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  • Rotavator machine : एक ऐसा कृषि यंत्र जो खेत के काम को बनाएगा आसान

    Rotavator machine : एक ऐसा कृषि यंत्र जो खेत के काम को बनाएगा आसान

    Rotavator Machine: एक ऐसा कृषि यंत्र जो बनाएगा खेत के काम को आसान

    Rotavator machine एक ऐसा कृषि उपकरण है जो किसानों के लिए खेती के कार्यों को सरल और प्रभावी बनाता है। रोटावेटर का उपयोग फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाने, और मिट्टी को मुलायम बनाने के लिए किया जाता है। इस मशीन ने किसानों के कार्य को बेहद आसान कर दिया है। यदि आप रोटावेटर मशीन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक पढ़ें, और हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

    Rotavator machine

    rotavator machine  क्या है?

    Rotavator machine एक अत्यधिक उपयोगी कृषि यंत्र है जो किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है। यह बिजली से चलने वाला उपकरण है जो खेती के काम को सरल बनाता है। इसमें लगे ब्लेड्स या टिन्स मिट्टी को चूर्णित कर उसे बीज बिस्तर के लिए तैयार करते हैं। रोटावेटर का उपयोग फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाने, खरपतवार नियंत्रण और मिट्टी को नरम बनाने में होता है। इसका डिज़ाइन ऐसा है कि इसे ट्रैक्टर के साथ जोड़ा जा सकता है, और ट्रैक्टर की शक्ति का उपयोग करके यह काम करता है।

    रोटावेटर मशीन का उपयोग क्या है?

    रोटावेटर मशीन का प्रमुख उपयोग खेत में मिट्टी को तैयार करने के लिए होता है। यह मशीन मिट्टी को इस तरह से मिक्स करती है कि वह बीज बोने के लिए उपयुक्त हो जाती है। इसके अतिरिक्त, यह मशीन फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर जैविक पदार्थ का स्रोत बनाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। साथ ही, यह खरपतवार नियंत्रण में भी सहायक होती है, क्योंकि यह मिट्टी की ऊपरी परत को चूर्णित कर अवांछित खरपतवारों को हटा देती है।

    रोटावेटर मशीन के उद्देश्य

    मिट्टी की बेहतर तैयारी: बीज बोने से पहले मिट्टी को तैयार करना, ताकि अंकुरण बेहतर हो और फसल की पैदावार अधिक हो।

    समय और श्रम की बचत: यह मशीन समय और श्रम दोनों की ही बचत करती है पारम्परिक तरीको की तुलना में

    मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना: फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर उसकी पोषकता को बढ़ाना।

    एक समान बीज बिस्तर तैयार करना: बीज के लिए समतल और एक समान बिस्तर तैयार करना, जो फसल के लिए आवश्यक होता है।
    खरपतवार नियंत्रण: अवांछित खरपतवारों को हटाकर फसल की वृद्धि को प्रोत्साहित करना।

    रोटावेटर मशीन के लाभ

    इस मशीन के कई लाभ हैं जो इसे किसानों के लिए महत्वपूर्ण उपकरण बनाते हैं। पहला लाभ यह है कि यह समय और श्रम दोनों की बचत करती है। दूसरा, यह मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करती है, क्योंकि यह जैविक पदार्थ को मिट्टी में मिलाने में सहायक होती है। सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह मशीन किसानों को एक समान और समतल खेत प्रदान करती है, जो बेहतर फसल उत्पादन के लिए आवश्यक है।

    Rotavator machine price in india

    रोटावेटर मशीन की कीमत इंडिया में ब्रांड, मॉडल, और उसकी विशिष्टताओं पर निर्भर करती है। आमतौर पर, यह मशीनें ₹50,000 से ₹2,00,000 तक की रेंज में उपलब्ध होती हैं। लोअर-एंड मॉडल छोटे खेतों के लिए उपयुक्त होते हैं, जबकि हाई-एंड मॉडल अधिक शक्ति और उन्नत फीचर्स के साथ आते हैं, जो बड़े खेतों या हेवी-ड्यूटी ऑपरेशंस के लिए आदर्श होते हैं। महिंद्रा, शक्तिमान, फील्डकिंग, और लैंडफोर्स जैसे प्रतिष्ठित ब्रांड रोटावेटर मशीनों की पेशकश करते हैं।

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  • Pradhan Mantri Kisan Maan-Dhan Yojana: किसानों के लिए एक सुरक्षित भविष्य

    Pradhan Mantri Kisan Maan-Dhan Yojana: किसानों के लिए एक सुरक्षित भविष्य

    Pradhan Mantri Kisan Maan-Dhan Yojana: किसानों के लिए एक सुरक्षित भविष्य

    पीएम किसान मानधन योजना (Pradhan Mantri Kisan Maan-Dhan Yojana, PM-KMY) एक महत्वपूर्ण कृषि योजना है जिसे भारत सरकार ने किसानों के लिए पेंशन की सुविधा प्रदान करने के लिए शुरू किया है। यह योजना किसानों को बाद में सुरक्षित रूप से जीवन जी सकने की अवसर देती है।

    Pradhan Mantri Kisan Maan-Dhan Yojana, PM-KMY: एक संक्षिप्त परिचय

    Pradhan Mantri Kisan Maan-Dhan Yojana का उद्देश्य किसानों को बाद में एक सुरक्षित पेंशन प्राप्त करने की अवसर देना है। यह योजना किसानों के लिए आसान और सुरक्षित पेंशन सुविधा प्रदान करने के लिए प्रारंभिक किसानों के लिए प्राथमिक रूप से शुरू की गई थी, लेकिन अब सभी किसानों के लिए खुला है.

