Mulberry Farming : कीजिये एक लाभदायक खेती
शहतूत की खेती ( Mulberry Farming ) एक लाभकारी व्यवसाय है जो कम लागत में अच्छा मुनाफ़ा दे सकता है। शहतूत के फल और पत्तों का इस्तेमल रेशमकीट (रेशम के कीट) के पोषण के लिए किया जाता है, जिससे रेशम उत्पादन होता है। इसके अलावा, शहतूत के फ़ल का उपयोग काई तरह के खाद्य उत्पादों में भी होता है। अगर आप किसानी में नए हैं या एक नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो शहतूत की खेती एक अच्छा विकल्प हो सकती है। इस पोस्ट में हम जानेंगे कि शहतूत की खेती कैसे करें |
सहतूत की खेती कैसे करें
Mulberry Farming के लिए पहले से जमीन का चुनाव और मिट्टी की तैयारी करनी होती है। शहतूत के पौधे के लिए ठंडा और समस्त जलवायु अनुकूल होता है। पहले ज़मीन को अच्छी तरह से हल चलाके तैयार करना चाहिए। इसके बाद आप शहतूत के अच्छे विचित्र (विविधता) बीज या पौधे लगाते हैं। शहतूत की खेती करने के लिए समय और पानी का सही उपयोग करना जरूरी है।
शहतूत की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु
Mulberry Farming के लिए बालू मिट्टी से लेकर चिकनी मिट्टी तक अनुकूल होती है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे बेहतर मानी जाती है। इस मिट्टी में अच्छी जल निकासी होनी चाहिए,जिससे पानी की कमी या झाड़ होने का ख़तरा कम हो। जलवायु की बात करें तो शहतूत के पौधे को ठंडी और समस्त जलवायु पसंद होती है, लेकिन ये गर्मी 25 -30°C तक गर्म हो सकती है।
सहतूत की उन्नत किस्में
शहतूत की उन्नत किस्में उपलब्ध हैं जो व्यावसायिक खेती के लिए उपयुक्त हैं। कुछ प्रमुख उन्नत किस्में हैं: एस-1635 – ये किसम ज्यादा फल उत्पादन और रेशमी कीट पोषण के लिए उपयुक्त है।
एस-30 – ये किसम अधिक फल और रेशमी कीट पोषण के लिए प्रसिद्ध है।
जी-4- इस वैरायटी में फलों का आकार बड़ा होता है और पौधे जल्दी विकास करते हैं।
शहतूत की खेती के लिए जमीन की तैयारी
शहतूत की खेती के लिए जमीन की तैयारी बहुत महत्तवपूर्ण होती है। इसमें पहले मिट्टी का मूल्यांकन करना चाहिए, फिर ज़मीन को अच्छे से हल चलाकर उसमें खाद डालना चाहिए। जमीन को ध्यान से साफ करना जरूरी है ताकि कोई भी फसलवार पौधों के विकास में रुकावट न बने। शहतूत के पौधे लगाने के लिए ज़मीन को 20-30 सेमी गहरा हल चला कर धुल बनानी होती है
बिजाई
शहतूत के पौधों की बिजाई या तो बीजों से की जा सकती है या तो काट कर (cutting method) के द्वार। अगर आप कटिंग विधि का उपयोग कर रहे हैं तो पौधे के अच्छे हिस्से का चुनाव कर के उसे धरती में लगाए । कटिंग लगाने का बेहतर समय फरवरी से मार्च के बीच होता है। बीज लगाने के लिए बीजोन को एक दिन पहले पानी में भिगोया जाता है, फिर उन्हें जमीन में लगाया जाता है।
सिंचाई
शहतूत के पौधो को विकास के लिए निरंतर सिंचाई की आवश्यकता होती है। लगभग 15-20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए, लेकिन मानसून के दौरान सिंचाई को कम करना चाहिए। पानी का ठीक प्रबंध फसल की अच्छी वृद्धि के लिए जरूरी होता है।
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार का नियंत्रण शहतूत की खेती में एक महत्वपूर्ण कदम होता है, क्योंकि खरपतवार पौधों से पोषक को छीन लेते हैं। मैनुअल या केमिकल तरीको से खरपतवार का नाश किया जा सकता है। ज़मीन को मल्चिंग के माध्यम से ढक कर भी खरपतवार को रोका जा सकता है।
शहतूत के पौधे की देखभाल
शहतूत के पौधों को सुरक्षित और तंदुरुस्त रखने के लिए लगातार देखभाल करना जरूरी होता है। रोग और कीटन से पौधो को सुरक्षित रखने के लिए समय पर किये गये उपाय काफी मददगार होते हैं। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम के मिश्रीत खाद का उपयोग करना चाहिए, जो पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए जरूरी होता है।
फसल की कटाई
शहतूत की फसल की कटाई फल पक्ने पर की जाती है। शहतूत का फल गहरा लाल या काला हो जाता है जब ये पक जाता है। फसल को हाथों से तोड़ कर या हल्की कटिंग करके इकठ्ठा किया जाता है। शहतूत का फल बाज़ार में अच्छे दामो में बिकता है, जो किसानो के लिए लाभदायक होता है।
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FAQs
प्रश्न 1: शहतूत की खेती किस प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है?
उत्तर: शहतूत की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें अच्छी जल निकासी होनी चाहिए।
प्रश्न 2: शहतूत की खेती के लिए कौन-सी जलवायु सबसे अच्छी होती है?
उत्तर: शहतूत की खेती के लिए ठंडी और समस्त जलवायु उपयुक्त होती है, लेकिन यह 25-30°C तक की गर्मी भी सहन कर सकता है।
प्रश्न 3: शहतूत की उन्नत किस्में कौन-सी हैं?
उत्तर: शहतूत की प्रमुख उन्नत किस्में हैं – एस-1635, एस-30, और जी-4, जो ज्यादा उत्पादन और रेशमी कीट पोषण के लिए प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 4: शहतूत की फसल की सिंचाई कितने अंतराल पर करनी चाहिए?
उत्तर: शहतूत की सिंचाई लगभग 15-20 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए, लेकिन मानसून के दौरान सिंचाई कम करनी चाहिए।
प्रश्न 5: शहतूत के पौधे की देखभाल कैसे की जाती है?
उत्तर: शहतूत के पौधों को रोग और कीटों से बचाने के लिए नियमित देखभाल की आवश्यकता होती है, और पोषक तत्वों के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम युक्त खाद का प्रयोग करना चाहिए।