Holi Kab Hain : होली जलाने के शुभ मुहूर्त, से लेकर खेलने तक की सभी जानकारी
होली भारत का सांस्कृतिक त्यौहार हैं जिसे हम पूरे भारतवासी बड़े ही हर्षउलाश से मानते हैं और होली भारत में ही नहीं विदेशों में भी काफी खेली जाती हैं | सबसे जरुरी बात तो ये Holi Kab Hain क्योंकि ये सवाल सभी लोग पूछते हैं और ये भी हैं की होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कब हैं और होली कितने बजे से खेले ये सभी जानकारी आपको हमारे इस ब्लॉग में मिल जायेगी जो आपकी काफी मदत करेगी | इसके अलावा आप हमसे इंस्टाग्राम पर जुड़ना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करे
Holi se Judi Aham Jankari Jaane
Holi Kab Hain
इस बार होली को लेकर लोगों के मन में एक तरह की संका हैं की इस बार की होली कब हैं | चलिए जानते हैं की इस बार की होली कब है | होली इस बार 14 मार्च दिन शुक्रवार को पड़ेगी क्योंकि फाल्गुन पूर्णिमा को ही होली मनाई जाती हैं जिस वजह से 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर हो रही हैं इस वजह से होली 14 मार्च को खेली जाएगी
Holika Dahan 2025
जैसा की हम सभी जानते हैं की होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता हैं इस वजह से हम सभी होलिका दहन करते हैं | इसी के साथ भारत के कई जगहों पर होली को शाम को ना जलाके बल्कि सुबह जलाया जाता हैं क्योंकि कहा जाता हैं की होली की अग्नि को देखकर सोया नहीं जाता हैं इस वजह से किसी जगह होली सुबह और किसी जगह होली शाम को बनती हैं |
होलिका दहन के दिन करे ये शुभ कार्य
होलिका दहन के दिन नारियल , पान , सुपारी चढ़ाएं , जिस से आपको हर कार्य सफलता प्राप्त होगी इस बार होलिका दहन के समय करे ये कार्य :
- नौकरी से जुडी परेशानी के लिए अग्नि में नारियल को चढ़ाए |
- बुरी ऊर्जा से बचने के लिए होलिका दहन के बाद लकड़ी की राख में राय और नमक को बाँध किसी जगह रखे |
- घर में धन और समृद्धि बनाए रखने के लिए उत्तर दिशा में घी और दीपक जलाय |
- होलिका दहन के दिन गुड़, बताशे, कच्चा आम, और गन्ने का प्रसाद बनाकर पूरे परिवार के बीच बांटें.
- अगर आपको किसी चीज़ का भय हैं, तो होलिका दहन के दिन अपनी जेब में सूरमा या काजल रखकर जाएं.
- अगर किसी को बार-बार नज़र लगती है, तो नारियल को सिर से सात बार वार करके होलिका की अग्नि में डाल दें.
- अगर आपको करियर और कारोबार में तरक्की नहीं मिल रही है, तो सात गोमती चक्र को शिवलिंग पर अर्पित करें |
Holika Dahan Kyo kiya Jata Hain
पौराणिक काल में एक राजा हुआ करते थे जिनका नाम हिरणाकश्यप था ,उनका एक प्रह्लाद नाम का पुत्र था जो भगवान विष्णु के प्रिय भक्त था | उनकी ही इस भक्ति के कारण उनके पिता ,हिरणाकश्यप उनसे काफी परेशान थे ,इस बात से परेशान होकर की मेरा पुत्र एक विरोधी का भक्त है | तो उन्होंने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने की चेष्टा की तो उन्होंने कई बार उसे खाई से धक्का देकर मारना चाहा और कई तरह को से मारना चाहा पर वह नहीं मारा एक बार जब राजा है हिरणाकश्यप इन क्रियो से परेशान होकर गुस्सा हो उठे थे ,तो उनकी बहन होलिका ने कहा कि भाई मैं इसे मारूंगी मुझे अग्नि से ना जलने का वरदान प्राप्त है
तो फिर होली का भगवान पहलाद को लेकर लकड़ियों पर बैठ गई इसके पश्चात उस लकड़ी पर आग लगा दी गई पर जैसा कि उनको वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं चलेगी जो की एक वस्त्र के कारण था जब वह बैठी और भक्त प्रहलाद उनकी गोद में बैठे तो एकदम अचानक से हवा चली जो कि भगवान प्रहलाद ने विष्णु भगवान की तपस्या करना शुरू कर दिया था इसके पश्चात वह वस्त्र उनके ऊपर आ गया और जो वस्तु उनको बचाया हुआ था वह अब भगवान पहलाद को बचाने में समर्थ रहा , इस वजह से माता होलिका तू जल गई और बहुत बैराज जीवित रह गए |
Holi Se Jude 5 FAQ’s
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Holi 2025 में कब मनाई जाएगी?
होली 2025 में 14 मार्च, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। यह फाल्गुन पूर्णिमा के दिन पड़ती है, और इस बार यह दोपहर 12:23 बजे हो रही है, इसलिए होली 14 मार्च को खेली जाएगी।
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होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है?
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च 2025 की रात को होगा। विभिन्न स्थानों पर यह समय भिन्न हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग के अनुसार सही समय देखें।
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होलिका दहन के दिन कौन-कौन से शुभ कार्य करने चाहिए?
- नौकरी में सफलता के लिए अग्नि में नारियल चढ़ाएं।
- बुरी ऊर्जा से बचने के लिए होलिका दहन के बाद राख में राय और नमक बांधकर किसी जगह रखें।
- धन और समृद्धि के लिए उत्तर दिशा में घी का दीपक जलाएं।
- नजर दोष से बचने के लिए सिर से सात बार नारियल वारकर होलिका में डालें।
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होली क्यों मनाई जाती है?
होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की पौराणिक कथा से जुड़ा है, जिसमें भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने होलिका का अंत कर दिया था।
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क्या सभी स्थानों पर होलिका दहन एक ही समय पर होता है?
नहीं, भारत के विभिन्न हिस्सों में होलिका दहन का समय अलग-अलग हो सकता है। कुछ स्थानों पर यह रात में किया जाता है, जबकि कुछ जगहों पर इसे सुबह किया जाता है।
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