Jwar ki kheti :जाने इस मोटे अनाज की उन्नत खेती के बारे मे हर जानकारी
जब भी किसी अनाज की खेती करने की सोचते हैं तो आपके मन में Jwar ki kheti जरुर आती हैं तो इसी वजह से हम आपके लिए लेकर आये हैं इस ब्लॉग को जो आपको इसकी खेती से लेकर रोगों तक की जानकारी देंगे तो जरूर पढ़िए और अगर आप हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ना चाहते हैं तो यहाँ पर CLICK करें
जरूर पढ़े और जाने Jwar ki kheti से जुडी हर जानकारी
ज्वार के बारे में
ज्वार एक प्रमुख अनाज हैं जो की “सोरघम” के नाम से भी जाना जाता हैं | इसकी खेती भारत के सभी कोने में होती हैं
,जिसका प्रयोग हम रोटियों में और जानवर के खाने में , दवाई में कर इंडस्ट्री में भी करते हैं | ये ग्लूटन फ्री अनाज हैं इसके साथ साथ इसमें कई पोषण तत्व भी पाए जाते हैं |
ज्वार की बुवाई का समय
इसकी बुवाई जून से जुलाई के बीच में की जाती हैं ज्वार की खेती रबी और खरीफ सीजन दोनों में होती हैं पर इसका ज्यादा फायदा मानसून में देखा जाता हैं ,जो की इसकी खेती के लिए अच्छा पर्यावरण प्रदान करता हैं | इसकी खेती के लिए उपयुक्त तापमान 25 से 30 तक अच्छा माना जाता हैं
Jwar ki kheti के लिए मिट्टी
इसकी खेती के लिए हल्की दोमट और बलुई मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती हैं, जो इसकी उपजाऊ छमता को और बढाती हैं | मिट्टी का P.H 6 से 7.5 अच्छा माना जाता हैं जो इसकी खेती में अच्छा होता हैं और इस से मिटटी की गुढ़वत्ता भी भी बनी रहती हैं क्योकि ये पानी को जमा नहीं होने देता हैं और जिस में सड़न नहीं होती हैं इसकी खेती को अधिक पानी के आवश्यकता नहीं होती हैं |
ज्वार की खेती कैसे करें
खेती करने के लिए सबसे पहले आप खेत को अच्छी तरह से पाटा करलो और फिर उसके बाद हल से या ट्रेक्टर से खेत को जोत लो जिस से मिटटी बिलकुल लेवल में आजाये उसके बाद अच्छे बीज का चयन करे जो आपको इसकी खेती को बढ़ाने में मदत कर सकता हैं |
इसके बाद बीज को 25 से 30 सेंटीमीटर तक की दूरी पर उगाये जिससे इनके पेड़ जब बड़े हो तो एक दूसरे से टकराये न और अच्छे से फसल दे सके | ज्वार की खेती के लिए 1 हेक्टेयर के खेत में 8 से 10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती हैं |
ज्वार की कटाई कब करे
ज्वार की कटाई के लिए सबसे पहले आपको ये ध्यान देना होगा की फसल का रंग कैसा पड रहा हैं क्योंकि जब इसका रंग पीला पड़ने लगे तो समझ जाना की इसकी फसल पकने लगी और फिर आपकी इसकी कटाई कर सकते हैं
कटाई के बाद ज्वार को धुप में सूखा ले जिस से वो अच्छी तरह से तैयार हो जाये
इसकी खेती में अगर आप एक हेक्टेयर में करते हैं तो 20 कुंटल तक होती हैं और अगर आप हाइब्रिड बीज लेते हैं तो उतपादन और बढ़ सकता हैं
ज्वार और बाजरा में अंतर
- वातावरण: ज्वार को माध्यम पानी और उष्णकटिबंधीय जलवायु में उगाया जाता है, जबकि बाजरा को सूखी और रेतीली परिस्थितियों में उगाया जाता है।
- मजबूती : ज्वार का पौधा बड़ा और थोड़ा मजबूत होता है, जबकि बाजरा का पौधा हल्का और छोटा होता है।
- पोषक तत्व: ज्वार में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जबकि बाजरे में कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है।
- उपयोग: ज्वार का उपयोग ज्यादातर खाने, चारे और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जबकि बाजरे का उपयोग ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में रोटी बनाने के लिए किया जाता है।
ज्वार में लगने वाले रोग
तना सड़ना : तना सड़ना: इस रोग से पेड़ के तने सड जाते हैं जिस से पेड़ की तने गिरने की ज्यादा चिंता होती हैं
पथरी रोग : इस रोग से पेड़ के पत्तों पर दाग पड़ जाते हैं जो इसकी फसल की उपजाऊ छमता को गिरा सकते हैं
जंग रोग : ये रोग के होने से पेड़ की प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया को काम कर देता हैं
ज्वार की खेती के लाभ
आर्थिक लाभ : ये अलग अलग तरह से प्रयोग होता हैं क्योंकि इसका प्रयोग इंडस्ट्रियल में और पशु के खाने में भी होता हैं
पोषण से पूर्ण : ज्वार ग्लूटेन मुक्त होने के कारण, वो लोग जिनको ग्लूटेन से एलर्जी होती है, उनके लिए अच्छा विकल्प है। इसमें फाइबर, प्रोटीन और मिनरल्स अधिक मात्रा में होते हैं।
जलवायु से मेल: ज्वार शुष्क और अर्ध-शुष्क परिस्थितियों में भी अच्छी तरह से उगता है। ये फसल सूखा-सहिष्णु होती है, इसलिए ये उन क्षेत्रों के लिए सबसे अच्छी होती है जहां बारिश कम होती है।
मिट्टी की सुधार: ज्वार की फसल मिट्टी में जैविक सामग्री में सुधार करती है और हमें नाइट्रोजन जोड़ने में मदद करती है।
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