Surajmukhi Ki Unnat Kisme : जाने इन सभी किस्मों को इस ब्लॉग में
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Surajmukhi ki Unnat kisme के बारे में जाने
सूरजमुखी की उन्नत किस्में
सूरजमुखी की खेती में उन्नत किस्मों का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पैदावार और गुणवत्ता में सुधार होता है। आज हम तीन प्रमुख सूरजमुखी की उन्नत किस्मों – श्रेष्ठा-NSFH-36, चित्रा, और सूर्या के बारे में जानेंगे।
1. श्रेष्ठा-NSFH-36 किस्म
विशेषताएं:
उत्पत्ति: यह एक उन्नत हाइब्रिड किस्म है ,जिसे अधिक पैदावार और कम समय में फसल तैयार करने के लिए विकसित किया गया है।
फूलने का समय: श्रेष्ठा-NSFH-36 में फूल 65-70 दिनों में आ जाते हैं।
पैदावार: प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है।
तेल की मात्रा: इस किस्म के बीजों में तेल की मात्रा 40-42% तक होती है, जो इसे तेल उत्पादन के लिए एक आदर्श विकल्प बनाती है।
खेती के लाभ: यह किस्म सूखा प्रतिरोधी है और कम पानी में भी बेहतर उत्पादन देती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण यह फसल प्रमुख बीमारियों जैसे पाउडरी मिल्ड्यू और रस्ट से बची रहती है।
खेती के सुझाव: इसे 45×30 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है। पर्याप्त नाइट्रोजन और फॉस्फोरस खाद का उपयोग करना चाहिए।
2. चित्रा किस्म
विशेषताएं:
उत्पत्ति: चित्रा किस्म खुले परागण वाली किस्म है, जिसे छोटे किसानों के लिए किफायती और टिकाऊ माना जाता है।
फूलने का समय: इस किस्म में फूल आने में लगभग 60-65 दिन लगते हैं।
पैदावार: चित्रा से प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है।
तेल की मात्रा: बीजों में 38-40% तक तेल होता है।
खेती के लाभ: कम लागत में उच्च उत्पादन वाली किस्म है। सूखा सहनशील होने के कारण इसे उन क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है जहां पानी की कमी रहती है। यह फसल कीड़ों और बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता रखती है।
खेती के सुझाव: इसे हल्की बलुई मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है। सिंचाई की आवश्यकता पहले और दूसरे फूलने के समय होती है।
3. सूर्या किस्म
विशेषताएं:
उत्पत्ति: सूर्या किस्म को उच्च तेल उत्पादन और कम अवधि में तैयार होने के लिए जाना जाता है।
फूलने का समय: इसमें फूल 55-60 दिनों में आ जाते हैं, जो इसे जल्दी तैयार होने वाली किस्म बनाता है।
पैदावार: प्रति हेक्टेयर 18-22 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
तेल की मात्रा: तेल की मात्रा 42-45% तक होती है।
खेती के लाभ: यह किस्म भारी मिट्टी में भी अच्छी पैदावार देती है। सूर्या किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं, जिससे कटाई में आसानी होती है। यह कीटों और बीमारियों से बचाव में सक्षम है, जिससे किसानों की लागत कम होती है।
खेती के सुझाव: इस किस्म को 40×20 सेमी की दूरी पर लगाया जाना चाहिए। फसल के दौरान मिट्टी में नमी बनाए रखना जरूरी है।
निष्कर्ष
श्रेष्ठा-NSFH-36, चित्रा, और सूर्या तीनों उन्नत किस्में अपने विशेष गुणों के कारण सूरजमुखी की खेती के लिए उपयुक्त हैं। इन किस्मों का चयन किसानों को अधिक उत्पादन, बेहतर तेल की गुणवत्ता और कम लागत में लाभ कमाने का अवसर प्रदान करता है। उचित खेती तकनीकों और देखभाल के साथ, ये किस्में कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं।