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  • Bajra ki kheti : जाने सर्दियों की इस प्रमुख फसल की खेती से जुडी बातें

    Bajra ki kheti : जाने सर्दियों की इस प्रमुख फसल की खेती से जुडी बातें

    Bajra ki kheti : जाने सर्दियों की इस प्रमुख फसल की खेती से जुडी बातें

    सर्दियों में बाजरा की रोटी सबको पसंद पर बाजरा की खेती शायद के बारे में नहीं जानते होंगे तो अब आप हमारे Bajra ki kheti के ब्लॉग से भी जान सकते हैं तो पढ़िए और जानिये यहाँ और अगर आप भी हमारे इंस्टाग्राम से जुड़ना चाहते हैं तो यहाँ पर जाए Here

    Bajra ki kheti Aapkikheti.com

    जाने Bajra ki kheti की मुख्य बातों को

    Bajra ki kheti क्या हैं ?

    भारत में बाजरा की खेती बहुत अहम फसल हैं क्योंकि इसके बाजरे का प्रयोग सबसे अधिक सर्दियों में ही होता हैं | जिसमे लोग इसके आटे को कई अलग अलग तरह से प्रयोग करते हैं और बाजरा को मोटे अनाज के नाम से भी जाना जाता है |

    बाजरा की खेती का समय

    बाजरा की खेती का समय मुख्य रूप से जून से सितम्बर तक का होता हैं पर बुवाई का समय मानसून के जरिये निर्धारित किया जाता हैं | इसकी खेती में पानी की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती जिस वजह से ये इन महीनो में की जाती हैं ,और इसकी फसल अक्टूबर से दिसम्बर तक अच्छी तरह से पक जाती हैं फिर आप इसे काट सकते हैं |

    बाजरा की खेती में मिटटी

    इसकी खेती में सबसे अच्छी मिट्टी होती है हल्की रेतीली और दोमट मिटटी जो की बाजरा की फसल को अच्छी तरह से होने में मदत करती हैं , फसल में पानी को रुकने नहीं देती हैं क्योंकि इसमें ये गुण होता हैं | मिटटी का P.h स्तर 5. 5 से 7 तक होना चाहिए जिससे खेती में आपको फायदा मिल सके |

    Bajra ki kheti Aapkikheti.com

    Bajra ki kheti ज्यादा कहाँ होती हैं

    भारत में 85 % बाजरा की खेती राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, और मध्य प्रदेश होती हैं क्योंकि ये राज्य इसकी खेती के लिए अनुकूल परस्थिति प्रदान करते हैं |

    बाजरा की खेती की जानकारी

    बाजरा की खेती के करने से पहले बीज का आवश्यकता पड़ेगी जो आप पास की दुकान से एक नंबर वाला बीज ले ले और अगर बीज को ऑनलाइन लेना चाहते हैं तो यहाँ Click  करें |
    इसके बाद आप खेत को सही तरह से जाते फिर खेत में बाजरे के बीज की बुवाई करे और ध्यान रहे की बीज को 2 से 3 cm गहराई पर ही गाड़े जिस से वो अच्छी तरह से पैदावार दे सके | और 4 से 5 किलो बीज एक हेक्टेयर के लिए प्रयाप्त रहता हैं | बुवाई के बाद सिंचाई करन जरुरी होता हैं ,क्योंकि जिससे मिट्टी में बीज सही तरह से बिछ जाए और सिंचाई का ध्यान जरूर दे  | समय समय पर खाद जरूर डाले और खरपतवार को आवश्य हटा दे जिस से खेती अच्छी तरह से पनप सके |

    बाजरा की खेती में सरकारी सहायता

    अगर खेती करना चाहते है पर उपयुक्त मात्रा में धन नहीं हैं तो सरकार के भी सब्ससडी दे रही हैं जिसकी मदत से आप खेती कर सकते हैं

    1 हेक्टेयर में कितना बाजरा होता है ?

    1 हेक्टेयर में बाजरा की खेती 15 से 20 क्विंटल तक प्राप्त होती हैं ,और सबसे पहले बीज की मात्रा पर जरूर ध्यान दे | 1 हेक्टेयर के लिए 5 किलो बीज तक डाले जिस से खेती सही मात्रा में सके |

    बाजरा की खेती से लाभ

    इसकी खेती में कम पानी की जरुरत होती हैं क्योंकि ये बरसात के ठीक बाद से बोना शरू हो जाता हैं इस वजह से इसमें नमी बानी रहती हैं | इसका एक फायदा हैं की आप इसे सूखे जगहों में पर भी आसानी से ऊगा सकते हैं| इसमे कीटनाशक और उर्वरक की कम आवश्यकता होती हैं ,जिस वजह से इसमें लगने वाली रकम काम रहती हैं जो कि किसानो के लिए अच्छी रहती हैं |

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  • Karwa Chauth 2024: कब है करवा चौथ? जानें पूजा शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय!

    Karwa Chauth 2024: कब है करवा चौथ? जानें पूजा शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय!

    Karwa Chauth 2024: कब है करवा चौथ? जानें पूजा शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय!

    करवा चौथ का त्यौहार आ रहा और बाजारों में भी करवा चौथ की तैयारी जोरों सोरों से इसीलिए अब सवाल ये उठता हैं की ये कब मनाई जायेगी पर सबसे बड़ा सवाल ये हैं की ये क्यों मनाई जाती हैं और इसमें कोनसे महिलाओं को इस दिन नहीं करने चाहिए तो ये सब जानकारी आपको है यहाँ पर ही मिल जाएगी जिस से आपको कही और जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी तो जरूर पढ़े हमारे Karwa Chauth 2024 ब्लॉग को

    Karwa chauth 2024 aapkikheti.com

    Karwa Chauth 2024 से जुड़ी हर जानकारी जो आपको यहां मिल जायेगी

    2024 mein karwa chauth kab hain

    करवा चौथ 2024 में 20 अक्टूबर, रविवार को मनाई जाएगी। यह व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को को मनाया जाता हैं | इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के जम्मू, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाने वाला पर्व है।

    Karwa chauth kyon manaya jata hai

    करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, यह व्रत सावित्री द्वारा अपने पति सत्यवान के जीवन की रक्षा करने की कहानी से जुड़ा है। सावित्री ने यमराज से अपने पति का जीवन मांगा और उसके तप व समर्पण से प्रभावित होकर यमराज ने सत्यवान को जीवनदान दिया। इसी प्रकार, आज की विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं।

    करवा चौथ के दिन क्या न करें?

