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    फसल

    Urad ki dal ki kheti: कैसे करे और कमाए इस दाल की उन्नत खेती

    AapkikhetiBy AapkikhetiJanuary 7, 2025No Comments5 Mins Read
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    Table of Contents

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    • Urad ki Dal ki kheti: कैसे करे और कमाए इस दाल की उन्नत खेती
        • 1. Urad ki Dal ki kheti ke liye mitti
        • 2. उड़द दाल के लिए बीज का चयन
        • 3. उड़द दाल की बुआई का समय
        • 4. सिंचाई प्रबंधन
        • 5. खाद और उर्वरक
        • 6. रोग और कीट प्रबंधन
        • 7. फसल की कटाई और उपज
        • 8. Urad Dal ki kheti ke Fayde 
        • 9. कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें
        • निष्कर्ष

    Urad ki Dal ki kheti: कैसे करे और कमाए इस दाल की उन्नत खेती

    Urad Dal ki kheti भारत में प्रमुख दलहनी फसलों में से एक है, जिसे प्रोटीन से भरपूर आहार के लिए जाना जाता है। यह फसल किसानों के लिए लाभदायक साबित होती है क्योंकि इसकी खेती में कम लागत आती है और इसकी बाजार में अच्छी मांग रहती है। इस लेख में हम उड़द दाल की खेती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा करेंगे, जैसे कि मिट्टी का चयन, बीज की जानकारी, खेती का समय, खेती के फायदे, और अन्य आवश्यक बातें।
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    1. Urad ki Dal ki kheti ke liye mitti

    उड़द दाल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन बेहद महत्वपूर्ण है। उड़द की फसल अच्छी उपज देने के लिए दोमट मिट्टी, हल्की काली मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

    • pH स्तर: उड़द की खेती के लिए मिट्टी का pH स्तर 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
    • जल निकासी: खेत में जल निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए ताकि जलभराव न हो। जलभराव से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं जिससे उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    • मिट्टी की तैयारी: खेत की तैयारी के दौरान 2-3 बार गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। जुताई के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को समतल कर लें। बेहतर उपज के लिए खेत में जैविक खाद, जैसे गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करें।

    2. उड़द दाल के लिए बीज का चयन

    उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करना उपज को प्रभावित करता है। उड़द के अच्छे बीजों की विशेषता होती है कि वे रोगमुक्त और अच्छी अंकुरण क्षमता वाले हों।

    • प्रमुख किस्में: भारत में उड़द की कुछ प्रमुख किस्में हैं –
      • टी-9
      • पंत यू-19
      • पंत यू-31
      • कोयम्बटूर-4
      • पीडीयू-1
        इन किस्मों को अलग-अलग क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है और ये बेहतर उत्पादन देने के लिए जानी जाती हैं।
    • बीज दर: एक हेक्टेयर भूमि के लिए 20-25 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते हैं।
    • बीज उपचार: बीज को बुआई से पहले राइजोबियम कल्चर और फफूंदनाशक से उपचारित करें। यह फसल को जड़ संबंधी बीमारियों से बचाने में मदद करता है और पौधों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण को बढ़ाता है।

    Raajma ki kheti ke baare mein blog yahan padhe 

    3. उड़द दाल की बुआई का समय

    उड़द की बुआई के लिए सही समय का चयन उपज को प्रभावित करता है। उड़द की खेती मुख्य रूप से खरीफ और जायद सीजन में की जाती है।

    • खरीफ सीजन: जून से जुलाई के बीच बुआई करें।
    • जायद सीजन: मार्च से अप्रैल के बीच बुआई करें।
    • बुआई का तरीका: उड़द की बुआई कतारों में करनी चाहिए। कतार से कतार की दूरी 30-40 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इस विधि से पौधों को पर्याप्त मात्रा में सूर्य का प्रकाश और पोषक तत्व मिलते हैं।

