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    एमपी न्यूज़

    मध्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती : हर जिले से 100 किसानों को प्राकृतिक-जैविक खेती पर करें शिफ्ट

    AapkikhetiBy AapkikhetiOctober 9, 2025No Comments4 Mins Read
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    मध्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती-Aapkikheti.com
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    • मध्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती : हर जिले से 100 किसानों को प्राकृतिक-जैविक खेती पर करें शिफ्ट
    • मध्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती में किया बड़ा बदलाव
      • मुख्यमंत्री ने दिया लक्ष्य – हर जिले से 100 किसान अपनाएं जैविक खेती
      • किसानों को परंपरागत खेती से हटाकर नई दिशा में लाना
      • वैज्ञानिक खेती और उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर जोर
      • हर जिले में होगी प्राकृतिक उपज की मार्केटिंग
      • गुलाब की खेती और धार्मिक शहरों में बागवानी को बढ़ावा
      • कॉन्फ्रेंस में हुई महत्वपूर्ण चर्चाएं
      • निष्कर्ष

    मध्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती : हर जिले से 100 किसानों को प्राकृतिक-जैविक खेती पर करें शिफ्ट

    मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में संपन्न हुई कलेक्टर्स-कमिश्नर्स कॉन्फ्रेंस 2025 के पहले सत्र ‘कृषि एवं संबद्ध सेक्टर्स’ में राज्य के अधिकारियों को महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है जब हर जिले में कम से कम 100 किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि खेती को अधिक लाभदायक, पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ बनाया जा सके।

    मध्य प्रदेश में प्राकृतिक खेती में किया बड़ा बदलाव

    मुख्यमंत्री ने दिया लक्ष्य – हर जिले से 100 किसान अपनाएं जैविक खेती

    सीएम मोहन यादव ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा देना और उद्यानिकी फसलों (बागवानी) का रकबा बढ़ाना है। इसके लिए उन्होंने सभी कलेक्टर्स को निर्देश दिए हैं कि वे अपने जिलों में किसानों को प्रशिक्षण देकर जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें।
    इसके साथ ही, इन किसानों के उत्पादों की बिक्री के लिए उन्हें स्थानीय मार्केट और मंडियों में विशेष स्थान उपलब्ध कराया जाएगा ताकि किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सके।

    किसानों को परंपरागत खेती से हटाकर नई दिशा में लाना

    मुख्यमंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि किसानों को परंपरागत खेती से हटाकर उद्यानिकी, दुग्ध उत्पादन और मत्स्य पालन जैसी आमदनी बढ़ाने वाली गतिविधियों की ओर लाया जाए। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में केला, संतरा, टमाटर और अन्य उद्यानिकी फसलों का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है, लेकिन इनके स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण और बड़े बाजारों तक मार्केटिंग की जरूरत है।
    इस दिशा में सरकार ऐसी योजनाएं तैयार कर रही है जिससे किसान सिर्फ खेती ही नहीं, बल्कि प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन से भी अतिरिक्त लाभ कमा सकें।

    वैज्ञानिक खेती और उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर जोर

    सीएम मोहन यादव ने फसलों में उर्वरकों के वैज्ञानिक उपयोग पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि खेती में खाद और रासायनिक उर्वरक का उपयोग वैज्ञानिक आधार पर नहीं किया जा रहा है, तो इससे भूमि की उर्वरता घट सकती है। इसलिए अब किसानों को मिट्टी की सेहत के अनुसार खेती करने और प्राकृतिक तरीकों से उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

    हर जिले में होगी प्राकृतिक उपज की मार्केटिंग

    सरकार का लक्ष्य है कि हर जिले में साप्ताहिक हाट बाजारों और स्थानीय मार्केटों में प्राकृतिक एवं जैविक उपज की बिक्री सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अधिकारी किसानों के साथ मिलकर ऐसी व्यवस्था बनाएं, जिससे प्राकृतिक उत्पादों को अलग पहचान और बेहतर दाम मिल सकें।
    साथ ही, सभी कलेक्टर्स को यह भी कहा गया कि वे अपने जिलों में किसानों का रिकॉर्ड रखें, यह दर्ज करें कि कितने किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाई और उन्हें इस पद्धति से कितना लाभ हुआ।

    गुलाब की खेती और धार्मिक शहरों में बागवानी को बढ़ावा

    मुख्यमंत्री ने गुना जिले का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां के किसानों ने गुलाब की खेती में बड़ा कदम उठाया है, जिससे उनकी आमदनी में वृद्धि हुई है। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश के धार्मिक शहरों में भी गुलाब की खेती को बढ़ावा दिया जाए ताकि मंदिरों और स्थानीय मांग को पूरा किया जा सके और किसानों को स्थायी बाजार मिल सके।

    Purane Tractor Ko Naya Banane Ke Tips

    कॉन्फ्रेंस में हुई महत्वपूर्ण चर्चाएं

    ‘कृषि एवं संबद्ध सेक्टर्स’ सत्र के दौरान कृषि उत्पादन आयुक्त ने कई महत्वपूर्ण विषयों पर प्रस्तुति दी। इनमें शामिल थे —

    • प्राकृतिक खेती के प्रचार-प्रसार की रणनीति

    • जलवायु अनुकूल फसलों का चयन

    • उद्यानिकी फसलों के क्लस्टर विकास

    • सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा

    • मत्स्य पालन में केज कल्चर और सेलेक्टिव ब्रीडिंग

    • फसल अवशेष प्रबंधन

    • खाद एवं बीज वितरण प्रणाली

    • सोयाबीन के लिए भावांतर भुगतान योजना

    • दुग्ध उत्पादन और गौशाला प्रबंधन के सुधारात्मक कदम

    इन सभी बिंदुओं पर सरकार ने निर्देश दिए कि कृषि क्षेत्र को एक समग्र और स्थायी दिशा दी जाए ताकि किसानों की आय में वास्तविक वृद्धि हो सके।

    निष्कर्ष

    मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम किसानों को प्राकृतिक और जैविक खेती की दिशा में प्रेरित करने की एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल भूमि की उर्वरता और फसल की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि किसानों को बाजार में बेहतर मूल्य और नई संभावनाएं भी मिलेंगी।
    यदि हर जिले में 100 किसान इस दिशा में आगे बढ़ते हैं, तो आने वाले वर्षों में मध्य प्रदेश प्राकृतिक खेती का अग्रणी राज्य बन सकता है।

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