    करवा चौथ का व्रत कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें सूर्योदय से लेकर चंद्रमा दर्शन तक निर्जला व्रत किया जाता है। व्रत रखने वाली महिलाओं को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:

    1. व्रत तोड़ने से बचें: यह व्रत बहुत कठोर होता है और इसे बिना जल या भोजन ग्रहण किए संपूर्ण करना आवश्यक होता है। इसलिए इसे बीच में तोड़ना नहीं चाहिए।
    2. नकारात्मकता से दूर रहें: इस दिन गुस्सा, झूठ बोलना, और किसी के प्रति दुर्भावना रखना वर्जित होता है।
    3. सूर्यास्त के बाद भोजन या जल ग्रहण न करें: जब तक चंद्रमा का दर्शन नहीं हो जाता, तब तक जल या भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

    Karwa chauth 2024 mein chand kab niklega

    करवा चौथ 2024 में चंद्रमा का उदय रात लगभग 8:15 बजे होगा (समय स्थान के अनुसार बदल सकता है)। व्रती महिलाएं चंद्रमा के दर्शन के बाद अर्घ्य देकर अपना व्रत तोड़ती हैं। इस दौरान चंद्रमा की पूजा की जाती है और पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत समाप्त किया जाता है।

    karwa chauth ki puja kaise karen

    करवा चौथ का व्रत पूरे विधि-विधान के साथ किया जाता है। पूजा की विधि इस प्रकार है:

    1. सजावट और तैयारियाँ: महिलाएं इस दिन विशेष रूप से सोलह श्रृंगार करती हैं, जिसमें नई साड़ी, चूड़ियाँ, बिंदी, कुमकुम आदि शामिल होते हैं।
    2. पूजा की तैयारी: पूजा के लिए एक करवा, मिट्टी की गणेश जी की मूर्ति, चावल, रोली, दीपक, और जल का लोटा रखें। थाली में मिठाई, फल, सिंदूर, और अन्य पूजन सामग्री रखें।
    3. कथा सुनना: दोपहर के समय व्रती महिलाएं एकत्रित होकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। कथा सुनने से व्रत का महत्त्व बढ़ जाता है।
    4. चंद्रमा को अर्घ्य: रात को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद महिलाएं छलनी से चंद्रमा और अपने पति का मुख देखती हैं। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए भगवान से पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
    5. व्रत तोड़ना: पति के हाथों से जल और मिठाई ग्रहण कर व्रत समाप्त किया जाता है।

    Karwa chauth mein kiski puja hoti hain

    Karwa chauth 2024 aapkikheti.com

    करवा चौथ के दिन विशेष रूप से भगवान शिव, माता पार्वती,करवा माता, भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है। भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए महिलाएं इनकी पूजा करती हैं। चंद्रमा को भी विशेष रूप से पूजित किया जाता है, क्योंकि चंद्रमा को शांत और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है।

    करवा चौथ के महत्व

    करवा चौथ सिर्फ एक व्रत ही नहीं, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत बनाने का अवसर है। इस दिन पति और पत्नी एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम और विश्वास को और गहरा करते हैं। यह व्रत भारतीय संस्कृति में स्त्रियों की शक्ति, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है।

    करवा चौथ 2024 में 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्त्व रखता है, क्योंकि इस दिन वे अपने पति की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को करते समय पूजा विधि और मान्यताओं का ध्यान रखना आवश्यक होता है।

    FAQ’s related to Karwa Chauth 2024

    (1) करवा चौथ 2024 कब है?
    करवा चौथ का व्रत इस साल 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।

    (2) करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय क्या है?
    चंद्रमा का उदय शाम 7:54 बजे होगा, और तभी अर्घ्य दिया जाएगा।

    (3) सरगी का क्या महत्व है?
    सरगी वह आहार है जो सूर्योदय से पहले सास अपनी बहू को देती है ताकि वह दिनभर निर्जला व्रत का पालन कर सके।

    (4) अगर गलती से व्रत टूट जाए तो क्या करें?
    धार्मिक मान्यता के अनुसार, अगर व्रत टूट जाए तो पति-पत्नी को भगवान शिव और माता पार्वती से क्षमा याचना करनी चाहिए।

    (5) करवा चौथ पर कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं?
    इस दिन महिलाएं मिट्टी के करवे में जल भरकर शिव, पार्वती और गणेश जी की पूजा करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं

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  • Bihar Krishi Input Anudan Yojana : जल्द करे क्योंकि आ रही हैं इस योजना की अंतिम तिथि वरना नहीं ले पाएंगे फायदा

    Bihar Krishi Input Anudan Yojana : जल्द करे क्योंकि आ रही हैं इस योजना की अंतिम तिथि वरना नहीं ले पाएंगे फायदा

    Bihar Krishi Input Anudan Yojana : जल्द करे क्योंकि आ रही हैं इस योजना की अंतिम तिथि वरना नहीं ले पाएंगे फायदा

    बिहार सरकार के द्वारा चलायी जा रही Bihar Krishi Input Anudan Yojana बिहार में रहने वाले किसानो को काफी मदत पहुँचती हैं क्योंकि ये योजना यहाँ पर हुई बाढ़ में हुए नुक्सान से बचाती हैं | इसीलिए ये योजना वहां के लोगों को काफी अधिक फायदे देती हैं , क्योंकि बिहार सरकार ने इस योजना के दूसरी क़िस्त को 6 अक्टूबर को जारी कर दिया गया हैं तो पढ़िए हमारे इस ब्लॉग को जो आपको इससे जुडी हर जानकारी देगा तो जरूर पढ़े

    Bihar Krishi Input Anudan Yojana

    जाने सभी मुख्य बातें Bihar Krishi Input Anudan Yojana की

    Bihar Krishi Input Anudan Yojana kya hain

    क्या आप भी बिहार से हैं तो ये योजना आपको काफी फायदे देने वाली हैं क्योंकि बिहार सरकार ने इस योजना की दूसरी क़िस्त भी निकाल दी हैं जिस से किसानो को बाढ़ में हुई असुविधा से सब्सिड़ी मिलती हैं हाल ही में हुए धरबंगा जिले में कोसी नदी और सीतामढ़ी में बागमती नदी के तटबंध टूट गए। जिस वजह से वहां के किसानो को काफी परेशानी हुई |

    Bihar Krishi Input Anudan Yojana Benefit

    इस योजना की मदत से किसान कई तरह के फायदे उठा सकता हैं जैसे : 

    • इस योजना की मदत से किसान प्राकर्तिक आपदा से हुए नुक्सान से बच सकता हैं जिसमे सरकार किसानो को इसमें हुए नुक्सान के लिए मुनाफा देती हैं
    • इस योजना फायदा वही किसान उठा पाएंगे जो 2 हेक्टेयर भूमि के दायरे आते हैं
    • इस योजना का फायदा वो किसान भी उठा सकते हैं जिनको पिछले वर्ष में नुकसान हुआ हैं
    • बिना सिंचित फसल क्षेत्र के लिए 8,500 रूपये प्रति हेक्टेयर। सिंचित क्षेत्र के लिए 17,000 रूपये प्रति हेक्टेयर।साल में दो बार होने वाली फसल के लिए 22,500 रूपये प्रति हेक्टेयर।

    Bihar Krishi Input Anudan 2024 Online Apply

    Bihar Krishi Input Anudan Yojana

    इस योजना के दूसरे संस्करण के लिए आवेदन शुरू हो गए तो आपको इस योजना में पंजीकरण के लिए ये काम करे :  

    • सबसे पहले बिहार सरकार आधिकारिक  वेबसाइट पर जाएं। आप dbtagriculture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन प्रक्रिया शुरू कर सकते |
    • फिर वेबसाइट पर जा कर आपको उसकी लिंक मिलेगी जिस पर आप रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं
    • रजिस्ट्रेशन के लिए आपको अपने मोबाइल नम्बर और आधार कार्ड को जोड़ना पड़ेगा जिसकी मदत से आपके पास ओटीपी आएगा
    • फिर इसके बाद आपको एप्लीकेशन फॉर्म भरना पड़ेगा और फिर कुछ दस्तावेज जैसे आधार कार्ड , बैंक पासबुक, भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र (खसरा-खतौनी), और पासपोर्ट साइज फोटो अपलोड करने होंगे
    • फिर सबमिट करके आप योजना के फायदे लेना का स्टेटस देखते रहे

