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  • Chane ki kheti : क्या शुरू कर दी है खेती अगर नहीं तो जाने यहां से

    Chane ki kheti : क्या शुरू कर दी है खेती अगर नहीं तो जाने यहां से

    Chane ki kheti : क्या शुरू कर दी है खेती अगर नहीं तो जाने यहां से

    अगर आपने Chane ki kheti अभी शुरू नहीं की हैं और करने में परेशानी आ रही हैं ,तो निश्चिंत रहे क्योंकि हमारा ब्लॉग  जो आपको इसको उगाने ,उसकी मिट्टी , और महत्वपूर्ण बातों की जानकारी देगा | तो पढ़िए इस ब्लॉग को और अगर आप हमारे इंस्टाग्राम से जुड़ना तो यहाँ पर Click करें |

    Chane ki kheti kya hain

    चना जिसे हम chickpea के नाम से जानते हैं , ये भारत में कई घरों में एक प्रोटीन प्रयोग किया जाता हैं |ज्यादातर सुबह और इसका प्रयोग कई अलग तरीके से किया जाता हैं|  इसके अलावा इसकी खेती इस वजह से भी की जाती हैं ,क्योकि ये मिटटी के गुडवत्ता को बढ़ने में मदत करता हैं,  इसकी खेती भी दो प्रकार एक देसी और दूसरा काबुली|

    इसकी खेती की मुख्य जगह

    चने की खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र,उत्तरप्रदेश राजस्थान,कर्नाटक और आँध्रप्रदेश जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा होती है, क्योंकि ये इसकी खेती के लिए अनुकूल परस्थिति प्रदान करते हैं | जिस वजह से ये इसके प्रमुख राज्य हैं और आकड़ो से देखे तो मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा होती हैं ,इसी वजह से मध्य प्रदेश को “चने के कटोरा” कहा जाता हैं |

    Chane ki kheti Aapkikheti.com

    Chane ki kheti के लिए उपयुक्त मिटटी

    चने की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी होती हैं बालुई मिट्टी और इसके अलावा ये दोम्मट मिटटी में भी अच्छी तरह से हो सकता हैं ,और ये याद में रखना जरुरी हैं की मिटटी में अच्छा ड्रेनेज सिस्टम होना जरुरी हैं जिससे उनकी फसल में कोई हानि नहीं होगी |

     चने की बुवाई का समय

    चने की खेती  के लिए सबसे अच्छा समय रहता हैं अक्टूबर से लेकर नवंबर तक रहता हैं ,क्योकि इसकी खेती के मौसम का तापमान 20 तक रहना सही रहता है |

    Chane ki kheti kaise karen

    • जमीन की तैयारी : सबसे पहले आप खेत को अच्छी तरह से जोत ले जिससे चने के बीज अच्छी तरह से उग सके
    • बीज को चुनना और बोना : सबसे पहले ऐसे बीज को चुनो जो हाई क्वालिटी के साथ साथ रोग से मुक्त हो और इसको बोने के लिए 5 से 6 फीट का गड्ढा खोद ले और 40 से 50 सेंटीमीटर के दूरी पर बो दे
    • पानी की जरूरत : चने की खेती को पानी की ज्यादा जरुरत नहीं होता हैं और अगर बरसात कम हुए हैं तो थोड़ा सा पानी इसकी खेती के लिए सही रहता हैं
    • खाद और कीटनाशक का प्रयोग : इसमें समय समय पर बीडिंग देना बहुत आवशयक होता है और जरुरत पड़ने पर कीटनाशक का भी प्रयोग अवश्य करें
    • फसल को काटना : यह से दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाती हैं उसके बाद आप इसे काट सकते हैं और आप अगर ज्यादा समय लेते हैं तो फसल ख़राब भी हो सकती हैं

    और ऐसी ही खेती से जुड़ी हर जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट Aapkikheti.com पर जाए जो कृषि से जुड़ी हर तरह की जानकारी प्रदान करेगा

  • Cow farming : करिये गायो से दूध का व्यापर

    Cow farming : करिये गायो से दूध का व्यापर

    Cow farming : करिये गायो से दूध का व्यापर

    Cow farming यानि गाय का पालन करना , यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें गाय और उनके दूध का उत्पादन किया जाता है । यह व्यवसाय केवल दूध प्रदान नहीं करता है, बाल्की गोबर से ऊर्जा और खाद का भी उत्पाद होता है। गाय पालन से ना सिर्फ किसानो की आई बढ़ती है , बल्कि गाय की सेहत और विकास भी अच्छा होता है | यदि आप Cow farming की जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो पढ़िए यह ब्लॉग और हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ना चाहते है तो यहाँ क्लिक करे

    Cow farming in india

    भारत में गाय पालन का इतिहास बहुत पुराना है। यहाँ की गायें न केवल दूध के लिए बल्कि खेती में मदद करने के लिए भी जानी जाती हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इसमें गाय पालन का बहुत बड़ा योगदान है। भारत में कई राज्य है जो गाई पालन के लिए प्रसिध है जैसे की राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे राज्यों में गाय पालन बहुत लोकप्रिय है।

    गौ पालन कैसे करें?