    4. सिंचाई प्रबंधन

    उड़द की फसल को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।

    • बुआई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
    • फूल आने और फली बनने के समय सिंचाई बहुत महत्वपूर्ण होती है।
    • यदि मानसून में अच्छी वर्षा हो रही हो, तो अतिरिक्त सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती।

    5. खाद और उर्वरक
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    उड़द की फसल में जैविक खाद का उपयोग सबसे अच्छा रहता है। इसके अलावा, रासायनिक उर्वरकों का भी संतुलित उपयोग किया जा सकता है।

    • नाइट्रोजन: 20 किलो/हेक्टेयर
    • फॉस्फोरस: 40 किलो/हेक्टेयर
    • पोटाश: 20 किलो/हेक्टेयर
      बुआई से पहले खेत में इन उर्वरकों का प्रयोग करें। जैविक उत्पादन के लिए नाइट्रोजन स्थिरीकरण के लिए राइजोबियम कल्चर का उपयोग करें।

    6. रोग और कीट प्रबंधन

    उड़द की फसल में कई तरह के कीट और रोग लग सकते हैं, जैसे –

    • पीला मोज़ेक वायरस: यह रोग सफेद मक्खी के कारण फैलता है। इसके नियंत्रण के लिए नीम के तेल का छिड़काव करें।
    • फली छेदक: यह कीट फसल की फलियों को नुकसान पहुंचाता है। इसके लिए जैविक कीटनाशक या फिप्रोनिल 5% का छिड़काव करें।
    • जड़ गलन: यह रोग जड़ों को सड़ा देता है। इससे बचाव के लिए बीज उपचार करना आवश्यक है।

    7. फसल की कटाई और उपज

    जब फसल के 80-90% पत्ते झड़ जाएं और फलियाँ पककर काली पड़ जाएं, तब फसल की कटाई करें। कटाई के बाद फसल को धूप में सुखाएं और फिर दाल निकालने के लिए थ्रेशिंग करें।

    • उपज: अच्छी देखभाल और उपयुक्त प्रबंधन से प्रति हेक्टेयर 10-15 क्विंटल तक उपज प्राप्त हो सकती है।

    8. Urad Dal ki kheti ke Fayde 

    1. मिट्टी की उर्वरता में सुधार: उड़द दाल की फसल में नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्षमता होती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
    2. कम लागत, अधिक लाभ: उड़द की खेती में कम लागत आती है और यह फसल बाजार में अच्छी कीमत पर बिकती है।
    3. जलवायु के अनुकूल: उड़द की फसल सूखे वाले क्षेत्रों में भी अच्छी तरह से हो जाती है, जिससे यह जलवायु के अनुकूल फसल मानी जाती है।
    4. मिट्टी की संरचना में सुधार: उड़द दाल की खेती करने से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है और भूमि का कटाव भी कम होता है।
    5. प्रोटीन युक्त आहार: उड़द दाल प्रोटीन का एक प्रमुख स्रोत है, जो हमारे शरीर के विकास में सहायक है।

    9. कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें

    • उड़द की खेती जैविक विधि से की जाए तो यह अधिक लाभदायक होती है।
    • फसल चक्र अपनाकर उड़द की खेती करें। उड़द के बाद गेहूं, जौ या सरसों की खेती करना लाभदायक होता है।
    • उड़द की फसल के अवशेषों को खेत में मिलाने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है।

    निष्कर्ष

    उड़द दाल की खेती एक लाभदायक कृषि व्यवसाय हो सकती है, बशर्ते सही विधि से खेती की जाए। मिट्टी का उचित चयन, उन्नत किस्म के बीज, समय पर बुआई और उचित सिंचाई व पोषण प्रबंधन से किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, जैविक खेती के द्वारा मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

    अगर आप उड़द की खेती करना चाहते हैं, तो इस गाइड का पालन करके आप अपनी फसल से बेहतर उत्पादन और अधिक लाभ कमा सकते हैं।

    Urad Dal ki kheti ke Fayde उड़द दाल की खेती
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