5 पशुपालन में सबसे बड़ी गलतियां : नहीं पढ़ा ब्लॉग तो हो सकता है नुकसान
भारत में पशुपालन सदियों से आजीविका का प्रमुख साधन रहा है। गांवों में तो यह परंपरा के रूप में जुड़ा है, वहीं आज शहरों के आसपास भी कई लोग दूध व्यवसाय, डेयरी फार्मिंग या बकरी पालन जैसे क्षेत्रों में कदम रख रहे हैं। लेकिन अक्सर नए पशुपालक अनुभव की कमी और जानकारी के अभाव में ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जिनसे उनके पशु बीमार हो जाते हैं या दूध उत्पादन कम हो जाता है। कई बार तो शुरुआती गलतियाँ इतना बड़ा नुकसान कर देती हैं कि लोग पशुपालन छोड़ने तक पर मजबूर हो जाते हैं। अगर आप पशुपालन कर रहे हैं या करने की सोच रहे हैं तो यह ब्लॉग आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। आइए जानते हैं वे 5 पशुपालन में सबसे बड़ी गलतियां , जिनसे बचना हर नए पशुपालक के लिए ज़रूरी है।
1. पशुओं के रहने की जगह (शेड) पर ध्यान न देना
नए पशुपालक अक्सर यह मान लेते हैं कि पशु खुले में या किसी साधारण जगह पर भी रह सकते हैं। लेकिन यह सोच गलत है।
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अगर शेड में नमी हो तो पशुओं को खुरपका-मुंहपका और स्किन की बीमारियाँ हो सकती हैं।
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ज्यादा गर्मी या ठंड में पशु बीमार पड़ जाते हैं और दूध उत्पादन घट जाता है।
समाधान:
पशुओं के लिए हमेशा साफ-सुथरा, हवादार और मौसम के अनुसार सुरक्षित शेड तैयार करें। फर्श पर ढलान रखें ताकि पानी जमा न हो। शेड में पर्याप्त रोशनी और हवा आने-जाने की व्यवस्था जरूर हो।
2. संतुलित आहार न देना
कई नए पशुपालक सोचते हैं कि घास या भूसा ही पर्याप्त है। लेकिन जैसे इंसान को संतुलित आहार की जरूरत होती है वैसे ही पशुओं को भी।
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केवल सूखा चारा खिलाने से दूध की गुणवत्ता और मात्रा कम हो जाती है।
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हरे चारे, दाने और मिनरल मिक्सचर की कमी से पशु कमजोर हो जाते हैं।
समाधान:
पशुओं को संतुलित आहार दें जिसमें सूखा चारा, हरा चारा, दाना और मिनरल मिक्सचर शामिल हो। दूध देने वाले पशुओं को उनके उत्पादन के अनुसार अतिरिक्त दाना दें। साफ पानी की पर्याप्त व्यवस्था करें।
3. समय-समय पर टीकाकरण और इलाज न कराना
कई बार नए पशुपालक सोचते हैं कि उनका पशु मजबूत है और उसे टीकाकरण की जरूरत नहीं। यह सोच खतरनाक साबित हो सकती है।
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बिना टीकाकरण के पशु आसानी से संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
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इलाज में लापरवाही से छोटी बीमारी भी गंभीर रूप ले सकती है।
समाधान:
हर पशु का टीकाकरण कैलेंडर बनवाएं और समय-समय पर टीके लगवाएं। छोटी बीमारी को भी नजरअंदाज न करें और तुरंत पशु-चिकित्सक से सलाह लें।
4. सफाई और स्वच्छता की अनदेखी
पशुपालन में सफाई बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। गंदगी से पशुओं को न केवल बीमारियाँ लगती हैं बल्कि दूध भी जल्दी खराब हो जाता है।
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गंदे पानी से दस्त और पेट की बीमारियाँ हो सकती हैं।
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गोबर और मूत्र की बदबू से मक्खियाँ और कीड़े लगते हैं।
समाधान:
रोजाना पानी बदलें और बर्तन साफ रखें। गोबर और गंदगी को समय पर हटाएं। पशु स्नान की व्यवस्था करें ताकि उनकी त्वचा स्वस्थ रहे और मक्खियाँ न लगें।
5. सही नस्ल और पशु चयन न करना
नए पशुपालक अक्सर बिना जानकारी के कोई भी पशु खरीद लेते हैं।
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गलत नस्ल का पशु दूध उत्पादन में कमजोर हो सकता है।
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कमजोर और बीमार पशु खरीदने से सीधा नुकसान होता है।
समाधान:
पशु खरीदने से पहले उसकी नस्ल, दूध उत्पादन क्षमता, सेहत और बाजार की मांग के बारे में पूरी जानकारी लें। खरीदारी हमेशा विश्वसनीय स्रोत या सरकारी मेले से ही करें।
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FAQ – पशुपालन से जुड़े आम सवाल
Q1. क्या पशुपालन शुरू करने के लिए बड़ी जगह होना जरूरी है?
नहीं, बड़ी जगह जरूरी नहीं है। लेकिन पशुओं के लिए साफ-सुथरा, हवादार और आरामदायक शेड होना बहुत ज़रूरी है ताकि वे बीमार न पड़ें।
Q2. क्या केवल घास या भूसा खिलाने से दूध उत्पादन सही रहता है?
नहीं, केवल घास या भूसा पर्याप्त नहीं है। संतुलित आहार (हरा चारा, सूखा चारा, दाना और मिनरल मिक्सचर) देने से ही दूध की मात्रा और गुणवत्ता अच्छी रहती है।
Q3. पशुओं का टीकाकरण कब और क्यों जरूरी है?
हर मौसम और बीमारी के हिसाब से पशुओं का टीकाकरण करवाना चाहिए। यह उन्हें संक्रामक बीमारियों से बचाता है और लंबे समय तक स्वस्थ रखता है।
Q4. क्या सफाई से सच में दूध की गुणवत्ता पर असर पड़ता है?
हाँ, सफाई न रखने से दूध जल्दी खराब हो जाता है और बीमारियाँ भी फैल सकती हैं। रोज पानी बदलना, बर्तन धोना और गोबर समय पर हटाना ज़रूरी है।
Q5. नए पशुपालकों को पशु खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
नए पशुपालकों को हमेशा स्वस्थ, मजबूत और विश्वसनीय नस्ल का पशु ही खरीदना चाहिए। साथ ही दूध उत्पादन क्षमता और बाजार की मांग की जानकारी पहले लेनी चाहिए।