    Cow farming Aapkikheti.com

    गौ पालन करने के लिए पहले गाई के लिए अच्छी चर्चा और व्यवस्थित स्थिति होना जरूरी है। गाय को पोषक तत्व और संतुलित आहार देना चाहिए, जिसमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज की मात्रा अधिक होती है। गाय को सफाई और स्वछ जगह चाहिए , ताकि उनमें बिमारियों का खतरा कम रहे । गाय की अच्छी देखभाल करना चाहिए जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होती है।

    Dairy cow

    डेयरी गायें वे गायें होती हैं जिन्हें मुख्य रूप से दूध उत्पादन के लिए पाला जाता है। ये गायें प्रतिदिन 15 से 20 लीटर तक दूध दे सकती हैं, जो किसानों के लिए अच्छी आमदनी का स्रोत हो सकता है । गाय का पालन करने के लिए उनके पोषण और सेहत पर विशेष ध्यान देना होता है। जर्सी और होलस्टीन फ्राइज़ियन जैसे विदेशी नसलों की गाय भारत में भी डेयरी फार्मिंग के लिए लोकप्रिय हो रही हैं।

    Mini cow

    मिनी गाय यानि छोटी गायें, छोटे किसान और शौखिया पालन करने वालों के लिए एक बढ़िया विकल्प है। ये गायें अपने छोटे आकार के लिए प्रसिद्ध होती हैं, जिनका वजन 200 से 300 किलोग्राम तक होता है। छोटी गायें कम जगह में आसानी से पाली जा सकती हैं और इनकी देखभाल करना भी आसान होता है। ये गाई दूध भी उतना ही स्वादिष्ट और पोष्टिक देती हैं जितना कि बड़े आकार की। मिनी गायों का विकल्प उन लोगों के लिए उपयोगी होता है जो अपने छोटे से खेत या पिछवाड़े में डेयरी फार्मिंग करना चाहते हैं।

    White and Black cow

    काली और सफेद गाय काली और सफेद गाय, यानी होल्स्टीन फ्राइज़ियन, सबसे ज्यादा दूध देने वाली होती हैं। इनकी पहचान उनके काले और सफेद धरों से होती है, जो इन्हें अन्य गायो से अलग बनाती है। ये गायें दूध उत्पादन में सबसे आगे होती हैं, और एक दिन में 20 से 25 लीटर दूध देने की क्षमता रखती हैं। इनका दूध लो-फैट होता है, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है । होल्स्टीन फ्राइज़ियन का पालन करना उन लोगों के लिए फ़ायदेमंद है जो डेयरी फार्मिंग में रुचि रखते हैं।

    Gir gai

    गिर गाइ गिर गई भारत की एक प्रसिद्ध नस्ल है, जो गुजरात के गिर पर्वतिक क्षेत्र से आई है। ये गाए अपने उचित दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है, और इसका दूध घी बनाने के लिए उत्कृष्ट माना जाता है। गिर गाई की शक्ति और सहनशीलता इसे भारतीय परिवेश में विशेष बनाती है। ये गाए 12-15 लीटर दूध प्रदान करती है |

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  • Vermicompost: क्यों हैं महत्वपूर्ण हमारी खेती में जाने सब कुछ यहाँ

    Vermicompost: क्यों हैं महत्वपूर्ण हमारी खेती में जाने सब कुछ यहाँ

    Vermicompost: क्यों हैं महत्वपूर्ण हमारी खेती में जाने सब कुछ यहाँ

    क्या आप जानते हैं कि जब हमारी खेती की मिट्टी अच्छे तरह से उपज नहीं दे पाती है या उसकी गुडवाता बिगाड़ रही है तो क्या करना चाहिए अगर नहीं जानते हैं तो पढ़ें हमारे इस “Vermicompost: क्यों हैं महत्वपूर्ण हमारी खेती में जाने सब कुछ यहाँ” को जो आपको इस से जुडी हर जानकारी देगा और अगर आपको जानकारी वीडियो में देखना पसंद है तो यहाँ Click करे

    Vermicompost से जुडी हर जानकारी यहाँ पढ़े

    Vermicompost Aapkikheti.com

    Vermicompost kya hota hain

    इस खाद को हम केचुआ खाद भी कहते हैं जो केचुए की मदद से तैयार की जाती है, मिट्टी की उपजाऊ छमता को बढ़ाने में मदद करता है एक प्राकृतिक उर्वरा की तरह

    इसके फ़ायदे कुछ इस प्रकार हैं

    • ये मिट्टी की उर्वराक चमक को बढ़ाता है क्योंकि वर्मीकम्पोस्ट के मिलने से इसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे गुड़ इसके मिट्टी में मिलते हैं
    • इसके मिट्टी में डालने के बाद आपकी हर वक्त पानी की चिंता खत्म हो जाएगी क्योंकि इस खाद के डालने से मिट्टी में कम पानी मे भी अच्छी उपज दे पाएगाी
    • अगर आप इस खाद से खेती करते हैं तो इसका सबसे अच्छा फायदा ये है कि ये प्राकृतिक खाद है जो बिना किसी केमिकल से बनी है
    • इस खाद की मदत से आप कई तरह के कीट से और अनेको तरह की बीमारियाँ से बच सकते हैं क्योंकि ये प्रकृति से बना हुआ है

    इसको तैयार कैसे करें

    • सबसे पहले आप एक गड्डा खोद ले या फिर लकड़ी या प्लास्टिक का कोई बड़ा कंटेनर ले ले पर ध्यान रखें कि उसमें पानी के निकलने की जगह जरूर होनी चाहिए
    • फिर जरूरी सामान इकठ्ठा करें जैसे अखबार, नारियल के ऊपर का हिसा को ले ले क्योंकि ये बीडिंग को बनाने में अच्छी मदद करते हैं
    • इसके बाद इसमे केचुए को ऐड करे जो कि एसेनिया फेटिडा प्रजाती के होने चाहिए। इसमे ये सही तरह से काम करते हैं
    • अगर आपके घर में कुछ बचा हुआ है तो आप भी डाल सकते हैं पर ध्यान दे मीट वगेराह ना डाले
    • पानी भी अगर डाल रहे हैं तो ज्यादा ना डाले क्योंकि ज्यादा पानी की वजह से खाद खराब हो सकती है, जिस से पूरी प्रक्रिया खराब हो जाएगी
    • ये 2 से 3 महीने में तैयार हो जाएगी इसके बाद तैयार होकर आप इसके खाद को सही तरह से केचुए से अलग कर ले प्रयोग में ले

