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  • Chane ki Kaise Hogi Bumper Paidavar

    Chane ki Kaise Hogi Bumper Paidavar

    Chane ki Kaise Hogi Bumper Paidavar – चने की टॉप 5 किसमो से होगी बंपर पैदावर

    रबी फसलों की बुवाई का सीजन चल रहा है। ऐसे में किसानों को अच्छी किस्म के बीजों की आवश्यकता होती है ताकि बेहतर पैदावार हो सके। रबी फसलों की बहुत सी अधिक उत्पादन देने वाली किस्में हैं जिसकी जानकारी किसानों को होनी चाहिए। रबी फसलों की किस्मों के क्रम में आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसान भाइयों को चने की अधिक उत्पादन देने वाली टॉप 5 किस्मों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।

    जानिये :- Chane ki Kaise Hogi Bumper Paidavar

    चने की नई किस्म जे.जी 12 वैज्ञानिकों ने सीड हब परियोजना के अन्तर्गत जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा चना की नई अधिक उत्पादन देने वाली किस्म विकसित की है। ये किस्म उकठा निरोधक प्रजाति से विकसित की गई है। चने की इस नई किस्म से करीब 22-25 क्विटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। ये किस्म उकठा रोग प्रतिरोधी किस्म है। चने की इस नई किस्म का बीज कृषि विज्ञान केंद्र-कुंडेश्वर रोड टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश) से प्राप्त किया जा सकता है।

    चने की विजय किस्म चने की विजय किस्म जल्दी एवं देरी से दोनों समय में बोई जा सकती है। इस किस्म की बुवाई का समय अक्टूबर से नवंबर में के मध्य करना अच्छा माना जाता है। ये अन्य किस्मों की अपेक्षा जल्दी पककर तैयार हो जाती है। सिंचित क्षेत्र में इसकी फसल 105 दिन और असिंचित क्षेत्र में इसकी फसल 90 तैयार हो जाती है। इसमें फूल आने की अवधि 35 दिनों की होती है। चने की यह किस्म सूखा सहन में समर्थ है।

    चने की एच.सी-5 किस्म चने की ये किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के करनाल स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र की ओर से विकसित की गई है। इस किस्म को नवंबर माह में तापमान कम होने पर बोया जाता है। किसान भाई 25 अक्टूबर से 15 नवंबर तक इसकी बुवाई कर सकते हैं। सामान्यतः इस किस्म की बुवाई के लिए करीब 27° या इससे कम तापमान बेहतर माना जाता है। इस किस्म के पौधे में 50 से 55 दिन की अवधि में फूल आने शुरू हो जाते हैं। ये किस्म करीब 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म भी अधिक उत्पादन देती है। किसान बीज उपचार, खरपतवार नियंत्रण, उर्वरक प्रबंधन, कीट नियंत्रण, सिंचाई प्रबंधन तथा पाले की सुरक्षा आदि क्रियाएं करके इसका उच्च उत्पादन प्राप्त कर सकता है। चने की विशाल किस्म चने की इस किस्म का आकार बड़ा और गुणवत्तापूर्ण होता है। ये चने की सर्वश्रेष्ठ किस्म मानी जाती है। इस किस्म की बुवाई का समय 20 अक्टूबर से नवंबर का प्रथम पखवाड़ा तक बताया गया है। चना की विशाल किस्म 110 से 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसमें फूल आने का समय 40 से 45 दिन का होता है। चने की इस किस्म से करीब 35 क्विटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

    चने की (दिग्विजय) फुले 9425-5 किस्म : चने की ये किस्म फुले कृषि विश्वविद्यालय राहुरी द्वारा विकसित की गई है। ये किस्म अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में शुमार है। इस किस्म की बुवाई का समय अक्टूबर से नवंबर के मध्य का होता है। चने की यह किस्म 90 से 105 दिन पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से अधिकतम 40 क्विटल प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। चने की खेती में ध्यान रखने चने की खेती में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इसकी बेहतर पैदावार प्राप्त की जा सकती है। चने की खेती में जो बाते ध्यान रखनी चाहिए उनमें से खास बातों को हम नीचे बता रहे हैं। चने की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है। इसमें मिट्टी का पीएच मान 6.6-7.2 बीच होना चाहिए। इसकी खेती के लिए अम्लीय एवं ऊसर भूमि अच्छी नहीं मानी जाती है।

    • चने की अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए असिंचित व सिंचित क्षेत्र में चने की बुवाई अक्टूबर प्रथम और द्वितीय पखवाड़े में करना अच्छा रहता है। वहीं जिन खेतों में उकटा का प्रकोप अधिक होता है वहां इसकी बुवाई देरी से करना लाभदायक रहता है। चने के बीजों की बुवाई गहराई में करनी चाहिए ताकि कम पानी में भी इसकी जड़ों में नमी बनी रहे। सिंचित क्षेत्र में 5-7 सेमी व बारानी क्षेत्रों में सरंक्षित नमी को देखते हुए 7-10 सेमी गहराई तक बुवाई की जा सकती है। चने की बुवाई हमेशा कतार में करनी चाहिए। इससे खरपतवार नियंत्रण, सिंचाई, खाद व उर्वरक देने में आसानी होती है। देशी चने की बुवाई करते समय कतार से कतार की दूरी 30 सेमी तथा काबुली चने की बुवाई में कतार से कतार की दूरी 30-45 सेमी रखना चाहिए।

    चने की फसल में जड़ गलन व उखटा रोग की रोकथाम के लिए 2.5 ग्राम थाईरम या 2 ग्राम मैन्कोजेब या 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करके बीजों की बुवाई करनी चाहिए। वहीं जिन क्षेत्रों में दीमक का प्रकोप अधिक होता है। वहां 100 किलो बीज को 600 मिली क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी से बीज को उपचारित करके बीजों की बुवाई करनी चाहिए। बीजों को सदैव राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के बाद ही बोना चाहिए। चने की फसल में जहां सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो वहां बुवाई के 40-45 दिन बाद इसकी पहली सिंचाई करनी चाहिए। इसकी दूसरी सिंचाई फलियां बनते समय करीब 60 दिन बाद की जा सकती है। इस बात का ध्यान रखे सिंचाई सदैव हल्की ही करें क्योंकि ज्यादा सिंचाई से फसल पीली पड़ जाती है। पौधों की बढ़वार अधिक होने पर बुवाई के 30-40 दिन बाद पौधे के शीर्ष भाग को तोड़ देना चाहिए। ऐसा करने से पौधों में शाखाएं अधिक निकलती है व फूल भी अधिक आते हैं, फलियां भी प्रति पौधा अधिक आती है। जिससे पैदावार अधिक प्राप्त होती है। पर इस बात का ध्यान रखें कि नीपिंग कार्य फूल वाली अवस्था पर कभी भी नहीं करें। इससे उत्पादन पर विपरित असर पड़ सकता है।