    Pradhan Mantri Kisan Maan-Dhan Yojana

    योजना के लाभ

    पीएम किसान मानधन योजना के लाभ कई हैं, जिनमें शामिल हैं:

    • सुरक्षित पेंशन: योजना किसानों को बाद में एक सुरक्षित पेंशन प्राप्त करने की अवसर देती है.
    • आसान पंजीकरण: योजना के लिए पंजीकरण आसान है, और किसानों को अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क करके पंजीकरण कर सकते हैं.
    • नियमित पेंशन: योजना के तहत किसानों को मासिक पेंशन मिलेगा, जिससे उन्हें बाद में सुरक्षित रूप से जीवन जीने की अवसर मिलेगी.
    • पेशेवर के लिए सुरक्षा: योजना किसानों के पेशेवर के लिए सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे उनके परिवार को बाद में सुरक्षित रूप से जीवन जीने की अवसर मिलेगी.

    अगर उठाना चाहते हैं आप और भी योजना के लाभ तो पढिये ये ब्लॉग

    पीएम किसान मानधन योजना (PM-KMY) के लिए पंजीकरण :

    योजना के लिए पात्रता: योजना के लिए पात्र होने के लिए, किसान की उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। उम्र के आधार पर निवेश राशि निर्धारित की जाती है। 18 वर्ष की उम्र में आवेदन करने पर हर महीने 55 रुपये का निवेश करना होगा, जबकि 40 वर्ष की उम्र में आवेदन करने पर हर महीने 200 रुपये का निवेश करना होगा

    Pradhan Mantri Kisan Maan-Dhan Yojana

    आवेदन करना: किसान अपने जिले के नजदीकी कृषि विभाग या जन सेवा केंद्र में पंजीकरण कर सकते हैं

    आवश्यक दस्तावेज: किसान अपने आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज देने की ज़रूरत होगी:

    आधार कार्ड

    बैंक कार्ड या पासबुक

    किसान कार्ड (यदि उपलब्ध)

    जन्म सर्टिफिकेट या छत्तीस फॉर्म

    विशिष्ट व्यक्तिगत लेआउट एंटी (VLE): किसान अपने आवश्यक दस्तावेज को VLE (विशिष्ट व्यक्तिगत लेआउट एंटी) को देना होगा, जिसने उनका आवेदन स्कीम में शामिल करने का काम किया होगा

    पेशेवर की जांच: योजना के लिए पात्रता की जांच के लिए किसान के पेशेवर की जांच भी की जाएगी

    पेशेवर के लिए निवेश: किसान अपने पेशेवर के लिए निवेश करना होगा, जिसका राशि उम्र के आधार पर निर्धारित की जाती है

    पेंशन का लाभ: जब किसान 60 वर्ष की उम्र से ज्यादा हो जाएगा, उसको हर महीने 3000 रुपये की पेंशन मिलेगी

    पीएम किसान मानधन योजना के लिए पंजीकरण करने के लिए किसानों को अपने जिले के कृषि विभाग या जन सेवा केंद्र में जाना होगा, और वहां से आवश्यक दस्तावेज और निवेश का प्रमाण देना होगा. योजना के लिए पात्रता की जांच के लिए किसान के पेशेवर की जांच भी की जाएगी, और पेशेवर के लिए निवेश करना होगा

    https://www.instagram.com/aapki_kheti?igsh=MWl5cGd3dGd5cXloOA==

  • Supari ki kheti : जाने इस बहुपयोगी फल के बीज की खेती के बारे में

    Supari ki kheti : जाने इस बहुपयोगी फल के बीज की खेती के बारे में

    Supari ki kheti : जाने इस बहुपयोगी फल के बीज की खेती के बारे में

    अगर आप चाहते हैं Supari ki kheti  करना तो पढ़िए हमारे द्वारा दिया गया ये ब्लॉग जिसमे आपको इसकी खेती ,बीमारियां और इसको उगने तक के सारे तरीके पता चलेंगे तो पढ़िए इसे और अगर आप हमसे इंस्टाग्राम से भी जुड़ना चाहते हैं तो यहाँ दी गयी लिंक पर क्लिक करें |

    Supari ki kheti Aapkikheti.com

    यहाँ से आप Supari ki kheti से जुडी हर जानकारी जान सकेंगे

    सुपारी की खेती के बारे में

    सुपारी जिसे एरिका नट नाम से भी जाना जाता हैं ,और ये अपनी बहुपयोगी खेती की वजह से अधिक पहचाना जाता हैं | इसका उपयोग मुख्य रूप से पान में पूजा सामाग्री में ,और इसके साथ सात ये सरीर से जुडी बीमारियों में प्रयोग किया जाता हैं |

    Supari khane ke fayde 

    सुपारी की खेती बहुत उपयोगी होती हैं ,क्योकि इसके एक फायदे नहीं हैं बल्कि बहुत फायदे हैं| जैसे पेट की समस्या , मुँह में छाले हो रहे हो तो , पेशाब में होने वाली जलन को सही करता हैं , एनीमिया की बिमारी से भी राहत देता हैं , और ये दांत से जुडी समस्या से भी राहत देता हैं| इसके अलावा ये शरीर को ताकत देने में भी मदत करता हैं ,अगर आप इसका इस्तेमाल करते हैं तो |

    Supari ki kheti में मिट्टी

     सुपारी की खेती के लिए दोमट चिकनी मिटटी सबसे अच्छी रहती हैं पर ये बालुई और लाल मिटटी भी अच्छी होती हैं | मिटटी का p.h 5 से लेकर 6.5 तक हो तो वो मिटटी इसकी खेती में अच्छी रहती हैं पर मिटटी में पानी रुकना नहीं चाहिए जरूर देखे क्योकि अगर पानी मिट्टी पानी में जमा रह जाएगा तो जड़ सड़ भी सकती रहती हैं |

    भारत में सुपारी की खेती

    Supari ki kheti Aapkikheti.com

    भारत में सुपारी की खेती दाक्षिण भारत में सबसे अधिक होती हैं इसमें राज्य हैं कर्नाटक जो सबसे ज्यादा सुपारी की खेती करता हैं इसके बाद केरल और फिर असम आते है जो मिलकर पूरी 85% का उत्पादन करते हैं