    इसका प्रयोग मिटटी में कैसे करें

    बनाई गई खाद को सीधी मिट्टी में डाल दे जिस से ये अच्छी तरह से मिट्टी में मिल सके, और आप इसे किसी पेड़ के ऊपर डालने के लिए भी प्रयाग कर सकते हैं इसके अलावा आप इसका प्रयोग पतियों के चिड़काव में भी कर सकते हैं

    हमे आशा हैं की ये जानकारी आपको अच्छी लगी होगी  और इस ब्लॉग को जरूर पढ़े https://aapkikheti.com/bamboo-farming/

  • Pashupalan loan : आवेदन करने की प्रक्रिया से जुडी बातें जानें यहां

    Pashupalan loan : आवेदन करने की प्रक्रिया से जुडी बातें जानें यहां

    Pashupalan loan : आवेदन करने की प्रक्रिया से जुडी बातें जानें यहा

    अगर आपके पास पशु हैं, लेकिन आप उनके स्वास्थ्य से जुड़ी किसी समस्या को लेकर चिंतित हैं | तो अब चिंता मत कीजिए और हमारा ब्लॉग Pashupalan loan पढ़िए, क्योंकि अगर आपको लगता है ,कि आपके पशु बीमार हो रहे हैं तो यह लोन उसमें आपकी मदद करेगा और अगर आप हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ना चाहते हैं तो यहां  Click करें |

    Pashupalan loan

    Pashupalan loan से संबंधित जानकारी नीचे दी गई है

    ये लोन के बारे में

    पशुपालन लोन एक ऐसा लोन है जो आपके पशुओं को बचाता है ,ताकि वह स्वस्थ जीवन जी सकें इसीलिए सरकार उनके लिए लोन देती है | ताकि उनका भरण-पोषण सही तरीके से हो सके और उन्हें सड़कों पर ना घूमना पड़े ,मालिक के पास उचित पैसे नहीं होते जिस वजह से सरकार उन्हें लोन देती है ताकि उनकी मांगों को पूरा किया जा सके।

    कौनसे कौनसे पशु को मिलता है

    सरकार पशुपालन लोन गाय भैंस के लिए, डेयरी को चलाने के लिए, मुर्गी पालन के लिए बकरी पालन के लिए और सूअर पालन के लिए भी लोन को देती हैं | जिससे वो अच्छा खाना खा सके, साफ सुथरी जगह रह सके जिससे कोई बिमारी नहीं पनपेगी और वो स्वस्थ रह सकेंगे|

    लोन के फायदे क्या है

    वित्तीय सहायता : यहां सरकार आपको वित्तीय मदद देती है, जिससे आप अपने पशुओं के रहने के लिए और खाने के लिए सही तरह से चारा ले सकें |

    कम ब्याज दर : ये लो आपका काम ब्याज दर पर मिलेगा जिससे किसान इसका फायदा उठा सकेगे ,और इसका ज्यादा प्रभाव भी नहीं पड़ेगा और जानवरों की मदद भी हो सकेगी |

    सब्सिडी का लाभ :सरकार लोन में सब्सिडी प्रदान करती है, जिसकी वजह से किसान भाई को पैसा लौटाने की चिंता भी नहीं होगी और वो अपने पशुओं को अच्छी सुविधा दे सकेंगे|

    रोजगार बढ़ना : लोन की मदद से आप अगर आप मुर्गीपालन करते हैं ,गाय पालन करते हैं जिससे काम बढ़ेगा और अगर काम बढ़ेगा तो रोजगार भी पैदा होगा।

    Pashupalan loan

    पशुपालन लोन ऑनलाइन अप्लाई

    यहाँ नीचे दिए स्टेप्स को फॉलो करके आप लोन के लिए आवेदन करे :

    • सबसे पहले आप केंद्र सरकार की वेबसाइट पर जाएं जहां ये स्कीम उपलब्ध होगी |
    • फिर वहां पर दिए गए एप्लीकेशन भरे जिसमे आपक कुछ जरुरी जानकरी जैसे नाम ,पशुओं की जानकरी ,और लोन के लिए अनुमानित राशि के बारे ,में बताना होता हैं |
    • इसके बाद कुछ जरूरी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड बैंक से जुड़े दस्तावेज और पशुओ से जुडी जानकारी देनी होती हैं |
    • इस प्रक्रिया के बाद आपको एक नंबर मिलेगा जिसे आप ट्रैकिंग के लिए इस्तमाल कर सकते हैं, और उसके बाद अगर हर प्रक्रिया सही रही तो आपको लोन दे दिया जायेगा |

    पशुपालन लोन के प्रकार

    डेयरी फार्मिंग लोन: यह लोन उन लोगों को दिया जाता हैं ,जो डेयरी फार्मिंग यानी दूध उत्पादन करते हैं। आप इस लोन से गाय या जगह खरीद सकते हैं |

    बकरी पालन लोन: बकरी पालन काफी लाभदायक होता हैं क्योंकि इसमे निवेश काम रहता हैं, और फायदा ज्यादा रहता हैं |

    पोल्ट्री फार्मिंग लोन: इस लोन की मदत से आप मुर्गी पालन कर सकते हैं ,और उनके लिए जगह भी तैयार कर सकते हैं|

    सूअर पालन लोन: ये लोन उन लोगों को दिया जाता हैं जो सुअर पालन करते हैं या करना चाहते हैं। ये लोन आपको कर्ज के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में मदद करता है।

