Dhaniya ki Kheti : किसानो के लिए एक लाभदायक खेती
Dhaniya ki Kheti धनिया, यानि corriender, एक बहुत ही फ़ायदेमंद और मशहूर मसाला है जो हमारे घर के खाने में स्वाद और सुगंध बढ़ाता है। इसकी खेती से अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है और इसके पत्ते और बीज दोनों ही व्यापार और घर के उपाय में आते हैं। यह सब्जी, दाल और सलाद में एक खास जगह बनाता है और देश के काफी हिस्सों में इसकी खेती की जाती है।
1.धनिये की खेती कैसे करें
धनिये की खेती छोटे और बड़े दोनों किसानों के लिए लाभदायी हो सकती है। इसकी खेती खुली मिट्टी में आसानी से हो सकती है। आप इसके पत्ते और बीज दोनों के लिए खेती कर सकते हैं। धनिया को खास तौर पर मसाले और बीज के लिए उगाया जाता है, लेकिन यह पोधो और पत्तों में भी लाभदायी है।
2. धनिये की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु
खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी वह है जो रेतीली दोमट या हल्की हो और जिसमें पानी निकासी की क्षमता अच्छी हो। मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना आवश्यक है। इसकी खेती के लिए 20-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान और हल्का ठंडा मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है। धनिया की फसल को अत्यधिक गर्मी और अधिक बारिश पसंद नहीं होती
3. धनिये की उन्नत किस्में
धनिये की उन्नत किस्म फसल के उत्पादन को बढ़ाने में मददगार होती हैं। कुछ प्रमुख किस्में जैसे आरसीआर-41, आरसीआर-435, आरसीआर-20, और डीएच-228 प्रचलित हैं। इनके इलावा वीएल धनिया और पंत धनिया 1 भी व्यवसायिक खेती के लिए लोकप्रिय हैं। इन किसमोन में स्वाद और उत्पाद दोनों ही बेहतर होते हैं।
4. धनिये की खेती के लिए ज़मीन की तैयारी
धनिये की खेती के लिए ज़मीन की तैयारी बहुत महत्वपूर्ण होती है। ज़मीन को एक या दो बार हल चलाके और पत्र और सुखारी हटाके अच्छे से तैयार किया जाता है। जमीन को पहले पानी दे कर भीगा लेना चाहिए और फिर बीज को अच्छे से फेलाने के लिए मिट्टी को हल्के से भीगाएं।
5. बीज
धनिये के बीज के लिए आपको उनके अच्छे दर्जा और सफेदी पर ध्यान देना चाहिए। बीज को खेती से पहले एक या दो दिन तक भीगो कर रखना फ़ायदेमंद होता है, इसके बीज की अंकुरण शक्ति में वृद्धि होती है। हर हेक्टर में लगभग 8 -10 किलो बीज लगता है।
6. बिजाई
बिजाई धनिया की बिजाई सीधी खेती से या पौध पूरो के मध्यम से की जा सकती है। सीधी खेती के लिए बीज को सीधे जमीन में बोया जाता है और उनके बीच में 20 सेमी की दुरी रखना चाहिए। बीज को लगभग 2-3 सेमी गहराई में डालना चाहिए।
7. धनिये की खेती में खाद
खेती में जैविक और रसायनिक खाद का उपयोग करना चाहिए। गोमूत्र या गाय के गोबर से तैयार किये गये जैविक खाद का इस्तमाल करना सबसे अच्छा है। प्रति हेक्टेयर 40-50 किग्रा नाइट्रोजन, 25 किग्रा फॉस्फोरस और 20 किग्रा पोटाश का उपयोग करना उचित है।
8. खरपतवार नियंतरण
खरपतवार को नियन्त्रित रखना धनिये की खेती में बहुत जरूरी है, क्योंकि ये पौधे के पोषक तत्वों को कम कर सकते हैं। प्रथमिक तौर पर हाथ से या हल्के खुरपे का उपयोग करके खरपतवार हटाएं। केमिकल स्प्रे का इस्तमाल भी किया जा सकता है, लेकिन धीरे-धीरे और सही तरीके से।
9. धनिया की खेती में सिंचाई
धनिया की खेती में सिंचाई का भी अपना महत्व है। पहली सिंचाई बिजाई के बाद तुरंत करनी चाहिए और उसके बाद हल्के पानी के साथ अवधि अनुसर सिंचाई करते रहना चाहिए। मौसम और मिट्टी के ताप के अनुरूप पानी की मात्रा कम या ज्यादा कर सकते हैं।
10. फसल की कटाई
धनिये की फसल काटने का सही समय है जब पौधे अच्छे से बड़े हो जाएं और पत्ते तीखे हरे रंग के हो। पत्ते काटने के बाद बीज के लिए इन्हें कुछ और समय तक पकाया जा सकता है। बीज को काटने के बाद अच्छी तरह से सुखाया जाए ताकि बीज की गुनिया और तलदी बनी रह सके।
11. धनिया की खेती के लाभ
Dhaniya ki Kheti बहुत लाभदायी है क्योंकि इसके उपयोग घर से लेकर बाजार तक है। इसका स्वाद और सुगंध खाने को लाजवाब बनाता है और बीज का व्यवसायिक महत्व भी बहुत है। इसकी खेती के ज़रिये किसानों को अच्छी आमदनी हो सकती है और इसकी मात्रा में भी फ़ायदा होता है।
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FAQs
धनिया की खेती के लिए कौन-सी मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है?
रेतीली दोमट या हल्की मिट्टी, जिसमें पानी के निकास की अच्छी क्षमता हो, धनिया की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
धनिया की खेती के लिए आदर्श तापमान क्या होना चाहिए?
20-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान धनिया की खेती के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
धनिया की कौन-कौन सी उन्नत किस्में हैं?
आरसीआर-41, आरसीआर-435, आरसीआर-20, डीएच-228, वीएल धनिया और पंत धनिया 1 जैसी उन्नत किस्में धनिया की खेती में लोकप्रिय हैं।
धनिये की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर कितना बीज चाहिए?
प्रति हेक्टेयर लगभग 8-10 किलोग्राम धनिये का बीज उपयोग किया जाता है।
धनिया की खेती में खाद का उपयोग कैसे करें?
जैविक और रासायनिक खाद दोनों का उपयोग किया जा सकता है। प्रति हेक्टेयर 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 25 किलोग्राम फॉस्फोरस, और 20 किलोग्राम पोटाश का उपयोग उपयुक्त रहता है।