केले की खेती कैसे करें : अगर करना चाहते हैं खेती तो जरूर पढ़े ये ब्लॉग
केला एक ऐसा फल जो की सेहत के लिए फायदेमंद होने के साथ साथ खेती के मामले में फायदेमंद भी होता हैं , और कई लोग तो इसकी खेती भारी मात्रा में करते हैं | अगर आप भी जानना चाहते हैं की केले की खेती कैसे करें तो पढ़े हमारा केले की खेती कैसे करें ब्लॉग जो आपको इस से जुडी हर जानकरी प्रदान करेगा जी से आपको इसकी खेती करने में मदत मिल सके |
केले की खेती कैसे करें पढ़े ब्लॉग
Kele ki kheti
केला एक ऐसा पौधा जो की पूरे जीवन काल में केवल एक बार ही फल देता हैं फिर उसके बाद उसकी फल देने वाली डालियाँ गिर जाती हैं ,और उनकी जगह दूसरी डाली निकल आती हैं | इसके अलावा केले का पेड़ एक ऐसा पेड़ हैं जिसमे लकड़ी नहीं होती हैं | अगर आप केले की खेती करना चाहते हैं ,तो नीचे दिए गए इन पॉइंट्स पर ध्यान जरूर दे |
केले की खेती के लिए मिट्टी
वैसे तो खेती में मिट्टी का प्रयोग सबसे अहम होता हैं उसी तरह ही केले के खेती करने के लिए गहरी , उपजाऊ दोम्मट मिटटी अच्छी मानी जाती हैं | इसकी खेती के लिए मिट्टी का PH मान 6.5 से 7 तक होता हैं ,क्योंकि इसकी उपजाऊ छमता भी अच्छी होती हैं | और अगर आप भी खेती करना चाहते हैं तो इसी मिटटी को चुने |
केले की खेती का समय
केले की खेती के लिए सबसे अच्छा समय फरवरी से मार्च तक का माना जाता,क्योंकि इस समय पौधों को पानी की कम आवश्यकता होती हैं | जिस वजह से वो अच्छी तरह से पनप पाते हैं और क्योंकि यह सर्दियों का भी रहता हैं तो इस समय नमी भी रहती हैं जिस से पेड़ जल्दी उगते हैं |
Kele Ki Kheti Kaise Karen
केले की खेती के लिए आपको यहाँ दिए गए कुछ पॉइंट्स पर ध्यान देना होगा:
- सबसे पहले आपको खेत को जोत के तैयार करना हैं |
- फिर उसके लिए आपको बीजों की जरूरत होगी जो आपको पास की किसी खाद वाली दुकान पर मिल जाएंगे |
- अगर आप उसके पेड़ को लगा रहे हैं ,तो ध्यान दे 2 फ़ीट की दूरी पर ही लगाए |
- अगर आप बीजों को लगा रहे हैं ,तो उन्हें अच्छी तरह से बोये जिस से वो सही तरह से उगे और एक दूसरे पेड़ से ना टकराए |
- पेड़ों को लगाने या फिर बीजों को बोने के बाद सिंचाई का अहम ध्यान रखना पड़ता हैं , क्योंकि अगर पेड़ को सही तरह से पानी नहीं मिलेगा तो वो अच्छी तरह से नहीं पनप पाएगी |
Kela Khane Ke Fayde
अगर आप केले को खाना पसंद करते हैं तो आप ये फायदे जरूर जानते होंगे :
- केला खाने से शरीर को एक ऊर्जा प्राप्त होती हैं |
- केला में भारी मात्रा में फाइबर होता हैं , जिसकी वजह से ये पांचन तंत्र को सही रखता हैं |
- केले को खाने से ह्रदय से जुडी बिमारी भी नहीं होती हैं क्योंकि इसमें पोटासियम भी होता हैं |
- इसको खाने से हड्डियों को मजबूती मिलती हैं क्योंकि उसमे पाय जाने वाले पोटैशियम और मैग्नीशियम हड्डियों को फायदा पहुंचाते हैं |
- इसके साथ ही जो लोग वजन बढ़ाना चाहते हैं उनके लिए केला बहुत बढिया उपाय हैं |
- केले में ट्रिप्टोफैन नामक अमीनो एसिड होता है, जो सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है | जिस से इंसान खुश रहता हैं
Kele ki kheti ke fayde

नीचे दिए गए निम्नलिखित पॉइंट्स पर ध्यान दे:
- अगर अच्छे से देखभाल की जाए तो केले की फसल एक एकड़ में 30 से 35 टन तक की उपज दे सकती हैं |
- केले की मांग बाजार में पूरे वर्ष बनी रहती हाँ , जिस वजह से किसानो को इसकी खेती का पूरा फायदा मिलता हैं |
- केले की फसल कम समय में आपको काफी मुनाफा पहुंचा सकती हैं ,क्योंकि ये 9 से 10 महीने एक केले की खेप देती जिस से किसान आसानी से इसे बाजार में बेच सकते हैं |
FAQ’s Kele ki kheti kaise karen
1. केले की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु क्या होनी चाहिए?
केले की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे उपयुक्त है। तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। अत्यधिक ठंड और पाला फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
2. केले की खेती के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी है?
केले की खेती के लिए दोमट मिट्टी या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी में पानी को अच्छी तरह से सोखने की क्षमता होनी चाहिए और इसका पीएच स्तर 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
3. केले की प्रमुख किस्में कौन सी हैं?
भारत में लोकप्रिय किस्मों में ड्वार्फ कैवेंडिश, रोबस्टा, नेंड्रान, गोल्डफिंगर और ग्रो मिशेल शामिल हैं। किस्म का चयन क्षेत्र और बाजार की मांग के अनुसार किया जाना चाहिए।
4. केले की खेती में सिंचाई कैसे की जाती है?
केले की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। ड्रिप सिंचाई का उपयोग सबसे अच्छा है क्योंकि यह पानी की बचत करता है और पौधों की जड़ों में नमी बनाए रखता है। गर्मियों में हर 7-10 दिन और सर्दियों में हर 10-15 दिन में सिंचाई करनी चाहिए।
5. केले की फसल में कौन-कौन सी बीमारियाँ लगती हैं और उनका प्रबंधन कैसे करें?
केले की फसल में पत्ती धब्बा रोग, पनामा विल्ट और सिगाटोका जैसी प्रमुख बीमारियाँ देखी जाती हैं। इनका प्रबंधन निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:
रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें।
पौधों की नियमित निगरानी करें।
आवश्यकता पड़ने पर जैविक या रासायनिक कवकनाशी का छिड़काव करें।