते हैं,धीरे-धीरे इन धब्बों की संख्या और आकार बढ़ जाता है,
पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और इनकी सामान्य वृद्धि रुक जाती है
Raajma Ki Kheti Ka Samay
- खरीफ मौसम:
- बुवाई का समय: जून के अंत से जुलाई के मध्य तक।
- बुवाई के लिए आदर्श समय: मानसून की शुरुआत के बाद, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी हो।
- रबी मौसम (सिंचित क्षेत्रों में):
- बुवाई का समय: अक्टूबर से नवंबर के बीच।
- ध्यान दें कि रबी में खेती के लिए सिंचाई की सुविधा आवश्यक होती है।
- तापमान: राजमा की अच्छी वृद्धि के लिए 20°C से 30°C तापमान आदर्श होता है।
- सूरज की रोशनी: फसल को पर्याप्त धूप चाहिए।
Important Note Related To Raajma ki kheti
- बीज चयन: अच्छे किस्मों के बीजों का चयन करें जैसे पूसा रेड, एच.पी.एल. 35 आदि।
- बीज उपचार: बीज को बुवाई से पहले कवकनाशी और राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें।
- सिंचाई: बारिश पर निर्भर क्षेत्रों में खरीफ फसल और सिंचाई सुविधायुक्त क्षेत्रों में रबी फसल उगाई जा सकती है।
5FAQ’s of Raajma ki kheti
- प्रश्न: राजमा की खेती के लिए कौन-सी मिट्टी उपयुक्त होती है?
उत्तर: राजमा के लिए दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो और pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच हो, सबसे उपयुक्त होती है। - प्रश्न: राजमा की बुवाई का सही समय क्या है?
उत्तर:- खरीफ फसल: जून के अंत से जुलाई के मध्य।
- रबी फसल: अक्टूबर से नवंबर के बीच (सिंचित क्षेत्रों में)।
- प्रश्न: राजमा की प्रमुख किस्में कौन-सी हैं?
उत्तर: राजमा की प्रमुख किस्मों में पूसा रेड, पूसा वैष्णो, एच.पी.एल. 35, और पूसा हिमालिनी शामिल हैं। - प्रश्न: राजमा की सिंचाई कितनी बार करनी चाहिए?
उत्तर:- खरीफ फसल के लिए बारिश पर निर्भरता रहती है, लेकिन सूखा पड़ने पर सिंचाई करें।
- रबी फसल के लिए 3-4 सिंचाई की आवश्यकता होती है: पहली बुवाई के बाद, दूसरी फूल आने पर और तीसरी फलियां बनने के समय।
- प्रश्न: राजमा की खेती में प्रमुख रोग और उनकी रोकथाम क्या है?
उत्तर:- रोग: झुलसा रोग (ब्लाइट), जड़ सड़न।
- रोकथाम: बीज उपचार करें, खेत में जलभराव न होने दें और समय-समय पर जैविक या रासायनिक फफूंदनाशकों का छिड़काव करें।
यदि सही समय और उचित देखभाल के साथ राजमा की खेती की जाए, तो यह किसानों को अच्छा उत्पादन और लाभ दे सकती है।