    सुपारी की खेती कैसे करें

    इसकी खेती करने के लिए सबसे पहले आपको अच्छे बीज का चयन करना होगा फिर आपको उन्हें पानी में 24 घंटे तक डाल दिया जाता हैं और फिर उन्हें निका लकर नर्सरी में लगाया जाता हैं और उनके पौधे को तैयार में करा जाता हैं | फिर उसके बाद उन्हें निकलकर खेत में लगा दिया जाता हैं

    सुपारी की खेती से होने वाला लाभ

    इसकी खेती में लाभ काफी हैं ,जैसे 1 हेक्टेयर की भूमि पर 1000 से 1500 कुन्टल खेती कर सकते हैं | क्योंकि मांग ज्यादा होने की वजह से ,आप किसान इस से अधिक फायदा ले सकते हैं |

    सुपारी की कटाई कब करे

    सुपारी के पेड़ को तैयार होने में 5 साल तक लगते हैं और अगर ये पूरी तरह से तैयार हैं तो इसका पेड़ आपको 50 साल तक उपज दे सकता हैं |आप सुपारी की कटाई तब कर सकते हैं जब उनके फल पीले या लाल पड़ जाए फिर उन्हें सुखाकर बाजार में बेच सकते हैं

    सुपारी के रोग और कीट

    सुपारी के पेड़ में लगे रोग जैसे पत्तों का पीला पड़ जाना और जड़ का सड़ जाना ,तना का गल जाना जो इसके पेड़ को काफी नुक्सान पहंचा सकते हैं |  इनमे पड़ने वाले कीट भी इसमें उपज को प्रभावित करते हैं ,उनमे से लाल भृंग और सूंडी जिनसे इनकी फसल को समस्या हो सकती हैं |

    और अगर आप करने की सोच रहे हैं खेती तो ये ब्लॉग आपकी बहुत मदत करेगा यदि आप खेती के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो यहाँ Click  करें

  • Garadu ki kheti : हमारे साथ जानें इस खास खेती के फायदे

    Garadu ki kheti : हमारे साथ जानें इस खास खेती के फायदे

    Garadu ki kheti : हमारे साथ जानें इस खास खेती के फायदे

    Garadu ki kheti एक पारंपरिक और पौष्टिक खेती है जो मुख्य रूप से जड़ वाली सब्जियों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करती है। इसकी खेती से न सिर्फ स्वस्थ फसलें मिलती हैं, बल्कि जमीन की उर्वरता में भी सुधार होता है। गराडू, जो एक महत्वपूर्ण फसल है, उसकी खेती बाजार में अच्छी मांग के साथ लाभदायक भी हो सकती है। अगर सही तकनीक और देखभाल का पालन किया जाए, तो ये एक सफल और टिकाऊ खेती का विकल्प बन सकता है। यदि आप हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ना चाहते है तो यहाँ क्लीक करे

    1.Garadu ki kheti कैसे करें

    गराडू, जो एक विशेष जड़ वाली फसल है, इसकी खेती करना काफी आसान है अगर आप सही तरीके से करें तो । सबसे पहले, आपको अपनी ज़मीन को अच्छे से तैयार करना होगा। ज़मीन को खोद कर उसमें खाद या जैविक खाद मिला लें। गराडू के बीज को तैयार करके 10-15 सेमी की गहराई में डाल कर ढक दीजिये. बीज को 20-30 सेमी के बीच गैप रख कर डालना चाहिए। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि जमीन में पानी का ड्रेनेज अच्छा हो, क्योंकि ओवरवॉटरिंग से जड़ें खराब हो सकती हैं।

    2. गराडू के पौधे की देखभाल

    गराडू के पौधे की देखभाल बहुत जरूरी है ताकि वो स्वस्थ रहें और अच्छी ग्रोथ दे। नियमित रूप से पौधों को पानी दीजिए, लेकिन ओवरवॉटरिंग से बचना जरूरी है। पानी तब ही दीजिए जब ज़मीन सुखी लग रही हो। बीज की वृद्धि के दौरान खरपतवार से बचने के लिए मल्चिंग भी जरूरी है। पौधों को कीट और बीमारियाँ से बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं।

    Garadu ki kheti

    3. Gaaradu ki kheti में उत्पादन

    गराडू की फसल का उत्पादन करने के लिए उचित समय और तकनीक की जरूरत होती है। फसल को काटते समय, पौधों को धीरे-धीरे खींच कर निकालना चाहिए ताकि जड़ों को नुकसान न हो। गराडू की कटाई का समय आमतौर पर 8-9 महीने बाद होता है। उत्पादन के लिए, जड़ का आकार और गुणवत्ता का ध्यान रखना जरूरी है। स्वस्थ और अच्छी साइज की जड़ों को ही बाजार में भेजना चाहिए।

    4. गराडू की खेती में लागत

    गराडू की खेती में लागत कारक पर निर्भर करती है , जैसे कि जमीन, बीज, श्रम और उर्वरक। एक अच्छी खेती के लिए, आपको उच्च गुणवत्ता वाले बीज और जैविक खाद की ज़रूरत होती है। सिंचाई लागत, खरपतवार प्रबंधन और कीट नियंत्रण भी शामिल है। आमतौर पर, एक एकड़ की खेती में ₹20,000-₹30,000 के आस-पास होती है। ये लागत आपकी लोकेशन और खेती के तरीके के अनुसार अलग अलग हो सकती है ।

    5. गराडू की खेती के लिए जरूरी बातें

    Garadu ki kheti के लिए कुछ चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, ज़मीन की गुणवत्ता और जल निकासी व्यवस्था की जाँच करें। बीज या कंदों को अच्छे से तैयार करके सही दूरी पर पौधे लगाएं। नियमित रूप से पानी देने और रख रखाव करने के लिए जैविक तरीकों का पालन करें ताकि आपकी मिट्टी और पौधे स्वस्थ रहें। उचित कटाई तकनीक और भंडारण के तरीकों पर भी ध्यान दें, ताकि आपकी फसल ज्यादा समय तक ताज़ा रहे।

