Kabuli chana ki kheti : जाने चने की इस किस्म की उन्नत खेती के बारे में
काबुली चना, जो एक प्रसिद्ध दलहनी फसल है, भारत में विशेष रूप से उगाई जाती है। इस फसल की मांग न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी है। यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर है, जो इसे एक स्वस्थ और लाभदायक फसल बनाता है। अगर आप भी Kabuli chana ki kheti शुरू करने की सोच रहे हैं, तो यह गाइड आपके लिए है।
1. काबुली चना उत्पादन
काबुली चना का उत्पादन देश में बहुत महत्तवपूर्ण है क्योंकि ये प्रोटीन, विटामिन और फाइबर से भरपूर होता है। चने का इस्तमाल खदियाँ, दाल और विभिन्न खाद पदारथों में किया जाता है। इसकी उन्नत खेती करके किसान अपने आय को भी बढ़ा सकते हैं।
2. काबुली चने की खेती कैसे करें
Kabuli chana ki kheti करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना पड़ता है। मिट्टी की गहराई तक हल चलकर मिट्टी को नरम बनाया जाता है। इसके बाद बीजन को अच्छे से बिजाई करके पानी देना पड़ता है। जब पौधे लग जाते हैं, तो उन्हें सुरक्षित रखना पड़ता है ताकि कीड़े और रोग से बचाव हो सके।
3. काबुली चने की उन्नत किस्में
काबुली चने की कुछ उन्नत किस्में हैं जो अधिक उत्पादन देने में सक्षम होती हैं। इनमें जेजी 11, जेजी 14, जेजी 16, और केएके 2 जैसी प्रमुख किस्में शामिल हैं। ये सभी किसानों को उच्च मार्गदर्शन के साथ अच्छे उत्पादन की संभावनाएं देती हैं।
4. काबुली चने का बिजाई समय
काबुली चने की बिजाई का सही समय अक्टूबर के आखिरी हफ्ते से लेकर नवंबर के पहले हफ्ते तक होता है। ठंडे मौसम में बिजाई करके उचित पानी देना अनिवार्य होता है ताकि बीज अच्छी तरह से उग सके
5. काबुली चने की सिंचाई
काबुली चने की फसल को ज़ियादा पानी की आवशयकता नहीं होती है | बिजाई के समय से लेकर फूल आने तक 2-3 बार सिंचाई करना पर्याप्त होता है | इस फसल को अधिक पानी देने से पेड़ों को नुकसान पहुँचता है , इसलिए समय पर सिंचाई करना आवशयक है |
6. काबुली चने के लिए मिट्टी
काबुली चने की खेती के लिए बालू मिट्टी या बालू मिट्टी जिसमे अच्छी नमी हो, सबसे उत्तम होती है। मिट्टी का पीएच ईस्थर लगभग 6-7 के आस-पास होना चाहिए। भारी और पानी रुकने वाली मिट्टी इस फसल के लिए उचित नहीं होती।
7. काबुली चने के लिए जलवायु
काबुली चना ठंडे और शांत जलवायु में अच्छा होता है। इसके लिए 20-25°C का तापमान उत्तम माना जाता है। अधिक गर्मी और बारिश चने की पैदावारी को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए उन्हें बचाने के लिए मौसम के अनुरूप व्यवहार जरूरी है।
8. काबुली चने की बुवाई और कटाई
काबुली चने की बुवाई पंक्ति विधि या सीड ड्रिल के माध्यम से की जाती है, जिसके बीच की दूरी 30-40 सेमी होती है। बीज को 4-5 सेमी गहरा डालना होता है। फसल की कटाई तब होता है जब पौधे पूरी तरह सुख जाते हैं और दाने कठोर हो जाते हैं। फसल के सुखने के बाद मशीन से या हाथ से कटाई की जा सकती है।
9. भारत में Kabuli chana ki kheti
मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में काबुली चने की खेती की जाती है | भारत का महत्वपूर्ण चना उत्पादक होने के कारण, ये खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है।
10. काबुली चने की खेती के फायदे
काबुली चने की खेती के कई फायदे हैं। इसमें लागत कम होती है और मुनाफ़ा अच्छा मिलता है। ये प्रोटीन से भरपूर होता है, जो इसे उपभोक्त और किसान दोनों के लिए लाभकारी बनाता है। साथ ही, ये खेती की मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती है और किसान को अपनी खेती के क्षेत्र में उन्नत फसल का विकल्प देती है।
जुड़िये हमारे इंटाग्राम चैनल से click here
पढ़िए यह ब्लॉग सुपारी की खेती