  • घरेलू भण्डारण में सुरक्षा के श्री उपाय एवं रोकथाम

    घरेलू भण्डारण में सुरक्षा के श्री उपाय एवं रोकथाम

    घरेलू भण्डारण में सुरक्षा के श्री उपाय एवं रोकथाम

    हमारे देश की तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा किसान वर्ग की खुशहाली के लिये अधिक से अधिक अनाज उत्पादन बहुत महत्वपूर्ण है परन्तु इसके साथ-सा अनाज के सुरक्षित भी उतना ही महत्व भण्डारण का है। सर्वेक्षण इंगित करते हैं की अधिकांश • गाँवों में कीट रहित अनाज भंडारण के गोदाम नहल है घरेलू भण्डारण में सुरक्षा तथा अनाज का उचित ढंग से भण्डारण न होने के कारण हर वर्ष कम से कम 10 प्रतिशत अनाज गोदामों में कीड़ों इत्यादि द्वारा नष्ट हो जाता है। खेती के कार्य में 60 से 70  प्रतिशत योगदान षक महिलाओं का रहता है एवं घर के अन्दर अनाज – भंडारण तथा संरक्षण की मुख्य जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। इसलिये सुरक्षित अनाज भण्डारण की पूर्ण जानकारी महिलाओं? को। होनी आवयश्क है । अनाज को मुख्यतः नुकसान निम्नलिखित कारणों से होता है ।

    1. नमी अनाज के अन्दर की नमी तथा बाहर की नमी दोनों भण्डारित अनाज को हानि पहुँचाती है। नमी से अनाज में कीड़े का प्रकोप अधिक होता है, क्योंकि नमी उनकी वृद्धि के लिये अनुकूल होती हैं, जिससे अनाज सड़ जाता है तथा अंकुर निकल आते हैं। दाने एक दुसरे से जुड़ जाते है और दुर्गन्ध आने लगती है तथा फफूँदी भी लग जाती है जिससे अनाज काला व सफेद पड़ जाता है ।

    2. कीड़े मकोड़े : कीड़े अनाज भण्डारों में अनाज के साथ ही रहते हैं और अनाज को बाहर और अन्दर से खाकर खोखला कर तुकार करते हैं। इससे अनाज की मात्रा व पोषक तत्त्वों के गुणों को कम करते है और साथ ही साथ अनाज को अगली बिजाई के उपयुक्त भी नहल छोड़ते क्योंकि कीडे लगा अनाज का उगना असम्भव होता है ।

    3. चूहे : चूहे मनुष्य के स्वास्थ्य और खाद्य सामग्री को बहुत नुकसान पहुँचाते हैं। गोदामों में चूहे अनाज को काटकर खाते हैं और जितना अनाज ये खाते हैं उससे कई गुणा अनाज काटकर बेकार कर देते हैं। ऐसा अनाज उगाने या खाने योग्य नहल रहता है, इसलिये चूहों की रोकथाम जरूरी है।

  • मिर्च की खेती से किसानों को हो रहा जबरदस्त मुनाफा

    मिर्च की खेती से किसानों को हो रहा जबरदस्त मुनाफा

    मिर्च की खेती किसानों के लिए एक बेहतर आय का जरिया बन गई है. इसमें सफलता मिलता देख अब कई किसान पूरे साल सिर्फ इसकी खेती कर ही मोटा मुनाफा कमा रहे हैं और अपने जीवन में बड़ा बदलाव ला रहे हैं.भारत में मिर्च का मसालों में विशेष महत्व है. उत्तर प्रदेश, बिहार, महारा, कर्नाटक और ओडिशा समेत कई राज्यों में मिर्च का अच्छा उत्पादन होता है, जिससे किसान लाखों का मुनाफा कमाते हैं. उनके यहां की मिट्टी मिर्च की खेती के लिए उपजाऊ और अच्छे पानी के निकास वाली है, इसीलिए इन क्षेत्रों में मिर्च की अच्छी पैदावार मिल जाती है. इसी सोच पर उन्होंने हरदोई जाकर इसकी जानकारी कृषि विभाग और उद्यान विभाग से ली, जहां पर उन्हें मिर्च की खेती के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई थी.

    एक एकड़ में 35 क्विटल तक उत्पादन : शुरुआत में उन्होंने पूसा सदाबहार मिर्च के बीजों से खेती की थी, जिसमें 9 से 10 सेंटीमीटर लंबे और अत्यंत कड़वे मिर्च के फल प्राप्त हुए थे. प्रति एकड़ हरी मिर्च करीब 35 क्विटल प्राप्त हुई थी और उसी को सूखाकर करीब 7 से 8 कुंटल सूखी मिर्च प्राप्त हुई. वह इसे कई वर्षों से कर रहे हैं. समय-समय पर वह उद्यान विभाग के द्वारा कीटों से बचाव, उत्तम बीजों का चयन, खरपतवार नियंत्रण और खाद के संबंध में जानकारी लेते रहते हैं. साथ ही वह अपनी मिट्टी का पीएच भी समय-समय पर कृषि विभाग से जांच कराते हैं. उन्होंने बताया कि खेत तैयार करने के लिए वह करीब तीन से चार बार जुताई करते हैं. बीज बोने से 20 दिन पहले खाद डालने का काम आवश्यक मात्रा के अनुसार करते हैं. मेड़दार खेत तैयार करने के साथ ही 60 सेंटीमीटर दूरी पर मेड़ की नालियां तैयार करते हैं. बीज अंकुरण तक इन्हें पॉलीथिन से ढक दिया जाता है. पौधे निकलने के ब T द हानिकारक कीटों से बचाव के लिए वह समय-समय पर बाजार में मिलने वाली आवश्यक दवाओं का इस्तेमाल करते रहते हैं. फल आने पर ज्यादातर फल छेदक कीट मिर्च की फसल को नुकसान पहुंचाता है.