    Bihar Krishi Input Anudan yojana last date

    इस योजना के दूसरे चरण की शुरुवात 6 अक्टूबर को कर दी गयी हैं जिसमे जा कर आप इस योजना के फायदे उठा सकते हैं इस योजना की अंतिम 30 अक्टूबर हैं जिसके बाद इस योजना के पंजीकरण बंद हो जाएंगे तो जाए और हमारे दी गयी जानकारी की मदत से इस योजना का फायदा उठाय

    बिहार कृषि इनपुट अनुदान योजना में कौनसी फसल आती है

    इस योजना के अंतर्गत किसान भाई इन कुछ फसलों में अनुदान पा सकते हैं गन्ना, धान, खरीफ दलहन, खरीफ तिलहन, मक्का, सब्जी, केला

    FAQ’S Related to Bihar Krishi Input Anudan Yojana

    1. Bihar Krishi Input Anudan Yojana क्या है?

    Bihar Krishi Input Anudan Yojana एक सरकारी योजना है जो प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। यह योजना विशेष रूप से बिहार में बाढ़ और अन्य आपदाओं के कारण फसल नुकसान झेलने वाले किसानों की मदद के लिए बनाई गई है।

    2. Bihar Krishi Input Anudan Yojana के क्या फायदे हैं?

    • किसानों को प्राकृतिक आपदा से हुए फसल नुकसान की भरपाई के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।
    • बिना सिंचित फसल क्षेत्र के लिए ₹8,500 प्रति हेक्टेयर की मदद मिलती है।
    • सिंचित फसल क्षेत्र के लिए ₹17,000 प्रति हेक्टेयर और दो फसल वाले क्षेत्र के लिए ₹22,500 प्रति हेक्टेयर अनुदान प्रदान किया जाता है।
    • 2 हेक्टेयर तक भूमि वाले किसानों को विशेष लाभ मिलता है।

    3. इस योजना में कौन से किसान आवेदन कर सकते हैं?

    इस योजना के लिए बिहार के सभी किसान, जिनकी 2 हेक्टेयर तक खेती योग्य भूमि है और जिन्होंने प्राकृतिक आपदा के कारण फसल नुकसान का सामना किया है, आवेदन कर सकते हैं।

    4. Bihar Krishi Input Anudan Yojana के लिए ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?

    • dbtagriculture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन करें।
    • अपने आधार नंबर और मोबाइल नंबर के साथ रजिस्ट्रेशन करें।
    • OTP दर्ज करके आवेदन फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
    • आवेदन फॉर्म को सबमिट करके योजना की स्थिति ट्रैक करते रहें।

    5. बिहार कृषि इनपुट अनुदान योजना के लिए कौन-कौन से दस्तावेज़ चाहिए?

    • आधार कार्ड
    • बैंक पासबुक
    • भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र (खसरा-खतौनी)
    • पासपोर्ट साइज फोटो

    6. Bihar Krishi Input Anudan Yojana में कौन-कौन सी फसलें आती हैं?

    इस योजना में अनुदान पाने वाली फसलें हैं: गन्ना, धान, खरीफ दलहन, खरीफ तिलहन, मक्का, सब्जी, और केला।

    7. बिहार कृषि इनपुट अनुदान योजना की अंतिम तिथि क्या है?

    इस योजना की दूसरी किश्त 6 अक्टूबर 2024 को जारी की गई है। योजना के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर 2024 है।

    8. यदि अंतिम तिथि से पहले आवेदन नहीं किया तो क्या होगा?

    यदि आप 30 अक्टूबर 2024 से पहले आवेदन नहीं करते हैं, तो आप इस योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे। इसलिए जल्द से जल्द आवेदन करें और योजना के फायदे पाएं।

    9. योजना का लाभ किन क्षेत्रों में मिलेगा?

    योजना का लाभ उन किसानों को मिलेगा, जिनकी फसल प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, या ओलावृष्टि से प्रभावित हुई है, विशेष रूप से धरबंगा जिले में कोसी और सीतामढ़ी में बागमती नदी के तटबंध टूटने से प्रभावित क्षेत्रों में।

    10. कैसे योजना की स्थिति ट्रैक करें?

    योजना की स्थिति को आप dbtagriculture.bihar.gov.in पर जाकर अपनी आवेदन संख्या के जरिए ट्रैक कर सकते हैं।

    महत्त्वपूर्ण: अगर आप बिहार के किसान हैं और आपकी फसल बाढ़ या अन्य प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुई है, तो इस योजना का लाभ उठाने के लिए 30 अक्टूबर 2024 से पहले आवेदन अवश्य करें!

  • Aalu ki khad : सही खाद, बढ़िया आलू

    Aalu ki khad : सही खाद, बढ़िया आलू

    Aalu ki khad : सही खाद, बढ़िया आलू

    आलू की खेती भारत में एक प्रमुख कृषि प्रथा है।इसकी अच्छी उपज के लिए खेती में सही तरीके से खाद का उपयोग करना जरुरी होता है | खाद की मात्रा और प्रकार आलू की फसल, स्वास्थ्य और विकास पर सीधा असर डालते हैं। इस लेख में हम जानेंगे आलू की खेती में कौन सी Aalu ki khad का उपयोग होता है और किस प्रकार से आप उपज को बढ़ा सकते हैं।

    आलू की खेती में खाद

    Aalu ki khad

    आलू की खेती में खाद का उपयोग भूमि की उर्वर शक्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है। सही खाद का इस्तमाल करने से आलू के पोधे तंदुरुस्त बनते हैं और फसल अच्छी होती है। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) जैसे तत्व की जरूरत होती है। आलू की खेती के लिए ये खाद भूमि में अच्छे तरीके से मिक्स करना होता है ताकि पौधे को पोषण मिल सके।

    आलू की फसल के लिए सर्वोत्तम खाद

    आलू की फसल के लिए सबसे अच्छी खाद है नाइट्रोजन आधारित उर्वरक जैसे यूरिया, डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट), और पोटाश युक्त उर्वरक। ये सभी तत्व आलू के पौधे विकास को बढ़ावा देते हैं। यूरिया फसल में नाइट्रोजन प्रदान करता है जो पौधों और तनों की वृद्धि में मदद करता है, जबकी पोटाश कंद के विकास में सुधार करता है और फसल को मजबूती देता है।

    जैविक खाद से आलू की खेती

    आजकल जैविक खाद का उपयोग भी काफी लोकप्रिय हो रहा है। जैविक खाद, जैसी खाद, गोबर की खाद, या वर्मीकम्पोस्ट, आलू की खेती में प्राकृतिक पोषण प्रदान करते हैं बिना रासायनिक उर्वरकों के। जैविक खाद से मिट्टी की उर्वर शक्ति बढ़ती है और यह पर्यावरण के अनुकूल भी है, जिसकी भूमि का पारिस्थितिकी तंत्र बना रहता है।

    आलू के पौधों में खाद कैसे डाले

    आलू के पौधों में खाद डालने का सही तरीका यह होता है कि फसल लगाने से पहले मिट्टी में सही मात्रा में खाद मिक्स किया जाए। इसके बाद, आलू के बीज लगाने के बाद भी टॉप-ड्रेसिंग के रूप में 25-30 दिन के बाद फिर से खाद डाल सकते हैं। जैविक खाद हो या रसायन, दोनों का सही समय और मात्रा का ध्यान रखना जरूरी होता है।

    आलू की उपज बढ़ाने वाली खाद

    आलू की उपज बढ़ाने के लिए संतुलित उर्वरक का उपयोग करना चाहिए। यूरिया, पोटाश, और फास्फोरस के मिश्रण से आलू के कंदों का विकास तेज़ होता है और उपज में वृद्धि होती है। इसके साथ ही सल्फर, मैग्नीशियम और जिंक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी जरूरी होते हैं जो आलू की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।

    आलू की फसल में खाद का महत्व

    आलू की फसल में खाद का महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि ये पौधों को पोषण देने के साथ-साथ फसल के उत्पादन को भी काफी बढ़ा देती है। खाद से सिर्फ पौधे तंदुरुस्त नहीं होते बल्की उपज काफी अच्छी होती है, जो किसानों के लिए लाभदायक साबित होती है। सही Aalu ki khad  का इस्तमाल आलू के आकार, स्वाद, और प्रोडक्शन पर सीधा असर डालता है।

    पढ़िए यह ब्लॉग Mango Farming

    FAQs

    आलू की फसल के लिए सबसे अच्छी खाद कौन सी है

    क्या जैविक खाद आलू की खेती में उपयोगी है?