    6.गराडू की खेती के फायदे

    Garadu ki kheti करना कई तरीको से फायदेमंद होता है पहले तो, ये एक पौष्टिक जड़ वाली सब्जी है जो स्वस्थ आहार का हिस्सा बन सकती है। इसकी खेती से आपकी जमीन की उर्वरता भी बढ़ती है क्योंकि ये जैविक खाद उपयोगी है। गराडू की खेती से आपको अच्छी आय भी मिल सकती है, क्योंकि इसकी मांग बाजार में काफी अच्छी है। और, गराडू की खेती से आप टिकाऊ कृषि पद्धतियों का भी पालन कर सकते हैं जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद है।

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  • Mahindra Yuvo Tech Plus 585 : हर चुनौती का जवाब, महिंद्रा युवो टेक प्लस 585 के पास

    Mahindra Yuvo Tech Plus 585 : हर चुनौती का जवाब, महिंद्रा युवो टेक प्लस 585 के पास

    Mahindra Yuvo Tech Plus 585 : हर चुनौती का जवाब, महिंद्रा युवो टेक प्लस 585 के पास

    Mahindra Yuvo Tech Plus 585 एक उन्नत ट्रैक्टर है जिसे किसानों की ज़रूरतों के हिसाब से डिज़ाइन किया गया है। इस ट्रैक्टर का प्रदर्शन, टिकाऊपन और दक्षता अपने सेगमेंट में सबसे बढ़िया है। यह ट्रैक्टर खेती, कटाई, बुवाई और ढुलाई जैसे विभिन्न कृषि कार्यों के लिए सबसे बढ़िया है। इस लेख में हम महिंद्रा युवो टेक प्लस 585 की कीमत, फीचर्स, स्पेसिफिकेशन, इंजन पावर और माइलेज के बारे में चर्चा करेंगे।

    Mahindra Yuvo Tech Plus 585 Tractor Price ( महिंद्रा युवो टेक प्लस 585 की कीमत )

    महिंद्रा युवो टेक प्लस 585 की कीमत किसानों की आवश्यकताओं और बजट को ध्यान में रखते हुए तय की गई है। इस ट्रैक्टर की कीमत लगभग ₹7.60 लाख से ₹7.90 लाख के बीच में होती है, जो राज्य और डीलरशिप के आधार पर थोड़ी भिन्न हो सकती है। जिसकी स्थिति और डीलरशिप के अनुसार थोड़ी भिन्नता हो सकती है। यह ट्रैक्टर अपनी क्लास में एक वैल्यू-फॉर-मनी विकल्प है क्योंकि इसमें उन्नत तकनीक और उच्च प्रदर्शन दोनों मिलते हैं। अगर आप एक बेहतर ट्रैक्टर की तलाश में हैं जो लंबे समय तक चलने वाला हो और दक्षता में भी अच्छा हो, तो महिंद्रा युवो टेक प्लस 585 एक अच्छी पसंद है।

    Mahindra 585 Tractor Features (महिंद्रा 585 ट्रैक्टर फीचर्स)

    Mahindra Yuvo Tech Plus 585

    महिंद्रा युवो टेक प्लस 585 में कुछ नए और एडवांस फीचर्स दिए गए हैं जो इसे खेती के लिए और भी उपयोगी बनाते हैं। इस ट्रैक्टर में 12 फॉरवर्ड और 3 रिवर्स गियर विकल्प मिलते हैं, जो स्मूथ ड्राइविंग अनुभव के लिए परफेक्ट है। यह ट्रैक्टर 4-व्हील ड्राइव और 2-व्हील ड्राइव डोनो विकल्प में आता है। इसके अलावा इसमें पावर स्टीयरिंग और आरामदायक सीट दी गई है जो लंबे समय तक काम करने के लिए सुविधाजनक बनती है। महिंद्रा 585 में बेहतर लिफ्ट क्षमता है जो 1700 किलोग्राम तक की है, जिसे आप भारी उपकरणों से संचालित कर सकते हैं। इसमें तेल में डूबे हुए ब्रेक दिए गए हैं जो सुरक्षित और प्रभावी ब्रेकिंग सिस्टम सुनिश्चित करते हैं। हाँ, ट्रैक्टर खेती की कठिन परिस्थितियों में भी अच्छा प्रदर्शन मिलता है।

    Mahindra Yuvo Tech Plus 585 Specifications (महिंद्रा यूवो टेक प्लस 585 स्पेसिफिकेशन)

    महिंद्रा युवो टेक प्लस 585 के स्पेसिफिकेशन इसे अपनी क्लास में एक प्रीमियम ट्रैक्टर बनाते हैं। इस ट्रैक्टर का इंजन 2979 सीसी का है जो 49.9 किलोवाट (68 एचपी) तक का पावर जनरेट करता है। यह ट्रैक्टर 2100 आरपीएम पर चलता है जो इष्टतम प्रदर्शन और ईंधन दक्षता को संतुलित करती है। इसमें 45-लीटर का फ्यूल टैंक दिया गया है जो लंबे समय तक उपयोग के लिए काफी है।
    इस ट्रैक्टर का वजन 2040 किलोग्राम है, और इसमें 4-सिलेंडर इंजन दिया गया है जो बेहतर टॉर्क और पावर आउटपुट देता है। इसमें कॉन्स्टेंट मेश ट्रांसमिशन सिस्टम दिया गया है जो स्मूथ गियर शिफ्टिंग के लिए बेहतर है। ट्रैक्टर का व्हीलबेस 1950 मिमी है जो बेहतर स्थिरता और नियंत्रण देता है।

    Mahindra Yuvo 585 Engine Power (महिंद्रा यूवो 585 इंजन पावर)