    एक हेक्टेयर में 12 लाख तक कमाई: किसान ने बताया कि 70 दिनों में तैयार होने वाली फसल में करीब 20 से 30 हजार का खर्च आता है, लेकिन प्रति एकड़ करीब 2 लाख की कमाई होती है. किसान ने बताया कि प्रति हेक्टेयर मिर्च की खेती में 9 से 11 महीने में करीब 12 लाख रुपए तक का मुनाफा हुआ है. हरदोई जिला उद्यान अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि

    समय-समय पर उन्नत बीजों और खरपतवार के साथ-साथ कीटों से बचाव के संबंध में किसानों को जागरूक किया जाता है. जिले में बड़ी संख्या में किसान इसकी की खेती कर लाभ कमा रहे हैं. कई लोग तो चक्रीय विधि से पूरे साल मिर्च की ही खेती कर रहे हैं. किसानों को समय-समय पर सरकार के द्वारा दिए जा रहे लाभ भी दिए जाते हैं. मिर्च की खेती से किसानों के हालात में बदलाव आया है.

  • जैविक हरी खाद के प्रयोग से धान की पैदावार बढ़ाएं

    जैविक हरी खाद के प्रयोग से धान की पैदावार बढ़ाएं

    जैविक हरी खाद के प्रयोग से धान की पैदावार बढ़ाएं

    जैविक हरी खाद के प्रयोग करने पर धान फसल की बेहतर पैदावार प्राप्त होती है। इसके साथ-साथ हमारे खेतों की मिट्टी में जीवांश की मात्रा में वृद्धि होती है। उपजाऊ मृदा वही कहलाती है, जिसमें जीवांश की भरपूर मात्रा हो। मृदा का उपजाऊपन बढ़ाने की क्रियाओं में हरी खाद का प्रयोग सर्वाधिक कारगर है। इस क्रिया में प्रायः दलहनी पौधों को उसी खेत में उगाकर 30-40 दिनों के बाद। जुताई करके मिट्टी में मिला देते है। हरी खाद का प्रयोग करने के लिये आप जब धान की नर्सरी डालते है, उसी समय मुख्य खेतों में हरी खाद जैसे-सन् या ढेचा इत्यादि के बीज बो दें। लगभग 30 किलो बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होगा। रोपा लगाने के लगभग एक सप्ताह पूर्व खेतों में हल चलाकर हरी खाद के कोमल पौधों को अच्छी तरह मिट्टी में मिला दें। चार से पांच दिनों में यह मिट्टी में मिलकर अच्छी तरह सड़ जाती है। जिससे मिट्टी में जीवांश की मात्रा में वृद्धि होती है और आपके खेतों की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। हरी खाद की फसलें दलहनी होती है,। इनके पौधों की जड़ों में मौजूद गठानों में राइजोबिया नामक जीवाणु होते हैं जो वायुमण्डल में उपस्थित नाइट्रोजन पोषक तत्व को अवशोषित कर पौधों को उपलब्ध कराते है और पौधों की आवश्यकता से अतिरिक्त नाइट्रोजन मृदा में स्थिर करते है, जो अगली फसल के काम आता है। ढेंचा की हरी खाद से प्रति हैक्टर लगभग 100 किलो नाइट्रोजन (2 क्विंटल यूरिया कीमत रू. 1000/-) प्राप्त होती है। इसके जतिरिक्त थोड़ी मात्रा में स्फुर, पोटाश, गंधक, मैग्नीशियम, ताम्बा, लोहा इत्यादि । तत्व भी प्राप्त होते हैं। बीज बनाने के लिये हरी खाद के बीज थोड़ी! मात्रा में बगार खेतों में भी बोएं। इससे आपको हर वर्ष बीज खरीदने की झंझट से मुक्ति मिलेगी। वैसे भी इनकी उपलब्धता समय पर कम होतीहै। इसलिये इसका बीज स्वयं बनाने की आदत डालें।

  • गेहूँ की नवीन उन्नत प्रजातियां उनसे जूडी सम्पूर्ण जानकारी

    गेहूँ की नवीन उन्नत प्रजातियां उनसे जूडी सम्पूर्ण जानकारी

    गेहूँ की नवीन उन्नत प्रजातियां उनसे जूडी सम्पूर्ण जानकारी

    गेहूँ की नवीन उन्नत प्रजातियां :-गेहूँ-एच.डी.-4728 (पूसा मालवी) गेहूँ की यह नवीनतम कठिया किस्म अपने बोल्ड दाने व आकर्षक चमकदार गेहुँआ (अंबर) रंग के कारण अत्यन्त स्वादिष्ट होने से तथा अपनी उच्च उत्पादन क्षमता के लिये किसानों में काफी लोकप्रिय हो गई है। गेहूँ की यह किस्म सेन्ट्रल झेन याने म.प्र., राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ में बोनी हेतु अनुशासित किस्म है। मध्यम ऊँचाई वाला, अधिक कचे करने वाला व कड़क काड़ी का पौधा होने से लॉजिंग या आड़ा पड़ने की समस्या नहीं। इसकी अवधि लगभग 120 दिवस इसके 1000 दानों का वजन लगभग 55 ग्राम। इस किस्म के अधिकांश गुण/केरेक्टर / विशेषताएं एवं कृषि कार्यमाला पूसा तेजस एचआई 8759 से काफी मिलती है। अतः इनका अलग से उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है। इस हेतु पूसा तेजस की सम्पूर्ण जानकारी नीचे दी गई है। उसका अध्ययन कर लेवें। उत्पादन क्षमता एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की क्वालिटी एवं पोषक तत्वों की प्रचुरता के कारण इस किस्म ने अपना एक शीर्ष स्थानकिसानों में बना लिया है। इस किस्म में हाई ग्लुटेन की मात्रा होने से पास्ता, मेकरोनी एवं अन्य उत्पादों के अनुकूल होने से अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में मांग होने के कारण एक्सपोर्ट हेतु एक आदर्श किस्मा इस किस्म में थर्मोंटालरेन्स याने अधिक ठंड एवं गर्मी दोनों को सहन करने की इस किस्म में सहनशीलता होने के कारण इसकी बोनी जल्दी अक्टूबर अन्त में भी की जा सकेगी व ठंड की सहनशीलता होने से पाले के विरुद्ध भी यह किस्म किसानों को होने वाली हानि से बचाएगी व किसान को अपने उत्पादन का अधिक मूल्य प्राप्त होगा। इस किस्म में रस्ट, कर्नाल बंट एवं अन्य कई बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता व सर्वगुण सम्पन्न यह किस्म अपने नाम पूसा मालवी के अनुसार मालवा व अन्य क्षेत्रों के लिए उत्पादन व प्रगति के नए आयाम बनाते हुए एक मील का पत्थर साबित होगी। गेहूँ-एच.आई. 1634 (पूसा अहिल्या) :- गेहूँ की यह किस्म गेहूँ अनुसंधान केन्द्र, इंदौर (IARI) से वर्ष 2021 में जारी की गई है। इसका गजट नोटिफिकेशन क्र.एस.ओ. 500 (E) दिनांक 29.1.2021 है। गेहूँ की पूसा अहिल्या किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु एक सर्वश्रेष्ठ आदर्श किस्म के रूप में म.प्र., राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, झाँसी क्षेत्र देश के मध्यक्षेत्र में बोनी हेतु अनुशासित की गई है। इस किस्म ने अपनी चेक किस्मों के विरूद्ध 17 से 30 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन दिया है। इस किस्म में अधिक तापमान की स्थितियों में भी अपनी उच्च उत्पादन क्षमता के गुण के कारण लगभग 30 क्विंटल एकड़ या 70.60 क्विंटल हेक्टेयर तथा व्यवहारिक परिस्थितियों में किसानों द्वारा इससे भी अधिक उत्पादन का रिकार्ड बनाकर किसानों की आय बढ़ाने हेतु एक नया मार्ग व आत्मविश्वास प्रदान किया है। इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उच्च तापमान होने पर भी यह किस्म जल्दी नहीं पकती है, जिससे इसका उत्पादन कम नहीं होता है। फरवरी / मार्च में तापमान बढ़ने पर अन्य पुरानी किस्मों में जो 20 प्रतिशत तक की क्षति उत्पादन में होती है वह इस किस्म की बढ़े तापमान को सहन करने की क्षमता के कारण इसमें नहीं होती है। यह आकड़े गहन रिसर्च एवं अनुसंधान के पश्चात् जो कि रिसर्च स्टेशन इंदौर, जबलपुर, नर्मदापुरम, पवारखेडा, सागर व देश के अन्य रिसर्च स्टेशन से प्राप्त आकड़ों व तथ्यों के आधार पर दिये गये है। इन आकड़ों के परिपेक्ष्य में एडवांस जनरेशन की किस्म होने के कारण बढ़े तापमान पर भी अपनी उत्पादन क्षमता बनाये रखते हुए ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से भी किसानों को सुरक्षा प्रदान करेगी।