    हमारे द्वारा दी गए Pashupalan loan की जानकरी आपके लिए मदतगार होगी और ऐसे ही जानकारी के लिए हमारी Aapkikheti.com पर क्लिक करें |

  • Moong ki Kheti कैसे करे जानिये सम्पूर्ण जानकारी

    Moong ki Kheti कैसे करे जानिये सम्पूर्ण जानकारी

    Moong ki Kheti कैसे करे जानिये सम्पूर्ण जानकारी

    क्या आप भी सोच रहे हैं कोई ऐसी फसल के बारे में जिसकी उपज जल्दी हो जाए और मुनाफ़ा भी हो जाए तो इस ब्लॉग की सहायता से आप इसकी खेती में होने वाली सभी जानकारी के साथ जुड़ेंगे तो पढ़ें हमारा ब्लॉग Moong ki Kheti और अगर आप हमारे इंस्टा चैनल से जुड़ना चाहते हैं तो यहां Click करें

    1. बीजों का चयन: उचित बीजों का चयन करें, जैसे Pant Moong और Pantura उरद।
    2. बुवाई और देखभाल: मूंग की बुवाई के लिए उचित समय चुनें, उचित खाद, जल, और उर्वरक का प्रयोग करें।
    3. रोग और कीट प्रबंधन: फसल को रोगों और कीटों से बचाने के लिए उचित उपाय अपनाएं।
    4. समय पर कटाई: मूंग की सही समय पर कटाई करें, उचित तरीके से फसल को संग्रहित करें।

    इन उपायों का पालन करके, आप मूंग की खेती को सफलतापूर्वक कर सकते हैं।

    Moong ki Kheti के लिए बीज की मात्रा

    Moong ki Kheti

    मूंग की खेती के लिए बीज की मात्रा और बीजोपचार के बाद कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं। इसके अनुसार:

    • प्रति हेक्टेयर 25-30 किलो बीज की बुवाई के लिए पर्याप्त होगा।
    • बीज फफूंद नाशक दवा और कल्चर से उपचारित करना चाहिए।
    • मूंग की बुवाई 15 जुलाई तक कर देनी चाहिए।

    इन तथ्यों के आधार पर, मूंग की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 25-30 किलो बीज की बुवाई की जा सकती है

    खेती के लिए मिट्टी

    आप खेती कर रहे हैं तो इसके लिए मिट्टी आप हल्की दोमाट मिट्टी लो जो इसकी उपज के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है, जो पानी की निकासी में मदद करती हैं जिसकी सहायता से आप इसकी खेती सही से कर सकते हैं |

    Moong ki Kheti के  फायदे

    • आर्थिक लाभ: मूंग की खेती से अच्छा उत्पादन होने से किसानों को आर्थिक लाभ मिलता है।
    • पोषण संदर्भ: मूंग एक पोषक दाल है जो उच्च पोषण मूल्य वाली भोजन सामग्री है।
    • पर्यावरण का संरक्षण: मूंग की खेती से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता और मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखता है।
    • स्वास्थ्य लाभ: मूंग खाने से सेहत के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स होते हैं।

    इस प्रकार, मूंग की खेती करने से किसानों को विभिन्न तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।

    Moong ki Kheti  कितने समय में होती है
    • मूंग की फसल एक कम अवधि में पकने वाली होती है, इसलिए दो धान्य फसलों के बीच की अवधि में उगाई जा सकती है
    • गंगोत्री (गंगा-8) जैसी किस्म लगभग 72 दिन में पक जाती है
    • एस.एम.एल. 668 किस्म जायद और खरीफ दोनों के लिए उपयुक्त है और 60 से 65 दिन में पकने वाली होती हैइसके आधार पर, मूंग की खेती कितने समय में होती है, इसका उत्तर विभिन्न किस्मों और उपयुक्त मौसम के आधार पर भिन्न हो सकता है।

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  • Thresher machine : ऐसा यंत्र जो फसल को काटने में होने वाली मेहनत से बचाएगा

    Thresher machine : ऐसा यंत्र जो फसल को काटने में होने वाली मेहनत से बचाएगा

    Thresher machine : ऐसा यंत्र जो फसल को काटने में होने वाली मेहनत से बचाएगा

    Thresher machine एक ऐसा कृषि उपकरण है जो अनाज की फसलों जैसे सोयाबीन, गेहूं, चावल, और दालों को थ्रेसिंग करके बीज और भूसे को अलग करने के लिए उपयोग में आता है। अगर आप थ्रेशर मशीन के बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं, तो हमारे लेख को अंत तक पढ़ें और यदि हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ना चाहते हैं, तो यहाँ क्लिक करें।

    Thresher Machine

    Thresher machine के बारे में हर जानकारी के लिए नीचे पड़े

    मशीन के बारे में

    थ्रेशर मशीन एक अत्यधिक उपयोगी कृषि यंत्र है जिसे किसानों की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस यंत्र की मदद से किसान सोयाबीन, गेहूं, मक्का आदि फसलों को थ्रेशिंग कर बीज और भूसे को अलग कर सकते हैं, जिससे समय और श्रम की बचत होती है। थ्रेशर मशीन का मुख्य कार्य बीज और भूसे को अलग करना है, जो पहले एक जटिल और समय-साध्य कार्य था। इस मशीन ने किसानों के लिए यह काम आसान बना दिया है, जिससे अब फसल की थ्रेसिंग में ज्यादा समय नहीं लगता।

