Tulsi Ki Kheti : पवित्रता और औषधि का खजाना
Tulsi Ki Kheti (तुलसी की खेती) तुलसी, जिसे पवित्र तुलसी भी कहा जाता है, भारत में एक पवित्र और औषधि वनस्पति के रूप में मानी जाती है। इसका धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ औषधि गुणों के लिए भी ये प्राचीन काल से प्रचलित है। तुलसी की खेती कम लागत में ज्यादा मुनाफ़ा देने वाली खेतियों में से एक है, और इसे जैविक खेती के रूप में भी किया जाता है।
तुलसी की खेती कैसे करें
Tulsi Ki Kheti करना आसान है, लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण कदमों का ध्यान रखना जरूरी है। तुलसी की खेती के लिए मिट्टी का चयन और जलवायु का समर्थन होना चाहिए। तुलसी के बीज को सीधा खेत में बोया जा सकता है, या फिर नर्सरी में पौधा तैयार करके रोपाई की जा सकती है। बीज को बोने के लिए 1-1.5 सेमी गहरा बोया जाता है और बिजोन के बीच में थोड़ा अंतर रखा जाता है।
मिट्टी और जलवायु
Tulsi Ki Kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी हल्की दोम या बलुई दोम मिट्टी होती है। मिट्टी का पीएच स्तर लगभग 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए। तुलसी की बेहतर पैदावार के लिए सामान्यतः गर्म जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। वाला जलवायु सबसे उत्तम माना जाता है। यदी गर्मी का तापमान 20°C-30°C के बीच रहे तो फसल का विकास अच्छी तरह से होता है। ठंड के दौरन इसकी खेती नहीं की जाति, क्योंकि तुलसी को ठंड से नुक्सान होता है।
ज़मीन की तैयारी
ज़मीन को तैयार करने के लिए सबसे पहले अच्छी तरह से हल चलाया जाता है। मिट्टी को 2-3 बार अच्छी तरह से पलट कर ढीला करना चाहिए ताकि बीज अच्छी तरह से उग सके। जमीन को सूखे गोबर या जैविक खाद से समृद्ध किया जाता है, ताकि पोधों को जरूरी पोषक तत्व मिल सके।
बुवाई
तुलसी के बीजों की बोवाई का सही समय अप्रैल-मई के बीच का होता है। बुवाई के लिए 1-1.5 सेमी गहरी लाइन बनाकर बीजोन को बोया जाता है। बीजोन के बीच में 30-45 सेमी का अंतर होना चाहिए ताकि पोधे अच्छी तरह से विकास हो सके। बोवाई के बाद हल्की सी मिट्टी से बीजोन को ढक दिया जाता है।
पौधे तैयार करना
अगर आप नर्सरी में पोधे तैयार कर रहे हैं, तो बीजन को छोटे पॉलिथीन बैग या ट्रे में बोया जाता है। बीजोन को बोने के बाद 15-20 दिनों में पोधे तयार हो जाते हैं जो रोपाई के लिए उपयुक्त होते हैं। पोधों के जब 3-4 पत्ते आ जाते हैं तब रोपाई के लिए तयार माना जाता है।
पौधे की रोपनी
तुलसी के पौधे की रोपनी करने का सही समय 20-25 दिन के बाद होता है जब पोधे अपनी नर्सरी में अच्छे से तैयार हो जाते हैं। पोधोन को 30 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है। रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करना जरूरी होता है ताकि पोधे जल्द ही अपने नए स्थल में जम सके।
सिंचाई
तुलसी की खेती में सिंचाई का महत्वपूर्ण योगदान होता है। रोपाई के बाद तुरंत एक बार हल्की सिंचाई करनी चाहिए। तुलसी के पौधों को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, इसलिए सप्ताह में एक बार सिंचाई काफी होती है। बरसात के मौसम में सिंचाई की अवधि बहुत कम होती है।
खरपटवार नियन्त्रण
तुलसी की खेती में खरपटवार नियन्त्रण के लिए मल्चिंग का उपाय करना फायदेमंद होता है। आप ऑर्गेनिक मल्चिंग या ब्लैक प्लास्टिक शीट का उपयोग कर सकते हैं। हाथ से खरपतवार निकालना भी एक अच्छा विकल्प है, लेकिन ये खेत के स्टार पर निर्भर करता है। समय पर खरपतवार का नियन्त्रण फसल को सुरक्षित करता है।
कटाई
तुलसी के पत्तों की कटाई 60-90 दिनों के बाद की जाती है जब पोधा पूरी तरह विकसित हो जाता है। तुलसी के पत्तों को हाथ से या छोटे दरन्ती के मध्यम से काटा जाता है। पत्तों की पहली कटाई के बाद, दूसरे दौरन भी पत्ते उगने लगते हैं, जिसे दोबारा काटा जा सकता है।
तुलसी की खेती के फायदे
Tulsi ki kheti से बहुत सारे फायदे हैं। ये ना सिर्फ आपको आर्थिक लाभ देती है, बल्कि इसकी औषधि और व्यावसायिक महत्त्व भी है। तुलसी के पत्ते और बीजों का उपयोग औषधि, तेल, और कॉस्मेटिक उत्पादों में होता है। जैविक खेती के रूप में भी तुलसी की खेती लोकप्रिय होती जा रही है।
उन्नत किस्में
उन्नत सर्वोत्तम तुलसी की उन्नत किस्मे उपलबध हैं जो अधिक उपज और गुणवत्ता देती हैं। इसमें प्रमुख हैं श्याम तुलसी, राम तुलसी, कृष्ण तुलसी और अमृता तुलसी। इनमें से प्रत्येक किसम अपनी अलग-औषधि गुण और अर्थिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
पढ़िए यह ब्लॉग Lemon farming
तुलसी की खेती के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त होती है
तुलसी की खेती के लिए हल्की दोम या बलुई दोम मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए।
तुलसी की बुवाई का सही समय क्या है?
तुलसी के बीजों की बुवाई का सही समय अप्रैल-मई के बीच होता है, जब गर्म मौसम होता है।
तुलसी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु क्या है?
तुलसी की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। तापमान 20°C से 30°C के बीच होना चाहिए।
तुलसी के पौधों की रोपाई कब करनी चाहिए?
तुलसी के पौधों की रोपाई 20-25 दिन बाद करनी चाहिए, जब पौधे नर्सरी में अच्छे से तैयार हो जाते हैं।