    महिंद्रा युवो टेक प्लस 585 एक पावरफुल ट्रैक्टर है जिसमें 68 एचपी का इंजन दिया गया है। यह इंजन खेती के कामो के लिए जैसे खेती, जुताई और ढुलाई के लिए एकदम सही है। इस ट्रैक्टर का इंजन ईंधन-कुशल होने के साथ-साथ हेवी-ड्यूटी कार्यों को आसानी से संभाल लेता है।
    इसमें मिलता है एडवांस्ड कूलिंग सिस्टम जो इंजन को ओवरहीट होने से बचाता है और ट्रैक्टर की लाइफ को बढ़ाता है। यह इंजन कम आरपीएम पर भी बेहतर टॉर्क जनरेट करता है जिसके ट्रैक्टर को खेती के कार्यों में उच्च उत्पादकता मिलती है।

    Mahindra Yuvo Tech Plus 585 Mileage (महिंद्रा यूवो टेक प्लस 585 माइलेज)

    महिंद्रा युवो टेक प्लस 585 का माइलेज अपने सेगमेंट में काफी प्रभावशाली है। यह ट्रैक्टर लगभग 2.5 से 3.5 लीटर प्रति घंटा ईंधन खपत करता है, जो खेती के काम जैसे जुताई और बुआई के दौरान काफी ईंधन-कुशल माना जाता है। इस ट्रैक्टर की ईंधन दक्षता, लंबे समय तक काम करने के दौरान भी लागत प्रभावी बनती है।
    महिंद्रा ने इस ट्रैक्टर को इस तरह से डिजाइन किया है कि यह कम ईंधन खर्च करके ज्यादा उत्पादकता दे सके। इसमें बेहतर ईंधन दहन तकनीक दी गई है जो ईंधन का कुशल उपयोग करती है और इंजन की जिंदगी बढ़ाती है।

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  • Goat Farming: से मिलेगी 12500 की नकद सहायता राशि जल्द आवेदन करे

    Goat Farming: से मिलेगी 12500 की नकद सहायता राशि जल्द आवेदन करे

    Goat Farming: से मिलेगी 12500 की नकद सहायता राशि जल्द आवेदन करे

    Goat Farming  एक ऐसा व्यवसाय है जो ग्रामीण और संजीवनी क्षेत्रों में बहुत ही लाभकारी हो सकता है। यह एक उपजाऊ व्यवसाय है जो कम लागत में शुरू किया जा सकता है और जो उचित प्रबंधन में रखा जाता है, वह बहुत ही लाभकारी हो सकता है। इसी वजह से सरकार उन किसानो को राशि प्रदान करवाती हैं, जो उन्हें ये सभी सुविधा प्रदान कर सके तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से |

    क्या महत्वपूर्ण हैं Goat Farming में यहाँ पढ़े

     Goat Farming क्या है ?

    बकरी पालन एक प्रकार का पशुपालन व्यवसाय है जिसमें बकरियों को उत्पादन के लिए पाला जाता है। इस व्यवसाय में मुख्यतः दूध और मांस का उत्पादन होता है, लेकिन बकरियों से और भी कई उत्पादों का उत्पादन किया जा सकता है जैसे की छाला, मूत्र, और गोबर।

    बकरियों को समूह में पालने से उनका परिचय बढ़ता है, और इससे संवारा और सहयोग के संस्कार भी बढ़ते हैं।बकरी पालन के लिए एक स्थिर और सुरक्षित संगठन की आवश्यकता होती है। बकरियों के लिए उचित आवास, पोषणयुक्त भोजन, ताजा पानी, और स्वच्छता की सुविधा होनी चाहिए।

    बकरी पालन में सरकारी सहायता

    बकरी पालन के लिए ओडिशा सरकार ने उन किसानो को सहायता प्रदान करने के लिए एक योजना चला रही हैं जिसमे उन्हें 12500 की नकद सहायता राशि मिलेगी जिसकी मदत से किसानो बकरी को अच्छी रहने की जगह , स्वास्थ चारा , साफ़ पानी और साफ़ वातावरण प्रदान कर सकेंगे

    Goat Farming aapkikheti.com

    बकरी पालन की विभिन्न प्रजातियां:

    सिरोई: यह प्रजाति भारत में सबसे प्रसिद्ध है और अधिकतर खेती होती है।

    बोखरा: बोखरा बकरियाँ उत्तर भारत में पायी जाती हैं और इनका मांस बहुत ही लाजवाब होता है।

    जमुनपारी: उत्तर प्रदेश में पायी जाती है यह प्रजाति और और उनका दूध काफी फायदेमंद होता हैं

    बकरी पालन के लिए आवेदन कैसे करें

    बकरी पालन के लिए उड़ीशा सरकार के द्वारा चलाई जा रही सीएम किसान योजना जिसमे सरकार किसानो को 12500 की सहायता राशि प्रदान करेगी जिसकी मदत से किसान भाई को बकरी पालन में साहयता होगी और इस योजना में पंचीकरण करवाने के लिए उन्हें आधार कार्ड राशन कार्ड और बाकरी से जुडे दस्तावेज दिखने होंगे जिसकी मदत से वो इस योजन का फायदा ले सकते हैं

    योजना में आवेदन के लिए यहाँ क्लिक करें https://kalia.odisha.gov.in  

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     संक्षेप

    बकरी पालन एक उत्कृष्ट व्यवसाय है जो कि किसानों को अधिक आय प्रदान कर सकता है और उन्हें अन्य व्यापारिक और सामाजिक लाभ प्रदान कर सकता है। इसी वजह से ओडिशा सरकार उन किसानो की मदत कर रही हैं जिससे इसके माध्यम से किसान अगर इसके व्यापार के बारे में भी सोच रहे हैं तो वो इस योजना की सहायता से इसका फायदा ले सकते हैं