    आलू के पौधों में खाद कब और कैसे डालें?

    आलू की खेती में एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश) क्यों जरूरी है?

  • Lemon farming : नींबू की खुशबू से भरें खेत

    Lemon farming : नींबू की खुशबू से भरें खेत

    Lemon farming : नींबू की खुशबू से भरें खेत

    नींबू एक बहुत ही लाभकारी फल है जो अपने खट्टे स्वाद और पोषक तत्वों के लिए जाना जाता है। इसकी खेती भारत में होती है और ये कृषि व्यवसाय के रूप में किसानों के लिए अच्छी कमाई का ज़रिया बन सकता है। Lemon farming आसान होती है, लेकिन इसमें सफलता के लिए कुछ जरूरी जानकारी होनी चाहिए। आइए, जानते हैं नींबू की खेती के बारे में।

    1. नींबू की खेती कैसे करें

    Lemon farming

    Lemon farming के लिए पहले बीज या रोपाई का इंतजाम करें। बीज से नींबू के पौधे उगाना थोड़ा समय ले सकता है, इसलिए अक्सर रोपाई के माध्यम से ही पौधों को लगाया जाता है। पौधे को सही जगह और सही तरीके से लगाने से फसल उत्पादन बेहतर होता है।

    2. जलवायु और मिट्टी

    Lemon farming के लिए चना जलवायु सबसे बेहतर होती है। यदि ठंडी या अत्यधिक गर्मी होती है, तो फसल को नुक्सान हो सकता है। मिट्टी की बात करें तो ये रेतीली दोमट या चिकनी मिट्टी हो तो अच्छा होता है। मिट्टी का pH लेवल 5.5 से 7 होना चाहिए ताकि फसल अच्छी हो सके।

    3. नींबू की खेती कोनसे मौसम में करें?

    नींबू की खेती का समय मौसम पर निर्भर करता है। बसंत और शरद ऋतु में इसकी खेती सबसे अच्छी मानी जाती है। फरवरी-मार्च और अगस्त-सितंबर के महीने में पौधे लगाए जा सकते हैं, ताकि ये अच्छी तरह से बढ़ सकें।

    4. निम्बू की प्रसिद्ध किस्मे

    भारत में निम्बू की कई प्रकार की किस्मे उगाई जाति हैं जैसे कागजी निम्बू, गलगल निम्बू, यूरेका, और नेपाली नींबू। कागजी निम्बू सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है क्योंकि इसका रस अधिक होता है और ये काई व्यवसायिक प्रयोजन के लिए इस्तमाल होता है।

    5. जमीन की तैयारी,

    नींबू की खेती के लिए जमीन की अच्छी तरह से तैयारी जरूरी है। ज़मीन को गहराई में जोते और फिर जैविक खाद मिला कर मिट्टी को बेहतर बनाएं। ये पौधों को जरूरी पोषक तत्व मिलने के लिए सहायक होता है।

    6. बिजाई (रोपण)

    बिजाई के लिए दो मुख्य विधियां होती हैं: बीज के माध्यम से या फिर ग्राफ्टिंग और बडिंग की तकनीकों का उपयोग करके पौधों को लगाया जाता है। बीज को लगभग 2-3 सेमी गहराई में बोया जाता है और प्रत्येक पौधे के बीच 4-5 मीटर का अंतर रखें ताकि पौधों को अच्छी जगह मिल सके।

    7. खाद (उर्वरक)

    नींबू की अच्छी वृद्धि के लिए जैविक और अकार्बनिक खाद का उपयोग करें। दियारी खाद के साथ 200-250 ग्राम नाइट्रोजन, 150 ग्राम फास्फोरस और 50 ग्राम पोटाश प्रति दिन दिया जा सकता है। ये हर साल पेड़ों को खाद देना जरूरी होता है।

    8. खरपतवार नियंतरण

    Lamon farming में खरपतवार का नियंतरण बहुत जरूरी होता है। नियमित रूप से ज़मीन की गुड़ी करना और ज़रूरत पड़ेतो खरपतवार नियन्त्रक दवाइयों का इस्तमाल करना, निम्बू के पेड़ों को बेहतरीन तरह से उगने में मदद करता है।

    पढ़िए यह ब्लॉग Safed musli ki kheti

  • गिर गाय : दूध के साथ दे पोषण का सही जोड़

    गिर गाय : दूध के साथ दे पोषण का सही जोड़

    गिर गाय : दूध के साथ दे पोषण का सही जोड़

    गिर गाय भारत की प्रमुख और पवित्र गाय में से एक है, जो अपनी अनूठी नसल और दुग्धात्मक शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। ये गुजरात के गिर वन से प्राप्त हुई है और आज भारत के राज्य में इसकी मांग है।Gir gai  का दूध अपने स्वास्थ्य लाभ और सकारात्मकता के लिए जाना जाता है। अगर आपGir gai का पालन या दूध उत्पादन करने का सोच रहे हैं, तो ये कंटेंट आपके लिए बहुत उपयोगी होगा।

    गिर गाय पालना कैसे करें

    Gir gai  को साफ और स्वच्छ महौल में रखना चाहिए जहां उन्हें स्वतंत्रता से चलने का स्थान मिले। उन्हें चारा और पोषण पूरा देना आवश्यक है। हर रोज़ उन्हें सही वक्त पर चारा देना, पानी पिलाना और स्वास्थ्य जांच कराना चाहिए। Gir gai  की नसल को उन्नत बनाने के लिए आपको उनका संरक्षण और बेहतर देखभाल का ध्यान रखना होगा।

    गिर गाई की देखभाल

    Gir gai की देखभाल काफी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि ये उनके स्वास्थ्य और दुग्धात्मक उत्पादन पर सीधा प्रभाव डालती है। Gir gai को नित्य रूप से स्वच्छ और तंदुरुस्त रखने के लिए उनकी पोषण युक्त आहार की व्यवस्था होनी चाहिए। समय-समय पर डॉक्टर की जांच करानी चाहिए ताकि उन्हें बिमारियों से बचाया जा सके। Gir gai को नियमित रूप से संवारने की भी आवश्यकता होती है, जिसमे उनकी सफाई और उन्हें आराम देना शामिल है।

    गिर गाय की नस्ल

    Gir gai काफी शुद्ध और पुरानी नस्ल है जो गुजरात के गिर वन से संबंधित है। इस नसल की गायकों को उनकी खास पहचान उनके सुरख रंग, गोल सिंह और मजबूत शरीर के लिए होती है। Gir gai का शरीर अच्छे मासपेशिया और मज़बूती से भरा होता है, जो उन्हें हर मौसम में जीवित रखने में मदद करता है। इनकी नसल दूसरी गयोन के मुकाबले अधिक दुग्धात्मक होती है।

