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    कृषि

    देसी धान की किस्में : जाने धान की इन प्रमुख देशी किस्मों के बारे में

    AapkikhetiBy AapkikhetiJuly 16, 2025No Comments5 Mins Read
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    देसी धान की किस्में-Aapkikheti.com
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    देसी धान की किस्में : जाने धान की इन प्रमुख देशी किस्मों के बारे में

    धान की खेती पूरे विश्व में अच्छी मात्रा में की जाती हैं , और इसी तरह भारत का धान की खेती में अच्छा योगदान हैं | पर इस समय लोग ज्यादा उपज और मुनाफे की और भाग रहे हैं जिससे फसलों से निकलने वाले अनाज और अन्य चीज़ें केमिकल से प्रभावित होती जा रही हैं | पर पहले ऐसा नहीं था पहले के जमाने में किसान देशी किस्मों पर ज्यादा निर्भर थे और आज के समय में भी किसान भाई देशी किस्म का प्रयोग करके खेती कर रहे हैं | पढ़िए हमारे देसी धान की किस्में ब्लॉग को जो आपको इनकी देशी किस्मों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा |

    जाने धान की देसी किस्म के बारे में खुशबू, स्वाद और परंपरा की पहचान

    1. बासमती
    बासमती चावल अपनी लंबी दानों और शानदार खुशबू के लिए जाना जाता है। पकने पर यह नरम होता है और इसका स्वाद बेहद स्वादिष्ट होता है। यह मुख्य रूप से उत्तर भारत में उगाया जाता है। शादी-विवाह और त्योहारों में इसका उपयोग प्रमुखता से होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी भारी मांग होती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है। बासमती की खेती के लिए दोमट और उपजाऊ मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है।

    2. मंसूरी
    मंसूरी किस्म का धान छोटे और मध्यम आकार के दानों वाला होता है। इसका स्वाद सामान्य लेकिन पौष्टिक होता है। यह किस्म छत्तीसगढ़, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रचलित है। इसकी खास बात यह है कि यह कम पानी में भी अच्छी उपज देती है, जिससे छोटे किसानों के लिए फायदेमंद है। यह उबले हुए चावल (भात) के लिए बेहतर मानी जाती है और जल्दी पकती है।

    3. बिरनफूल
    बिरनफूल एक सुगंधित देसी किस्म है जो पारंपरिक खेती में अहम स्थान रखती है। इसके चावल में प्राकृतिक मिठास और सुगंध होती है। यह खासकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा में उगाई जाती है। इस किस्म की खेती रासायनिक खाद के बिना भी की जा सकती है। त्योहारों और पारंपरिक भोजन में इसका उपयोग अधिक होता है। इसकी पैदावार औसतन होती है लेकिन बाजार में कीमत अधिक मिलती है।

    Dhaan ki kheti 

    4. साद सरना
    साद सरना एक पुरानी देसी किस्म है जो कम समय में पक जाती है। इसका चावल सफेद, नरम और जल्दी पचने वाला होता है। यह पूर्वी भारत में विशेषकर झारखंड और बंगाल क्षेत्र में उगाई जाती है। इस किस्म की खासियत यह है कि यह जलवायु परिवर्तन को सहन कर सकती है और कम संसाधनों में भी तैयार हो जाती है। यह परंपरागत किसानों की पहली पसंद है।

    5. कुकुरझाली
    कुकुरझाली किस्म का चावल बेहद सुगंधित और स्वाद में बेमिसाल होता है। यह पश्चिम बंगाल और असम जैसे क्षेत्रों में उगाया जाता है। यह पारंपरिक बर्तन में पकाने पर अपना खास स्वाद और सुगंध छोड़ता है। कुकुरझाली चावल की कीमत बाजार में अधिक मिलती है। यह किस्म मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती है और जैविक खेती के लिए भी उपयुक्त है।

    6. काला नयना
    काला नयना किस्म का धान काले रंग के चावलों से प्राप्त होता है, जो पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसमें एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर की मात्रा अधिक होती है। यह विशेष रूप से स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उपयोग किया जाता है। यह किस्म उत्तर-पूर्वी भारत और कुछ हिस्सों में जैविक खेती के लिए प्रसिद्ध है। इसकी खेती कम पानी और कम उर्वरकों में भी की जा सकती है।

    7. फूल पकरी
    फूल पकरी किस्म का चावल हल्का, मुलायम और खुशबूदार होता है। यह खासकर पारंपरिक भोजनों और धार्मिक कार्यों में उपयोग किया जाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह खाने में हल्का होता है और बुजुर्गों के लिए उपयुक्त माना जाता है। फूल पकरी की खेती खासकर बिहार और झारखंड में की जाती है। इसमें कम कीटनाशक की जरूरत होती है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।

    8. काला बुधनी
    काला बुधनी एक विशेष देसी किस्म है जिसके चावल का रंग हल्का काला और सुगंधित होता है। यह एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है और इसे औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से आदिवासी क्षेत्रों में पारंपरिक खेती के रूप में उगाया जाता है। इसकी पैदावार औसत होती है लेकिन मांग अधिक होने के कारण किसान इससे अच्छा लाभ प्राप्त करते हैं। इसकी खेती जैविक विधियों से की जाती है।

    9. देसी मंसूरी
    देसी मंसूरी किस्म सामान्य मंसूरी से थोड़ी अलग होती है, यह और भी अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। यह किस्म बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में लोकप्रिय है। इसका चावल पकने पर चिपचिपा नहीं होता, इसलिए यह रोजमर्रा के उपयोग में अच्छा रहता है। देसी मंसूरी रासायनिक खाद के बिना भी अच्छी पैदावार देती है, जिससे यह जैविक किसानों के लिए आदर्श है।

    10. सफेद सुंदरी
    सफेद सुंदरी एक पारंपरिक और सुंदर चावल की किस्म है जिसका चावल चमकीला सफेद और स्वादिष्ट होता है। इसकी खुशबू मध्यम होती है लेकिन स्वाद काफी बढ़िया होता है। यह पूर्वी भारत के राज्यों में विशेष रूप से लोकप्रिय है। इस किस्म की खेती मध्यम जलवायु में आसानी से की जा सकती है। इसका उपयोग पारंपरिक व्यंजनों और त्योहारों में अधिक होता है।

    11. चनाचूर
    चनाचूर किस्म का चावल हल्का, पतला और कुरकुरे स्वाद वाला होता है। यह खासकर पारंपरिक नाश्ते और स्नैक्स बनाने में काम आता है। इसका उपयोग बंगाल और ओडिशा में अधिक होता है। इस किस्म से चूड़ा और खील जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं। चनाचूर की खेती कम समय और कम सिंचाई में भी संभव है, जिससे छोटे किसानों को सीधा लाभ मिलता है।

    12. कैमा
    कैमा एक विशिष्ट देसी किस्म है जो खासकर पूर्वोत्तर भारत में पाई जाती है। इसका चावल छोटा, मुलायम और सुगंधित होता है। यह पारंपरिक बांस के बर्तन में पकाए जाने पर बेहद स्वादिष्ट लगता है। इसका उपयोग खासकर पर्वों और पारंपरिक थालियों में किया जाता है। इसकी खेती सामान्य जलवायु में की जा सकती है और जैविक पद्धतियों से इसकी गुणवत्ता बनी रहती है।

    जाने इन देसी धान की किस्में के बारे में जिससे आपको पता चलेगा की किस तरह आप भी धान की इन किस्मों के बारे में जान पाएंगे |

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