  • Kishmish ki kheti : करिये किशमिश की खेती और पाइये  मीठे लाभ

    Kishmish ki kheti : करिये किशमिश की खेती और पाइये मीठे लाभ

    Kishmish ki kheti : करिये किशमिश की खेती और पाइये मीठे लाभ

    Kishmish ki kheti यानि अंगूर की खेती करना किशमिश बनाने के लिए | यह एक लाभदायक खेती है किसानो के लिए ,क्योकि बाजार में इसकी मांग बहुत जियादा है | अंगूर को सूखा कर किशमिश बनाई जाती है | भारत में भी इसका उत्पादन काफी होता है | कई ऐसे राज्य है जैसे की महाराष्ट्र , कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में इसकी खेती ज़ियादा की जाती है | किशमिश का इस्तेमाल मिठाई बनाने और ड्राई फ्रूट्स के रूप में किया जाता है | यह हमरी सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होती है | यदि आप किशमिश की खेती से जुडी जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो पढ़िए पूरा लेख और हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ने की लिए यहाँ क्लिक करे

    किशमिश उत्पादन (किशमिश उत्पादन)

    किशमिश का उत्पादन करने के लिए अंगूर को उगाना और सही तरीके से इन्हें सुखाना जरूरी होता है। भारत में किशमिश का उत्पादन महाराष्ट्र के नासिक और सांगली जिलों में सबसे ज़ियादा होता है। अंगूर जब पक जाते है , तब इन्हें सुखने के लिए छोड़ दिया जाता है। किशमिश उत्पादन में अंगूर की किसम, सिंचाई की व्यवस्था, और सुखने का तरीका बहुत महत्वपूर्ण होता है।

    अंगूर से किशमिश कैसे बनाएं (Angoor se Kishmish Kaise Banayein)

    अंगूर से किशमिश बनाने के लिए अंगूरों को सूरज की रोशनी में या फिर सुखाने वाले रैक पर सुखाया जाता हैजो लगभग 2-3 दिन का समय लेता है।। सुखने के दौरन अंगूर का पानी वाष्पित हो जाता है और इन्हें एक मुरझाये हुवे , सुखी रूप में बदल देता है। किशमिश बनाने का समय, प्रकार और सुखने की स्थिति इस बात पर निर्भर है कि आप कितनी मीठी और किस प्रकार का किशमिश बनाना चाहते हैं।

    किशमिश की उन्नत किस्मे (Kishmish Ki Unnat Kismein)

    किशमिश की कुछ उन्नत किस्मे हैं जैसे की थॉम्पसन सीडलेस, जो दुनिया भर में सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाली वैरायटी है। इसके अलावा ब्लैक कोरिंथ, फिएस्टा सीडलेस, और मोनुका भी काफी लोकप्रिय हैं। किसमो का चुनाव खेती के लिए फसल की आवश्यकता, जलवायु और स्थानीय बाजार की मांग पर निर्भर होती है।

    किशमिश की खेती के लिए आवश्यक जलवायु (Kishmish ki kheti ke liye Aavashhyak Jalvayu)

    इसकी खेती के लिए गरम और सुखा जलवायु जरुरी होता है | अंगूर की पैदावार अच्छे से हो सके इसके लिए इसके लिए गर्मी में तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। सुखने के दौरान भी तापमान सही होना चाहिए | क्योंकि बारिश या ज्यादा नमी किशमिश की गुणवत्ता को खराब कर सकती है। नासिक और सांगली जैसे क्षेत्र का मौसम इसके लिए एकदम सही रहता है |

    किशमिश के पौधे कैसे लगाएं (Kishmish ke paudhe kaise Lagayein)

    किशमिश के पौधे लगाने के लिए सबसे पहले ऊंची किस्म के अंगूर के पौधे को चुनना जरुरी होता है । पौधों को लगाने के लिए मिट्टी का उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाला होना जरूरी है। पौधों को रोपण के मौसम में लगाया जाता है, जो अक्सर मानसून के बाद होता है। उत्पादन को बढ़ाने के लिए पौधो को अच्छी तरह से पानी देना और खेतों को जरुरत के मुताबिक खाद देना जरुरी होता है |

    किशमिश की खेती में सिंचाई (Kishmish ki Kheti mein Sinchai)

    इसकी खेती में सिंचाई बहुत जरूरी होती है। ड्रिप सिंचाई किशमिश की खेती के लिए एक अच्छा विकल्प है, जिससे पानी की बचत होता है और पौधों को औसत मात्रा में पानी मिलता है। सिंचाई का समय और पानी की मात्रा जलवायु और पौधों की वृद्धि अवस्था पर निर्भर करती है।

    किशमिश उत्पादन में लागत (Kishmish Utpadan mein Lagat)

    किशमिश उत्पादन में लागत, खाद, सिंचाई, और सुखने की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। एक एकड़ ज़मीन पर अंगूरों की खेती की लागत ₹70,000 से ₹1,00,000 के बीच होती है, जिसमें किशमिश बनाने के सुखने का खर्चा भी शामिल होता है। हालाँकि , सही प्रक्रिया और अच्छे प्रबंधन के साथ ये निवेश अच्छी आमदनी में बदल सकता है।

     किशमिश की खेती के फायदे (Kishmish ki Kheti ke Fayde)

    किशमिश की खेती से कई प्रकार के फायदे होते है | पहला, ये एक उच्च मूल्य वाली फसल है, जिसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। दूसरा, इसका एक्सपोर्ट मार्केट भी काफी बड़ा है, जो किसानों के लिए अच्छी आमदनी का एक और रास्ता खोलता है। तीसरा, किशमिश से प्राप्त उत्पादों का उपयोग खाद्य उद्योग में कई तरह से होता है, जिससे बाजार क्षमता और बढ़ जाती है।

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  • Anjeer ki kheti : कम मेहनत में इस खेती से पाएं सोने सा मोल

