lahsun ki kheti : जाने खेती करने का सबसे आसान तरीका यहाँ से
लहसुन एक एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है जो ना सिर्फ रसोई में एक खास जगह रखती है, बल्कि इसका वैद्य महत्व भी है। भारत के कई राज्यों में लहसुन की खेती होती है, और इसकी मांग हर समय बनी रहती है। अगर आप lahsun ki kheti करना चाहते हैं तो पढ़िए पूरा लेख
Lahsun Ki Kheti Kaise Kare
लहसुन की खेती के लिए सबसे पहले आपको अच्छी क़िस्म का बीज चुनना होगा। इसके लिए उस मिट्टी को चुनना जरूरी है जिसमें कार्बनिक पदार्थ अधिक हो और अच्छी जल निकासी व्यवस्था हो। लहसुन की खेती अक्टूबर-नवंबर में की जाती है , जब मौसम थोड़ा ठंडा होता है।
मिट्टी और जलवायु
लहसुन की खेती के लिए बाली मिट्टी (दोमट मिट्टी) सबसे अच्छी मानी जाती होती है । मिट्टी का पीएच स्टार 6-7 के बीच होना चाहिए। लसुन ठंडे और नर्म जलवायु में अच्छी तरह से उगता है। लगभग 12-24°C का तापमान इस फसल के लिए अच्छा होता है। सीधी धूप की जरुरत होती है, लेकिन बहुत ज़्यादा बरसात और नम्मी से फ़सल ख़राब हो सकती है।
लासुन की उन्नत किस्म
लहसुन की उन्नत किसम को चुनना आपकी पैदावर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। कुछ लोकप्रिय उन्नत किस्मे हैं: जी-1 जी-41 जी-50 किस्म में अच्छी कमाई और रोग प्रतिरोध होती है, जो खेती को सफल बनाने में मददगार होती है।
जमीन की तैय्यारी
lahsun ki kheti के लिए ज़मीन का अच्छे से तैयार होना जरूरी है। खेती के पहले जमीन को गहराई से जोतना चाहिए और दो-तीन बार हल चलाना चाहिए ताकि मिट्टी ढीली हो जाए। मिट्टी में जैविक खाद मिलाकर जमीन को और अधिक उपजाओ बनाया जा सकता है।
बिजाई का समय
लहसुन की बिजाई का समय अक्टूबर से नवंबर के बीच का होता है । ठंड के दौरान बिजाई करने से फसल मजबूत होती है और अच्छी कीमत मिलती है। लहसुन के बीज को लगभग 2-3 सेमी गहराई में लगना चाहिए।
बीज
लहसुन के बीज के लिए, बल्ब के लौंग को इस्तेमाल किया जाता है। हर लौंग को एक अलग पौधे के रूप में लगाया जाता है। हर एक लौंग का वजन 8-10 ग्राम के बीच होना चाहिए ताकि पोधे मजबूत और उपजाओ बन सकें।
खरपतवार नियन्त्रण
खरपतवार (मातम) लहसुन की पैदावर पर कम कर सकते हैं, इसलिए उनका नियन्त्रण जरूरी है। फ़सलों के बीच- बीच में वक़्त पर हल चलाकर खरपतवार को हटा सकते हैं। खेती के दौरान जैविक गीली घास का इस्तमाल करने से भी खरपतवार को रोका जा सकता है।
लसुन की सिंचाई
लहसुन की खेती में सिंचाई जरुरी रहती है । बिजाई के तुरंत बाद एक हल्का पानी देना जरूरी है। पत्ता सफ़ेद होने पर पानी देना बंद करना चाहिए, लेकिन फसल के दौरान 8-10 दिन के अंदर – अंदर पर सिंचाई जरूरी होती है।
लसुन की देखभाल
फसल की देखभाल करने के लिए , रोग-प्रतिक्षमत्ता किसम के बीज का इस्तमाल करें और समय-समय पर कीटनाशकों का प्रयोग करें। जैसी-जैसी फसल बढ़ती है, उसका नियमित रूप से निरीक्षण करना चाहिए ताकि कोई भी रोग हो या कीड़े का समय पर इलाज हो सके।
कटाई
लहसुन की फसल की कटाई लगभग 5-6 महीने बाद तैयार होती है। जब पत्ते पूरी तरह से सूख जाते हैं तब लसुन को खोद कर निकल लिया जाता है। कटाई के बाद लहसुन को थोड़े समय के लिए धूप में सुखा कर रखा जाता है ताकि उसकी चमक खत्म हो जाए और लम्बे समय तक स्टोर किया जा सके।
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