    थ्रेशर मशीन के फायदे

    • समय की बचत: थ्रेशर मशीन का उपयोग करके फसलों को तेजी से तैयार किया जा सकता है। पहले, लोग हाथ से थ्रेशिंग करते थे, जिसमें काफी समय लग जाता था। थ्रेशर मशीन की मदद से किसान फसल को जल्दी तैयार कर सकते हैं, जिससे समय की बचत होती है।
    • श्रम की बचत: इस मशीन के उपयोग से किसानों को कठिन श्रम नहीं करना पड़ता, जो पहले हाथ से थ्रेशिंग करते समय आवश्यक था।
    • बेहतर फसल गुणवत्ता: थ्रेशर मशीन से बीज और भूसे को पूरी तरह से अलग किया जा सकता है, जिससे फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है और बीजों की हानि से भी बचा जा सकता है।

    Thresher Machine

    ये मशीन कितने प्रकार की होती हैं

    थ्रेशर मशीनें किसानों और फसलों की आवश्यकता के अनुसार कई प्रकार की होती हैं।

    • स्पाइक टूथ थ्रेशर: इस प्रकार की थ्रेशर मशीन में एक गोल सिलेंडर होता है जिसमें दांत होते हैं, जो फसल की थ्रेसिंग करते हैं।
    • रास्प बार थ्रेशर: यह मशीन एक विशेष सिलेंडर का उपयोग करती है, जो फसल के दानों को छीलकर अलग करता है।
    • हैमर मिल थ्रेशर: इस प्रकार की मशीन में घूमने वाले हथौड़े होते हैं, जो फसल को मारकर थ्रेशिंग करते हैं, और यह भारी व कठोर फसलों के लिए उपयुक्त होती है।

    थ्रेशर मशीन का उपयोग क्या है

    यह मशीन अनाज की फसलों जैसे सोयाबीन, गेहूं, और दालों को थ्रेशिंग करके बीज और भूसे को अलग करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। यह मशीन फसल के हर हिस्से को अच्छी तरह से थ्रेशिंग करती है, ताकि बीज की गुणवत्ता बनी रहे। किसान इस यंत्र का उपयोग फसल को जल्दी और साफ-सुथरे तरीके से तैयार करने में करते हैं।

    Thresher machine Price

    भारत में थ्रेशर मशीन की कीमत उसके प्रकार, क्षमता, और ब्रांड के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है। आमतौर पर, थ्रेशर मशीन की कीमत ₹30,000 से ₹2,00,000 के बीच होती है। कीमत में अंतर मशीन के आकार, सामग्री, और निर्माता पर भी निर्भर करता है। उन्नत सुविधाओं वाली मशीनों की कीमत भी थोड़ी अधिक हो सकती है।

    यह एक महत्वपूर्ण मशीन है, जो किसानों के लिए अनाज की थ्रेसिंग में एक आवश्यक साधन बन चुकी है। इसका उपयोग न केवल किसानों के काम को आसान बनाता है, बल्कि उनकी फसलों की गुणवत्ता को भी बनाए रखता है।

    यदि आप और भी कृषि यंत्रो की जानकारी चाहते है तो हमारे ब्लॉग को पढ़े , पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे

  • Paramparagat Krishi Vikas Yojana : एक ऐसी योजना जो देगी जैविक खेती को बढ़ावा

    Paramparagat Krishi Vikas Yojana : एक ऐसी योजना जो देगी जैविक खेती को बढ़ावा

    Paramparagat Krishi Vikas Yojana : एक ऐसी योजना जो देगी जैविक खेती को बढ़ावा

    Paramparagat krishi vikas yojana  भारत सरकार द्वारा चलाई गई योजना है इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि पारंपरिक खेती को बढ़ावा देना है यदि आप इस योजना की जानकारी चाहते हैं तो हमारा ब्लॉग पड़े और हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ना चाहते हैं तो यहां click करें

    Paramparagat Krishi Vikas Yojana

    परम्परागत कृषि क्या है:

    परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) भारत सरकार द्वारा चलाई गई बहुत ही महत्वपुराण योजना है ,जोकी देश के किसानों के लिए चलाई गई है इस योजना का उद्देशय यह है कि देश में परम्परागत खेती को बढवा देना यह योजना जैविक खेती को बढावा देने के लिए और रसायन मुक्त कृषि विपणन प्रसार करने के लिए चलाई जा रही है |

    योजना के उद्देश्य

    1 देश में जैविक खेती का विकास करना।
    2 खेती में रसायन का उपयोग करना।
    3 किसानो को परम्परागत खेती अपनाने के लिए प्रेरित करना।
    4 कृषि उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार लाना।

    Paramparagat Krishi Vikas Yojana benefits

    1 किसान अपनी खेती के तरीकों में जैविक प्रथाओं को अपना कर बेहतर फसल उत्पादन कर सकते हैं, जिस्से न सिर्फ मिट्टी की उपज        शक्ति बढ़ती है, बल्कि उन्हें उचित बाजार भी मिलता है।

    2 खेत में उत्पादित जैविक सामग्री के लिए बेहतर बाजार उपलब्ध है क्योंकि जैविक उत्पादों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।         जैविक उत्पाद सभी प्रकार के रसायनों से मुक्त होते हैं, जो उन्हें स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं और बेहतर दाम प्रदान करते हैं।

    3 प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने से फसल में रसायन-मुक्त विकास होता है, जिससे किसान बेहतर और स्वस्थ उत्पाद प्राप्त     करते हैं। ये तरिका ना सिर्फ पर्यावरण के लिए हितकारी है, बाल्की फासलों की गुन्नत्ता में भी सुधार होता है।

    4 किसानों को समय-समय पर प्रशिक्षण और सहायता उपलब्ध कराई जाती है ताकि वे नई खेती के तरीके सीख सके और अपने फसल     की उपज शक्ति और गुणनत्ता में सुधार कर सके। ये प्रशिक्षण उन्हें जैविक खेती में सफल होने के लिए प्रेरित करता है।

