हाइब्रिड खीरा की खेती : खीरे की इन किस्मों को अभी बोये और करिये कमाई
क्या आप जानते हैं कि खीरे की खेती करके आप और, लोगो की तरह काफी पैसे कमा सकते है , पर कैसे चलिए जानते हैं | हाइब्रिड खीरा की खेती से अब आप भी कर सकते हैं ,दोगुनी कमाई | खीरे की खेती गर्मियों में काफी की जाती हैं और इससे काफी फायदे भी होती हैं | जानने के लिए पढ़िए हमारे ब्लोग को, जो आपको इसकी खेती करने में मदत करेगा |
जाने हाइब्रिड खीरा की खेती की महत्वपूर्ण किस्मों और खेती करने के तरीके
Hybrid Khera Ki Kheti
हाइब्रिड खीरा की खेती आज के समय में खीरा के उत्पादन को काफी हद तक बढ़ा रही हैं , जिस वजह से किसानो को इसके अच्छे दाम भी मिल पा रहे हैं | खीरे का उत्पादन आज के समय काफी हद तक बढ़ भी गया हैं और इसका मुख्य कारण ये किस्म हैं |
Hybrid Khera ki kheti ka samay
खीरा की खेती अगर आप फरवरी व मार्च के महीने करते हैं ,तो गर्मी के लिए आपको इसके खेत तैयार हो जायेंगे जिसकी मदत से आप काफी कमाई कर सकते हैं | कई जगहों पर बुवाई वर्षा ऋतु के लिए जून से जुलाई और वहीं पर्वती क्षेत्र में इसकी बुवाई मार्च अप्रैल माह में की जाती है |
Hybrid Khera Ki Kism
पूसा हाइब्रिड 4: इस किस्म के पौधे ना ही ज्यादा बड़े और न ही ज्यादा छोटे होते है इसका फल 15-18 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। यह किस्म जल्दी तैयार भी होती है और इसमें रोगों के प्रति अच्छी प्रतिरोधक क्षमता होती है।
पूसा हाइब्रिड 2: इस किस्म के फल 16-18 सेंटीमीटर लंबे, गहरे हरे रंग के होते हैं। यह किस्म उच्च उपज देती है और विभिन्न रोगों के प्रति सहनशील होती है।
हाइब्रिड 75: इस किस्म के फल 20-22 सेंटीमीटर लंबे होते हैं और इसका रंग गहरा हरा होता है। यह किस्म भी उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है। Buy Here
Hybrid kheera ki kheti ke fayde
- उच्च उपज: हाइब्रिड किस्में सामान्य किस्मों की तुलना में अधिक उपज देती हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता: इन किस्मों में विभिन्न रोगों के प्रति बेहतर प्रतिरोधक क्षमता होती है, जिससे फसल की सुरक्षा बढ़ती है।
- बेहतर गुणवत्ता: हाइब्रिड किस्मों के फल आकार, रंग और स्वाद में बेहतर होते हैं, जो बाजार में अधिक मांग में रहते हैं।
- जल्दी परिपक्वता: कुछ हाइब्रिड किस्में जल्दी परिपक्व होती हैं, जिससे फसल जल्दी तैयार होती है और बाजार में पहले पहुंचाई जा सकती है।
हाइब्रिड खीरा की खेती कैसे करें
- खीरा की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले खेती को अच्छे से जोतकर समतल कर लेना हैं |
- हाइब्रिड खीरा के बीजों को किसी खाद और बीज वाली दुकान से खरीद के लाय और, अगर ऑनलाइन खरीदना चाहते हैं तो Click करे
- इसके बाद खेत को तैयार करें डेट से 2 मीटर की दूरी पर लगभग 60 से 75 मीटर की सेंटीमीटर की चौड़ी नाली बनाएं, जिसके द्वारा पानी आसानी से पेड़ों तक जा सके |
- इसके बाद खेत को तैयार करें डेट से 2 मीटर की दूरी पर लगभग 60 से 75 मीटर की सेंटीमीटर की चौड़ी नाली बनाएं| जिसके द्वारा पानी आसानी से पेड़ों तक जा सके | इसके बाद नाली के दोनों ओर एक-एक मीटर के अंतर पर तीन चार बीज बुवाई करते रहें जिससे क्या है उनके बीच में एक जगह रहे और पेड़ अच्छी तरह से उग सके |
खीरे के खेत में सिंचाई
खीरे के खेत में सिंचाई की बात करें ,तो गर्मी के दिनों में हर दिन हल्की-हल्की सिंचाई करना जरूरी है ,जिससे पेड़ों में नमी बनी रहे | बात करें वर्षा ऋतु की तो इसमें सिंचाई वर्ष पर निर्भर करती है, अगर पानी बरसता है तो नहीं करें क्योंकि ज्यादा पानी की वजह से जड़ ख़राब हो सकती हैं | सर्दी की बात करें तो आप सिर्फ चार से पांच दिनों के अंदर में इसकी सिंचाई करें। जिससे सर्दियों में गिरने वाले पाले से मदत मिल सके |
हाइब्रिड खीरा की खेती FAQs
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हाइब्रिड खीरा की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय कौन सा है?
- हाइब्रिड खीरा की खेती के लिए फरवरी और मार्च का महीना सबसे अच्छा होता है। वर्षा ऋतु के लिए जून-जुलाई और पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल में बुवाई की जाती है।
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हाइब्रिड खीरा की कौन-कौन सी प्रमुख किस्में हैं?
- हाइब्रिड खीरा की प्रमुख किस्में हैं:
- पूसा हाइब्रिड 4
- पूसा हाइब्रिड 2
- हाइब्रिड 75
- हाइब्रिड खीरा की प्रमुख किस्में हैं:
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हाइब्रिड खीरा की खेती करने के फायदे क्या हैं?
- यह अधिक उपज देता है, जल्दी परिपक्व होता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, और बाजार में इसकी मांग अधिक रहती है।
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खीरे की खेती में सिंचाई कैसे करें?
- गर्मी में हर दिन हल्की सिंचाई करें, वर्षा ऋतु में प्राकृतिक पानी पर निर्भर करें, और सर्दियों में 4-5 दिन के अंतर पर सिंचाई करें।
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हाइब्रिड खीरा की खेती के लिए मिट्टी और खेत की तैयारी कैसे करें?
- खेत को अच्छे से जोतकर समतल करें, 60-75 सेमी चौड़ी नालियां बनाएं ताकि पानी का सही प्रवाह हो, और बीजों को 1 मीटर के अंतर पर लगाएं ताकि पौधे सही तरीके से बढ़ सकें।