    गिर गाय की खासियत

    Gir gai की प्रकृति गिर गाय की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसका दूध बहुत ही सकारात्मकता से भरा होता है। इस दूध में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन युक्त गुण होते हैं जो मानव शरीर के लिए लाभदायक होते हैं। Gir gai दूध देने में काफी प्रभाव पड़ता है और एक दिन में 10-15 लीटर तक दूध दे सकती है। साथ ही, Gir gai दूसरे मौसमों और स्थितियों में भी अच्छे तरीके से टिक सकती है।

    गिर गाय का दूध

    Gir gai का दूध काफी लाभदायक माना जाता है। इसका दूध देश के सबसे सकारात्मक तत्व से भरपूर दूध में से एक है। Gir gai के दूध में विटामिन ए, डी, कैल्शियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे गुण होते हैं जो शरीर के लिए पर्याप्त फ़ायदेमंद होते हैं। इस दूध का इस्तमाल घी, मक्खन और दही बनाने में भी किया जाता है, जो अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रसिद्ध है।

    गिर गाय के दूध के फायदे

    गिर गाय

    Gir gai का दूध सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्की मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फ़ायदेमंद होता है। इसमें सूजन-रोधी गुण होते हैं जो शरीर के सुजान को कम करते हैं। Gir gai के दूध में पकड़ियां कम होती हैं, जो इसे हज़म करने में आसान बनाती है। इस दूध का नियम हृदय रोग और मधुमेह से बचने के लिए फायदेमंद होता है। ये दूध बच्चों के शारीरिक विकास और बुद्धि विकास के लिए भी उपयोगी होता है।

    गिर गाय की कीमत

    Gir gai की कीमत कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे उनकी नसल, दूध उत्पादन की क्षमा, और उनका स्वास्थ्य। गिर गई की कीमत लगभग ₹50,000 से ₹1,50,000 तक हो सकती है। कुछ खास नसलों की गिर गइयाँ की कीमत इससे ज्यादा भी हो सकती है, जो उनकी दुग्धात्मक उत्पादन की क्षमता के आधार पर होती है। Gir gai के दूध के लाभों के कारण इसका पालन और इसकी कीमत दोनों दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।

    पढ़िए यह ब्लॉग Tea Farming 

    FAQs

    गिर गाय क्या है ?

    गिर गाय का दूध किस प्रकार का होता है ?

    Gir gai की देखभाल कैसे करें ?

    Gir gai की नस्ल की खासियत क्या है ?

    Gir gai  एक दिन में कितना दूध देती है ?

  • Safed musli ki kheti : इस्से जुडी सम्पूर्ण जानकारी यहाँ पर

    Safed musli ki kheti : इस्से जुडी सम्पूर्ण जानकारी यहाँ पर

    Safed musli ki kheti : इस्से  जुडी सम्पूर्ण जानकारी यहाँ पर

    Safed musli ki kheti मूसली (क्लोरोफाइटम बोरिविलियनम) एक अनमोल औषधि पौधा है, जिसका उपचार आयुर्वेद और ग्रीक औषधियों में होता है। इस तरह से शरीर की शारीरिक शक्ति को बढ़ाया जा सकता है और तनाव को दूर किया जा सकता है। इसकी खेती को किसानों के बीच एक व्यावसायिक कंपनी के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इसकी बाजार में काफी मांग है और इसकी अच्छी पैठ हो सकती है।

    सफेद मूसली की खेती कैसे करें

    Safed musli ki kheti

    Safed musli ki kheti में इसे प्रकंदों को लगाकर तैयार किया जाता है। इसमें सबसे पहले प्रकंदों को छोटे टुकड़ो में बाँट कर मिट्टी में इसे उपयोग किया जाता है। प्रत्येक टुकड़े का वजन लगभग 2-3 सेमी होना चाहिए और इसे 15-20 सेमी की दूरी पर लगाया जाना चाहिए। मूसली की खेतीइसके लिए सही परिस्थितियों के साथ-साथ उचित देखभाल और सिंचाई की भी आवश्यकता होती है।”

    जलवायु और मिट्टी

    Safed musli ki kheti के लिए गरम और नरम जलवायु सबसे अधिक होती है। 25°C से 30°C का तापमान इसकी बेहतरी वृद्धि के लिए सही माना जाता है। इस पौधे को ऐसे शेत्रों में लगाना चाहिए जहां बारिश समय पर हो। मिट्टी की बात करें तो सफेद मूसली के लिए बालू मिट्टी या कार्बनिक पदार्थ से भरपूर मिट्टी सबसे अच्छी होती है। जमीन का ड्रेनेज सिस्टम भी अच्छा होना चाहिए, ताकि पानी के जमाव से राइजोम खराब न हो जाएं।

    प्रसिद्ध किस्मत

    सफेद मूसली की कई किस्में  होती हैं, लेकिन सबसे अधिक प्रसिद्ध किस्म क्लोरोफाइटम बोरिविलियनम है। ये क़िस्म  पैदावार  के लिए सबसे अच्छी  मानी जाती है और इसका उपयोग दवाओं में ज्यादा किया जाता है।

    जमीन की तैयारी कैसे करें

    सफेद मूसली की खेती से पहले जमीन को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। इसके लिए जमीन को 2-3 बार गहरा जोतना चाहिए ताकि मिट्टी भूरी हो जाए। तैयारी के दौरन जैविक खाद जैसे कि गोबर या वर्मीकम्पोस्ट को जमीन में मिलाना उचित होता है। मिट्टी को नरम बनाने के लिए हल्की सिंचाई भी कर सकते हैं।

    बिजाई

    सफेद मूसली की बिजाई मई-जून के समय की जाती है जब बारिश शुरू होती है। इसमें प्रकंदों को छोटे टुकड़ों में बांटकर मिट्टी में 6-8 सेमी की गहराई में लगाया जाता है। हर एक प्रकंद के टुकड़े के बीच 15-20 सेमी की दूरी रखना जरूरी होता है, ताकि पौधों को वृद्धि के लिए पूरी जगह मिल सके।

    खाद

    सफेद मूसली के पौधों को पोषण देने के लिए जैविक खाद का उपयोग सबसे अच्छा होता है। इसमें FYM (फार्म यार्ड खाद), गोबर की खाद, और वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग किया जाता है। लगभग 10-12 टन एफवाईएम प्रति हेक्टेयर जमीन में मिलानी चाहिए ताकि पौधों को अच्छी पोषण मिल सके।

    खरपतवार नियन्त्रण

    खरपतवार मूसली के पौधों की ग्रोथ में बढ़ोतरी होती है, इसलिए इनका नियन्त्रण करना जरूरी होता है। सफेद मूसली की खेती में 2-3 बार निंदई करनी पड़ती है। पहली निंदई बिजाई के 30 दिन बाद देखभाल करनी चाहिए, और इसके बाद हर 15-20 दिन के अंतराल पर दोहरानी चाहिए। मल्चिंग एक और प्रभावी तरीका है, जिससे खरपतवार पर नियंत्रण रखा जा सकता है।