    Paramparagat Krishi Vikas Yojana

    योजना किस लिए चलाई गई:

    परंपरागत कृषि विकास योजना ये योजना चलाई गई है ताकि देश में खेती की परंपरा फिर से शुरू हो सके। रसायन का उपयोग कम करना, मिट्टी की उपज शक्ति बढ़ाना, और प्राकृतिक संतुलन बनाना इस योजना का बहुत ही महत्वपूर्ण पूर्ण उद्देश्य है।

    Paramparagat Krishi Vikas Yojana (PKVY) apply online

    पीकेवीवाई में आवेदन करने के लिए आप ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग कर सकते हैं। सरकारी वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करें और अपना विवरण भर कर आवेदन पत्र जमा करें।

     (PKVY) application form

    योजना में भागीदारी के लिए आपको पीकेवीवाई का आवेदन पत्र भरना होगा। ये फॉर्म आप ऑनलाइन पोर्टल से डाउनलोड कर सकते हैं या फिर सरकारी वेबसाइट पर जाकर सीधे भर सकते हैं।

    PKVY registration

    योजना में पंजीकरण के लिए आपको सरकारी पोर्टल पर जाकर अपनी जानकारी भरनी होगी। पंजीकरण के बाद आपको एक लॉगिन आईडी मिलेगी जिसका उपयोग करके आप अपने आवेदन की स्थिति देख सकते हैं।

    क्या प्रकृति से आप पीकेवीवाई के अंतर्गत जैविक खेती शुरू कर सकते हैं और देश में टिकाऊ कृषि में अपना योगदान दे सकते हैं।

    हमारे इस ब्लॉग को जरूर पढ़ें https://aapkikheti.com/mukhyamantri-kisan-kalyan-yojana-2024/

     

  • Mukhyamantri Bagwani Bima yojana: करे बागवानी और नुक्सान से ना डरे सरकार से पाए बागवानी बिमा

    Mukhyamantri Bagwani Bima yojana: करे बागवानी और नुक्सान से ना डरे सरकार से पाए बागवानी बिमा

    Mukhyamantri Bagwani Bima yojana: करे बागवानी और नुक्सान से ना डरे सरकार से पाए बागवानी बिमा

    क्या आप भी करते हैं बागवानी अगर हैं ,तो क्या जानते हैं की इसमें होने वाले नुक्सान से आप कैसे बच सकते हैं| तो पढ़े हमारे ब्लॉग Mukhyamantri Bagwani Bima yojana जो आपको इस योजना के महत्व से अवगत कराएगा ,और अगर आप हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ना चाहते हैं तो यहाँ Click करें |

    Mukhyamantri Bagwani Bima yojana Aapkikheti.com

    Mukhyamantri Bagwani Bima yojana के बारे में हर जानकरी यहाँ पर पढ़े

    यह योजन क्या हैं ?

    एक ऐसी योजना हैं जो बागवानी में होने वाले वाले नुक्सान से बचता हैं, इसकी मदत से प्राकर्तिक नुक्सान बचा जा सजता हैं |जिसमें सरकार किसानो को मुहावजा प्रदान करती हैं, जो की वहां पर दिया जाता हैं की जहाँ किसानो को लगता हैं की कुछ नुक्सान होने की संभावना हैं |तो सरकार उन्हें यह योजना के द्वारा राहत प्रदान करती हैं जिस से इस से बचा जा सके|

    ये योजना किस राज्य की है ?

    किसानो के लिए चलायी जा रही ये योजना हरयाणा सरकार के द्वारा चलाये जा रही हैं| राज्य में सरकार ने ये योजना चालू इसलिए कि इन आपदा से बचा जा सके ,क्योकि हरयाणा राज्य खेती के लिए जाना जाता हैं और उसको बचाव को देखते हुुए शुरू की गयी थी|

    योजना के उद्देश्य क्या-क्या है?

    योजना के मुख्य उद्देश्य कुछ इस प्रकार हैं

    किसानों की सुरक्षा : यह योजना किसानो को बागवानी में होने वाले नुक़सान से बचने के लिए सुवुधा है जो सरकार उन्हें इसकी सुरक्षा प्रदान करती हैं|

    बागवानी को बढ़ावा देना :इसके मध्यम से किसान अछी तरह से अलग अलग तरह से खेती कर सकेंगे जिस से वो इसके बारे में सीखे और फायदा उठाये |

    Mukhyamantri Bagwani Bima yojana Aapkikheti.com

    योजना के फायदे क्या हैं ?

    इस योजना की दरें : यह योजना किसानो को सह दर में सुविधा प्रदान करती हैं ,जिस वो इस योजना का फायदा उठा सके और अपनी बागवानी अच्छे से कर सके |

    बिना किसी कटौती के : इसमें सरकार किसानो को जो रकम मिलती हैं उसमे न कोई कटौती करके सीधे किसान को देती हैं ,जिस से किसान इस रकम का फायदा उठा सके और बागवानी में होने वाले नुक्सान से बच सकते हैं |

    जल्द से जल्द भुगतान: इसमे सरकार किसान को मुहावजा प्रदान करती हैं, जिससे वो इसमे हुए नुक्सान से बच सके और बाग़ को बचा सके|

    वित्तीय सुरक्षा : किसानों को फ़सलों के नुक्सान पर मुआवज़ा मिलता है, जिससे उनका आर्थिक नुकसान कवर होता है।

    योजना में पंजीकरण कैसे करें?

