बरसात में होने वाली सब्जी की खेती : जाने किस सब्जी को बरसात में उगा सकते हैं
अगर आप खेती बाड़ी का शौक रखते हैं , पर आपको सही राय नहीं मिल पा रही हैं तो आप सही जगह पर आये हैं | जहाँ आप जान पाएंगे बरसात में होने वाली सब्जी की खेती के बारे में और साथ में आप जाने पाएंगे की उन सब्जी के नाम जिन्हे बरसात के कारण अच्छे से उगाया जा सकता हैं | तो जरूर पढ़िए नीचे दी गयी सभी जानकारी को जो आपको खेती करने में काफी मदत करेगी |
बरसात में होने वाली सब्जी की खेती कौन कौनसी हैं जानिये
1. भिंडी
भिंडी एक गर्म और नमी वाले वातावरण में अच्छी तरह उगती है। बरसात के मौसम में इसकी खेती आसान होती है क्योंकि मिट्टी में नमी रहती है। भिंडी की बुवाई जून-जुलाई में करनी चाहिए। यह हल्की दोमट मिट्टी में अच्छी उपज देती है। पौधे को कीटों से बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें। भिंडी की फसल लगभग 45 से 50 दिनों में तैयार हो जाती है। किसानों को इससे अच्छा लाभ मिलता है क्योंकि बाजार में इसकी मांग सालभर बनी रहती है।
2. लौकी
लौकी को बरसात के मौसम में उगाना बेहद लाभकारी होता है। यह बेल वाली फसल है जो गर्मी और नमी में तेजी से बढ़ती है। बीजों की बुवाई जून-जुलाई में करनी चाहिए। यह दोमट और जलनिकासी वाली मिट्टी में अच्छी उपज देती है। पौधे को सहारा देना जरूरी होता है ताकि फल जमीन से संपर्क में न आएं। लगभग 60-70 दिनों में इसकी पहली तुड़ाई शुरू हो जाती है। लौकी स्वास्थ्यवर्धक सब्जी है और इसकी मांग हर मौसम में बनी रहती है।
3. करेला
करेला एक पोषक तत्वों से भरपूर और औषधीय गुणों वाली सब्जी है। बरसात का मौसम करेला उगाने के लिए आदर्श होता है। जून से अगस्त तक इसकी बुवाई की जाती है। यह फसल हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी होती है। बेल को सहारा देने के लिए जाली या बांस का सहारा देना चाहिए। फसल को रोगों से बचाने के लिए नीम आधारित जैविक स्प्रे करें। 55-60 दिन में फसल तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है।
4. तुरई
तुरई एक बेल वाली सब्जी है जो बरसात के मौसम में बहुत अच्छी उपज देती है। इसकी बुवाई जून-जुलाई में करनी चाहिए। तुरई को गर्म और आर्द्र वातावरण पसंद होता है। इसे उगाने के लिए हल्की दोमट या बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है। बेल को फैलने के लिए सहारा देना जरूरी होता है। इसकी फसल 50-60 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। तुरई पाचन में सहायक होती है और बाजार में भी इसकी अच्छी मांग होती है।
5. पालक
पालक एक हरी पत्तेदार सब्जी है जो मानसून में बहुत तेजी से बढ़ती है। इसकी बुवाई जुलाई से सितंबर तक की जाती है। यह फसल ठंडी और नमी वाली जलवायु को पसंद करती है। पालक को दोमट या चिकनी मिट्टी में उगाना अच्छा होता है। इसमें नियमित पानी देना चाहिए और खरपतवार नियंत्रण भी जरूरी है। बुवाई के 25-30 दिनों के भीतर इसकी कटाई की जा सकती है। यह आयरन से भरपूर होती है और पोषण के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
6. खीरा
खीरा एक रसीली और ठंडक देने वाली सब्जी है जो बरसात में तेजी से बढ़ती है। इसकी बुवाई जून-जुलाई में होती है। खीरा को बलुई या दोमट मिट्टी में उगाया जाता है जिसमें जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो। यह फसल बेल वाली होती है इसलिए इसे सहारा देना जरूरी है। 40-50 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। खीरे में पानी की मात्रा अधिक होती है, जिससे यह गर्मियों और बारिश के मौसम में बहुत पसंद किया जाता है। बाजार में इसकी मांग लगातार बनी रहती है।