    सिंचाई

    सफेद मूसली की खेती में सिंचाई का भी विशेष महत्व है। बिजाई के बाद पौधों को लगता है पानी मिलना चाहिए। हल्का पानी देना सही होता है, लेकिन ध्यान रहे कि पानी का जमाव न हो। बारिश के समय में पानी देने की अवधि कम होती है, लेकिन शुरू के महीनों में 1-2 हफ्ते में सिंचाई जरूरी होती है।

    सफ़ेद मूसली की कटाई

    सफ़ेद मूसली के पौधे बिजाई के बाद 6-8 महीने में तैयार हो जाते हैं। जब पौधों के पत्ते पीले होने लगते हैं, तो इसका मतलब है कि प्रकंद तैयार हो गए हैं। कटाई करने के लिए प्रकंदों को ध्यान से निकालकर उनकी सफाई की जाती है, और फिर इनको धूप में सुखाया जाता है।

    सफेद मूसली की खेती के लाभ

    Safed musli ki kheti करके किसान अपनी आमदनी को काफी बढ़ा सकते हैं क्योंकि इसकी मांग आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं में काफी ज्यादा होती है।

    इसकी खेती कम ज़मीन पर भी हो सकती है और इससे कम मेहनत में अच्छा मुनाफ़ा मिलता है।

    सफेद मूसली की खेती एक व्यवसायिक खेती है जो छोटे और बड़े किसान दोनों के लिए लाभदायक है।

    पढ़िए यह ब्लॉग Matar ki kheti 

    FAQs

    सफेद मूसली क्या है?

    सफेद मूसली की खेती किस मौसम में की जाती है?

    सफेद मूसली की खेती के लिए कौन सी जलवायु सबसे अच्छी होती है

    सफेद मूसली की खेती के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?

    सफेद मूसली की बिजाई कैसे की जाती है?

  • Massey Ferguson 1035 DI Dost : ये ट्रेक्टर बढ़ा सकता हैं आपकी खेती में भारी मुनाफा

    Massey Ferguson 1035 DI Dost : ये ट्रेक्टर बढ़ा सकता हैं आपकी खेती में भारी मुनाफा

    Massey Ferguson 1035 DI Dost : ये ट्रेक्टर बढ़ा सकता हैं आपकी खेती में भारी मुनाफा

    अगर आप भी खेती करते हैं Massey Ferguson 1035 DI Dost आपको खेती को एक नई दिशा देने का मौका देंगे तो पढ़िए हमारे इस ब्लॉग को जो आपको ट्रेक्टर के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करेगा जैसे , उसकी कीमत , माइलेज़ और पेट्रो का या डीज़ल ये सभी जानकरी आप यहाँ से जाने

    Massey ferguson 1035 Di dost Aapkikheti.com

    Massey Ferguson 1035 DI Dost tractor details

    Massey ferguson tractor price

    भारत में Massey Ferguson 1035 DI Dost ट्रैक्टर की कीमत ₹5,80,000 to ₹6,10,000 हैं, जो आपके स्थान, डीलर ऑफ़र और आपके द्वारा चुने गए किसी भी वैकल्पिक अटैचमेंट या एक्सेसरीज़ के आधार पर लागत थोड़ी अलग हो सकती है। बाजार बढ़ते हुए कम्पटीशन को देखते हुए ये अच्छी गुडवत्ता के साथ और भी ट्रेक्टर को पीछे छोड़ने लगा हैं जो इसे एक बढ़िया विकल्प बनाता हैं

    Massey ferguson 1035 di engine oil capacity

    मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI ट्रैक्टर की इंजन ऑयल क्षमता लगभग 6 लीटर होती हैं , जो आपको इसके काम में अधिक योगादान देती है खेती कर रहे है और ट्रैक्टर हैं तो आपको इसकी देखभाल सही तरह से तरह से करनी चाहिए जैसे तेल का प्रयोग जो की इसके लिए बहुत महवत्पूर्ण हैं

    Massey ferguson 1035 di mileage per liter

    मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI ट्रैक्टर आम तौर पर सामान्य स्थिति में प्रति घंटे लगभग 30.4 kilometers per liter का माइलेज देता है। चूंकि यह डीजल पर चलता है, इसलिए इसके अलग अलग तरह का माइलेज़ हो सकता हैं यह ट्रैक्टर अपनी अच्छी ईंधन अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है, जो इसे कृषि उपयोग के लिए एक बहुत बढ़िया उपाय माना जाता हैं

    Massey ferguson 1035 di 40 hp price on road

    मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI दोस्त ट्रैक्टर वैरिएंट के आधार पर वैकल्पिक पावर स्टीयरिंग सिस्टम या मैकेनिकल स्टीयरिंग के साथ आता है। पावर स्टीयरिंग ट्रैक्टर को चलाना आसान बनाता है, खासकर टेड़े मेढे मोड़ में और छोटे खेतो में। जो लोग मैन्युअल स्टीयरिंग पसंद करते हैं, उनके लिए मैकेनिकल स्टीयरिंग विकल्प मज़बूत है और इसे चलाने के लिए थोड़ा ज़्यादा प्रयास की ज़रूरत होती है, लेकिन यह मज़बूत नियंत्रण प्रदान करता है।

    Massey ferguson 1035 di Gear System

    मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI दोस्त में 8 फॉरवर्ड + 2 रिवर्स गियरबॉक्स होते है, जो ट्रैक्टर को अलग-अलग स्थितियों में ट्रेक्टर को चलने मदत करता हैं | इसमें स्लाइडिंग मेश ट्रांसमिशन सिस्टम गियर शिफ्टिंग सुनिश्चित करता है, जो खेत पर सही तरह से चलने के लिए प्रेरित करता हैं । यह सिस्टम ऑपरेटर के लिए उपयोग में आसानी प्रदान करते हुए ट्रैक्टर पर टूट-फूट को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

    Massey ferguson 1035 di dost hydraulic system

    Massey ferguson 1035 Di dost Aapkikheti.com

    मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI दोस्त एकविश्वपूर्ण और नयी तकनीकों से उपयुक्त ट्रेक्टर हैं , जो विभिन्न कृषि उपकरणों को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहाँ इसके सिस्टम की मुख्य जानकारी दी गई हैं:

    उठाने की क्षमता: हाइड्रोलिक सिस्टम की उठाने की क्षमता 1100 किलोग्राम है, जो इसे हल, कल्टीवेटर, सीड ड्रिल और रोटावेटर जैसे कई तरह के उपकरणों को उठाने और चलाने में सक्षम बनाती है।

    हाइड्रोलिक नियंत्रण: यह ड्राफ्ट, पोजिशन और रिस्पॉन्स कंट्रोल सुविधाओं के साथ आता है, जो ऑपरेटर को उपकरणों की स्थिति और गहराई को सटीक रूप से प्रबंधित करने की अनुमति देता है, जिससे विभिन्न मिट्टी के प्रकारों पर कुशल प्रदर्शन सुनिश्चित होता है।

    हाइड्रोलिक पंप: ट्रैक्टर में एक मजबूत हाइड्रोलिक पंप लगा होता है जो फील्डवर्क के दौरान हाइड्रोलिक सिस्टम के सुचारू और स्थिर संचालन को सुनिश्चित करता है।

    FAQ’s related to Massey ferguson 1035 di dost

    प्रश्न 1: भारत में मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI दोस्त ट्रैक्टर की कीमत क्या है?
    उत्तर: भारत में मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI दोस्त ट्रैक्टर की कीमत ₹5,80,000 से ₹6,10,000 के बीच है। अंतिम लागत आपके स्थान, डीलर ऑफ़र और किसी भी वैकल्पिक अटैचमेंट या एक्सेसरीज़ के आधार पर भिन्न हो सकती है।