    Anjeer ki kheti : कम मेहनत में इस खेती से पाएं सोने सा मोल

    Anjeer ki kheti : कम मेहनत में इस खेती से पाएं सोने सा मोल

    Anjeer ki kheti एक पुरानी और लाभदायक खेती है जो किसानों के लिए अच्छी आय का स्रोत बन सकती है। इसका फल स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है क्योंकि इसमें बहुत सारे विटामिन, खनिज और फाइबर होते हैं। गर्म और शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में इसकी सबसे अच्छी पैदावार होती है। अंजीर की खेती के लिए सही मिट्टी और जलवायु का चयन बहुत जरूरी है।  यदि आप अंजीर की खेती से जुडी जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो पढ़िए पूरा लेख और हमारे इंस्टाग्राम चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे |

    अंजीर का उत्पादन

    भारत के कई राज्यों में अंजीर का उत्पादन होता है, जहां का पर्यावरण गरम है। 3-4 साल के अंदर पेड़ फल देना शुरू कर देते हैं और एक पेड़ से 20-30 किलो तक का उत्पादन मिल सकता है। इसे सूखा कर या ताजा बेच कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।

    भारत में अंजीर की खेती करने वाले प्रमुख राज्य

    भारत में कई प्रमुख राज्य है जहा  Anjeer ki kheti की जाती है , वे है महाराष्ट्र ,गुजरात तमिलनाडु ,कर्नाटक और आंध्र प्रदेश | महाराष्ट्र में अंजीर की खेती सबसे जियादा की जाती है जिसमे पुणे और सतारा के क्षेत्र में सबसे जियादा उत्पादक होता है इसका |

    अंजीर की अनेक किस्में

    अंजीर की कई मुख्य किस्में हैं जैसे ब्लैक मिशन, कडोटा, कैलिमिरना और एड्रियाटिक, जो अपने खास स्वाद, आकार और रंग के लिए लोकप्रिय हैं। व्यापारी इन किस्मों के आधार पर फलों का व्यापार करते हैं।

    अंजीर के पोधे

    अंजीर के पोधे छोटे या मध्यम आकार के पेड़ होते हैं, जो 10-20 फीट की ऊंचाई तक जा सकते हैं। इनके पत्ते बड़े और चौड़े होते हैं और फल गोल और नरम होते हैं। ये पोधे गरम और थोड़ी सी शुष्क जलवायु में अच्छे से उगते हैं और इनमें अधिक पानी की जरुरत नहीं होती।

    अंजीर उगाने का तारिका

    अंजीर उगाने के लिए सबसे पहले आपको मिट्टी का सही चयन करना होता है। रेतिली या दोमत मिट्ति बेहतरीन मानी जाती है। ठंडे मौसम में पोधे लगना उचित होता है। बीज या कटाव को 6-8 इंच गहरायी में बोया जाता है और 15-20 फीट की दूरी पर पोधे लगाए जाते हैं।

    अंजीर के पोधे की कीमत

    अअंजीर की फली की कीमत राज्य और किस्म के हिसाब से अलग-अलग होती है। एक आम अंजीर की पौधा 50 से 200 रुपये में मिल जाता है और इसे ऑनलाइन या नर्सरी से खरीदा जा सकता है।

    पोधे की सिंचाई

    अंजीर के पत्तों को कम पानी की ज़रूरत होती है। गर्मी के मौसम में हफ़्ते में एक या दो बार पानी देना काफ़ी होता है। सर्दियों में और भी कम पानी की ज़रूरत होती है। सिंचाई तभी करनी चाहिए जब मिट्टी सूख जाए, ताकि जड़ों को सुरक्षा मिले।

    फल की तोड़ाई

    फल जब नरम और पक जाता है, तब उसकी तोड़ाई की जाती है। इस समय फल का रंग भी बदल जाता है। तोड़ाई सुबह या शाम के समय करनी चाहिए, ताकी फल को तुरंत सुखा कर बाजार में बेचा जा सके।

    अंजीर की खेती के लाभ

    अंजीर पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है और बाजार में उचित मूल्य पर बिकता है।

    इसका उत्पादन कम लागत और कम पानी से संभव है।

    इसे सुखाकर या ताजा बेचा जा सकता है।

    आयुर्वेदिक उपचार में इसके इस्तेमाल से इसका व्यापार भी बढ़ता है।

    इसमें विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद बनाते हैं।

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  • National Food Security Mission : जानिए ऐसी योजना के बारे में  जो अनाज उत्पादन में वृद्धि करेगी

    National Food Security Mission : जानिए ऐसी योजना के बारे में जो अनाज उत्पादन में वृद्धि करेगी

    National Food Security Mission : जानिए ऐसी योजना के बारे में जो अनाज उत्पादन में वृद्धि करेगी

    National Food Security Mission (NFSM) सरकार द्वारा चलाई गई एक महत्वपूर्ण योजना है | जिसका उद्देश्य देश में खादय सुरक्षा को मजबूत करना है | इस योजना का मुख्य उद्देश्य है, अनाज उत्पादन में वृद्धि करना , कृषि उत्पाद की क्षमता बढ़ाना और किसानो की आय को सुधारना है | NFSM के तहत ,अनेक फैसलों जैसे धान , गेहू , दलहन, और मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है यदि आप इस योजना से जुडी जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो पढ़िए पूरा लेख और हमारे इस्टाग्राम चैनल से जुड़ना चाहते है तो यहाँ क्लिक करे

    National Food Security Mission Was Launched Under Which Ministry

    National Food Security Mission

    खाद्य सुरक्षा मिशन को मिनिस्ट्री ऑफ़ एग्रीकल्चर & फार्मर के अंतर्गत लांच किया गया था | कृषि और किसानो की भलाई के लिए इस मंत्रालय ने NFSM के जरिये से अनाज उत्पादन को बढ़ाने और किसानो कीआर्थिक स्थिति को सुधारने का काम किया था | इस योजना में किसानो को बेहतर बीज , कृषि यंत्र, और सुचना प्रदान करने के लिए अलग -अलग कार्यक्रमों को शामिल किया गया

