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    Matar ki kheti कैसे करें, खेती से लाभ, बुवाई का सही समय

    AapkikhetiBy AapkikhetiDecember 19, 2023Updated:December 21, 2023No Comments4 Mins Read
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    Matar ki kheti
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    परिचय भारत में मटर 7.9 लाख हेक्टेयर भूमि में उगाई जाती है। इसका वार्षिक उत्पादन 8.3 लाखा टन एव उत्पादकता १०२६ किग्रा. / हेक्टेयर है। Matar ki kheti वाले प्रदेशों में उत्तर प्रदेश प्रमुख हैं। उत्तरप्रदेश में 4.34 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में Matar ki kheti की जाती है, जो कुल राष्ट्रीय क्षेत्र का 53.7% है। इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में २.7 लाख है..

    उड़ीसा में 0.48 लाख., बिहार में 0.28 लाख हे. क्षेत्र में मटर उगाई जाती है। उत्पादन तकनीक : भूमि की तैयारी दृ मटर की खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं में की जा सकती है, फिर भी गंगा के मैदानी भागों की गहरी दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी रहती है। मटर के लिए भूमि को अच्छी तरह तैयार करना चाहिए। खरीफ की फसल की कटाई के बाद भूमि की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल करके २-३ बार हैरों चलाकर अथवा जुताई करके पाटा लगाकर भूमि तैयार करनी चाहिए। धान के खेतों में मिट्टी के ढेलों को तोड़ने का प्रयास करना चाहिए। अच्छे अंकुरण के लिए मिट्टी में नमी होना जरुरी है।

    Matar ki kheti

    Table of Contents

    Toggle
    • फसल पद्धति सामान्यतः
    • बीजोपचार –
    • बुआई के समय –
    • उर्वरक-मटर में सामान्यतः
    फसल पद्धति सामान्यतः

    मटर की फसल, खरीफ ज्वार, बाजरा, मक्का, धान और कपास के बाद उगाई जाती है। मटर, गेंहूँ और जौ के साथ अंतः पसल के रूप में भी बोई जाती है। हरे चारे के रूप में जई और सरसों के साथ इसे बोया जाता है। बिहार एवं पश्चिम बंगाल में इसकी उतेरा विधि से बुआई की जाती है।

    बीजोपचार –

    उचित राजोबियम संवर्धक (कल्चर) से बीजों को उपचारित करना उत्पादन बढ़ाने का सबसे सरल साधन है। दलहनी फसलों में वातावरणीय नाइट्रोजन के स्थिरीकरण करने की क्षमता जड़ों में स्थित ग्रंथिकाओं की संख्या पर निर्भर करती है और यह भी राइजोबियम की संख्या पर भी निर्भर करता है। इसलिए इन जीवाणुओं का मिट्टी में होना जरुरी है। क्योंकि मिट्टी में जीवाणुओं की संख्या पर्याप्त नहीं होती है, इसलिए राईजोबियम संवर्धक से बीजों को उपचारित करना जरूरी है।

    Matar ki kheti

    राईजोबियम से बीजों को उपचारित करने के लिए उपयुक्त कल्चर का एक पैकेट (250 ग्राम) 10 किग्रा. बीज के लिए पर्याप्त होता ही। बीजों को उपचारित करने के लिए 50 ग्राम गुड़ और २ ग्राम गोंद को एक लीटर पानी में घोल कर गर्म करके मिश्रण तैयार करना चाहिए। सामान्य तापमान पर उसे ठंडा होने दें। और ठंडा होने के बाद उसमें एक पैकेट कल्चर डालें और अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण में बीजों को डालकर अच्छी तरह से मिलाएं, जिससे बीज के चारों तरफ इसकी लेप लग जाए। बीजों को छाया में सुखाएं और फिर बोयें। क्योंकि राइजोबियम फसल विशेष के लिए ही होता है, इसलिए मटर के लिए संस्तुत राईजोबियम का ही प्रयोग करना चाहिए। कवकनाशी जैसे केप्टान, थीरम आदि भी राईजोबियम कल्चर के अनुकूल होते हैं। राइजोबियम से उपचारित करने के 4-5 दिन पहले कवकनाशियों से बीजों का शोधन कर लेना चाहिए।

    बुआई के समय –

    मटर की बुआई मध्य अक्तूबर से नवम्बर तक की जाती है जो खरीफ की फसल की कटाई पर निर्भर करती है। फिर भी बुआई का उपयुक्त समय अक्तूबर के आखिरी सप्ताह से नवम्बर का प्रथम सप्ताह है।बीज-दर, दूरी और बुआई- बीजों के आकार और बुआई के समय के अनुसार बीज वर अलग-अलग हो सकती है। समय पर बुआई के लिए 70-80 किग्रा. बीज/हे. पर्याप्त होता है। पछेती बुआई में 90 किग्रा./हे. बीज होना चाहिए। देशी हल जिसमें पोरा लगा हो या सीड ड्रिल से 30 सेंमी. की दूरी पर बुआई करनी चाहिए। बीज की गहराई 5-7 सेंमी. रखनी चाहिये जो मिट्टी की नमी पर निर्भर करती है। बौनी मटर के लिए बीज दर 100 किलोग्राम हे. उपयुक्त है।

    उर्वरक-मटर में सामान्यतः

    20 किया, नाइट्रोजन एवं 60 किग्रा, फास्फोरस बुआई के समय देना पर्याप्त होता है। इसके लिए 100-125 किग्रा. मोनियम फास्फेट (बी. ए.पी) पाचा. कोटेदार दिसपट जासकता है। जाट शयम की कमी वाले क्षेत्रों में २० कि.ग्रा. पोटाश (म्यूरेट ऑफ पोटाश के माध्यम से) दिया जा सकता है। जिन क्षेत्रों में गंधक की कमी हो वहाँ बुआई के समय गंधक भी देना चाहिए। यह उचित होगा कि उर्वरक देने से पहल मेडी की जांच करा लें और कमी होने पर उपयुक्त पोषक तत्वों को खेत में दें।

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