Mulching in Agriculture: ये तरीका करता हैं , खेती में बढ़ोतरी
क्या बदलते मौसम में अगर आपकी खेती में प्रभाव पड रहा हैं , तो कोई बात नहीं क्योंकि अगर आप इस खेती के तरीके से खेती करेंगे तो आपको कोई दिक्कत नहीं होगी और बाजार में आपको फसल के अच्छे दाम भी मिलेंगे | अगर आप इसकी पूरी जानकारी जानना चाहते हैं , तो आपको हमारा Mulching in Agriculture ब्लॉग जरूर पढ़ना चाहिए जो आपकी पूरी मदत करेगा |
Mulching in Agriculture क्या सच में हैं उपयोगी
प्लास्टिक मल्चिंग लगाने का तरीका
सबसे पहले इतनी प्लास्टिक ले जो पूरे खेत को अच्छे से लग सके |
खेत को तैयार करें:
खेत को समतल कर लें और मेड बनाएं जिस से पौधा लगाने पर उस पर मल्चिंग विधि से खेती की जा सके — जैसे टमाटर, मिर्च, तरबूज आदि की खेती में किया जाता है।
ड्रिप लाइन बिछाएं:
अगर आप ड्रिप इरिगेशन का इस्तेमाल करते हैं तो पहले ड्रिप पाइप लगाएं।
प्लास्टिक शीट फैलाएं:
पॉलीथिन शीट को पूरी लंबाई में मेड पर बिछाएं और किनारों को मिट्टी से दबाकर फिक्स करें ताकि हवा से न उड़े।
छेद बनाएं
शीट पर फसल के अनुसार , जैसे उसकी लम्बाई , और चौड़ाई के हिसाब से छेद करें , ताकि पौधा बड़ा हो तो कोई दिक्कत ना आये | इन्हीं छेदों में पौधे लगाए जाते हैं।
सिंचाई और देखभाल:
पौधों की सिंचाई ड्रिप लाइन से करें।
यह तरीका पानी की बचत करता है और खरपतवार को लगभग खत्म कर देता है।
Mulching Benefits
1. पानी की 30–50% तक बचत होती है
मल्चिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मिट्टी की ऊपरी सतह को ढक देता है, जिससे धूप सीधे मिट्टी पर नहीं पड़ती। इससे मिट्टी में पानी का वाष्पीकरण बहुत कम हो जाता है, और मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है। इस कारण बार-बार सिंचाई करने की ज़रूरत नहीं पड़ती | यानी किसान का समय, पानी और मेहनत तीनों की बचत होती है। खासकर सूखे या गर्म इलाकों में यह तकनीक बहुत उपयोगी है।
2. खरपतवार काम होते हैं
मल्चिंग की परत जब मिट्टी को ढक लेती है, तो खरपतवार के बीजों को धूप नहीं मिलती, जिससे वे अंकुरित नहीं हो पाते।
खरपतवार न होने से फसलों को मिलने वाले पोषक तत्व और पानी केवल मुख्य फसल को मिलता है।
इससे फसल की वृद्धि तेज होती है और किसान को बार-बार खरपतवार निकालने की मेहनत नहीं करनी पड़ती।
👉 मतलब, खेत साफ-सुथरा रहता है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।
3. मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है
मल्चिंग मिट्टी को ठंडा और संतुलित तापमान बनाए रखने में मदद करती है।
गर्मियों में: यह धूप की गर्मी को रोकती है, जिससे मिट्टी ज्यादा गर्म नहीं होती।
सर्दियों में: यह मिट्टी की गर्मी को बाहर नहीं जाने देती, जिससे जड़ों को ठंड से सुरक्षा मिलती है।
इस तरह पौधे हर मौसम में आरामदायक वातावरण में बढ़ते हैं और उन पर तापमान का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता
4. उत्पादन और गुणवत्ता में वृद्धि होती है
मल्चिंग करने से पौधों को नमी, पोषण और तापमान का बेहतर संतुलन मिलता है।
इससे पौधे स्वस्थ रहते हैं, बीमारियाँ कम लगती हैं, और फल-सब्जियाँ अच्छे आकार, रंग और स्वाद वाली होती हैं।
👉 यही कारण है कि टमाटर, स्ट्रॉबेरी, मिर्च, तरबूज जैसी फसलों में उत्पादन 20–30% तक बढ़ जाता है।
5. मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है
अगर आप जैविक मल्च जैसे सूखे पत्ते, भूसा या गोबर का इस्तेमाल करते हैं, तो यह धीरे-धीरे सड़कर मिट्टी में मिल जाते हैं। यह मिट्टी में जैविक पदार्थ बढ़ाते हैं, जिससे मिट्टी की संरचना और पोषक तत्वों की मात्रा में सुधार होता है।