    The National Food Security Mission was launched during India’s 11th Five-Year Plan (2007-2012)

    खाद्य सुरक्षा मिशन को भारत के 11th Five-Year Plan (2007-2012) के दौरान लॉन्च किया गया था | इस योजना की शुरुआत इसलिए की गई थी क्योकि देश में बढ़ती जनसँख्या के साथ खादय सुरक्षा को बनाये रखना एक बड़ी चुनौती बन चुकी थी |11th Five-Year Plan के तहत NFSM के अंतर्गत अनाज उत्पादन में 25  मिलियन टन की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया था , जो यह बताता है की यह योजना कितनी महत्वपूर्ण थी

    National Food Security Mission Aim

    खाद्य सुरक्षा मिशन का मुख्य उद्देश्य देश में खादय अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देना और सुरक्षा को मजबूत बनाना है। इस योजना का उद्देश्य अनाज उत्पादन में वृद्धि के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बनाना है, किसानों की आय को सुधारना है, और सामान्य जनता के लिए पोषक अनाज का उपयोग करना है। इस योजना के मध्यम से धन, गेहू, दल्हन और तेलहन जैसे अनाज की फसल पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिससे फसल के उत्पादन में सुधार हो सके और देश में खादय सुरक्षा सुनीश्चित की जा सके।

    National Food Security Mission Budget

    राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के लिए भारत सरकार ने प्रारंभिक रूप से एक विस्तृत बजट आवंटित किया था। शुरुआत में, इस योजना के लिए 4,882 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था, जिससे इस मिशन के अंतर्गत आने वाले कार्यक्रम को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सके। बाद में, बढ़ते हुए अनाज के डिमांड के चलते, इस बजट में भी समय-समय पर वृद्धि की गई है। ये बजट किसानों को बेहतर कृषि सूचना, उपकरण और सुविधाएं प्रदान करने में मददगार रहा, जिससे देश के अनाज उत्पादन में वृद्धि देखी गई।

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  • Top 5 best tractors in india : जानिए उनकी कीमत और  खासियत के बारे में

    Top 5 best tractors in india : जानिए उनकी कीमत और खासियत के बारे में

    Top 5 best tractor in India :  जानिए उनकी कीमत और खासियत के बारे में

    आज हम बताने जा रहे आपको इसके Top 5 best tractors in india  माध्यम से कि कोनसा ट्रेक्टर आपकी खेती के लिए 2024 में सबसे अच्छा रहगा और आपकी फसल की पैदावार को बढ़ाने में मदत जिसकी मदत से आप भी अधिक कमाईं कर सकते हो और अगर आप हमारे इंस्टाग्राम से भी जुड़ना चाहते हो तो यहाँ Click करो

    ये रही लिस्ट जिसमे आप  सभी Top 5 best tractors in india जानकारी ले सकते हैं

    Farmtrac 3600

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    यह ट्रेक्टर आपको 47 hp का बेहतरीन इंजन प्रदान करता हैं इसके साथ साथ 60 लीटर की पेट्रोल के टंकी के साथ साथ 1800 किलो तक का वजन उठाने की छमता प्रदान करता हैं जिसकी मदत से किसान भाई खेती से अच्छी कमाई पा सकते हैं |  इसकी खासियत हैं इसका प्रयोग खेत को जोतने, मेंड़ बनाने और कटाई में मदत करता हैं

    कीमत : 7 लाख से लेकर 7. 28 लाख मिल जाएगा
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    Swaaraj 724 FE 4WD

     

    यह ट्रेक्टर आपको 25 Hp का इंजन प्रदान करने के अलावा एक सुरक्षित कण्ट्रोल के साथ बेठने के लिए अच्छी जगह भी देता हैं | इस ट्रेक्टर में आपको 65 लीटर की पेट्रोल की टंकी मिल जायेगी

    कीमत :  8.70 लाख से 9 लाख तक मिल जाएगा
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    Solis 6524 S

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    यह ट्रैक्टर आपको 65 लीटर की पेट्रोल की टंकी के साथ साथ 2500 किलो तक का वजन उठाने में सक्षम हैं जिसकी वजह से ये Top 5 best tractors in india की लिस्ट में आता हैं | इसको कई अलग अलग तरह से हम इसका प्रयोग कर सकते हैं जैसे कटाई बुवाई और आलू के बोने में भी कर सकते हैं
    कीमत : 8. 70 लाख से लेकर 9 लाख तक मिल जायगा
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    Kartar 5936

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    यह ट्रेक्टर आपको 60 Hp का इंजन प्रदान करवाता हैं और इसके साथ साथ 2200 किलो तक का वजन उठाने की छमता के साथ ये आपको अनेको फायदे देता हैं जैसे आलू की खेती में , खेत को जोतने में , फसल को काटने में मदत करता हैं

    कीमत: 9.45 लाख तक 11. 15 लाख में मिल जायेगा
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    Holand T4 Electric Power

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    यह ट्रेक्टर आपको इलेक्ट्रिक सुविधा प्रदान करेगा ,जिस से आपको काफी मदत होगी और इसकी एक घंटे में पूरा चार्ज हो जाएगा | इसमें आपको 74 Hp के इंजन के साथ साथ 2027 किलो के वजन को उठाना की भी छमता प्रदान करता हैं | और ये आपको कई अलग अलग तरह के काममें मदत देता हैं

    कीमत:  9.45 लाख तक 11. 15 लाख मैं  मिल जायेगा
    EMI पर लेने के लिए यहाँ क्लिक करें

    किसान का सबसे बड़ा साथी होता हैं एक ट्रैक्टर तो हमारे द्वारा दी गई ये जानकारी आपको सहायता प्रदान करेगी और अधिक जानकारी चाहते है तो हमारी वेबसाइट Aapkikheti.com पर जाए जहाँ आपको और अधिक चीज़े जान सकेंगे