    हरियाणा सरकार की आधिकारिक कृषि या बागवानी विभाग की वेबसाइट पर जाएँ यहां पर  क्लिक करें उसके बाद वहां पर मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना का फॉर्म उपलब्ध होगा। उसे ध्यान से पढ़ें और सही जानकारी के साथ भर दे ,इस योजना के लिए आपको कुछ दस्तावेज भी देने होंगे जैसे आपको अपना आधार कार्ड, भूमि दस्तावेज, और बैंक खाते की जानकरी देनी पड़ेगी |इस प्रक्रिय के बाद आपको सबमिट बटन पर क्लिक करना हैं फॉर्म सबमिट होने के बाद आपको एक पर्ची मिलेगी, जिसे आप आगे की प्रकारीया के लिए रख सकते हैं।इसके बाद आपके आवेदन को सही तरह से जाएगा और यदि सब कुछ ठीक रहा ,तो आपका पंजीकरण स्वीकृत हो जाएगा।कर दिया जायेगा |

    क्या आपकी योजना के बारे में दिलचस्पी हैं तो हमारे इस  ब्लॉग को अवशय पढ़े जो की आपको काफी अच्छी जानकारी देगा

  • Pradhan mantri krishi sinchai yojana : ऐसी योजना जो देगी किसानों को खेत में सिचाई की सुविधा

    Pradhan mantri krishi sinchai yojana : ऐसी योजना जो देगी किसानों को खेत में सिचाई की सुविधा

    Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana (PMKSY):ऐसी योजना जो देगी किसानों को खेत में सिचाई की सुविधा

    Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) भारत सरकार द्वारा चलाई गई एक ऐसी योजना है, जिसकी मदद से किसानों के खेत तक पानी पहुंच जाता है। है यह योजना किसानो के लिए बहुत लाभदायक है।यदि आप इस योजना के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारा ब्लॉग पढ़ें और अगर आप भी हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ना चाहते हैं तो यहां click करे

    योजना के बारे में

    Pradhan mantri krishi sinchai yojana एक ऐसी योजना है जो भारत सरकार द्वार चलायी गयी है इस योजना का उद्देश्य यह है कि किसानों को उनके खेत तक पानी की सुविधा उपलब्ध कराना | यह योजना 2015 में शुरू हुई थी जिसका उद्देश्य था किसानो तक पानी पहुंचाना ताकि वह अपने खेत में अच्छे से सिंचाई कर सके ओर खेत को अधिक लाभदायक बना सके

    योजना के उद्देश्‍य

    पीएमकेएसवाई के मुख्‍य उद्देश्‍य कुछ इस प्रकार हैं:

    हर खेत को पानी:  हर किसान के खेत तक पानी पहुंचाना और सिंचाई के अधिक से अधिक साधन उपलब्‍ध कराना। भारत सरकार द्वार बनाई गई Pradhan mantri krishi sinchai yojana हर खेत तक पानी पहुंचाने में मदद करती है जहां अब तक सिंचाई की सुविधा नहीं थी।

    जल संरक्षण:  योजना का दूसरा उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ावा देना है। खेतों में पानी की बेहतर व्यवस्था के साथ-साथ, ये योजना पानी के उपयोग में सुधार और उसकी बचत पर भी जोर देती है।

    किसानों की आय बढ़ाना: सिंचाई सुविधाओं में सुधार करके खेती में उपज बढ़ाना किसानों की आय में वृद्धि करना भी एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।

    ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ का संकल्प: पीएमकेएसवाई का एक और महत्वपूर्ण लक्ष्य है ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ का संकल्प। इसका मतलब है हर एक बूंद पानी से ज्यादा फसल का उत्पादन करना।

    योजना के लाभ

    फसल उत्पादन में वृद्धि: सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने से किसान अपने खेतों में फसल की बेहतरी देख सकते हैं, जिसकी फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।

    जल उपाय में सुधार: पानी के सुधार उपाय से पानी की बचत होती है, जो आने वाले समय में जल संरक्षण के लिए बहुत जरूरी है।

    खेत में पानी की सुनिशचित पहुच: Pradhan mantri krishi sinchai yojana के अनुसार, पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी की व्यवस्था की गई है, जिस किसान को सुखी फसल से बचने में मदद मिलती है।

    किसानों की आय में वृद्धि: फसल उत्पादन बढ़ा के किसान अपने फसल को बेहतर दाम पर बेच सकते हैं, जिनकी आय में भी वृद्धि होती है।

    उन्नत सिंचाई प्रणाली का प्रमुख उपयोग: योजना के माध्यम से ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई जैसे उन्नत सिंचाई प्रणाली का उपयोग करके पानी की बचत और फसल का बेहतर उत्पादन संभव हो सकता है।

    योजना किस लिए चलाई गई है

    पीएमकेएसवाई को देश के उन शेत्रों में पानी की कमी दूर करने के लिए चलाई गई है जहां किसान सिंचाई के लिए पानी की कमी का सामना कर रहे थे। भारत एक कृषि प्रधान देश है, और यदि यहां के किसानों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ेगा, तो देश की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव पड़ेगा। इस योजना के माध्यम से सरकार ने किसानों की इस समस्या का समाधान करने का प्रयास किया है।

    प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का महत्व इस बात में छिपा है कि ये सिर्फ किसानों को पानी उपलब्ध कराती है, लेकिन उनके जीवन स्तर में सुधार करने का एक मुख्य माध्यम भी है। किसान, जो अपनी मेहनत और लगन से देश के लिए अन्न का उत्पादन करते हैं, उनका जीवन सुखद और उन्नति से परिपूर्ण हो, ये योजना इस दश में एक बड़ा कदम है।