    इसके अतिरिक्त पूसा अहिल्या एक अर्ली किस्म अवधि 105 से 110 दिवस होने से इस किस्म को देरी बोनी हेतु दिसम्बर के अंत तक बोने के लिये भी एक सर्वश्रेष्ठ किस्म के रूप में अनुशंसित किया गया है। जिसके कारण आलू मटर व अन्य अगाती फसल लेने वाले किसानों के लिये यह किस्म वरदान सिद्ध होगी तथा तृतीय फसल चक्र के रूप में किसानों को अतिरिक्त आय भी प्रदान करेगी। पूसा अहिल्या किस्म एक अर्ली किस्म होने से अवधि 105 से 110 दिवस व तापमान की सहनशीलता के गुण के कारण दो सिचाई में भी अच्छा उत्पादन देने की क्षमता जिससे बिजली पानी की बचत तीन से चार सिचाई

    देने पर उत्पादन में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होगी। इस किस्म की ऊँचाई कम स्म 80 से 85 से.मी. होने व कुचे (टिलरिंग) काफी होने से आड़ा पड़ने की (लॉजिंग) न्त की समस्या नहीं। तकनीकी एनेलेसिस एवं लेब से प्राप्त आकड़ों के अनुसार पूसा अहिल्या किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु देश की सर्वश्रेष्ठ किस्म किस्म बन सकती है। क्योंकि इसमें चपाती हेतु तय क्वालिटी मानक में (7.86) बिस्कीट न हेतु (6.73) स्कोर व गलु स्कोर (8/10) सेडिमेटेशन वेल्यू (44.8 एम.एल.) टेस्ट वेट (81.8 कि.ग्रा./HL) हाईग्रीन हार्डनेस (81.4 कि.ग्रा./HL) उच्चस्तर या पर है इसके साथ इस किस्म में प्रोटीन उच्चस्तर पर (12.1%) आयरन (39.6 20 पी.पी.एम.) जिंक (36.6 पी.पी.एम.) अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उच्च स्तर पर होने से इस किस्म में स्वाद के साथ पोषक तत्वों का अनुठा एवं दुर्लभ संयोजन एक साथ होने से चपाती एवं बिस्कीट हेतु यह एकमात्र आदर्श किस्म है। जो कि भविष्य में कृषकों एवं चपाती / बिस्कीट उपभोक्ताओं की पहली पंसद बन जावेगी। इस किस्म के दाने आकर्षक, चमकदार होने से किसानों को र आकर्षक बाजार भाव इसके 1000 दानों का वजन लगभग 40 ग्राम। इस किस्म की में कर्नाल बंट, लुज स्मट, स्टेम रस्ट, लीफ ब्लाईट, फ्यूजेरियम हेड ब्लाईट, रूट राट, फ्लेग स्मट आदि बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता होने से सुरक्षित उत्पादन की गारंटी। इस किस्म की बीज दर प्रति एकड 40/45 किलो प्रति च हेक्टेयर लगभग 100 किलो व लाईन से लाईन की दूरी 9 से 10 इंच रखने आदर्श कार्यमाला अनुसार अनुशंसित फर्टीलाईजर एवं सिंचाई प्रबंधन करने ड पर आदर्शपरिणाम। गेहूँ की पूसा अहिल्या किस्म अपनी उच्च उत्पादकता एवं अपनी सर्वगुण सम्पन्नता वाले उपरोक्त वर्णित गुणों के कारण अतिशीघ्र परम्परागत पुरानी किस्मों को पीछे छोड़कर एक अग्रणी किस्म के रूप में कृषि ■क्षेत्र एवं किसानों में लोकप्रियता के नए आयाम बनाकर अपनाएक नाम व उच्च स्थान बनाने में सफल होगी। कीई गेहूँ-एच.आई. 1636 (पूसा बकुला) :- क्षेत्रीय गेहूँ अनुसंधान केन्द्र (IARI) इंदौर से हाल ही में जारी गेहूँ की यह किस्म पूसा बकुला को समय पर बोनी के लिये देश के मध्य क्षेत्र म.प्र., गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं बुंदेलखण्ड क्षेत्र के लिये अनुशंसित किया गया है। यह किस्म चपाती एवं बिस्कीट हेतु एक सर्वश्रेष्ठ किस्म के रूप में अपने मोटे एवं बोल्ड, आकर्षक दाने तथा अपनी उच्च उत्पादन क्षमता के गुण के कारण अतिशीघ्र किसानों में लोकप्रिय किस्म के रूप में अपना स्थान बना लेगी। इस किस्म का गजट नोटिफिकेशन क्र. एस.ओ. 8 (E) दिनांक 24-12-2021 है। इस किस्म की ऊँचाई लगभग 100 से.मी. एवं 1000 दानों का वजन 55 ग्राम व अधिकतम उत्पादन क्षमता 78.80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व व्यवहारिक परिस्थितियों में इस किस्म का बम्पर उत्पादन किसानों