    प्रश्न 2: मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI दोस्त की इंजन ऑयल क्षमता कितनी है?
    उत्तर: मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI दोस्त ट्रैक्टर की इंजन ऑयल क्षमता लगभग 6 लीटर है, जो इंजन को लम्बे समय तक चलने के लिए प्रेरित करती हैं जिसकी मदत से आप खेती में फायदा उठा सकते हैं

    प्रश्न 3: मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI दोस्त ट्रैक्टर की माइलेज कितनी है?
    उत्तर: मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI दोस्त सामान्य परिस्थितियों में प्रति लीटर डीजल पर लगभग 30.4 किलोमीटर की माइलेज देता है। इसका ईंधन-कुशल इंजन इसे कृषि उपयोग के लिए आदर्श बनाता है।

    प्रश्न 4: मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI दोस्त में उठाने की क्षमता कितनी हैं ?
    उत्तर: मैसी फर्ग्यूसन 1035 DI दोस्त में हाइड्रोलिक सिस्टम की उठाने की क्षमता 1100 किलोग्राम है, जो इसे हल, कल्टीवेटर, सीड ड्रिल और रोटावेटर जैसे भारी उपकरणों को कुशलतापूर्वक संभालने की अनुमति देता है।

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  • किसान क्रेडिट कार्ड :  जाने कैसे पाए सरकार के इस कार्ड का फायदा और बनाए खेती में मुनाफा

    किसान क्रेडिट कार्ड : जाने कैसे पाए सरकार के इस कार्ड का फायदा और बनाए खेती में मुनाफा

    किसान क्रेडिट कार्ड : जाने कैसे पाए सरकार के इस कार्ड का फायदा और बनाए खेती में मुनाफा

    किसान क्रेडिट कार्ड भारतीय किसानों की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई है। इसके तहत किसानों को खेती के लिए आसान और सस्ती दरों पर लोन मिल सकता है, जिससे वे खेती से जुड़ी सभी जरूरी चीजें खरीद सकते हैं जैसे कि बीज, खाद, और उपकरण। इस ब्लॉग में हम Kissan credit card ke faayde , इसे कैसे बनवाएं, जमीन की जरूरत, और कैसे ऑनलाइन अप्लाई करें, इन सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही हम उत्तर प्रदेश में इस योजना के बारे में भी जानकारी देंगे।

    किसान क्रेडिट कार्ड की जरुरी बातें

    How to apply kissan credit card

    किसान क्रेडिट कार्ड Aapkikheti.com

    यह कार्ड को बनवाना बहुत आसान हैं  इसके लिए आपको कुछ आसान स्टेप्स फॉलो करने होते हैं। ये स्टेप्स निम्नलिखित हैं:

    1. सबसे पहले बैंक से संपर्क करें: इस योजना के तहत आप किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक (जैसे SBI, PNB, आदि) या सहकारी बैंक में जाकर आवेदन कर सकते हैं।
    2. आवेदन पत्र भरें: बैंक द्वारा आपको इसका एक आवेदन पत्र दिया जाएगा, जिसे आपको सही जानकारी के साथ भरना होगा। इसमें आपकी जमीन, खेती का विवरण, और आपकी आय से जुड़ी जानकारी शामिल होती है।
    3. दस्तावेज़ जमा करें: आवेदन पत्र के साथ कुछ जरूरी दस्तावेज जैसे कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो, और जमीन के कागजात जमा करने होते हैं।
    4. बैंक सत्यापन करेगा: बैंक द्वारा आपके दस्तावेज़ों की जांच की जाएगी और अगर सब कुछ सही पाया जाता है, तो आपका किसान क्रेडिट कार्ड जारी कर दिया जाएगा।
    5. क्रेडिट लिमिट तय होगी: बैंक आपकी खेती की ज़रूरतों और आपकी भूमि की स्थिति के आधार पर एक क्रेडिट लिमिट तय करेगा, जो आपके किसान क्रेडिट कार्ड से जुड़ी होगी।

    Kissan credit card के फायदे

    किसान क्रेडिट कार्ड के कई फायदे हैं, जो किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित होते हैं:

    1. आसान लोन प्रक्रिया: सरकार के द्वारा इस पर किसानों को बहुत ही आसान और सरल प्रक्रिया के माध्यम से लोन मिलता है। किसान अपनी खेती की जरूरतों के हिसाब से लोन ले सकते हैं।
    2. कम ब्याज दर: इस पर ब्याज दर काफी कम होती है, जो कि सामान्य बाजार दर से काफी सस्ती होती है। यह किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करता है।
    3. फसल बीमा:  कार्ड के तहत किसानों को फसल बीमा का भी लाभ मिलता है, जिससे किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके।
    4. लचीला भुगतान विकल्प: किसान अपने लोन का भुगतान फसल की बिक्री के बाद कर सकते हैं, जिससे उन्हें समय पर पैसा लौटाने की चिंता नहीं होती।
    5. दैनिक खर्चों के लिए मदद: किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किसान न केवल खेती के लिए बल्कि अपने रोज़मर्रा के खर्चों के लिए भी पैसा निकाल सकते हैं।

    किसान क्रेडिट कार्ड के लिए कितनी जमीन चाहिए?

    क्रेडिट कार्ड के लिए जमीन की मात्रा एक अहम भूमिका निभाती है, क्योंकि आपके लोन की क्रेडिट लिमिट आपकी भूमि पर निर्भर करती है। हालाँकि, किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत कोई न्यूनतम जमीन की सीमा निर्धारित नहीं की गई है, लेकिन सामान्यतः अगर आपके पास 2 एकड़ या उससे ज्यादा जमीन है, तो आप इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।

    यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि जमीन का प्रकार और खेती की पैदावार भी आपके क्रेडिट लिमिट पर प्रभाव डालते हैं। अगर आप बिना जमीन वाले किसान हैं, तो भी आप इस योजना के तहत लोन ले सकते हैं, लेकिन आपकी क्रेडिट लिमिट कम हो सकती है।

    Kissan credit card online apply

    योजना में ऑनलाइन अप्लाई करना बहुत ही आसान है। इसके लिए आपको निम्नलिखित स्टेप्स फॉलो करने होते हैं:

    1. सरकारी पोर्टल पर जाएं: आप सरकारी पोर्टल (PM Kisan या संबंधित बैंक के पोर्टल) पर जाकर किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं।
    2. फॉर्म भरें: पोर्टल पर उपलब्ध आवेदन पत्र को भरें और जरूरी दस्तावेज़ अपलोड करें। फॉर्म में आपको अपनी खेती की जानकारी, जमीन का विवरण और अन्य जरूरी जानकारी भरनी होती है।
    3. फॉर्म सबमिट करें: सभी जानकारी भरने के बाद फॉर्म को सबमिट करें। इसके बाद आपका फॉर्म बैंक द्वारा जांचा जाएगा और सत्यापन के बाद आपका कार्ड जारी किया जाएगा।

    पीएम किसान क्रेडिट कार्ड

    प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan) के तहत भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी जाती है। इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को सालाना 6,000 रुपये की वित्तीय मदद दी जाती है। इसके अलावा, किसान इस योजना के तहत किसान क्रेडिट कार्ड के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं।

    क्रेडिट कार्ड के जरिए किसानों को खेती से जुड़े खर्चों को पूरा करने के लिए आसान शर्तों पर लोन मिलता है। इसका फायदा यह है कि योजना के लाभार्थी किसान अपने बैंक के जरिए सीधे इस कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं।