    Drip sinchai yojana

    यह ड्रिप सिंचाई योजना एक उन्नत सिंचाई प्रणाली है जो किसानों के लिए बहुत उपयोगी है। इस योजना के तेहत, पानी को सीधा पौधों की जड़ो तक पहुंच जाता है, जिस से पानी की बचत होती है और फसल का बेहतर उत्पादन संभव है। ये किसानों के लिए खास तौर पर लाभकारी है क्योंकि इसमें पानी और उर्वरक दोनों का उपयोग बेहद सुघरित तरीके से किया जाता है। ड्रिप सिंचाई से ना सिर्फ पानी की कमी दूर होती है, बल्कि फसल का उपज भी अधिक होता है, जो किसानों की आय को बढ़ाता है।

    PM sinchai  yojana apply online

    इस योजना  के लिए ऑनलाइन आवेदन करना अब और भी आसान हो गया है। किसान योजना का लाभ उठाने के लिए सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन भर सकते हैं। इसमें आपको अपने क्षेत्र, खेती की जानकारी और कृषकों को अपलोड करना होता है। बिना किसी माध्यम के ऑनलाइन आवेदन करें। ये प्रक्रिया सरल और सुविधापूर्ण है, जैसे किसानों को सिंचाई की सुविधा जल्दी मिल सकती है और उनके खेतों में पानी की सुनिश्चितता उपलब्ध हो सकती है।

    हमारे इस ब्लॉग को जरूर पढ़े https://aapkikheti.com/biju-krushak-kalyan-yojana/

  • Sweet potato farming: मुनाफ़ा चाहते हो तो अभी से करने लगो इस सब्जी की खेती

    Sweet potato farming: मुनाफ़ा चाहते हो तो अभी से करने लगो इस सब्जी की खेती

    Sweet potato farming: मुनाफ़ा चाहते हो तो अभी से करने लगो इस सब्जी की खेती

    क्या आप सोच रहे हैं ऐसी सब्जी की खेती करना जो सर्दियों तक तैयार हो जाए तो बीफिक्र रहिए हम लेकर आए हैं “Sweet potato farming” का ब्लॉग को जो आपकी इसकी खेती और इसके बारे में हर जानकारी आपको प्रदान करेगा और अगर आप हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ें चाहते हैं तो यहाँ Click करे

    Sweet potato farming

    शकरकंदी क्या है?

    शकरकंदी जैसे शकरकंद के नाम से जाना जाता है ये जड़ में उगाने वाली सब्जी है जो पोषण तत्व जैसे विटामिन और प्रोटीन से भरपूर है जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है | ये भारत में कई अलग-अलग रंगों में मिलता है जैसे लाल, सफेद, नारंगी और ये खाने में मीठा लगता है

    खेती के लिए उपयोगी मिट्टी

    इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी डोम्मट मिट्टी मानी जाती है जिसका ड्रेनेज सिस्टम अच्छा होता है, क्योंकि मिट्टी की गुड़वता अच्छी होने की वजह से पानी रुकता नहीं है जिस से फसल सही बनी रहती है | अगर आपको इसकी खेती अच्छी तरह से करनी है तो इसकी मिट्टी का पी.एच लेवल 5.8 से 6.2 तक होना चाहिए तभी ये आपको अच्छी उपज देगी

    किस जगह ज्यादा होती है?

    शकरकंदी की खेती सबसे ज्यादा आपको उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्रप्रदेश, और मध्य प्रदेश में देखने को मिलेगी क्योंकि यहां की जलवायु इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी होती है। दिए गए जानकारी के अनुसर साल भर में भारत में शकरकंद 1,087,880 मीट्रिक टन तक होती है, जो कि बहुत बड़ा आंकड़ा है, जिस वजह से भारत सबसे ज्यादा शकरकंडी उगने वाली देशों में आता है और हमसे ज्यादा कुछ देश हैं और चीन सबसे टॉप पर हैं।

    Sweet potato farming

    खेती किस महीने में करें

    इसकी खेती के लिए आपको इसकी बुआई सितंबर तक कर देनी चाहिए, और इसकी विविधता के हिसाब से ये 90 -120 दिनों में पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं

    इसके प्रयोग क्या क्या हैं

    शकरकंदी के कई उपयोग हैं। इसे भुना या उबालकर स्नैक के रूप में खाया जाता है। इसका उपयोग चिप्स बनाना, करी और यहां तक ​​कि डेसर्ट में भी होता है। शकरकंदी का स्टार्च उद्योग में भी उपयोग होता है,जिसमे इसे मीठापन लाने के लिए पयोग किया जाता हैं

    खेती की प्रक्रिया

    इसकी खेती बहुत सरल है सबसे पहले आप शकरकंदी को काट ले अगर आप के पास पहले से ही हैं तो और फिर उसे मिट्टी में डाल दे पर ध्यान रखें कि उसकी दूरी 12 से 18 इंच तक होनी चाहिए | लगतार पानी देना बहुत जरूरी है, जिस से ये जल्दी तयार हो जाती है और फिर सही तरह से हो जाने के बाद आप इसे उखाड़ सकते हैं पर ध्यान में रखे की उखाड़ते वक्त आप आराम से उखाड़े

    निष्कर्ष

    शकरकंदी की खेती लाभदायक और स्वास्थ्य के अनुकूल विकल्प है। इसे बढ़ाना आसान है और बाजार में इसकी मांग भी अच्छी है। अगर आप उचित मिट्टी, सही समय और सही खेती पद्धतियों का पालन करते हैं, तो आपको एक अच्छी उपज मिल सकती है।

    अगर आप भी खेती से जुडी जानकारी जानना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट पर Aapkikheti.com जाएं जहां आपको खेती के हर विषय से जुड़ी जानकारी मिलेगी