    गेहूँ की नवीन उन्नत प्रजातियां द्वारा 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से भी अधिक लिया गया है। इस किस्म की अवधि लगभग 122 दिवस है। गेहूँ की बकुला किरण तपाती एवं बिस्कीट के लिये श्रेष्ठ मानी गई है। इसमें चपाती हेतवस्फोट हेतु (6.50) स्कोर

    इसका ग्लू स्कोर (6/10) टेस्ट वेट (80.6) हाई (42.6 42.6 एम.एल.) है जो कि उच्च स्तर पर मानी जाती है। इसके साथ इस किस्म में भरपूर न्यूट्रेशन वेल्यू भी पाई गई है जिसके कारण इस किस्म में प्रोटीन

    लगभग (12%), जिंक उच्च मात्रा में (44.4 पी.पी.एम.) तथा लोह की मात्रा तथा अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होने के कारण इसकी चपाती, बिस्कीट एवं इससे बनाए जाने वाले पदार्थों में स्वाद के साथ पोषक तत्वों का आदर्श संगम देखा गया है जो कि देश में कुपोषण की समस्या से लड़ने के लिये एक बेहतर किस्म के रूप में अपना योगदान देगी।

  • अच्छा सिबिल स्कोर होने पर किसानों को मिल सकता है कम ब्याज पर लोन

    अच्छा सिबिल स्कोर होने पर किसानों को मिल सकता है कम ब्याज पर लोन

    अच्छा सिबिल स्कोर होने पर किसानों को मिल सकता है कम ब्याज पर लोन

    हमारे सम्मानित किसानों के लिए इसके सर्वोपरि महत्व को समझते हुए, उनके लिए यह समझना अनिवार्य हो जाता है कि अपनी साख को कैसे बढ़ाया जाए। CIBIL स्कोर किसी की वित्तीय विश्वसनीयता और जिम्मेदार क्रेडिट व्यवहार के प्रतिबिंब के रूप में कार्य करता है। यह एक व्यापक मूल्यांकन है जो उधारदाताओं को किसी व्यक्ति की साख का विश्वसनीय मूल्यांकन प्रदान करता है।

    पुनर्भुगतान इतिहास, क्रेडिट उपयोग और क्रेडिट मिश्रण जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करके, CIBIL स्कोर ऋणदाताओं को सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है, जिससे वित्तीय अवसरों तक निष्पक्ष और न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित होती है। किसी व्यक्ति की वित्तीय स्थिरता के बारे में समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करने की अपनी क्षमता के साथ, CIBIL स्कोर व्यक्तियों को अनुकूल क्रेडिट शर्तों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करके और उनकी वित्तीय भलाई को बढ़ाकर उनकी आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाता है।

    कम CIBIL स्कोर का किसानों के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकता है, जैसा कि सामान्य आबादी के लिए होता है। दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता यह है कि खराब क्रेडिट रेटिंग वाले किसान अक्सर ऋण सुरक्षित करने के लिए संघर्ष करते हैं, जिससे असंख्य चुनौतियाँ पैदा होती हैं। आइए हम आपको इन मेहनती व्यक्तियों के लिए अनुकूल सिबिल स्कोर के महत्व के बारे में बताएं।

    CIBIL स्कोर वयस्कों के लिए एक रिपोर्ट कार्ड की तरह है जो दर्शाता है कि वे अपने पैसे का प्रबंधन करने में कितने अच्छे हैं। यह बैंकों और अन्य कंपनियों को बताता है कि क्या वे ऋण देने के लिए किसी पर भरोसा कर सकते हैं या उन्हें अभी कुछ खरीदने और बाद में इसका भुगतान करने की अनुमति दे सकते हैं। CIBIL स्कोर जितना अधिक होगा, व्यक्ति अपने पैसे को संभालने में उतना ही बेहतर होगा और जो वह चाहता है उसे मिलने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। CIBIL स्कोर वयस्कों के लिए एक रिपोर्ट कार्ड की तरह है जो दिखाता है कि वे उधार लिया गया पैसा कितनी अच्छी तरह चुका रहे हैं। इससे पता चलता है कि क्या उन्होंने पहले पैसे उधार लिए हैं और क्या उन्होंने इसे समय पर वापस चुकाया है। यह स्कोर तब महत्वपूर्ण होता है जब वे क्रेडिट कार्ड या ऋण प्राप्त करना चाहते हैं। यदि आपका CIBIL स्कोर कम है, तो इसका मतलब है कि आप ऋण प्राप्त करने में सक्षम नहीं होंगे और यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको अधिक पैसे वापस चुकाने पड़ सकते हैं। लेकिन अगर आपका सिबिल स्कोर उच्च है, तो इसका मतलब है कि आपके पास क्रेडिट कार्ड या ऋण स्वीकृत होने की बेहतर संभावना है। इसलिए अच्छा सिबिल स्कोर होना जरूरी है।

    CIBIL स्कोर वयस्कों के लिए एक रिपोर्ट कार्ड की तरह है जो दर्शाता है कि वे अपने पैसे का प्रबंधन करने में कितने अच्छे हैं। यह बैंकों और अन्य कंपनियों को बताता है कि क्या वे ऋण देने के लिए किसी पर भरोसा कर सकते हैं या उन्हें अभी कुछ खरीदने और बाद में इसका भुगतान करने की अनुमति दे सकते हैं। CIBIL स्कोर जितना अधिक होगा, व्यक्ति अपने पैसे को संभालने में उतना ही बेहतर होगा और जो वह चाहता है उसे मिलने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। CIBIL स्कोर वयस्कों के लिए एक रिपोर्ट कार्ड की तरह है जो दिखाता है कि वे उधार लिया गया पैसा कितनी अच्छी तरह चुका रहे हैं। इससे पता चलता है कि क्या उन्होंने पहले पैसे उधार लिए हैं और क्या उन्होंने इसे समय पर वापस चुकाया है। यह स्कोर तब महत्वपूर्ण होता है जब वे क्रेडिट कार्ड या ऋण प्राप्त करना चाहते हैं। यदि आपका CIBIL स्कोर कम है, तो इसका मतलब है कि आप ऋण प्राप्त करने में सक्षम नहीं होंगे और यदि आप ऐसा करते हैं, तो आपको अधिक पैसे वापस चुकाने पड़ सकते हैं। लेकिन अगर आपका सिबिल स्कोर उच्च है, तो इसका मतलब है कि आपके पास क्रेडिट कार्ड या ऋण स्वीकृत होने की बेहतर संभावना है। इसलिए अच्छा सिबिल स्कोर होना जरूरी है।

    अच्छा सिबिल स्कोर होना क्यों जरूरी है?