7. सेम
सेम एक पौष्टिक फलदार सब्जी है जिसे बरसात में आसानी से उगाया जा सकता है। इसकी बुवाई जुलाई-अगस्त में करनी चाहिए। यह फसल मध्यम जलवायु और नमी वाली मिट्टी में अच्छी होती है। सेम की बेल को सहारा देना होता है जिससे फल जल्दी और स्वस्थ निकलते हैं। यह फसल 60-70 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार होती है। सेम में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। बाजार में इसकी खपत और कीमत दोनों संतोषजनक रहती हैं।
8. चौलाई
चौलाई एक हरी पत्तेदार सब्जी है जो बरसात के मौसम में खूब उगती है। इसकी बुवाई जून से सितंबर तक की जाती है। यह फसल दोमट या बलुई दोमट मिट्टी में उगाई जाती है। चौलाई में आयरन, कैल्शियम और फाइबर भरपूर होता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसकी कटाई 25-30 दिन में की जा सकती है और एक ही फसल से कई बार पत्तियाँ तोड़ी जा सकती हैं। यह सब्जी बाजार में हरी सब्जियों की श्रेणी में खूब बिकती है।
9. धनिया
धनिया एक सुगंधित पत्तेदार सब्जी है जो मसाले के रूप में भी प्रयोग होती है। बरसात के मौसम में इसकी बुवाई जुलाई से अगस्त तक की जाती है। यह हल्की मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली भूमि में अच्छे से बढ़ती है। बुवाई के 25-30 दिनों में पत्तियाँ तोड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं। धनिया में आयरन और विटामिन C पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। इसकी हर मौसम में मांग बनी रहती है जिससे यह लाभकारी फसल बन जाती है।
10. मेथी
मेथी एक बहुपयोगी हरी सब्जी है जो बरसात में आसानी से उगाई जाती है। इसकी बुवाई जुलाई से सितंबर के बीच की जाती है। मेथी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। 25-30 दिनों में इसकी पत्तियाँ तोड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं। यह फाइबर, आयरन और प्रोटीन से भरपूर होती है। मेथी को सब्जी और पराठों में इस्तेमाल किया जाता है। एक ही फसल से कई बार कटाई संभव है, जिससे किसानों को अच्छा उत्पादन और मुनाफा मिलता है।
11. मूली
मूली की खेती मानसून के अंत या बरसात के बीच की जा सकती है, विशेषकर अगस्त-सितंबर में। यह ठंडी जलवायु पसंद करती है, लेकिन शुरुआती नमी में तेजी से बढ़ती है। हल्की दोमट मिट्टी और अच्छे जल निकास की आवश्यकता होती है। बीज बुवाई के 30-40 दिनों में मूली की खुदाई शुरू हो जाती है। यह पाचन में सहायक और पोषक तत्वों से भरपूर होती है। मूली का उपयोग पराठों, सलाद और सब्जियों में किया जाता है, जिससे इसकी मांग बाजार में बनी रहती है।
12. प्याज
बरसात के मौसम में प्याज की नर्सरी जून-जुलाई में तैयार की जाती है और पौधे अगस्त-सितंबर में खेतों में रोपे जाते हैं। प्याज को उगाने के लिए बलुई दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी जरूरी है। अत्यधिक पानी प्याज को सड़ा सकता है इसलिए खेत का लेवल अच्छा होना चाहिए। प्याज की फसल लगभग 90-120 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी खेती किसानों के लिए बेहद लाभकारी होती है क्योंकि इसका उपयोग हर भारतीय रसोई में होता है और सालभर इसकी मांग बनी रहती है।