Ajwain ki kheti : कीजिये इसकी खेती और पाइये बड़ा लाभ
अजवाइन, जिसे carom seeds के नाम से भी जाना जाता है , यह एक बहुत ही लाभदायक मसाला है। जिसका उपयोग घरेलू इलाज और खाना पकाने में किया जाता है है। Ajwain ki kheti व्यवसायिक तौर पर करना किसानों के लिए अच्छा व्यापार हो सकता है। यह खेती उन इलाको में की जा सकती है जंहा सूखा और अर्ध-शुष्क जलवायु हो | इस लेख में हम जानेंगे अजवाइन की खेती के बारे में
1. अजवाइन की खेती कैसे करें
Ajwain ki kheti करने के लिए सबसे पहले जगह का चयन करना होता है जहां अच्छी धूप मिलती हो और पानी का अच्छा प्रबंध हो। अजवाइन के बीज को सीधा खेत में बोया जा सकता है या नर्सरी में पहले छोटे पौधे उगाए जा सकते हैं और फिर उन्हें खेत में रोपित किया जा सकता है। यह एक कम पानी वाली फसल है जो सूखी मिट्टी में अच्छे से उगती है।
2. अजवाइन की बुवाई का समय
अजवाइन की बुआई का उचित समय अक्टूबर के महीने में होता है जब मौसम हल्का ठंडा होता है। अक्टूबर-नवंबर के दौरान बीज अच्छे से अंकुरित होते हैं और पौधे की वृद्धि अच्छी होती है। कहीं-कहीं इसे दिसंबर तक भी बोया जा सकता है।
3. अजवाइन की खेती के लिए मिट्टी
अजवाइन की खेती के लिए मिट्टी का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। बालुई दोमट और चिकनी दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी होती है। मिटी का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मिट्टी की अच्छी जल निकासी होनी चाहिए ताकि पानी जमा न हो, क्योंकि अजवाइन पौधे पानी जमा होने के कारण खराब हो सकते हैं
4. अजवाइन की खेती के लिए जलवायु
अजवाइन की खेती के लिए सूखे और अर्ध-शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। यह फसल मध्यम तापमान में अच्छी तरह से उगती है। अजवाइन के पौधे को अत्यधिक गर्मी या अधिक ठंड की जरूरत नहीं होती। तापमान लगभग 15°C से 25°C के बीच होना चाहिए।
5. अजवाइन के बीजों की बुवाई और पौधों की रोपाई
अजवाइन के बीज सीधे खेत में बोये जा सकते है या फिर नर्सरी में पौधे तैयार करके उन्हें खेत में रोपा जा सकता है | सीधा बीज डालने के लिए , बीज को 1.5-2 सेमी गहरा बोया जाता है। बीजन की बीच की दूरी 30-40 सेमी होनी चाहिए ताकि पौधे को विकास के लिए जगह मिल सके।
6. अजवाइन के पौधे की देखभाल
अजवाइन के पौधो को सुरक्षित रखने के लिए नियमित रूप से देखभाल करनी होती है। नई खिलती हुई पत्तियों का ध्यान रखना चाहिए और जरूरत पड़ने पर नीम का तेल या जैविक कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए। पौधो को समय पर पानी देना जरूरी है पर पानी की अधिकता से बचना चाहिए।
7. खरपतवार नियंत्रण
खेत में अजवाइन के पौधों के आस-पास के पौधों पर नियंत्रण रखें, क्योंकि फसल उगने पर रोक लग सकती है, जो पौधों के विकास को रोक सकता है। खरपतवार को हाथ से या मैन्युअल रूप से निकाला जा सकता है या रासायनिक जड़ी-बूटियों का उपयोग भी किया जा सकता है। लेकिन, केमिकल उपयोग में ध्यान रखना चाहिए कि यह पौधों को नुक्सान न पहुचाये |
8. सिंचाई
Ajwain ki kheti में सिंचाई की जरूरत कम होती है। पौधों की सिंचाई फसल की अवस्था के हिसाब से की जाती है। बीजों के अंकुरण के दौरान, 3-4 बार पानी देना चाहिए, लेकिन पौधे बड़े होने पर सिंचाई की अवधि कम हो जाती है। सूखी परिस्थितियों में हर 10-12 दिन में पानी देना उचित होता है।
9. कटाई
अजवाइन के पौधे की कटाई लगभग 4-5 महीने बाद की जा सकती है जब फसल पूरी तरह पक जाती है। पौधे के फूल और पतियों का रंग भूरा होने लगे तब समझा जाता है कि फसल तैयार है। अजवाइन के बीजों को सफेद होने पर काट कर सुखा लेना चाहिए।
10. अजवाइन की उन्नत किस्में
अजवाइन की कुछ उन्नत किस्में हैं जो किसानों के लिए ज्यादा उपयोगी हो सकती हैं, जैसे: अजमेर अजवाइन 1,
एए-93
ये किसमें अच्छी उपज देती हैं और इनमें बीमारियों का संक्रमण कम होता है।
11.अजवाइन की खेती के फायदे
अजवाइन की खेती कम पैसे में अधिक मुनाफ़ा देने वाली फसल है।
अजवाइन की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है, इसलिए इसके रेट उचित मिलते हैं।
अजवाइन को आसानी से बेचा जा सकता है, चाहे वो स्थानीय मंडी हो या बड़े व्यवसायी केंद्र।
इस फसल में खर्च कम लगता है और आउटपुट अच्छा मिलता है, जो किसानों के लिए लाभदायक है।
अजवाइन की खेती एक व्यवसायिक रूप से सफल है, जो किसानों के लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकती
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