    आसान लोन:अच्छा CIBIL स्कोर होना जरूरी है क्योंकि इससे पता चलता है कि आप पैसे को लेकर कितने जिम्मेदार हैं। यदि आपका स्कोर अच्छा है, तो इसका मतलब है कि आप अपने बिलों का भुगतान समय पर करते हैं और पैसे उधार लेने के लिए भरोसेमंद हैं। इससे आपको भविष्य में आसानी से लोन मिल सकता है. लेकिन यदि आपका स्कोर खराब है, तो ऋण प्राप्त करना कठिन हो सकता है और यह दर्शा सकता है कि आप पैसे के मामले में जिम्मेदार नहीं हैं। इसलिए, बेहतर वित्तीय भविष्य के लिए अपने CIBIL स्कोर का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। अच्छा क्रेडिट स्कोर होना स्कूल में अच्छे ग्रेड पाने जैसा है। इससे किसानों को नए उपकरण खरीदने या अपने खेत को बेहतर बनाने जैसी चीज़ों के लिए ज़रूरत पड़ने पर आसानी से पैसा प्राप्त करने में मदद मिलती है।

    कम ब्याज पर लोन

    कम ब्याज दर: कम ब्याज पर लोन यदि किसानों का क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो उन्हें कम ब्याज दरों पर ऋण मिल सकता है और वे यह चुन सकते हैं कि पैसा वापस कैसे लौटाया जाए जो उनके लिए सबसे अच्छा हो। कम ब्याज दरों का मतलब है कि किसानों को अधिक आसानी से और सस्ती कीमत पर ऋण मिल सकता है। इससे उन्हें पैसे बचाने में मदद मिलती है और लंबे समय तक अपने खेत को सफल बनाने का बेहतर मौका मिलता है। यह उस चीज़ पर अच्छा सौदा पाने जैसा है जिसे आप खरीदना चाहते हैं – यह आपको पैसे बचाने और अपने वित्त पर अधिक नियंत्रण रखने में मदद करता है।

    बेहतरीन विकल्प:किसानों के लिए अच्छा क्रेडिट स्कोर होना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन्हें विभिन्न तरीकों से अपने खेतों के लिए पैसा प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह सिर्फ नियमित ऋण के लिए नहीं है. अच्छे क्रेडिट स्कोर के साथ, किसान धन प्राप्त करने के अन्य तरीके तलाश सकते हैं, जैसे बहुत से लोगों से छोटी राशि देने के लिए कहना या अन्य किसानों से उधार लेना। यह अच्छा है क्योंकि इसका मतलब है कि किसानों को अपने खेतों के लिए धन प्राप्त करने के लिए केवल एक ही तरीके पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

  • पीएम फसल बीमा योजना

    पीएम फसल बीमा योजना

    पीएम फसल बीमा योजना

    पीएम फसल बीमा योजना किसानों की मदद के लिए सरकार की एक योजना है। इस योजना के तहत किसानों को बीमा की लागत पर 50% की छूट मिलेगी। इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए किसानों को कुछ चरणों का पालन करना होगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) एक कार्यक्रम है जो भारत में किसानों को उनकी फसलों को नुकसान होने से बचाने में मदद करता है। सरकार ने इस कार्यक्रम के माध्यम से 1 दिसंबर से शीतकालीन फसलों के लिए बीमा कवरेज प्रदान करना शुरू कर दिया है। भारत सरकार के पास देश में किसानों की मदद के लिए विभिन्न कार्यक्रम हैं। ये कार्यक्रम यह सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं कि किसानों को उनकी फसलों को लेकर कोई समस्या न हो।

    इनमें से एक कार्यक्रम को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) कहा जाता है। यह किसानों को उनकी फसल खराब होने की स्थिति में बीमा देता है। रबी फसलों के लिए किसानों को बीमा लागत का केवल 1.5% भुगतान करना होता है और सरकार लागत का 50% तक मदद करती है। ख़रीफ़ फसलों के लिए, प्रीमियम 2% है, और बागवानी फसलों के लिए, यह 5% है। फसल बीमा सप्ताह एक दिसंबर से शुरू हुआ। इस दौरान हमारे देश में किसान एक विशेष कार्यक्रम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से अपनी रबी फसलों का बीमा करवा सकते हैं। यह योजना किसानों को उनकी फसलों को कुछ होने की स्थिति में बचाने में मदद करती है।

    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में इन फसलों पर मिलेगा बीमा कवर

    किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना नामक सरकारी कार्यक्रम के माध्यम से अपनी फसलों के लिए बीमा प्राप्त कर सकते हैं। फसल खराब होने पर किसानों को सरकार से मदद मिलती है. यह मदद एक बीमा कवर की तरह है और यह उन्हें सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि, चक्रवात, कीड़े और बीमारियों जैसी चीजों से बचाती है।

    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए जरूरी कागजात

    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। इनमें एक खेत का नक्शा शामिल है, जो दिखाता है कि फसलें कहाँ उगाई जाती हैं। फसल बुआई प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता होती है, जो एक दस्तावेज है जो साबित करता है कि फसलें लगाई गई थीं। इसके अतिरिक्त, फ़ील्ड खसरा, जो फ़ील्ड के रिकॉर्ड की तरह होता है, की आवश्यकता होती है। आवेदक का आधार कार्ड, जो एक विशेष पहचान पत्र है, भी आवश्यक है। बैंक खाते का विवरण दिखाने के लिए बैंक पासबुक की एक फोटोकॉपी की आवश्यकता होती है। अंत में, पहचान के लिए आवेदक की एक पासपोर्ट साइज फोटो की आवश्यकता होती है।