    Kissan credit card in UP

    किसान क्रेडिट कार्ड Aapkikheti.com

    उत्तर प्रदेश में  बहुत ही प्रभावी है और राज्य के लाखों किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। राज्य सरकार ने किसानों के हित में कई योजनाएं शुरू की हैं और KCC उनमें से एक प्रमुख योजना है।

    इसके तहत किसानों को 1.60 लाख रुपये तक का बिना गारंटी लोन मिल सकता है। इसके अलावा, जिन किसानों का क्रेडिट कार्ड पहले से बना हुआ है, वे भी समय-समय पर अपने क्रेडिट लिमिट को बढ़वा सकते हैं। इसके अलावा, राज्य में सरकार द्वारा इस योजना के तहत बैंकों के माध्यम से जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक किसान इस योजना का लाभ उठा सकें।

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  • Tea Farming : करिये हर दिलो का प्यार कहे जाने वाली चाय की खेती

    Tea Farming : करिये हर दिलो का प्यार कहे जाने वाली चाय की खेती

    Tea Farming : करिये हर दिलो का प्यार कहे जाने वाली चाय की खेती

    चाय, यानी कि हमारी सबसे पसंदिंदा पी, सिर्फ हमारे दिन की शुरूआत का हिसा नहीं होती, बल्की ये एक व्यवसायिक रूप में भी काफी फायदेमंद हो सकती है। भारत में Tea Farming काफी प्राचीन है और दुनिया भर में हमारी चाय उत्पादन मशहूर है। अगर आप भी चाय की खेती करने का सोच रहे हैं, तो ये जानकारी आपके लिए काफी उपयोगी होगी।

    चाय की खेती कैसे करें

    Tea Farming

    Tea Farming के लिए सबसे पहले आपको एक उन्नत क्षेत्र का चयन करना होगा जहां पर जलवायु और मिट्टी चाय की खेती के लिए अनुकूल हो। आपको चाय के पौधे लगाने से पहले अपने क्षेत्र की परीक्षा करनी होगी, क्योंकि चाय के पौधे को अच्छी नशीन मिट्टी, नदी या पहाड़ी क्षेत्र, और अच्छी जल निकासी वाली ज़मीन चाहिए होती है।

    चाय की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी

    Tea Farming के लिए ठंडी और आधी-गीली जलवायु (आर्द्र) सबसे अच्छी मानी जाती है। यदि क्षेत्र में वर्षिक वर्षा 150-300 सेमी के बीच हो और तापमान 18-30 डिग्री सेल्सियस रहे, तो ये चाय की खेती के लिए अच्छा होता है। मिट्टी की बात करें तो चाय की खेती के लिए अधिक जैविक पदार्थ और बेहतर जल निकासी वाली मिट्टी, चाय की खेती के लिए उपयुक्त होती है। साथ ही, ऐसी मिट्टी जिसमें जैविक तत्वों की मात्रा ज्यादा हो, खेती के लिए लाभकारी होती है। अम्लीय प्रकृति वाली मिट्टी, जिसका pH स्तर 4.5 से 5.5 के बीच हो, चाय के पौधों के लिए आदर्श मानी जाती है।

    चाय की खेती का मौसम

    चाय की खेती का सही मौसम वर्षा के समय और उसके बाद का समय होता है। भारतीय राज्यों में, चाय के पौधे लगाने का समय जून से सितंबर तक का माना जाता है, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है। मॉनसून के बाद चाय के पौधे जल्दी से विकसित होते हैं, और इस दौरान उनकी देखभाल भी आसान होती है।

    चाय के पौधे कैसे लगाएं

    चाय के पौधे को नर्सरी में उगाया जाता है और जब ये पौधे 9-12 महीने के हो जाते हैं, तब इन्हें खेतों में रोप दिया जाता है। पौधों को 1.5 से 1.2 मीटर के फासले पर लगाया जाता है, ताकी अच्छी तरह से विकास हो सके। हर पौधे की गहराई और अंतर काफी महत्तवपूर्ण होते हैं, जिससे चाय की जड़ो को मजबूत होने का समय मिलता है।

    चाय की उन्नत किसमें

    चाय की कई उन्नत किसमें उपलब्ध हैं जो व्यावसायिक खेती के लिए उपयोगी होती हैं। भारत में असम की चाय, दार्जिलिंग की चाय और नीलगिरि की चाय काफी मशहूर है। इनमें से असम और नीलगिरि क्षेत्र की चाय मीठी और स्वादिष्ट होती है, जबकी दार्जिलिंग की चाय हल्की और खुशबू वाला होती है। खेती के लिए बेहतर किसम का चयन करना जरूरी होता है।

    नियंत्रण रेखा (खरपतवार नियंत्रन)

    चाय की खेती में खरपतवार का नियम एक महत्वपूर्ण कदम होता है। खरपतवार यानी अनवश्यक झाड़ियां पौधों से पानी, पोषक तत्व और रोशनी छीन लेती हैं,जिसके कारण चाय के पौधों का विकास रुक जाता है। खरपतवार के नियमों के लिए खेतों को नियम के अनुसार सुरक्षित रखना, गीली घास का इस्तेमाल करना, या फिर जैविक या रासायनिक जड़ी-बूटियों का उपयोग कर सकते हैं।

    सिंचाई

    चाय के पौधों के लिए सिंचाई भी एक महत्वपूर्ण तत्व है, विशेषर उन क्षेत्रों में जहां बारिश कम होती है। पौधों के विकास के अनुरूप सिंचाई की मांग बढ़ती है, और गरम मौसम में इनमें पानी की कमी और ज्यादा होती है। ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर का उपयोग करके पानी का लाभ उठाया जा सकता है और बेहतर फसल प्राप्त की जा सकती है।

    चाय की पत्तियों की कटाई

    चाय की पत्ती की पहली कटाई लगभग 3 साल बाद होती है जब पौधे पूरी तरह विकसित हो चुके होते हैं। पतियों की कटाई हाथ से या किसी मशीन जरिये की जाती है है। पतियों को काटा जाता है जब वो नई हो और बड़ी हुई हो, क्योंकि इन पतियों से चाय की बेहतर गुणवत्ता प्राप्त होती है। कटाई का समय महत्तवपूर्ण होता है और इसे जनवरी से नवंबर तक किया जाता है।

    चाय की खेती से लाभ

    चाय की खेती से व्यवसायिक रूप में काफी फायदे हो सकते हैं। इससे आपको एक अच्छा मुनाफ़ा मिल सकता है, क्योंकि चाय की मांग पूरी दुनिया में बढ़ रही है। आप ऑर्गेनिक चाय या प्रीमियम चाय के सेगमेंट में भी अपना प्रोडक्ट लॉन्च करके अच्छा फायदा कमा सकते हैं। चाय की फसल एक बार लगाने पर कई सालों तक उत्पादन देती है, जो इसे व्यवसायिक रूप से लाभदायक बनाता है।

    भारत में चाय की खेती

    भारत में Tea Farming प्राचीन समय से होती आ रही है और हम दुनिया के सबसे बड़े चाय उत्पादन में से एक हैं। असम, पश्चिम बंगाल (दार्जिलिंग), तमिलनाडु (नीलगिरि) जैसे राज्यों में चाय की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। भारत से निर्यात होने वाली चाय दुनिया भर में लोकप्रिय है और ये हमारे देश के लिए एक बड़ा आर्थिक स्तंभ है।

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