  • मध्य प्रदेश: मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना – किसानों को सोलर पंप लगाने के लिए वित्तीय सहायता

    मध्य प्रदेश: मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना – किसानों को सोलर पंप लगाने के लिए वित्तीय सहायता

    मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज ने किसानों को मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना के रूप मे खास तोहफा दिया है. उन्हें अपने खेतों में सोलर पंप लगाने में मदद के लिए धन मिलेगा। किसानों के लिए इस कार्यक्रम का लाभ उठाने का यह एक शानदार अवसर है।

    एमपी सोलर पंप योजना मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की मदद के लिए एक कार्यक्रम है। यह मुख्यमंत्री की ओर से किसानों के लिए एक विशेष उपहार है। यह कार्यक्रम उन किसानों को सब्सिडी देता है जिनके खेत में बिजली पंप नहीं है। सरकार इन किसानों को इसके बदले सोलर पंप लगाने के लिए पैसे देगी. इस कार्यक्रम को मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना कहा जाता है।

    एमपी सोलर पंप योजना किसानों की मदद के लिए मध्य प्रदेश सरकार की एक विशेष योजना है। किसानों को अपनी फसल उगाने के लिए बिजली और पानी की जरूरत होती है, इसलिए सरकार उन्हें सोलर पंप खरीदने के लिए पैसे दे रही है. ये पंप सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके खेतों को बिजली प्रदान करते हैं, जिससे किसानों को काफी मदद मिलेगी।

    जो किसान इस कार्यक्रम का लाभ उठाकर सिस्टम को धोखा देने का प्रयास करेंगे, उन्हें भविष्य में सोलर पंप स्थापित करने के लिए धन प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्हें यह सबूत भी दिखाना होगा कि इस कार्यक्रम से सहायता प्राप्त करते समय उन्होंने किसी भी इलेक्ट्रिक पंप का उपयोग नहीं किया। लेकिन अगर किसी किसान के पास पहले से ही एक इलेक्ट्रिक पंप है और वे उसे किसी अच्छे कारण से निकाल लेते हैं, तो भी वे सोलर पंप कार्यक्रम से सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

    सोलर पंप कार्यक्रम के लिए क्या नियम या आवश्यकताएँ हैं?

    जिन किसानों के पास अपने खेतों के लिए बिजली नहीं है, वे अपने खेतों में पानी देने के लिए सोलर पंप का उपयोग कर सकते हैं। इससे उन्हें नियमित बिजली आपूर्ति की आवश्यकता के बिना फसल उगाने में मदद मिलती है।

    किसान को सोलर पंप की देखभाल स्वयं करनी होगी।

    किसान को अपने खेत में लगे सोलर पंप को बेचने या देने की अनुमति नहीं है।

    किसान को योजना से अच्छी चीजें प्राप्त करने के लिए, उनके पास अपने पौधों को पानी देने का एक तरीका होना चाहिए।

    केंद्र और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करते हुए सोलर पंप लगाए जाएंगे।

    सोलर पंप स्थापित होने के बाद इससे होने वाले किसी भी नुकसान के लिए किसान को भुगतान करना होगा (सिवाय इसके कि इसके काम करने के तरीके में कोई समस्या हो)।

    यदि सूरज की रोशनी से चलने वाले विशेष पंप को लगाने के बाद भूमिगत कुएं में पानी कम हो जाता है, तो हम पंप को खेत में एक अलग स्थान पर ले जा सकते हैं। लेकिन इसका भुगतान किसान को करना होगा.

    इस योजना के साथ मिलने वाली अच्छी चीज़ें पाने के लिए आप कैसे साइन अप कर सकते हैं?

    आरंभ करने के लिए, वेबसाइट cmsolarpump.mp.gov.in पर जाएं।

    इस स्थान पर जाएँ और उपयोग करने के लिए एक नया गेम या प्रोग्राम चुनें। किसानों को अपना फोन नंबर टाइप करना होगा।

    फिर, उन्हें एक विशेष कोड मिलेगा जिसे ओटीपी कहा जाता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका फ़ोन नंबर सही है, उन्हें यह कोड टाइप करना होगा।

    इसके बाद, आपको एक अलग स्क्रीन दिखाई देगी जहां किसान अपने आधार केवाईसी, बैंक खाते के विवरण जैसी महत्वपूर्ण जानकारी डाल सकते हैं, बता सकते हैं कि वे किस जाति से हैं, और क्या उनकी जमीन को लेकर कोई समस्या है।

    किसान यह जानकारी एक साथ नहीं, बल्कि थोड़ी-थोड़ी करके दर्ज करेगा।

    एक बार जब आप सभी जानकारी डाल देंगे, तो एक नया पेज दिखाई देगा जिसमें आपके द्वारा दर्ज की गई सभी चीजें दिखाई देंगी। आप इस पृष्ठ पर दी गई जानकारी देख सकते हैं और यदि आवश्यक हो तो परिवर्तन कर सकते हैं।

    योजना पर सहमत होने से पहले उसके नियमों को पढ़ना और समझना सुनिश्चित करें। एक बार जब आप आवेदन भरना समाप्त कर लेंगे, तो आपको जानकारी के साथ आपके फ़ोन पर एक संदेश प्राप्त होगा।

    फिर, आप ऑनलाइन आवेदन जारी रख सकते हैं। जब आप भुगतान करेंगे तो आपको अपने आवेदन के लिए एक विशेष नंबर मिलेगा और अधिक जानकारी के साथ आपके फोन पर संदेश भी मिलेंगे।

  • फसल के दाम दो दिन के अंदर किसान के खाते में सीधे भेज रही है सरकार

    फसल के दाम दो दिन के अंदर किसान के खाते में सीधे भेज रही है सरकार

    किसान के लिए योजनाएँ

    उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला ने बवानीखेड़ा, धनाना और बलियाली में लोगों से बात की. उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल रहा है। दो दिन के अंदर उनके बैंक खाते में पैसा भेजा जा रहा है. पिछले चार वर्षों में राज्य में बहुत विकास हुआ है और वे प्रगति जारी रखना चाहते हैं। सरकार नियमित लोगों की परवाह करती है और उनकी मदद करना चाहती है। चौटाला ने धनाना नामक गांव का दौरा किया और लोगों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने उनकी समस्याओं का तुरंत समाधान करने का वादा किया. उन्होंने शिवधाम नामक एक योजना का उल्लेख किया, जो मुक्तिधाम के सभी गांवों में आश्रय, दीवारें बनाने और स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में मदद करेगी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सरकार ने आश्रय स्थलों में गायों की देखभाल, भोजन उपलब्ध कराने और शेड बनाने के लिए गौ सेवा आयोग के लिए 400 करोड़ रुपये अलग रखे हैं। यदि किसी को अपनी गौशाला के लिए सहायता की आवश्यकता है, तो उन्हें गौ सेवा आयोग को शीघ्र सूचित करना चाहिए ताकि उन्हें आवश्यक धनराशि मिल सके।

    किसान के लिए योजनाएँ उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार चीजों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने किसानों को उनकी फसल के लिए पैसा और बीमा देकर मदद की है और वे सीधे किसानों से फसल भी खरीद रहे हैं। इसका मतलब यह है कि अब किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सरकार उस भूमि को ठीक करने के तरीके भी ढूंढ रही है जिसमें कीड़े हैं या बहुत अधिक पानी है ताकि फसलें नष्ट न हों।

    उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने 600 सरकारी सेवाओं को इंटरनेट पर डाल दिया है. लोग अब एक विशेष केंद्र के माध्यम से अपने घर के पास ही ये सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं। सरकार 1,000 सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन करने पर काम कर रही है. उपमुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि अब लोग 20 रुपये की कम कीमत पर जमीन खरीद सकते हैं। वे अपना घर छोड़े बिना वृद्धावस्था पेंशन और राशन कार्ड जैसे लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं।

    पहले इन चीजों के लिए उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे. उपमुख्यमंत्री ने बेहतर सड़कों, आश्रय और खेल के लिए जगह के ग्रामीणों के अनुरोध को पूरा करने का वादा किया। ग्रामीणों ने उनका फूल मालाओं से स्वागत किया और कार्यक्रम में अन्य प्रमुख लोग भी मौजूद रहे. उप मुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला आज भिवानी के गांवों का दौरा कर लोगों की समस्याएं सुनेंगे और उनका समाधान करेंगे।

    उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला कल कई गांवों का दौरा कर लोगों से बात करेंगे और उनकी समस्याएं जानेंगे। उनका शेड्यूल है कि वह सुबह 10:30 बजे कालोद गांव से निकलेंगे, फिर 11:30 बजे सुरपुरा खुर्द गांव जाएंगे और फिर दोपहर 12:30 बजे बैरन गांव जाएंगे। वह लोगों की समस्याएं सुनेंगे और उन्हें तुरंत हल करने का प्रयास करेंगे। इसके बाद वह दोपहर 1:30 बजे सिंघानी गांव का दौरा करेंगे.

  • किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए चलाई जा रही ये योजनाएं

    किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए चलाई जा रही ये योजनाएं

    किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए चलाई जा रही ये योजनाएं।

    किसानों को अधिक पैसा कमाने में मदद करने के लिए, उन्हें अधिक और बेहतर फसलें उगाने की जरूरत है। सरकार ने किसानों को ऐसा करने में मदद करने के  लिए कुछ योजनाएं बनाई हैं। ये योजनाएँ किसानोको अधिक शक्ति और नियंत्रण देने के लिए हैं। आज हम किसानों की मदद करने वाली शीर्ष 5 सरकारी योजनाओं के बारे में जानेंगे।

    Pradhan Mantri Kisan Samman Yojna : किसानों के लिए योजनाएं

    सरकार द्वारा किसानों की मदद के लिए शुरू किया गया एक कार्यक्रम है। यह उन्हें अपनी कृषि गतिविधियों का समर्थन करने के लिए धन देता है।Pradhan Mantri Kisan Samman Yojna (पीएम-किसान) छोटे किसानों की मदद के लिए भारत सरकार का एक कार्यक्रम है। इससे उन्हें अपनी खेती के लिए पैसे मिलते हैं। कार्यक्रम की घोषणा 2019 में कृषि मंत्री द्वारा की गई थी। पात्र किसानों को रु। तीन भागों में हर साल 6,000। लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को स्थिर आय मिले और वे अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार कर सकें।

    Pradhan Mantri Krashi Sichayi Yojna:किसानों के लिए योजनाएं

    (पीएमकेएसवाई) एक कार्यक्रम है जो किसानों को सिंचाई और जल प्रबंधन में मदद करने के लिए 2015 में शुरू हुआ था। इसमें सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) और प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) घटक जैसे विभिन्न भाग हैं। इस कार्यक्रम का लक्ष्य किसानों को पानी का अधिक कुशलता से उपयोग करने में मदद करना और यह सुनिश्चित करना है कि उनकी फसलों के लिए पर्याप्त पानी हो।

    Pashudhan Bima Yojna

    किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाएं उसमें से एक समझौते की तरह है जहां किसानों को उनके जानवरों के साथ कुछ भी बुरा होने पर मदद मिल सकती है। वे थोड़े से पैसे चुकाते हैं, और यदि उनके जानवर बीमार हो जाते हैं या मर जाते हैं, तो वे उनकी मदद के लिए कुछ पैसे वापस पा सकते हैं। यह उनके जानवरों के लिए एक अतिरिक्त सुरक्षा जाल होने जैसा है।

    पशुधन बीमा योजना एक ऐसा कार्यक्रम है जो किसानों के जानवरों, जैसे गाय और मुर्गियों, को दुर्घटनाओं या बीमारियों से बचाने में मदद करता है। यदि जानवरों के साथ कुछ बुरा होता है, तो किसानों को उनकी मदद के लिए कुछ पैसे मिल सकते हैं।

    यह आपके पालतू जानवरों या खिलौनों के लिए बीमा योजनाकी तरह है, लेकिन इसके बजाय खेत के जानवरों के लिए। यह भारत में एक कार्यक्रम है जहां सरकार किसानों और जानवरों की देखभाल करने वाले लोगों की मदद करती है। लक्ष्य यह है कि यदि उनके जानवर ख़राब मौसम या बीमारी जैसी चीज़ों के कारण घायल हो जाते हैं या मर जाते हैं तो उन्हें पैसे देना है।

    इससे किसानों को बेहतर महसूस करने में मदद मिलती है और यह सुनिश्चित होता है कि वे अपने जानवरों की देखभाल कर सकें। कार्यक्रम में गाय, भेड़ और सूअर जैसे विभिन्न प्रकार के जानवरों को शामिल किया गया है। यदि जानवर दुर्घटना, बीमारी या खराब मौसम के कारण घायल हो जाते हैं या मर जाते हैं तो यह सहायता के लिए धन देता है।